Thursday 29 September 2022

पैरों में दर्द और डिप्रेशन का कारण हो सकता है विटामिन डी की कमी

क्या आपको अक्सर पैरों में और जोड़ों में दर्द होता है या फिर आपकी बॉडी में भारीपन सा लगता है तो इसे


साधारण समझने की कोशिश न करें क्योंकि ये शरीर में विटामिन-डी की कमी के लक्षण हो सकते हैं। अगर इसका सही समय पर इलाज न कराया जाए तो ये कमी कई तरह की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इसके लक्षण क्या होते हैं...

1. आपके शरीर में विटामिन-डी की कमी हो रही है तो इसका असर आपके ब्लडप्रेशर पर पड़ सकता है। इसकी कमी से अक्सर हाई ब्लडप्रेशर की समस्या पैदा होती है।

2. खास तौर से महिलाओं में विटामिन-डी की कमी से तनाव की समस्या पैदा हो जाती है और इसके कारण वे लगातार उदासी महसूस करती हैं।

3. यदि आप हड्डियों में दर्द व कमजोरी के साथ ही मांसपेशियों में लगातार दर्द महसूस कर रहे हैं, तो यह विटामिन-डी की कमी के कारण हो सकता है। विटामिन-डी हड्डियों के लिए अति आवश्यक होने के साथ ही दांतों और मांसपेशियों के लिए भी बहुत जरूरी एलीमेंट है।

4. अगर आप लगातार थकान व आलस से भरा महसूस करते हैं तो शरीर में विटामिन-डी के स्तर की जांच करवाइए। ऐसा विटामिन-डी की कमी के कारण भी हो सकता है।

5. शरीर में विटामिन-डी की कमी का सीधा असर आपके मूड पर पड़ता है। इसकी कमी से शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन के निर्माण पर असर पड़ता है जो आपके बदलते मूड के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

Wednesday 28 September 2022

शरीर स्वस्थ तो आप स्वस्थ इसलिए पूरा ध्यान रखें अपनी फिटनेस का

जीवन का सबसे बड़ा सुख है निरोगी काया। जी हां शरीर स्वस्थ रहेगा तो आप सब कुछ कर सकते हैं, और जिस


दिन शरीर ही साथ नहीं देगा आप कुछ नहीं कर पाएंगे। तो आप अपने स्वास्थ्य का, अपनी फिटनेस का पूरा पूरा ध्यान रखें। पहले भारत में लोग अपने स्वास्थ को लेकर इतने सचेत नहीं थे लेकिन अब बहुत से लोग डाइटिंग, जिमिंग, वाकिंग और एक्सरसाइज जैसे बहुत सारे उपाय अपनाने लगे है। इसलिए जो लोग नहीं रहते हैं वो भी फिट रहने के लिए कोशिश करें, इसके लिए आप अपनी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव लाएं जैसे हेल्दी खाना, खूब पानी पीना आदि। आइए बात करते हैं कुछ बदलावों की जो आप अपने जीवन में लाएंगे तो आप फिट रहेंगे।

 

सुबह उठकर सबसे पहले चाय-कॉफी नहीं पानी पीएं

कुछ लोगों को सुबह सबसे पहले चाय या कॉफी पीना होती है। और कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो चाय पिए बिना अपने दिन की शुरुआत ही नहीं करते, उन्हें अपने बेड पर ही चाय चाहिए होती है। लेकिन खाली पेट चाय या कॉफी आपको बहुत नुकसान पहुंचा सकती है, आप अपनी इस आदत को बदलें और सुबह उठकर सबसे पहले पानी पीएं। www.sehatevamsurat.com के एडिटर और सीसीआरएच आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य एवं होम्योपैथिक फिजिशियन प्रो. डॉ एके द्विवेदी कहते हैं सुबह चाय-कॉफी से पहले पानी पीना आपकी एनर्जी को बढ़ाता है और आपके दिमाग को तेज करता है साथ ही साथ आपकी किडनी को भी स्वस्थ रखता है। वहीं आप चाय या कॉफी की जगह ग्रीन टी भी ले सकते हैं इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हार्ट डिसीज होने से बचाते हैं। तो चाय या कॉफी की जगह ग्रीन टी लेना एक बेहतर विकल्प है।

प्रोटिन से भरपूर हो आपका ब्रेकफास्ट और सही डाइट लें

आपका ब्रेकफास्ट प्रोटीन से भरा हुआ होना चाहिए। क्योंकि प्रोटीन आपके शरीर में ब्लड और शुगर के लेवल को कंट्रोल करके रखेगा। इसके अलावा रोज एक फल जरूर खाएं आप कोई भी मौसमी फल चुन सकते हैं, कोशिश करें कि आप फाइबर युक्त फल चुनें। इसके अलावा आपको अपनी डाइट में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन लेना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें कि आपका ब्रेकफास्ट सबसे हैवी हो जो आपको पूरे दिन के लिए एनर्जी दे सके, लंच उससे लाइट और डिनर सबसे हल्का होना चाहिए। कोशिश करें सोने के कम से कम 2 घंटे पहले आप अपना डिनर कर लें। वहीं ऑयली खाना न खाएं, जंक फ़ूड खाने से बचें। बहुत स्पाइसी खाना भी आपके लिए नुकसानदायक साबित होगा उसे खाने से भी बचे।

लिफ्ट की जगह सीढ़ियां चुनें, ये आपके दिल के अच्छी एक्सरसाइज

सीढ़ियां चढ़ने उतरने का मतलब है आप एक तरह से कार्डियो कर रहे हैं, कार्डियो एक्सरसाइज दिल के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। कोशिश करें आप दिन में कम से कम 3 बार सीढ़ियां जरूर चढ़े उतरे। यह आपकी ओवर ऑल फिटनेस को तो सही करेगा ही साथ ही साथ आपको दिल की बीमारी होने का खतरा भी कम रहेगा।

शराब, सिगरेट छोड़े

शराब और सिगरेट का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसलिए इनका सेवन बिल्कुल भी ना करें। यह आपके फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं, आप अगर इनका सेवन करते है तो आप अपनी उम्र को कम करते हैं।

एक्सरसाइज, योगा व मेडिटेशन करें

एक्सरसाइज आपको फुर्तीला बनाती है, आप एक्सरसाइज नहीं कर सकते तो वॉक ही करें। आधे घंटे सुबह वॉक करें, यह भी बहुत फायदेमंद रहेगी और इसके साथ आप विटामिन डी और सुबह की ताजी हवा भी ले पाएंगे। इसके अलावा योगा से आपके फेफड़े 70% ज्यादा अच्छे बनते हैं। मेडिटेशन आपके शरीर में ऑक्सीजन के लेवल को बढ़ाता हैं। कोशिश करें आप 45 मिनिट सुबह या शाम में योगा और मेडिटेशन जरूर करें।

सबसे जरूरी... रूटीन हेल्थ चेकअप

रूटीन हेल्थ चेकअप जरूर करवाएं। यह बहुत ही जरूरी है, इससे आपको पता लगता रहेगा कि आपके शरीर में क्या बदलाव आ रहे है और वह पॉजिटिव है या निगेटिव। और उस हिसाब से आप सही वक्त पर अपना ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं।

Tuesday 27 September 2022

अच्छी सेहत के लिए कितना अहम है उपवास, जानें इसके फायदे

माता रानी की भक्ति का त्योहार शारदीय नवरात्रि सोमवार से शुरु हो गया है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मां की भक्ति करने के साथ ही व्रत या उवपास भी रखते हैं।लेकिन क्या आपको मालूम है व्रत या उपवास धर्म से तो


जुड़ा ही है यह सेहत के लिए भी बहुत कारगर है। www.sehatevamsurat.com के एडिटर और सीसीआरएच आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य एवं होम्योपैथिक फिजिशियन प्रो. डॉ एके द्विवेदी के अनुसार उपवास या व्रत पाचन तंत्र को फायदा पहुंचाता है और इससे वजन घटाया जा सकता है। इससे शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है, उनके लिए उपवास फायदेमंद हो सकता है। साथ ही यह हार्ट को स्वस्थ्य रखता है। शरीर में संतुष्टि का भाव जगाता और व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है।

वजन घटाने के लिए भी रामबाण साबित हो सकता है उपवास

डॉ. द्विवेदी कहते हैं, जो लोग अपना वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए उपवास रामबाण साबित हो सकता है। ऐसे लोगों को जल उपवास करना चाहिए। इससे 10 दिन में 6 किलो तक वजन कम किया जा सकता है। लेकिन उपवास करने के लाभ हैं तो सही तरीके से उपवास न करने के कुछ नुकसान भी हैं। इसलिए सोच-समझकर इसका फैसला करना चाहिए। हालांकि उपवास शरीर के सिस्टम को साफ करता है, स्वास्थ्य बेहतर होता है, नींद का चक्र सुधरता है, पाचन तंत्र को थोड़ा आराम मिलने से शारिरिक प्रणालियां संतुलित हो जाती हैं, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और साथ ही फायदेमंद आहार ओर  शारीरिक पोषण तय करने संबंधी जानकारी मिलती है।

See The Report... Cellulitis Varicose Veins Redness Swelling Pain Ulcers wound Homeopathy treatment: dr. ak dwivedi


यूं तो उपवास कभी भी रखा जा सकता है लेकिन कब और कैसे रखें यह भी जानना जरूरी

यूं तो उपवास कभी भी रखा जा सकता है, लेकिन यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो इससे बचना चाहिए। उपवास के दौरान लोग तरह-तरह की चीजें खाते हैं या खाली पेट बहुत अधिक चाय पीते हैं। इससे फायदा होने के बजाए नुकसान हो सकता है। उपवास में सबकुछ खाना छोड़ सकते हैं या कुछ खाद्य पदार्थ छोड़ सकते हैं। हालांकि धार्मिक आस्था और मान्यताओं को ध्यान में रखकर किए जाने वाले उपवास में खाने-पीने की कुछ चीजें चलती हैं, कुछ नहीं।

उपवास के दौरान क्या खाएं

अगर उपवास का अर्थ पूरे समय भूखा रहना नहीं है तो उपवास के दौरान कुछ खास तरह की चीजें खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। जैसे शकरकंद खाने से शरीर को विटामिन सी और पोटेशियम मिलता है। वहीं सेब उपवास के दौरान खाया जाने वाला बेहतरीन फल है। इससे न केवल वजन कम होता है बल्कि पेट भी भरा-भरा महसूस करता है। इसी तरह दूध का सेवन करने से शरीर को कैल्शियम मिलता है और हड्डियां मजबूत होती हैं। व्रत में अखरोट भी खाया जाता है। अन्य ड्राय फ्रूट्स की तरह यह कैलोरी से भरपूर होता है। एक कप स्ट्राबेरी में 50 कैलोरी और तीन ग्राम फाइबर होता है। उपवास में इसका सेवन फायदेमंद है। उपवास में टमाटर का जूस कैंसर से बचाव करता है। सलाद खाना भी फायदेमंद है।

इन नुकसान से बचें

उपवास के दौरान सबसे बड़ा खतरा शरीर में पानी की कमी का होता है। कई लोग व्रत के दौरान सिर दर्द का अनुभव करते हैं। कुछ को सीने में जलन और कब्ज की शिकायत होती है। डायबिटीज के मरीजों को उपवास नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, उन्हें भी सावधान रहना चाहिए।

Monday 26 September 2022

योगासनों से पाएं स्वस्थ व सुंदर त्वचा

सुंदर और चमकीली त्वचा किसे आकर्षित नहीं करती? अच्छे खान-पान, सही मात्रा में पानी पीने और बढिय़ा नींद लेने के साथ-साथ कुछ योगासन आपकी त्वचा को चमकदार बना सकते हैं। आइए जानें, कौन-कौन से


योगासन 
आपकी सुदंर और चमकीली स्किन की चाहत को पूरा कर सकते हैं...

प्राणायाम

पांच-पांच मिनट का प्राणायाम और ध्यान आपको पूरे दिन लंबी रेस के लिए तैयार रखेगा। ध्यान के दौरान समस्त तनाव, विकार और नकारात्मकता को त्यागने का अनुभव कारगर सिद्ध होगा। प्राणायाम करने से त्वचा की आभा देखते ही बनती है।

धनुरासन

इससे आपके शरीर में लचीलापन आता है, चर्बी कम होती है और त्वचा चमकदार बनती है। विधि : उल्टा लेटकर व अपने दोनों पैरों को मोडक़र हाथ से पकड़ें और नीचे व ऊपर से खुद को स्ट्रेच करें। इसी अवस्था में 30-60 सेकंड तक रुकें और नीचे आ जाएं व दोहराएं।

शीर्षासन

यह आसन त्वचा और बालों के लिए काफी कारगर होता है। इसे करने से स्किन ग्लो करती है। इसे करने के लिए समतल स्थान पर वज्रासन की अवस्था में बैठें। अब आगे की ओर झुककर दोनों हाथों की कुहनियों को जमीन पर टिका दें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ लें। अब सिर को दोनों हथेलियों के मध्य धीरे-धीरे रखें। सांस सामान्य रखें। सिर को जमीन पर टिकाने के बाद धीरे-धीरे शरीर का पूरा वजन सिर छोड़ते हुए शरीर को ऊपर की उठाना शुरू करें। शरीर का भार सिर पर लें। शरीर को सीधा कर लें।

सर्वांगासन

सपाट जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को शरीर के साइड में रखें। दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाइए। पूरा शरीर गर्दन से समकोण बनाते हुए सीधा लगाएं और ठोड़ी को सीने से लगाएं। इस पोजिशन में 10 बार गहरी सांस लें और फिर धीरे-धीरे नीचे आएं। इसे करने से शरीर का लचीलापन बढ़ता है, मांसपेशियां खुलती हैं, इसलिए त्वचा चमकती है।

Thursday 22 September 2022

Aplastic anemia: Homeopathy, a better Solution

 Homeopathy has emerged as an effective way of curing this incurable disease



A
plastic anemia has emerged as a challenge to the global medical world. Though it is not a very common disease but still it is one of the critical diseases; which creates huge problem for patients as well as their families. In developing countries, its treatment is very expensive and complicated. In developed countries like America, where tertiary level health facilities are easily accessible to the public, there has been an increase in the rate of successful treatment of people suffering from this disease, but in other countries, it is still a rare physical condition. And there are a variety of complications in the process of treatment too.

This disease affects the process of blood formation in a person's bone marrow. Due to this, a person suffers from anemia, resulting in a weak immune system. Initially he becomes dull, spiritless and lazy. In the primary phase no one connects these symptoms to a serious disease.  From my personal experience, I can say that there is an increase in the number of aplastic anemia cases in India. This is not a good sign because in today's world, aplastic anemia is more dangerous than cancer.


This disease can affect people of all ages, from babies to the elderly.  In the beginning, a person suffering from this disease might have dizziness, pain in the legs, weakness, shortness of breath, bleeding from the nose, excessive bleeding during menstruation, or in some cases recurring fever. Its initial symptoms are ordinary symptoms like any other disease, making it hard to detect theroot cause of the problem (Aplastic Anemia) in its initial phase. By the time the disease comes to the fore, the person becomes very weak.

Actually diagnosing this disease is not easy. Signs like weakness, dizziness, anemia, and fever are similar to many other diseases, so usually the patient gets tested for diseases like malaria, dengue, and typhoid. And then even after all these tests, when the disease is not detected and the hemoglobin and the platelets drop drastically, a bone marrow biopsy is done. And this is how the real problem comes to light.

Bone marrow biopsy is an expensive test, which is not easily available in developing countries. Even if aplastic anemia is detected, there are very few treatment options available. In allopathy usually, the patient is treated with bone marrow transplantation. The cost of which comes to Approx  INR 20 to 40 lakh.

This amount is huge for both, the middle class and upper middle class of our country. Even if one manages to arrange this amount, the challenges are not over. For bone marrow transplantation, a donor whose bone marrow matches the victim is also needed. In most cases, even the bone marrow of the patient's parents or siblings is not matched. Another option here in allopathic treatment is ATG injection. But this ATG injection costs around 8 to 15 lakh. And its effect usually lasts for 1 to 3 years.

Homeopathy has emerged as an effective way of curing this incurable disease. There are medicines available in homeopathy, which can help in restoring the process of blood formation in the body.   In the last 20 years, with the help of homeopathy, we have also treated patients who other doctors had given up on. Homeopathic medicines can be effective in increasing the level of platelets in the blood and controlling blood loss. Once blood loss is controlled, red blood cells start to rebuild. After the production of red blood cells begins, the patient gradually returns to normal life. The potency and combination of the drug are decided after examining the patient's age, level of disease, and other conditions.

Today, Homeopathy has progressed so much that it has turned into a highly developed branch of medical science. It has the potential to treat incurable diseases like aplastic anemia without surgery. Today aplastic anemia is as big a challenge as cancer was three decades ago. Medical science has found various ways to treat cancer. But we lack treatment options in the case of aplastic anemia.

I try to discuss more and more about this disease. I believe that by doing so I will be able to create awareness about this disease. I would like to make three suggestions regarding this disease.

First- There should be a systematic categorization of its data.  The number of patients should be categorized geographically. There should be a systematic record of past cases past and newly registered cases. I believe that analyzing this data can help us in understanding the reason for its increasing cases.

Second- Government and non-government organizations should help patients suffering from aplastic anemia, the same way they are helping patients with cancer, AIDS, and TB.

Third- Institutions working in the field of biomedical engineering should try to reduce the cost of bone marrow biopsy tests. If the cost of this test is reduced, it will be of great help to patients suffering from blood-related diseases.



Dr. AK. Dwivedi

BHMS, MD, MBA, PHD,MA (Yoga), MA (Psychology)

E-Mail :- drakdindore@gmail.com

हमारी रोजमर्रा से जुड़ी आदतें जो कमजोर न कर दें आपका दिमाग, इसलिए आदतों को बदलें

मारी रोजमर्रा से जुड़ी आदतें ही सोचने और समझने की क्षमता को कम कर रही हैं, अस्वस्थ लाइफस्टाइल ही दिमाग को कमजोर बना रही है, दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए इन आदतों को बदलना जरूरी है।


आदतों से कमजोर हो रहा दिमाग शरीर को सुचारु तरीके से काम करने के लिए दिमाग का सक्रिय और स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। लेकिन हमारी रोजमर्रा की अस्वस्थ आदतों और खानपान में पौष्टिकता की कमी के साथ शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण दिमाग कमजोर हो रहा है। हमारी रोजमर्रा की आदतें ही हमारे दिमाग की दुश्मन बनती जा रही हैं। इसके कारण कम उम्र ही लोगों में कमजोर याद्दाश्त की शिकायत मिलने लगी है। देर रात तक जागने, गैजेट के अधिक इस्तेमाल करने और नींद अधूरी रहने जैसी अस्वस्थ जीवनशैली की कुछ आदतें हैं जो हमारी सोचने और समझने की क्षमता को कम कर रही हैं। इसलिए दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए इन आदतों को जानकर इन्हें बदलने की जरूरत है।

देर तक सोना

दिमाग पर सबसे अधिक प्रभाव सोने का पड़ता है, अगर हम कम नींद लें या अधिक नींद ले तो सीधे यह दिमाग को प्रभावित करेगा। मेडिकल के शोधों में यह बात साबित हुई है कि अधिक सोने से तनाव होता है। अधिक सोने से न केवल दिमाग पर असर पड़ता है बल्कि इसके कारण डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी के होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए 7-9 घंटे नियमित सोयें, इससे कम और अधिक नहीं।

शराब का अधिक सेवन

शराब का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं। अगर आप नियमित रूप से दो पैग पीते हैं तो इसके स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन शराब का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करने से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। अधिक शराब के सेवन से तार्किक क्षमता कम होती है। इसके अलावा अधिक शराब तनाव और अवसाद का कारण बनता है जो दिमाग के लिए ठीक नहीं।

व्यायाम न करना

व्यायाम न केवल शारीरिक रूप से फिट बनाकर बीमारियों से बचाव करता है बल्कि यह दिमाग को भी अधिक सक्रिय रखता है। कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि सुबह के वक्त व्यायाम करने से पूरे दिन आपका दिमाग अधिक सक्रिय रहता है। लेकिन व्यायाम न करने के कारण दिमाग कमजोर होता जाता है। इसलिए दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए भी नियमित रूप से व्यायाम कीजिए।

तनाव

हमारे दिमाग का दुश्मन भी तनाव ही है। इससे शरीर की अन्य समस्यायों होती हैं साथ ही यह दिमाग को भी बीमार बनाता है। वर्तमान दिनचर्या में तनाव होना लाजमी है, इससे बचना मुश्किल है। लेकिन अगर आप सही तरीके से समय और काम का प्रबंधन करें तो तनाव से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

धूम्रपान करना

धूम्रपान करना स्वास्थ्य के लिहाज से बिलकुल भी सही नहीं है, इसके कारण फेफड़े का कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है। अधिक धूम्रपान करने से दिमाग की कोशिकायें काम करना बंद कर देती हैं। इसके कारण दिमाग के सोचने और समझने की क्षमता कम हो जाती है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह का धूम्रपान हानिकारक है।

शुगर का अधिक सेवन

ज्यादा शुगर का सेवन करने से शरीर में प्रोटीन और न्यूट्रियंट्स को सोखने की क्षमता की कमी हो जाती है, जिससे कुपोषण हो सकता है और फिर दिमाग का विकास कमजोर पड़ सकता है। इसलिए किसी भी तरह के शुगर के सेवन से परहेज करें। ब्रेकफास्ट न करना सुबह की जल्दबाजी में हम ब्रेकफास्ट या तो करना भूल जाते हैं या नहीं करते हैं। जो लोग सुबह का नाश्ता नहीं करते उनके शरीर में शुगर स्तर कम हो जाता है। इसके कारण ब्रेन में वो न्यूट्रियंट्स नहीं पहुंच पाता जो उसे चाहिये होता है। इसके कारण ब्रेन डीजनरेशन की समस्या होती है। इससे दिमाग कमजोर होने लगता है इसलिए सुबह के समय ब्रेकफास्ट करना बहुत जरूरी है।

अधिक खाने की आदत

काम में हम इतना मशगूल हो जाते हैं कि कई घंटों तक खाने से दूर रहते हैं, और जब भी खाना हमारे सामने आता है हम ओवरईटिंग कर लेते हैं। इसके कारण दिमाग की धमनियां सख्त हो जाती है और यह दिमाग को कमजोर बनाने के लिए पर्याप्त है। इसके कारण ही सोचने और समझने की क्षमता कम हो जाती है। इसलिए भूख से अधिक न खायें और नियमित अंतराल पर खाते रहें।

दिमाग का कम प्रयोग करना

अगर हमें किसी बात को जानने की इच्छा होती है तब हम गूगल का सहारा लेते हैं, मोबाइल नंबर हमें याद नहीं रहते। यह दिखाता है कि हमारा दिमाग कितना कमजोर हो गया है। इसका प्रमुख कारण है दिमाग का सही तरीके से प्रयोग न करना। सोचने के लिए भी हम अपने दिमाग पर जोर नहीं डालते, जिससे हमारे दिमाग में सिकुडन आ जाती है और दिमाग कमजोर हो जाता है।

सामाजिकता का अभाव

हम काम में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि दूसरों के लिए हमारे पास समय नहीं होता है, हमें एकाकीपन में जीने की आदत हो जाती है। हमारे पास दूसरों के साथ बिताने के लिए वक्त ही नहीं है। इसका असर दिमाग पर पड़ता है और हमारा दिमाग कमजोर होने लगता है। इसलिए लोगों के संपर्क में रहें, उनसे न केवल सोशल साइट के जरिये जुड़े रहिए बल्कि उनके साथ उन हसीन पलों का लुत्फ भी उठाएं।

Wednesday 21 September 2022

इन दिनों हड्डियों से जुड़ी परेशानियां होने आम बात है इसलिए मजबूत हड्डियों के लिए खाएं ये फल

ड्डियों से जुड़ी परेशानियां होना इन दिनों काफी आम हो चुका है। इन दिनों बुजुर्ग से लेकर युवा वर्ग के लोग जोड़ों


में दर्द, जोड़ों में अकड़न, हड्डियों में दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसका कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। शरीर को पर्याप्त रूप से धूप न मिलने की वजह से शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है। खासतौर पर ऑफिस जाने वाले लोग लंबे समय तक ऑफिस में रहते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त रूप से धूप नहीं मिल पाती है। ऐसे में शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है। इसके कारण हड्डियों में तमाम परेशानियां होने लगती हैं। अगर आप भी इस तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं, तो कोशिश करें कि आहार की मदद से शरीर में विटामिन डी की कमी को दूर कर सकें। शरीर को फिट रखने के लिए हड्डियों का मजबूत होना जरूरी होता है। इसके मद्देनजर इस लेख के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक खास जानकारी दे रहे हैं। इस लेख में हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए कौन सा फल खाएं के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए जानते हैं हड्डियों को मजबूत रखने के लिए कौन सा फल खाना चाहिए?

सेब है हड्डियों के लिए फायदेमंद

सेब शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसलिए कई हेल्थ एक्सपर्ट रोजाना एक सेब खाने की सलाह देते हैं। इसमें कैल्शियम और विटामिन सी भरपूर रूप से मौजूद होता है। यह दोनों तत्व शरीर में कोलेजन के निर्माण और हड्डियों के नए टिश्यूज के निर्माण में आपकी मदद कर सकते हैं। अगर आपकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं, तो नियमित रूप से अपने आहार में 1 सेब को जरूर शामिल करें।

हड्डियों के लिए स्ट्रॉबेरी है असरदार

स्ट्रॉबेरी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह रसदार फल शरीर में फ्री-रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने में मददगार हो सकता है। अगर आपकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं, तो स्ट्रॉबेरी को अपने डाइट में जरूर शामिल करें। यह कई जरूरी पोषक तत्वों जैसे- कैल्शियम, पोटेशियम, मैंगनीज और विटामिन सी और विटामिन के से भरपूर होता है। ये सभी पोषक तत्व हड्डियों के निर्माण में आपकी मदद करते हैं।

हड्डियों को मजबूत बनाए पपीता

पपीता हर सीजन में आसानी से मिलने वाले फलों में से एक है। नियमित रूप से पपीते का सेवन करने से पाचन क्रिया दुरुस्त होती हैं। साथ ही यह वजन को घटाने में प्रभावी होता है। इसके अलावा अगर आप हड्डियों को मजबूत करना चाहते हैं, तो पपीते का सेवन करें। पपीता में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हड्डियों को प्रभावी ढंग से मजबूत बनाए रख सकते हैं। यह विटामिन ए और सी और फाइबर से भरपूर होता है। इसके अलावा पपीते में मौजूद पपैन नामक एंजाइम कार्ब्स, फैट और प्रोटीन को तोड़ता है। रोजाना पपीते का एक टुकड़ा खाने से शरीर और हड्डियों को आवश्यक पोषक तत्व मिलता है। इससे आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं।

पाइनएप्पल का करें सेवन

पाइनएप्पल यानी अनानास पोटैशियम से भरपूर होता है। पोटैशियम हड्डियों से कैल्शियम की कमी को कम कर सकता है। इसके अलावा, पाइनएप्पल कैल्शियम और विटामिन ए से भरपूर होता है। गर्मियों में रोजाना पाइनएप्पल का एक टुकड़ा खाने से आपको तरोताजा महसूस होगा। साथ ही इससे आपकी हड्डियां मजबूत हो सकती हैं।

संतरा हड्डियों बनाए मजबूत

हड्डियों के लिए संतरा भी फायदेमंद हो सकता है। संतरे के जूस में भरपूर रूप से कैल्शियम और विटामिन डी पाया जाता है, जो हड्डियों की मजबूती में योगदान रखता है। संतरे के जूस का नियमित सेवन से सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या से बचाव किया जा सकता है।

केला है फायदेमंद

केला पाचन शक्ति के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसके अलावा केले में मैग्नीशियम भरपूर रूप से होता है, जो हड्डियों और दांतों की संरचना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आप अपनी हड्डियों को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं, तो केले को नियमित के आहार में शामिल करें। हड्डियों को मजबूत करने के लिए आप इन फलों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपको हड्डियों से जुड़ी परेशानी काफी ज्यादा हो रही है, तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

Wednesday 14 September 2022

होम्योपैथी और योग के सहयोग से सिकल सेल मरीज की परेशानियों में दिला सकते हैं बड़ी राहतः डॉ. एके द्विवेदी

  •  अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल में 13 सितंबर को हिंदी मास पर आनलाइन के माध्यम से आयोजित की गई संगोष्ठी
  • बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए सीसीआरएच आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य प्रो. डॉ ए के द्विवेदी

इंदौर। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल में 13 सितंबर 2022 को हिंदी मास पर आनलाइन के माध्यम से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय  "सिकल


सेल रोग के कारण, लक्षण एवं उपाचर" था। संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि सीसीआरएच आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य एवं होम्योपैथिक फिजिशियन प्रो. डॉ एके द्विवेदी शामिल हुए। जिन्होंने संगोष्ठी के विषय पर अपने विचार रखें और सिकल सेल के घातक परिणाम बताते हुए सिकल सेल रोग की रोकथाम के लिए मार्गदर्शन दिया।

            बीमारी की रोकथाम के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यो को सराहा भी आपने आपने संबोधन में मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल तथा देश केप्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की भी इस बीमारी को लेकर चिंता एवं प्रयासों की सराहना की। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया असामान्य हीमोग्लोबिन  के कारण होने वाली खून की एक आनुवंशिक विकार है। सिकल सेल एनीमिया अनुवांशिक डिसआर्डर है। यह वंशानुगत डिसआर्डर भी है। सिकल सेल एनीमिया एक प्रकार का रक्त विकार है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सी शेप, सिकल शेप या अर्धचंद्राकार में बदल जाती है। जो हमारे शरीर के छोटे वेसल्स में चलने व आक्सीजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम करता है। वहीं सिकल सेल प्रमुख रूप से दो प्रकार से होता है। जिसमें एक है सिकलसेल वाहक (सिकल ट्रेट) और दूसरा है सिकल धारक (सिकल सेल एनीमिया)। वहीं बात करे इसके होने की तो सिकल सेल लाल रक्त कोशिकाओं का जीवन काल मात्र 10-20 दिनों का होता है और अस्थि मज्जा (बोन मैरो) उन्हें तेजी से पर्याप्त मात्रा में बदल नहीं पाती है जिसके कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की समान्य संख्या और हीमोग्लोबीन की कमी हो जाती है।  सिकल सेल रोग के लक्षण की बात करें तो यह आमतौर पर लगभग  6 से 8 महीने की उम्र में दिखाई देते हैं। और ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं और समय के साथ बदल सकते हैं। आपने कहा कि जिन जिलों में सिकल सेल एनीमिया के रोगी ज्यादा हैं वहाँ पर विवाह के पूर्व सभी के ब्लड टेस्ट करवाएं जाएं ताकि भविष्य में इन बीमारियों को आगे बढ़ने से रोका जा सके।

           आपने सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों की भी विस्तार से चर्चा की जिनमे थकान, कमज़ोरी, चिड़चिड़ापन, रक्ताल्पता, उतावलापन, बिस्तर गीला होना, पीलिया, हाथ और पैरों में सूजन व दर्द, संक्रमण, सीने में दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द पैर या हाथ दर्द आदि बताया।  इसके अलावा सिकल सेल एनीमिया रोगी में  ए वी एन (A Vascular Necrosis) की समस्या भी काफी देखने को मिलती है इसपर भी होम्योपैथिक दवा काफी कारगर है । रोगी को कोल्ड वेदर में काफी ज्यादा परेशानियां होती है। इसलिए सही जानकारी और सही कपड़े पहनने से इसके इफैक्ट को कम किया जा सकता है। कोल्ड के वेदर में और रात में खुद को गर्म रखना चाहिए। इसके लिए रोगी को पूरी तरह से एसी और कुल को त्यागना चाहिए साथ ही ठंडे पानी में भी नहीं तैरना चाहिए। इसके अलावा सिकल सेल एनीमिया के रोगी में आक्सीजन सेचुरेशन की कमी होती है।

                डॉ. एके. द्विवेदी ने संगोष्ठी में कुछ उदाहरण देते हुए बताया कि देवास निवासी एक छात्रा तथा उसका भाई सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित है जिसको वे समय समय पर इस बीमारी से लड़ने और सामान्य जीवन कैसे जिया जाए उसके लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।   डॉ. द्विवेदी ने सिकल सेल एनीमिया के एक मरीज के बारे में होम्योपैथी द्वारा चिकित्सा किए जाने और शीघ्र परिणाम मिलने के अपने अनुभव को भी साझा किया। आपने बताया कि बुरहानपुर का एक मरीज जिसकी उम्र 22 वर्ष थी और वजन मात्र 33 किलो था। उसने डॉ. द्विवेदी को पहली बार 20 मई 2022 को दिखाया था उस व्यक्त तक उसका हिमोग्लोबिन कभी भी 11 से ऊपर नहीं गया था। पुनः जब वहीं मरीज 17 जून 2022 को दिखाने आया तब उसका वजन 40 किलो और हिमोग्लोबिन बढ़कर 12 पहुंच गया था और उस मरीज को किसी भी प्रकार की परेशान नहीं थी। इस तरह से होम्योपैथी इलाज से सिकल सेल एनीमिया की बीमारी से पीड़ित कई मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है भले ही बीमारी अभी तक पूरी ठीक नहीं हुई हो। डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि हमारे सेंटर पर बड़ी संख्या में सिकल सेल पीड़ित मरीज आते हैं जिन्हें होम्योपैथिक इलाज और उसके साथ योग के माध्यम से रोगी की पेराशानियों को काफी हद तक राहत दिलाई जा रही है। आपने कहा कि होम्योपैथिक दवाए के साथ ही योग भी सिकल सेल एनीमिया पीड़ित को काफी राहत देता है। क्योंकि योग एवं आसन शरीर में आक्सीजन सेचुरेशन को बढ़ाने में कारगर उपाय है।

             आपने कहा कि ज्यादा आयरन लेने से मरीजों को बचना चाहिए; सिकल सेल के रोगी में हिमोग्लोबिन की कमी होती रहती है तो इसके लिए कुछ घरेलू उपाय बताये जिनसे हिमोग्लोबिन को बढ़ाया जा सकता है। उसमें अनार, बीट रूट, मैथी, टमाटर, फलियां, डेट्स/नट्स, सभी अनाज, दूध-दही एवं पनीर तथा लौकी का सूप, कैला, मीट, मछली, अंडे का सेवन करने से हिमोग्लोबिन को बढ़ाया जा सकता है।

                 संगोष्ठी की अध्यक्षता हिंदी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. खेमसिंह डेहरिया ने की। संगोष्ठी के निर्देशक विश्वविद्यालय के कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल, संयोजक समाज विज्ञान संकाय के विभागाध्यक्ष/संकायाध्यक्ष प्रो. राजीव वर्मा, सहसंयोजकद्वय हिंदी विभाग की प्रभारी डॉ. अनीता चौबे व भाषा एवं अनुवाद विभाग की प्रभारी डॉ. कमलिनी पशीने थीं। कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. सिद्धार्थ शुक्ला व सविता बागड़े थे।

जानिए... किन कारण से चेहरे पर होते हैं पिम्पल/मुंहासे और उन्हें हटाने के उपाय

गर हमारे चेहरे पर एक भी पिंपल हो जाता है तो हमारा पूरा ध्यान उसी में लगा रहता है, आजकल वैसे ही इतना प्रदूषण है जिसकी वजह


से कई सारी दिक्कतें हमें होती हैं और ऐसे में अगर हम हमारे चेहरे का ध्यान अच्छे से नहीं रखेंगे तो पिंपल होना स्वाभाविक है। और ऑयली स्किन पर पिंपल्स ज्यादा होते हैं क्योंकि समय की कमी की वजह से ज्यादातर लोग अपने चेहरे को धोते नहीं है और ऑयल उनके चेहरे में अंदर जाता रहता है और जब वह जमा होता जाता है तो पिंपल होना शुरू हो जाते हैं। इसके लिए उन्हें अपने चेहरे को बार-बार धोना चाहिए परंतु हर बार फेस वाश या साबुन का इस्तेमाल ना करें। बार बार सिर्फ ठंडे पानी से ही चेहरे को धोएं इससे चेहरे पर ऑयल कम आएगा, अगर आप फेस वाश या साबुन का इस्तेमाल अधिक करेंगे तो इनकी वजह से भी आपको पिंपल्स हो सकते हैं और आपके चेहरे की नमी भी धीरे-धीरे खत्म होगी। इसके अलावा हम बता रहे हैं आपो चेहरे पर किन कारणों से पिम्पल/मुहांसे होते हैं और उन्हें हटाने के कुछ उपाय....

चेहरे पर पिम्पल/मुंहासे होने के कारण

धूल मिट्टी - जब हम बाहर जाते हैं तो हमारे चेहरे पर धूल मिट्टी गंदगी लग जाती है जो पिंपल का कारण बन सकते हैं ऐसे में जब भी बाहर जाएं धूल मिट्टी से बचने के लिए अपने चेहरे को पूरा ढक कर जाए।

सूरज की किरणों से - अधिकतर लोगों को धूप की वजह से टेनिंग होती है और वहीं कुछ लोगों को धूप में अधिक पसीना आने की वजह से पिंपल भी हो जाते है। इससे बचने के लिए आप अच्छी सनस्क्रीन यूज करें।

जेनेटिक - यह समस्या जेनेटिक भी हो सकती है यदि आपके परिवार में किसी को बहुत अधिक पिंपल्स होते हैं तो हो सकता है आपको भी पिंपल हो ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह लें और उनके द्वारा बताया गया ट्रीटमेंट फॉलो करें।

ज्यादा कॉफी पीने से - अगर आप बहुत ज्यादा कॉफी पीते हैं आपकी बॉडी में सिबम अधिक बनता है जो पिंपल्स का कारण हो सकता है ऐसे में कॉफी का सेवन बहुत कम करें और अधिक कैफिन युक्त पदार्थों से भी दूर रहें।

गलत प्रोडक्ट के उपयोग से - आपको अपनी त्वचा को पहचानना चाहिए कि वह ऑइली है, रूखि है या नॉर्मल है और फिर उसी के अनुसार प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप बिना जानकारी के कोई भी प्रोडक्ट अपने चेहरे पर लगाएंगे तो उसका गलत असर आपके चेहरे पर ही दिखेगा।

दवाइयों की वजह से - यदि आपको कोई और समस्या है जिसके लिए आप दवाइयां ले रहे हैं तो ऐसे में हो सकता है अधिक दवाइयों के सेवन की वजह से भी आपको पिंपल्स हो जाएं। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह लें और जरूरत के अनुसार ही दवाइयां लें।

हार्मोनल बदलाव की वजह से  - हार्मोनल बदलाव की वजह से भी शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं जैसे किसी के बाल झड़ते हैं तो किसी को पिंपल्स हो जाते हैं इसके अलावा महिलाओं में पीरियड्स आने के वक्त भी पिंपल्स होते हैं।

चेहरे की सही से सफाई ना रखने की वजह से - अगर आप अपने चेहरे को साफ नहीं रखेंगे तो पिंपल्स होने के चांसेस बढ़ जाते हैं जैसे आप को सोते वक्त मेकअप निकालकर सोना चाहिए, अधिक फेसवॉश या साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, चेहरे को दिनभर में 4 से 5 बार ठंडे पानी से धोना चाहिए, मॉश्चराइजर और सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। अगर चेहरे की ठीक से साफ सफाई नहीं होगी तो ऐसे में त्वचा पर बैक्टीरिया पनपने लगेंगे और वे भी पिंपल का एक कारण बन सकते हैं।

कब्ज की वजह से -  अगर आपको कब्ज है और आपका पेट ठीक से साफ नहीं हो पा रहा ऐसे में जिन तत्वों को हमारे शरीर से बाहर निकलना चाहिए वह निकल नहीं पाते और कहीं ना कहीं से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं, इसलिए वे हमारी त्वचा के खुले रोम छिद्र के द्वारा भी बाहर निकलने की कोशिश करते हैं और इसी प्रकार वहां पिंपल हो जाता है।

डेयरी प्रोडक्ट के अधिक सेवन की वजह से - डेयरी प्रोडक्ट का अत्यधिक सेवन भी हानिकारक हो सकता है इसलिए आप ध्यान रखें कि आपको कितनी मात्रा में यह लेना है, इनसे मोटापा तो बढ़ता है साथ ही साथ पिंपल्स भी बढ़ने लगते हैं।

पिम्पल/मुंहासे हटाने के कुछ तरीके

  • आप दर्द में लगाने वाला कोई बाम इस्तेमाल में ला सकते हैं इसे आप रात में पिंपल के ऊपर लगा कर सो जाएं, सुबह तक यह आपके पिंपल को सुखा देगा। ऐसा करने से आप एक दिन में ही अपने पिंपल को भगा सकते हैं।
  • आप एक चौथाई चम्मच बेकिंग सोडा लें उसमें गुलाब जल मिलाएं और एक पेस्ट बना लें, इसे भी आप अपने पिंपल पर लगा कर सो जाएं, सुबह तक आपका पिंपल ठीक हो जाएगा।
  • इसी प्रकार आप हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं हल्दी में एंटीबायोटिक होते हैं जो आपके पिंपल जल्दी ठीक करने में मदद करेंगे। आप एक चौथाई चम्मच हल्दी में उसमें गुलाब जल मिलाएं और पिंपल पर लगाएं यह भी आपके पिंपल को खत्म करेगा और साथ ही इसके लगातार प्रयोग से पिंपल से होने वाले दाग से भी छुटकारा मिल जाएगा।
  • मसाले युक्त भोजन से दूर रहें, अधिक नमक, तेल व मिर्च खाने से त्वचा को बहुत नुकसान पहुंचता है और धीरे-धीरे पिंपल होने लगते है।
  • पानी अधिक से अधिक पिएं, इससे आपके शरीर में बढ़ने वाला अनचाहा टॉक्सिक व अन्य हानिकारक तत्व आसानी से बाहर आ पाएंगे। इसके अलावा तनाव और टेंशन से दूर रहें।
  • अगर आपको पिंपल या त्वचा संबंधी समस्या लंबे समय तक रहती है तो ऐसे मे डॉक्टर को जरूर दिखाए। और सही इलाज करवाएं।
  • पिंपल्स के लिए आप एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हैं, यदि आपके घर में एलोवेरा लगा हुआ है तो आप उसकी टहनी से फ्रेश निकलकर भी लगा सकते हैं, इसे आप रात को अपने चेहरे पर लगाकर सो जाएं और सुबह उठकर चेहरा धो लें।
  • ग्रीन टी बनाकर ग्रीन टी बैग तैयार करें। उसे फ्रीज में ठंडा होने के लिए रख दें जब यह ठंडा हो जाए तो अपने पिंपल्स पर लगाएं, ग्रीन टी में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे पिंपल आसानी से ठीक हो जाते है।
  • आप बर्फ का एक टुकड़ा लें उसे कॉटन के कपड़े में लपेटकर अपने पिंपल्स की सिकाई करें, इससे पिंपल्स का दर्द खत्म होगा और जो सूजन होगी वह भी खत्म हो जाएगी, और पिंपल धीरे-धीरे बैठ जाएगा। आप यह प्रक्रिया दिन में दो बार कर सकते हैं बर्फ को हमेशा कपड़े में लपेटकर ही सिकाई करनी चाहिए कभी भी सीधे बर्फ को चेहरे पर ना लगाएं।
  • पिंपल को दूर करने के लिए शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं इसमें एंटीबायोटिक गुण होते हैं, शहद को रात में पिंपल वाले एरिया पर लगा कर सो जाएं सुबह उठकर अपना चेहरा धो लें। इससे भी तुरंत आपके पिंपल्स में आराम मिलेगा। 

Monday 12 September 2022

होम्योपैथिक दवाएं सिर्फ मीठी गोलियां नहीं है, काफी असरकाक भी होती है

होम्योपैथिक गोलियों को लेने से इनमें मौजूद औषधि जीभ से अवशोषित होकर शरीर में जाती है। होम्योपैथी


चिकित्सा और इसमें प्रयोग होने वाली दवाओं को लेकर समाज में कई तरह के भ्रम मौजूद हैं जिन्हें दूर करना जरूरी है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ भ्रम और उनकी सच्चाई के बारे में....

 

भ्रम - होम्योपैथी औषधियों का असर देर से होता है?

सच - यह बिल्कुल गलत है। ज्यादातर मामलों में रोगी होम्योपैथी डॉक्टर के पास तब आता है जब वह लंबे समय से उसकी बीमारी से पीड़ित रहता है तथा किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति से लाभ नहीं हुआ होता है। ऐसी अवस्थआ में उपचार में समय अवश्य़ लगता ही है।

भ्रम - यह पद्धति पहले रोग बढ़ाती है फिर ठीक करती है?

सच - अगर विशेषज्ञ के पास आने से पहले रोग को दबा दिया गया हो तो इलाज के दौरान कई बार पुराने दबे लक्षण फिस से उभर आते हैं जो सामन्य प्रक्रिया है।

भ्रम - यह मीठी गोलियां ज्यादा असर नहीं करतीं? 

सच - ये मीठी गोलियां दवा के वाहक की तरह काम करती हैं। इन गोलियों में दवा के अर्क को मिलाया जाता है। इनमें मौजूद औषधि जीभ से अवशोषित होकर शरीर में जाती है।

भ्रम - डायबिटीज के रोगी को ये गोलियां नहीं लेनी चाहिए?

सच - इन दवाओं में शुगर की मात्रा न (नैनोडोज) के बराबर होती है। लेकिन डायबिटीज के रोगी होम्योपैथिक दवाइयों को डिसटिल्ड वायर में या उबले हुए पानी में प्रयोग कर सकते हैं।

भ्रम - यह चिकित्सा विश्वास पर आधारित है, इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है?

सच - सभी होम्योपैथिक दवाएं वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित होती हैं। इन औषधियों का परीक्षण हर आयु वर्ग की महिला एवं पुरूष पर करने के बाद, उनसे प्राप्त लक्षणों को इस चिकित्सा पद्धति का आधार बनाया जाता है।

भ्रम- इसमें बहुत परहेज करना पड़ता है?

सच - होम्योपैथिक दवाएं जीभ से अवशोषित होती हैं इसलिए इन्हें लेने से पहले और बाद के 15 मिनट तक जीभ व मुंह का साफ होना जरूरी होता है। इस उपचार में रोगी को बीमारी के अनुसार सामान्य परहेज करने की सलाह दी जाती है।

भ्रम - होम्योपैथिक चिकित्सा के दौरान रोगी इमरजेंसी में अन्य दवाएं नहीं ले सकता है?

सच- ऐसा नहीं है, रोगी अन्य दवाओं का सेवन कर सकता है।

भ्रम - सभी होम्योपैथिक दवाएं एक जैसी होती हैं?

सच - नहीं, ये दवाएं सिर्फ दिखने में एक जैसी होती हैं। इस पद्धति में प्रत्येक रोगी के लिए दवा का चयन रोगों के आधार के साथ-साथ लक्षण व उसके व्यक्तित्व के आधार पर किया जाता है।   

Saturday 10 September 2022

तनाव और अनिंद्रा से बचाने में मदद कर सकते हैं फूड्स

ज की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल और काम का तनाव लोगों की सेहत के साथ ही उनकी नींद में खलल


डालता है। लेकिन ध्यान रखें कि जितना जरूरी हेल्दी खाना है, रात को अच्छी नींद लेना भी उतना ही जरूरी है। अच्छी मात्रा में नींद मांसपेशियों को आराम देने में मदद करती है। अच्छी नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी होती है। तनाव मुक्त रहने के लिए एक अच्छी नींद बहुत जरूरी है। कुछ लोग अक्सर अनिद्रा का शिकार हो जाते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे अनहेल्दी खाना, स्क्रीन पर अधिक समय बिताना और तनाव आदि। ये सभी नींद की हानि को बढ़ाते हैं। अच्छी नींद के लिए आप कुछ फूड्स भी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ये अनिद्रा को रोकने में मदद कर सकते हैं। तो आइए जानें कौन से हैं ये 5 फूड्स है जो आपको तनाव व अनिंद्रा से बचाएंगे....

गर्म दूध

सोने से पहले गर्म दूध पीने से नींद अच्छी आती है। दूध में ट्रिप्टोफैन होता है जिसमें मेलाटोनिन और सेरोटोनिन होता है। दोनों में न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं जो चैन से सोने में मदद करते हैं। सेरोटोनिन की उपस्थिति मस्तिष्क को शांत करने में मदद करती है जो बदले में आपके मूड को स्थिर करने में मदद करती है। ये सब एक अच्छी नींद लाने में मदद करते हैं।

कैमोमाइल टी

कैमोमाइल टी में हीलिंग गुण होते हैं। ये बेहतर नींद में मदद करते हैं। इसके साथ ही कैमोमाइल टी का सोने के पैटर्न पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट तत्व एपिजेनिन होता है। ये सभी चिंता से छुटकारा पाने और आरामदायक नींद प्रदान करने में मदद करते हैं।

केला

केले में प्राकृतिक कार्ब सामग्री होती है जो स्वाभाविक रूप से नींद लाने में मदद करती है. केले में एंजाइम होते हैं जो प्रोबायोटिक्स को बढ़ाने में मदद करते हैं। प्रीबायोटिक्स खाने से शांति से सोने और तनाव को दूर रखने में मदद मिलती है।

चेरी

चेरी में मेलाटोनिन की उपस्थिति होती है, एक हार्मोन जो रात में पीनियल ग्रंथि द्वारा जारी किया जाता है। ये आपको अच्छी नींद दिलाने में मदद करता है। इसके साथ ही चेरी मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है।

शहद

अच्छी नींद के लिए लेट नाइट डाइट में शहद को शामिल किया जा सकता है। शहद नेचुरल शुगर की मौजूदगी से इंसुलिन के स्तर को बढ़ाता है। ये ट्रिप्टोफैन और सेरोटोनिन को मस्तिष्क में जाने में भी मदद करता है जो रसायनों को छोड़ता है और शरीर को आराम देता है।

Friday 9 September 2022

कोरोना से रिकवर होने के बाद लोग हो रहे एवैस्कुलर नेक्रोसिस का शिकार, हड्डियों को खत्म कर रही है ये बीमारी

वैस्कुलर नेक्रोसिस हड्डियों की एक बीमारी होती है. जिसे डेथ ऑफ बोन भी कहा जाता है। डॉक्टरों का कहना है


कि कोरोना के इलाज़ के दौरान स्टेरॉयड लेने की वजह से यह बीमारी हो रही है. कोरोना की पिछली लहरों में संक्रमित हुए लोगों को अभी तक इस वायरस के बाद होने वाली बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा हैं. कोविड से रिकवर होने वालों को सांस की परेशानी और थकावट के साथ हड्डियों से संबंधित बीमारियां हुई थीं, जिनसे लोग अभी तक ठीक नहीं हो पा रहे हैं और पिछले पांच से छह महीने से इनसे जूझ रहे हैं। अस्पतालों में ऐसे कई मरीज आ रहे हैं, जिन्हें कोविड से रिकवर होने के बाद हड्डियों में कमजोरी और एवैस्कुलर नेक्रोसिस जैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि कोविड से बाद होने वाली बीमारियां अभी भी बनी हुई हैं। इनसे लोगों के स्वास्थ्य पर काफी गंभीर असर पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि कोरोना से संक्रमित हुए लोग अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें। आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी बताते हैं" आजकल हमारे पास अधिकांश मरीज ऐसे आ रहे हैं जिनमें कोविड से रिकवर होने के बाद अर्थराइटिस की शिकायत पाई जा रही है।  ये परेशानी पिछले पांच से छह महीनों से चल रही है। कई मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस मामले भी सामने आ रहे हैं। कोरोना के दौरान स्टेरॉयड लेने की वजह से ऐसा हो रहा है। इस बीमारी की वजह से मरीजों के हिप में खून का सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता है। इस वजह से हड्डियों के टिश्यू डेड होने लगते हैं। खून की कमी की वजह से शरीर की हड्डियां गलने लगती हैं। ये बीमारी हड्डियों को खत्म कर देती है। इसलिए इसे डेथ ऑफ बोन भी कहा जाता है....

एवैस्कुलर नेक्रोसिस के ये लक्षण होते हैं

  • जांघ और कूल्हे की हड्डियों में तेज दर्द रहना
  • चलने-फिरने में दिक्कत होना
  • घुटने, हाथ पैरों में दर्द रहना
  • जोड़ों में दर्द की शिकायत
  • बच्चों में मिल रही विटामिन डी की कमी

ऐसे बच्चे भी आ रहे हैं जिनमें विटामिन डी की कमी के कारण रिकेट्स की शिकायत है। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनका घर से बाहर निकलना नहीं हो पाया था। जिसकी वजह से विटामिन डी की कमी हो गई। इस वजह से बच्चों को कमजोरी, थकान और बदन दर्द की शिकायत भी रहती है। 

स्पोर्टस इंजरीज के केस भी बढ़ रहे

आजकल बढ़ती उम्र में घुटने और कमर के दर्द के साथ साथ खेल से जुडी चोट काफी देखने को मिल रही है। स्पोर्ट्स इंजरीज जैसे घुटने या कंधे के लिगामेंट्स की चोट, घुटने की हड्डी का घिसना, कंधे का उतर जाना जैसे मरीज अधिक आ रहे हैं। देश में स्पोर्ट्स का स्तर पहले से काफी बढ़ गया है। लोग अब फिट रहने के लिए भी स्पोर्ट्स में भाग ले रहे हैं। इसके चलते स्पोर्ट्स इंजरीज की संख्या बढ़ती हुई दिख रही है।

इस तरह रखें अपनी हड्डियों को मजबूत

  • विटामिन डी लें
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक जैसे कोल्ड ड्रिंक,
  • शैपेंन का सेवन न करें
  • खाने में अधिक मात्रा में प्रोटीन न लें
  • शरीर में कैल्शिमय की कमी न होने दें