Saturday 6 December 2014

बांझपन का कारण केवल पीसीओएस नहीं


बांझपन मूलरूप से गर्भधारण करने में असमर्थता है, बांझपन महिला की उस अवस्था को भी कहते हैं, जिसमें वह पूरे समय तक गर्भधारण नहीं कर पाती है। बांझपन हमेशा महिला की ही समस्या नहीं होती है। पुरुष तथा महिला दोनों की समस्या हो सकती है। प्रतिदिन दवाखाने में ऐसे कई मरीज आते हैं, जिनकी शादी भी नहीं हुई रहती है और यदि उनकी सोनोग्राफी रिर्पोट में सिस्ट या फाईब्राईड्स आ जाते हैं तो उनके पालकों को यह डर सताने लगता है कि कहीं उन्हें आगे चलकर बांझपन तो नहीं हो जाएगा।
अनिमित माहवारी या सिस्ट बांझपन का कारण हो सकता है परन्तु जरूरी नहीं है कि सभी पीसीओएस पीडि़त नवयुवतियों को बांझपन का शिकार होना ही पड़े।
आयु का बांझपन से सीधा सम्बंध होता है। युवावस्था में शारीरिक ताकत, रोग प्रतिरोधक क्षमता, तथा हार्मोनल बदलाव चरम पर होते हैं, इसलिए इस पहलू पर विचार करना महत्वपूर्ण है। उम्र बढऩे के साथ हमारी जीवनशक्ति और स्थिरता कम होने लगती है, इसलिए समय रहते कारणों को जानकर समय पर उपचार कराना श्रेयस्कर होगा।
अध्ययनों से पता चला है कि देर रात तक जागना या कार्य करने से हार्मोनल बदलाव चरम पर होता है, जिसके कारण पीसीओएस अथवा बांझपन जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। अत: पूरी नींद अवश्य लें तथा देर रात तक जागने से भी बचें। सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि माहवारी नियमित है या नहीं? ओव्यूलेशन बराबर है अथवा नहीं? शरीर का तापमान और प्रोजेस्टेरान लेवल की जांच कराने के साथ-साथ सोनोग्राफी कराने के उपरांत यदि स्ट्रक्चरल खराबी न मिले उस स्थिति में होम्योपैथिक दवाईयां काफी हद तक कारगर सिद्ध हो सकती है।
आज भी समाज में महिला बांझपन को उपेक्षित नजरिए से देखा जाता है। जबकि हमें हमारा नजरिया बदलना होगा और कारण जानकर, निवारण कर उचित उपचार करके सफलता भी पाई जा सकती है।

डॉ. ए. के. द्विवेदी
बीएचएमएस, एमडी (होम्यो)
प्रोफेसर, एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, इंदौर
संचालक, एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवंहोम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा. लि., इंदौर

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