Tuesday 2 December 2014

अंडाशय विकार का शिकार अक्सर होती हैं किशोरियां


भारतीय किशोरियों में सुस्त जीवनशैली, बासी भोजन की आदतें और मोटापे के कारण पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) फैलने की संभावना बढ़ रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, 10 से 30 फीसदी किशोरियां इससे प्रभावित हो रही हैं। मोटापा और पीसीओएस का गहरा संबंध है, खासकर जब यह किशोरावस्था के समय होता है। पीसीओएस की घटना बढ़ रही है और जीवनशैली में परिवर्तन हो रहा है, पोषण और आहार इसमें बहुत अहम भूमिका अदा करते हैं। पीसीओएस मामलों में हार्मोनल असंतुलन प्रमुख रूप से 'दोषीÓ हैं। अन्य कारकों में उन्होंने मोटापे का अचानक बढ़ जाना और कुछ मामलों में आनुवांशिक स्थितियों को गिनाया।
पिछले एक दशक में तंगहाल जीवनशैली हार्मोनल बदलाव के लिए पहला कारण बन चुकी है, और इससे पीसीओएस की संभावना बढ़ जाती है। अगर हम शहरी भारत की ओर देखें तो हर साल यहां लगभग 15 फीसदी लड़कियां पीसीओएस का शिकार हो जाती हैं। पीसीओएस से अंडाशय में कई प्रकार के अल्सर गठित होते हैं और एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का अत्यधिक उत्पादन होने लगता है। इससे शरीर और चेहरे पर बाल, मासिक धर्म में अनियमितताएं और मुंहासे बढऩे लगते हैं।
वजन बढऩा, गले के पीछे और शरीर के अन्य भागों में काले धब्बे, अनियमित मासिक धर्म, अनचाहे बाल बढऩा और मुंहासे पीसीओएस का कारण बन सकते हैं। हालांकि, हर उस व्यक्ति को पीसीओएस नहीं होता जिसमें यह सब लक्षण हों। तीव्रता के विभिन्न लक्षणों के साथ अलग-अलग लोगों में अलग-अलग लक्षण होते हैं। कुछ किशोरियों के लिए भविष्य में यह चुनौतीपूर्ण हो जाएगा जब वह मां बनने की योजना बनाएंगी। अगर पीसीओएस का इलाज नहीं किया गया तो इससे कैंसर के साथ-साथ कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
पीसीओएस की पहचान लक्षणों और संकेतों, अल्ट्रासाउंड और हार्मोन विश्लेषण द्वारा की जा सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला गर्भ धारण नहीं करना चाहती है तो इसके लिए हार्मोन की कई तरह की गोलियां उपलब्ध हैं।

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