Tuesday 28 April 2015

शर्म के कारण नहीं कह पाती महिलाएं...


स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक संबंधों को लेकर कई शोध हो चुके हैं। भारत में संभोग सिर्फ शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि काम कला का एक रूप भी है, लेकिन पुरुष प्रधान समाज में औरतों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। यही वजह है कि कई बार भारतीय महिलाएं अपने मन की बात जुबां पर नहीं ला पातीं। झिझक की वजह से अधिकांश औरतें सेक्स संबंधी बातें जल्दी किसी से शेयर नहीं कर पातीं।
महिलाएं सेक्स के लिए खुद शुरुआत नहीं करतीं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे शारीरिक संबंध नहीं चाहतीं। दरअसल, शर्मीली स्वभाव की महिलाएं दिल के अरमानों को जाहिर करने से कतराती हैं।

पूर्ण संतुष्टि का एहसास नहीं होना

महिलाओं में यह शिकायत आम है कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट किए बिना ही छोड़ देता है। दरअसल, इस समस्या की वजह महिला और पार्टनर, दोनों हो सकते हैं। आमतौर पर महिलाओं को लगता है कि पार्टनर को संतुष्ट करना ही उनकी जिम्मेदारी है। इस सोच की वजह से वह अपनी इच्छा नहीं बता पाती। दूसरी तरफ, पुरुष भी कई बार खुद संतुष्ट होने के बाद महिला साथी के बारे में नहीं सोचते है।

सेक्स की चाहत नहीं होना

डिप्रेशन, थकान और कुछ दूसरी वजहों से यह दिक्कत हो सकती है। कई बार बचपन की किसी बुरी याद की वजह से भी सेक्स में दिलचस्पी खत्म हो जाती है। इसके अलावा, कई महिलाओं को अपने पार्टनर के छूने का तरीका भी पसंद नहीं आता।

काम कला की जानकारी न होना

भारतीय महिलाएं सामान्यत: पोर्न के बारे में जानती ही नहीं हैं। वहीं, पुरुष अश्लील साहित्य पढ़कर या एडल्ट मूवी देखकर जब वैसा ही कुछ शारीरिक संबंधों के दौरान दोहराने की कोशिश करते हैं तो महिलाओं को बहुत शॉक लगता है। इसलिए, संबंधों के दौरान साधारण पोजिशन ही अपनाएं।

माहवारी के दौरान सेक्स

एक धारण बनी हुई है कि पीरियड्स के दौरान सेक्स नहीं करना चाहिए। अगर दोनों की इच्छा हो तो पीरियड्स के दौरान भी सेक्स कर सकते हैं, बल्कि कुछ लोग तो इसे ज्यादा सेफ मानते हैं, क्योंकि इस दौरान प्रेग्नेंसी के चांस नहीं होते। साथ ही, कुछ लोग इसे हाइजिनिक नहीं मानते। ऐसे में कन्डोम का इस्तेमाल बेहतर है।

पारिवारिक माहौल

कई बार संयुक्त परिवार में रहने वाले कपल्स को एकांत आसानी से नहीं मिल पाता। किसी भी संबंध से जुड़े दोनों पक्षों के लिए यह आवश्यक है कि सभी कार्य सुचारु रूप से चलें। संबंधों में भी मिठास बनी रहे। इस मामले में पुरुषों की अपेक्षाएं महिलाओं से कुछ ज्यादा ही होती हैं। इसे एक कामकाजी महिला के लिए निभा पाना मुश्किल होता है।

महिलाओं में सेक्स इच्छा कम

महिलाओं को भी पुरुषों की तरह ही सेक्स की इच्छा होती है। बच्चे होने के बाद भी यह इच्छा कम नहीं होती। हालांकि, कई बार परफॉर्मेंस में कमी आ जाती है। इसकी शारीरिक और मानसिक दोनों वजहें होती हैं।

Sunday 26 April 2015

सेक्स करें स्वस्थ रहें


सेक्स सिर्फ रति निष्पत्ति से मिलने वाले वाले आनंद का माध्यम मात्र नहीं हैं वरन सेक्स बेहतर स्वास्थ्य का कारण भी बन सकता है। चिकित्सकीय अनुसंधान से भी यह साबित हो चुका है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिये सेक्स महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। सेक्स से जहां शारीरिक स्फूर्ति बनी रहती है बल्कि कई बीमारियों को भी ठीक करने में सहायक है। इसके अलावा मानसिक तनाव दूर करने का भी बेहतर साधन है सेक्स । कुल मिलाकर सेक्स स्वास्थ्य के लिये काफी लाभदायक है।

तनाव से मुक्ति

आज की भागमभाग जिंदगी में स्वास्थ्य संबंधी मामलों में सबसे बड़ी समस्या तनाव की है। अक्सर मानसिक तनाव के अतिरेक में कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं या फिर गलत कदम उठा लेते हैं। चिकित्सा शास्त्रियों का मानना है कि सेक्स क्रिया के दौरान एंड्रोफस नामक हार्मोन का स्त्राव होता है जो तनावमुक्ति में सहायक होता है। ठीक इसी तरह सेक्स क्रिया के दौरान फिनीलेथलमाइन नामक रसायन भी निकलता है। यह रसायन दिमाग को स्वस्थ होने का भाव भेजता है जिससे मानव में स्वस्थ होने की भावना उत्पन्न होती है, जिससे शरीर स्वस्थ व तनाव मुक्त महसूस करता है।

हड्डियां होती हैं मजबूत

नियमित रूप से सहवास करने पर शरीर की हड्डियां भी मजबूत होती है। सेक्सॉलाजिस्ट व चिकित्सकों की माने तो नियमित सेक्स से हार्मोन एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इस बजह से महिलाओं की हड्डियों में आने वाली कमजोरी ऑस्टियोपॉरिसिस रोग में लगाम लगने लगती है, साथ ही इस रोग के होने की संभावना कम होने लगती है।

आयु बढ़ती है

नियमित सेक्स करने वाले लंबी आयु के मालिक होते है ऐसा कई परीक्षणों और सर्वे से सिद्ध हो चुका है। जो लोग नियमित तौर से संभोग करते हैं और जिनके मन में सेक्स को लेकर किसी तरह की शंका नहीं होती और सेक्स का अंदाज बेफ्रिक होता है वे उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा लंबी आयु पाते हैं जो महीने में एक बार सेक्स करते हैं।

दर्द निवारक है सेक्स

सेक्स क्रिया एक बेहतरीन प्राकृतिक दर्द निवारक का भी काम करती है। चूंकि सेक्स क्रिया के दौरान एंड्रोफिंस हार्मोन निकलता है जो दर्द कम करने का कार्य करता है। इसी तरह सेक्स के दौरान बढऩे वाली एस्ट्रोजन की मात्रा भी प्री मेन्सुट्रुअल सिन्ड्रोम और मासिक स्त्राव के समय होने वाली परेशानियों से बचाती है। कई बार अनियमित मासिक चक्र भी नियमित हो जाता है। सेक्सोलॉजिस्ट बताते हैं कि सेक्स करने से आर्थराइटिस से पीडि़त महिलाओं को काफी आराम मिलता है। सेक्स से सिरदर्द और माइग्रेन तक दूर हो जाता है। वहीं कुछ चिकित्सक तो यहां तक कहते हैं कि सेक्स करने से सर्दी जुकाम तक नहीं होता हां यह अलग है सर्दी जुकाम में सेक्स न करने की भी सलाह दी जाती है।

निद्रारोग से बचाता है

सेक्स के दौरान ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिसका शरीर को काफी बेहतर अहसास होता है और चैन की नींद आती है। दूसरा सेक्स के बाद चिंता व तनाव न होने से भी नींद बेहतर ही आती है। दूसरी ओर सेक्स का प्रभाव इस मामले में पुरुषों में ज्यादा पड़ता है इसलिये ज्यादातर पुरुष सेक्स के बाद सोना पसंद करते हैं।

यौवन बरकरार

एक चिकित्सकीय सर्वेक्षण से सिद्ध हुआ है कि वे दंपति जो सप्ताह में तीन बार सहवास करते हैं वे उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा युवा दिखते हैं जो कभी-कभी सेक्स करते हैं या नहीं करते हैं। इसके कारणों के बारे में बताया गया है कि सेक्स क्रिया में जो ऊर्जा लगती है उससे ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है तथा रक्त प्रवाह तीव्र होने के साथ रक्त का संचार त्वचा में भी तेजी से होने लगता है जिससे त्वचा में नई कोशिकाएं बनती हैं। इस वजह से त्वचा में एक नहीं कांति या चमक पैदा होती है। वहीं दूसरी और वे महिलाएं जिनको रजोनिवृत्ति हो चुकी है अगर सहवास क्रिया करती रहती हैं तो उन्हें गर्मी या पसीना आने की शिकायत नहीं रहती है। ऐसी महिलाओं पर आयु का ज्यादा प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

शक्तिवर्धक है सेक्स

सेक्स उत्तेजना के दौरान ताजा खून सारे शरीर में तेजी से दौडऩे लगता है। यहां तक कि यह प्रवाह दिमाग में भी होता है। इससे उस क्षेत्र में रक्त संचार बढ़ जाता है। इस वजह से धमनियां मजबूत होती हैं साथ ही मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढऩे से वह ज्यादा कठिन काम कर सकता है। रक्त संचार में वृद्धि विभिन्न शारीरिक दुर्बलताओं को दूर करती है।

हार्ट अटैक से बचाता है

चिकित्सकीय अनुसंधानों से स्पष्ट हो चुका है और हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि सप्ताह में तीन बार कम से कम 20 मिनट तक सेक्स क्रिया करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है, साथ ही हृदय गति में भी सुधार होता है। चिकित्सको की माने तो उनका कहना है कि सेक्स के दौरान हृदय के स्पंदन की गति सेक्स के दौरान तेज हो जाती है और पूरे शरीर में खून की गति बढ़ जाने से जहां तहां थोड़ा बहुत अवरोध होता है वह साफ हो जाता है।

व्यायाम भी है सेक्स

एक तरफ जहां व्यायाम करने से आपके सेक्स जीवन में सुधार आता है वहीं यह खुद एक प्रभावशाली व्यायाम है। सेक्स मांसपेशियों की टोनिंग करने में मदद करता है। तीस मिनट की सेक्स प्रक्रिया के दौरान एक आम व्यक्ति की करीब दो सौ कैलोरी खर्च होती हैं, यानी अगर आप प्रतिदिन इसे करते हैं तो हर दो हफ्ते बाद आपका आधा किलो वजन घट सकता है। अगर आप एक साल तक हफ्ते में तीन बार इसे करते हैं तो यह दो सौ किलोमीटर दौडऩे के बराबर होता है।

Friday 24 April 2015

गर्मियों में कैसे रखें बालों को खुबसूरत


गर्मियों में बाल बेजान हो जाते हैं, रूसी और बाल झडऩे की परेशानी भी बढ़ जाती है। दरअसल गर्मी में तेज धूप से बहुत पसीना बनता है और त्वचा की नमी बढ़ जाती है। त्वचा के छिद्र अधिक खुल जाते हैं, जिनसे पसीना निकलता है, लेकिन इससे त्वचा की जड़ कमज़ोर पड़ जाती है।
चूंकि सिर की ऊपरी त्वचा पर नमी रहती है, इसलिए बालों के गिरने का खतरा बढ़ जाता है। नमी के कारण खुजली होती है। बार-बार खुजलाने से समस्या बिगड़ती जाती है और बाल गिरने लगते हैं।
बेशक बाल गिरने की समस्या गर्मियों में बढ़ती है, पर यह पूरे साल सताने वाली एक आम समस्या है। बालों की समस्या के कई कारण हैं। हालांकि मुख्यत: दो कारण देखे जाते हैं- आनुवांशिक और खान-पान की समस्या। बाल बढऩे में भी इन कारणों की खास अहमियत है। बाल गिरने के कुछ अन्य कारण भी हैं, जैसे खाने में अधिक मीठा लेना, हानिकारक रसायन युक्त शैम्पू और कंडीशनर का उपयोग, चिंता, तनाव आदि।
कंघी करते हुए दो-चार बाल हाथ आ जाएं तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। हर दिन 45 से 60 बालों का गिरना स्वाभाविक है। इनकी जगह नए बाल उग आते हैं, लेकिन हर दिन औसत 60 से अधिक बाल गिरने लगे तो चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक हो जाता है।
सबसे पहले तो आप बालों को नियमित रूप से धोएं। गर्मियों के दिनों में तो बार-बार धोना चाहिए, क्योंकि विलंब करने से सिर की त्वचा तैलीय रह जाती है, बहुत अधिक बाल गिरने लगते हैं, रूसी की समस्या घेर लेती है और बाल रुखे हो जाते हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण बात है शैम्पू का चयन, माइल्ड शैंपू का उपयोग करें। बेबी शैम्पू का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
यूं तो बाल गिरना बुढ़ापे की निशानी है, पर आज युवाओं में भी यह आम समस्या है। कम उम्र में बाल गिरने से कभी-कभी निराशा घेर लेती है। कई लोग बाल गिरने के बाद खुद को यार-दोस्तों के बीच जाने के काबिल नहीं मानते हैं। इससे उनमें इतनी हीन भावना आ जाती है कि वे स्वाभिमान खो बैठते हैं और खुद को कम आंकने लगते हैं।

Wednesday 22 April 2015

ड्राय स्किन की घर पर ही करें फेशियल


त्वचा को स्वस्थ रखना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। फेशियल और क्लीनअप त्वचा को तरोताजा रखने के सर्वश्रेष्ठ उपाय के रूप में सामने आए हैं। फेशियल त्वचा की सतह से रोमकूपों की गहराईयों तक में जाकर उसे साफ और स्वच्छ करता है साथ ही त्वचा का पोषण भी करता है। क्लीनअप से चेहरे की त्वचा की सफाई होती है, मृत त्वचा निकल जाती है और नमी लौट आती है।

कैसे करें घर पर चेहरे की सफाई

क्लीन्जिंग- इससे त्वचा की गहराईयों से धूल मिट्टी के अंश पूरी तरह निकल जाते हैं। इसे करने से पहले मेकअप पूरी तरह हटा दें. ठंडा दूध, क्रीम , या बेबी ऑइल के प्रयोग से सूखी त्वचा की क्लीन्जिंग की जा सकती है।
ब्लीचिंग- जब भी माईल्ड ब्लीचिंग की जाती है तो चेहरे की त्वचा पर मौजूद डेड सेल्स हट जाते हैं साथ ही चेहरे पर महीन बाल भी ब्लीच हो जाते हैं। याद रखें की सुखी त्वचा को ब्लीच करने से हालात और खराब हो सकते हैं।
एक्सफोलिएट- घर पर बने स्क्रब से हल्का एक्सफोलिएशन होता है जिससे धूल, मिट्टी, और मृत सेल्स त्वचा से हट जाते हैं। आप इन्हें आजमा सकती हैं-
स्टीमिंग- इसे घर पर ही कर सकते हैं लेकिन यह ध्यान रहे कि इसे अधिक समय तक और बार-बार नहीं करना है। स्टीमिंग से फायदा यह है कि चेहरे की त्वचा की रक्त नलिकाएं चौड़ी होकर फूल जाती हैं। इससे रक्तचाप अधिक तेजी से होने लगता है। इससे चेहरे का मैल, तेल, और रोमकूपों के अवरोध निकल जाते हैं। ब्लेक हैड्स को निकालना आसान हो जाता है। चूंकि चेहरे की त्वचा से मृत त्वचाकण निकल जाते हैं इसलिए इस पर लगाई गई कोई औषधी क्रीम भी अच्छा असर करती है।
मसाज- अपने चेहरे को 10 मिनट तक हल्के हाथ से मसाज दीजिए। स्ट्रोक्स लय में होना चाहिए। इससे चेहरे की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं और रक्त की आपूर्ति अच्छी होने लगती है। इससे एजिंग प्रोसेस धीमी पड़ जाती है और झुर्रियां कम हो जाती हैं।
चेहरे के मसाज के बाद ये फेसमॉस्क इस्तेमाल करें। यूं तो बाजार में हर तरह के फेसमॉस्क मिलते हैं लेकिन घर पर आसानी से बनाया जा सकता है।

घर पर बनाएं ये क्लीन्जर

  • खोपरे का दूध न सिर्फ त्वचा का सूखापन कम करेगा बल्कि डॉर्क स्पाट्स और झाइयों से भी मुकाबला करेगा। 
  • दूध की क्रीम या वेजिटेबल कुकिंग ऑइल से चेहरे की सफाई कर सकते है।
  • एक चौथाई खीरा ककड़ी, 2 चम्मच दही, और 2 चम्मच पका हुआ ओटमील मिलाकर सफाई की जा सकती है।

घरेलू मॉइस्चराईजर कैसे बनाएं

  • दूध की मलाई एक बहुत अच्छा मॉइस्चराईजर है। इसमें नींबू के रस की चंद बूंदें मिला लें। इससे त्वचा में नमी लौट आएगी। 
  • दही चेहरे की त्वचा की देखभाल करने वाला एक प्रमुख रसायन है। यह त्वचा की नमी लौटाता है, इसकी एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज त्वचा को चिकनी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाती है। 
  • शहद एक लाजवाब स्किन मॉइस्चराईजर है। इसे लगाकर थोड़ी देर चेहरे पर रहने दें, बाद में धो लें। त्वचा निखर उठेगी।
  • गवांरपाठे का पल्प चेहरे पर 20 मिनट तक लगाकर रखें बाद में धो लें। 
  • नींबू की चंद बूंदों में ग्लीसरीन मिलाकर लगा लें। यह भी एक अच्छा एक्सफोलिएटिव है। 
  • पका हुआ ओटमील, शहद और केले का पल्प मिलाकर चेहरे पर लगाएं। यह सूखी त्वचा के लिए वरदान है।

घरेलू स्क्रब्स से कैसे करें चेहरे की सफाई

  • थोड़ा गेहूं का आटा लें अंदाज से और इसमें दूध की मलाई तथा गुलाबजल मिला लें। इसे घोंटकर पैक की तरह कर लें. इसे चेहरे की त्वचा पर रगड़कर लगाएं। इससे चेहरे की त्वचा से मृत त्वचा बाहर निकल जाएगी।
  •  मूली को किस लें और चेहरे पर थोड़ी देर के लिए फैला कर रख लें। यह एक माइल्ड ब्लीचिंग एजेंट है। इससे त्वचा निखर उठेगी।

Tuesday 21 April 2015

तरबूज का शरबत


तरबूज का शरबत बहुत ही स्वादिष्ट होता है। यह हमें चिपचिपी गर्मी, धूप, लू, उमस, आदि में ठंडक देने का काम करता है। उत्तर भारत में तो लोग इसके बारे में कम ही जानते हैं, लेकिन मुंबई में यह हर जगह मिलता है और लोग इसे बहुत पसंद भी करते हैं। तो आइये आज हम भी मुंबई का मशहूर तरबूज का शरबत बनाते हैं।

सामग्री

तरबूज - 2- 2.1/2 कि.ग्रा.
नींबू - 1
बर्फ के क्यूब्स - 1 कप

विधि

तरबूज का शरबत बनाने के लिये सबसे पहले तरबूज को धोकर काटिये और फिर इसके मोटे हरे भाग को काट कर अलग कर दीजिये। अब लाल वाले भाग को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर मिक्सी में पीस लीजिये। थोड़ी देर बाद जब तरबूज का गूदा और रस बिल्कुल घुल जाए तब इस जूस को छलनी में छान लीजिये।
अब इस जूस में नींबू निचोड़ कर अच्छे से मिलाइये और फिर इसे गिलासों में डाल दीजिये। ठंडा करने के लिये इसमें अपने अनुसार बर्फ डाल दीजिये और चाहें तो गिलास में शरबत के ऊपर 1-2 पोदीने की पत्तियाँ भी सजा दीजिये (यदि आप को इसमें मीठा कम लग रहा हो तो आप अपने स्वादानुसार इसमें चीनी मिला कर इसे और अधिक मीठा भी कर सकते हैं, लेकिन चीनी मिलाने के बाद यह जूस अपना वास्तविक स्वाद खो देता है)।
ठंडा ठंडा तरबूज का शरबत तैयार है। अब इसे जितना मर्जी पीजिये और घर में सभी को पिलाइये।
यकीन मानिये इस शरबत को पीने के बाद आप बाजार में बिकने वाले बनाबटी रंग और स्वाद वाली रंगीन पानी की बोतलों को छुएंगे भी नहीं।

Friday 3 April 2015


सादर आमंत्रण

माननीय,
जन-सामान्य के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास तथा रोगों के प्रति जागरूकता एवं जटिल, असाध्य रोग निवारण हेतु राष्ट्रीय आयुष स्वास्थ्य मेले का वृहद स्तर पर आयोजन किया जा रहा है।
इस भव्य आयोजन में आप सपरिवार, इष्ट मित्रों सहित सादर आमंत्रित हैं।

विनीत
डॉ. ए.के. द्विवेदी, संपादक
9826042287, 9424083040
डॉ. नागेन्द्र सिंह, संयोजक
7869324291, 9926472987
एवं राष्ट्रीय आयुष स्वास्थ्य मेला आयोजन समिति के समस्त सदस्यगण