Sunday 14 September 2014

तनाव से बचें खुशियां फिर से पाएं


तनावग्रस्त व्यक्ति को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रहना चाहिए। रुचि व स्वभाव के अनुकूल कार्य में छोटी-बड़ी उपलब्धियों के साथ उत्साह का क्रम बना रहता है। यदि लक्ष्य बड़ा हो तो इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटें। अपनी प्राथमिकताएं तय करें और वही करें, जिसे आप आसानी से कर सकते हैं।
परिस्थितियों से तालमेल बिठाकर आगे बढऩे में ही समझदारी है। परिस्थिति से तालमेल न बिठा पाना ही तनाव को जन्म देता है। अत: इनसे पलायन नहीं बल्कि धैर्य और विवेकपूर्ण समझौता ही एकमात्र निदान है।
अकेले कमरे में बंद रहने की बजाय बाहर निकलें। प्रकृति-परिवेश के बीच घूमने-फिरने से तनाव में बहुत राहत मिलती है। लोगों के साथ घुल-मिलकर रहने की कोशिश कीजिए। कोई खेल खेलें या धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना प्रारम्भ करें।
तनाव की स्थिति में जीवन का कोई भी बड़ा निर्णय न लें। ऐसे में अपने से बड़े, समझदार एवं विश्वसनीय लोगों से सलाह अवश्य लें।
आहार का समुचित चयन करें क्योंकि पिछले दो दशकों में हुए कुछ अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल एक पौष्टिक तत्व की कमी भी अति संवेदनशील व्यक्ति को तनावग्रस्त कर सकती है।
अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से कुछ समय ईश्वर स्मरण के लिए अवश्य निकालें और उन क्षणों में प्रभु स्मरण ही करें। सोने से पहले आध्यात्मिक साहित्य पढ़ें।
धैर्य, क्षमा, दया, सहिष्णुता व सहयोग के प्रयोग करते रहें। किसी से ईष्र्या, द्वेष, घृणा अथवा बैर न करें। मान-शान की मनोवृत्ति से हमेशा दूर रहें क्योंकि इस भावना को ठेस लगने से तनाव पैदा होता है।
लेखन, पेंटिंग, ड्राइंग, नृत्य, ड्रामा जैसी कलात्मक अभिरुचियों से तनाव को शानदार ढंग से कम किया जा सकता है। हंसना-हंसाना तनाव भगाने की सबसे बड़ी दवा है। मनपसंद संगीत भी तनाव से राहत का प्रभावशाली उपाय है। ध्यान साधना, प्राणायाम आदि आध्यात्मिक उपचारों से भी अंतर्मन को तनावरहित बनाया जा सकता है।

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