Friday 12 December 2014

फीमेल टॉनिक सीता-अशोक


सीता-अशोक या फिर असली अशोक के वृक्ष का भारतीय परंपरा में बहुत सम्मान किया जाता है। संस्कृत में इसे हेमपुष्पा, ताम्र पल्लव और कंकेली भी कहते हैं। परंपरा से इसका संबंध रामायण से, बुद्ध के जीवन से तो माना ही जाता है, इसके साथ ही आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसे स्त्री रोगों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। लेकिन ये वो अशोक का वृक्ष नहीं है जिसे अक्सर हम बगीचों में, घरों के लॉन में और मार्ग-विभाजकों पर लगा देखते हैं जिसे पोलिअल्थिया लांगिफोलिया कहते हैं।
वैज्ञानिक तौर पर सराका इंडिका या फिर सराका असोका ही वही अशोक है जिसका भारतीय, अरबी और यूनानी चिकित्सा शास्त्र में उल्लेख है। असली अशोक एक छोटा वृक्ष है, जबकि नकली अशोक बहुत ऊँचा जाता है। हालाँकि हमारी ज्ञान पद्धति में अशोक वृक्ष के बहुत सारे लाभ गिनाए गए हैं, अब वैज्ञानिक भी इसे स्वीकार करने लगे हैं। इसकी पत्तियाँ, छाल और फूलों को दुनिया के बहुत सारे हिस्सों की पारंपरिक चिकित्सा विधा में इस्तेमाल किया जाता है।
इसका प्रयोग ट्यूमर, मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक और अनियमित स्राव, स्त्रियों को होने वाली श्वेत प्रदर की समस्या, चर्म रोग और मधुमेह के साथ ही संक्रमण को रोकने में भी किया जाता है। शरीर में सूजन आने की स्थिति या जहरीले जानवर के काटने पर भी इसकी छाल का पेस्ट लगाने से जहर फैलने, फफोले पडऩे या फिर संक्रमण होने से बचाव करता है।

तुरंत उपचार

  • बाजार में अशोक का बना-बनाया सत्व मिलता है, लेकिन इसे खरीदने से पहले इस बात की तसल्ली कर लेना चाहिए कि एक तो ये मिलावटी न हो, दूसरा ये नकली अशोक के वृक्ष से न निकाला गया हो। जो महिलाएँ अनियमित और अत्यधिक रक्तस्राव से पीडि़त हैं, उन्हें अशोक की छाल के काढ़े के सेवन से लाभ मिलेगा। इसे हर दिन ताजा बनाया जाना चाहिए और इसे मासिक-धर्म के दौरान इस्तेमाल किया जाना चाहिए ।
  • विशेषज्ञ काढ़ा बनाने के लिए पानी के साथ दूध के इस्तेमाल की भी सलाह देते हैं। इसे हर दिन एक चाय का चम्मच भर कर लिया जा सकता है। कभी-कभी पेचिश के साथ भी रक्त-स्राव होता है, ऐसी स्थिति में भी अशोक की छाल का काढ़ा राहत पहुँचाता है। इसके साथ ही अशोक के सूखे फूलों का भी सेवन किया जा सकता है।
  • विशेषज्ञ मधुमेह के रोगियों को भी अशोक के सूखे फूलों का सेवन करने की सलाह देते हैं।
  • इन सबसे ऊपर अशोक के सत्व को बाजार में 'फीमेल टॉनिकÓ के तौर पर जाना जाता है, जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। इसके साथ ही अशोक की छाल का अर्क या काढ़ा खूनी बवासीर में भी कारगर पाया गया है।

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