Saturday 6 December 2014

मॉडर्न लाइफ बीमारी की जड़


आज की तेजी से बदलती हुई जीवन शैली ने हमारे काम करने के ढंग को ही नहीं बदला है बल्कि इससे हमारी सेहत पर भ्ी बुरा असर पड़ा है। आज के युवा काम से उत्पन्न तनाव को दूर करने के लिए स्मोकिंग और जंक/फास्ट फूड, अल्कोहल का सहारा लेना शुरू कर देते हैं। इन सबसे उनकी हड्डियां व मांसपेशियां निरंतर कमजोर होती चली जाती हैं।

कम्प्यूटर

कम्प्यूटर पर लगातार टाइप करने, मोबाइल पर लगातार एसएमएस करने से 'रिपिटिटिव स्टून इंजरीÓ (आर.एस.आई.) नामक बीमारी आपकी की अंगुलियों व अंगूठे की मांसपेशियों को काफी कमजोर कर देती हैं जो बाद में हाथ, कलाई, बांहों, कंधों व गर्दन में दर्द के रूप में सामने आते हैं।
उपाय: कम्प्यूटर मेज और कुर्सी को हर एक घंटे बाद छोड़कर खड़े हो जाएं। शरीर को स्ट्रेच करें। पांच मिनट टहलें। सभी जोड़ों को हल्का झटका दें और फिर काम शुरू करें।

काउच पोटेटो लाइफ स्टाइल

इसका अर्थ है सोफे/कुर्सी पर बैठे टीवी कम्प्यूटर देखना या इंटरनेट सर्फिंग करना आदि। इससे जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ रही है। इस दौरान अधिकांश लोग कुछ-न-कुछ जंक फूड खाते रहते हैं जिससे उनका वजन भी लगातार बढ़ता रहता है। यह मांसपेशियों को कमजोर और जोड़ों की कार्टिलेज को क्षतिग्रस्त कर देता है जिससे ऑस्टियों आर्थराइटिस नामक बीमारी हो जाती है।

नाइट शिफ्ट

नाइट शिफ्ट में काम करने से शरीर का हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है। शरीर पर सूर्य की रोशनी का एक्सपोजर न होने से शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाले विटामिन डी की भारी कमी हो जाती है। यह कमर और जोड़ों के दर्द को जन्म देती है। 
उपाय: सुबह उगते सूर्य की किरणों को नंगे शरीर पर पडऩे दें और उस दौरान व्यायाम करें।

ऊची एड़ी के जूते-चप्पल

फैशनेबल ऊंची एड़ी के जूते चप्पल पहनने से पैर व टांग के सभी जोड़ों व मांसपेशियों पर अनावश्यक रूप से अवांछित तनाव पड़ता है जिससे एड़ी, घुटने और कमर दर्द का कारण बनते हैं।
उपाय : फ्लैट और सॉफ्ट सोल के जूते पहनें।

सिक्स पैक्स एब, जीरो फिगर

नई पीढ़ी के लोग आजकल सिक्स पैक्स एब और जीरो फिगर के लिए जिम में घंटों कठिन सतह की ट्रेड मिल पर दौड़ते रहते हैं। इससे टखनों व घुटनों के जोड़ों को कालांतर में नुकसान होता है।

धूम्रपान

इससे खून में विटामिन डी की कमी हो जाती है, जिससे अस्थि घनत्व निश्चित रूप से कम होता है। यह कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर को जन्म देता है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति (मीनोपॉज) समय से 4-5 वर्ष पहले हो जाती है, जिससे इस्ट्रोजन हार्मोन कम होकर ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है। मोटापे, हार्ट अटैक तथा थायरॉयड की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। धूम्रपान से एड्रिनल ग्रंथि, पैराथॅयरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन भी प्रभावित होते हैं जिससे शरीर शिथिल हो जाता है। धूम्रपान से शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा काफी बढ़ जाती है जिससे बूढ़ापे की सभी बीमारियां जवानी में ही आ जाती हैं।

जंक फूड/फास्ट फूड

शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा बढ़ाते हैं, जिससे जल्दी बुढ़ापा और बीमारियां आती हैं। अधिकतर जंक फूड/फास्ट फूड में प्रोटीन की बहुत कमी और चिकनाई तथा चीनी की अधिकता होती है जो जोड़ों की कार्टिलेज की मरम्मत के लिए काफी नुक्सानदेह है। फ्री रेडिकल्स की अधिकता से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है।

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