Sunday 9 November 2014

बच्चों में कुपोषण


वास्तव में कुपोषण कोई बीमारी नहीं। शरीर को पर्याप्त पोषण ना मिल पाने से कुपोषण की सिथति पैदा होती है। इससे शरीर के ज़रूरी अवयव ठीक तरीके से काम नहीं करते और बीमारियां होने लगती है।
कुपोषण एक ऐसी स्थिति है जो लम्बे समय तक पोषणयुक्त आहार ना मिल पाने के कारण पैदा होती है। कुपोषित बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता कमज़ोर होती है और ऐसे बच्चे अकसर बीमार रहते है। कुपोषण के कारण बच्चों की त्वचा और बाल रूखे-बेजान दिखते हैं और वजऩ कम होने लगता है। सिर्फ इतना ही नहीं कुपोषण के कारण बच्चे का विकास भी रूक जाता है। और अगर समय रहते कुपोषण का इलाज ना कराया जाये तो यह समस्या जानलेवा भी हो सकती है। आपका बच्चा स्वस्थ है, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप उसके पोषण पर ध्यान ना दे। चाहे बात नवजात शिशु की करें या स्कूल जाने वाले बच्चों की, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पोषणयुक्त आहार बेहद अवश्यक है।
कुपोषण जैसी समस्या का सबसे बड़ा कारण गरीबी और अज्ञानता है। बच्चे को चाकलेट, बिस्किट आदि देकर आप उसका मन बहला सकते हैं, लेकिन उन्हें सही पोषक आहार देना भी जरुरी है। खासतौर पर बच्चे के लंचबाक्स में तो ऐसी चीजें बिलकुल नही देनी चाहिये, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो। अगर अपने बच्चे को बीमारियों से दूर रखना चाहते हैं, तो उसके सम्पूर्ण पोषण पर ध्यान दे। आप घर पर ही कम खर्चे में पोषणयुक्त आहार बना सकते हैं। ध्यान रखें अपने शिशु को दिन में चार बार ठोस आहार जरुर दें और तीन बार दूध और दूध से बने उत्पाद दे।
बच्चों का पेट भरा होने का मतलब यह नहीं कि उन्हें पूरा पोषण मिल रहा है। बच्चों के खाने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, विटामिन्स, मिनरल्स जैसे पोषक तत्व होने चाहिए क्योंकि इन पोषक तत्वों की कमी से ही कुपोषण होता है।
जिन बच्चों को समय पर खाना नहीं मिलता, उनमें कुपोषण होने की सम्भावना सबसे अधिक रहती है। लेकिन जिन बच्चों को समय पर खाना मिलता है उन्हें भी कुपोषण हो सकता है। ऐसा भी ज़रूरी नहीं कि किसी एक बच्चे में सभी प्रकार के पोषक तत्वों की कमी पाई जाये। किसी एक प्रकार के पोषण तत्व की कमी से भी कुपोषण होता है। इसलिए बच्चों को अनाज, दालें, हरी सब्जीयां, सलाद, दूध और मौसमी फल ज़रूर दे।

किसी को भी हो सकता कुपोषण

सबसे आम एवं उल्लेखनीय लक्षण है वजन में कमी होना। उदाहरण के लिए, यदि आपने तीन महीनों के दौरान अपने शरीर का वजन यदि १० किलो से अधिक खो दिया है तो आपको जानने की जरूरत है कि कहीं आप कुपोषण के शिकार तो नहीं हो रहे हैं? यह आम तौर पर शरीर मास इंडेक्स या बीएमआई का उपयोग करके मापा जाता है।

कुपोषण के लक्षण

  • मांसपेशियों में थकान और कमजोरी।
  • थकान की बहुत से लोग शिकायत करते हैं पूरे दिन ऊर्जा की कमी रहती है। यह भी एनीमिया द्वारा कुपोषण के कारण हो सकता है।
  • कुपोषित मरीजों में संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
  • चिड़चिड़ापन और चक्कर आना, बाल झडऩा।
  • त्वचा और बाल शुष्क हो जाते हैं।
  • त्वचा सूखी, और परतदार दिखाई दे सकती हैं।
  • कुछ रोगियों में लगातार दस्त या दीर्घकालिक कब्ज हो सकता है।
  • कुपोषण की शिकार महिलाओं में अनियमित अथवा पूरी तरह से माहवारी बंद हो सकती है।
  • अवसाद में कुपोषण आम बात है।

महंगाई की सीधी मार बच्चों के विकास पर

भारत में बच्चों की आधी आबादी का विकास खाने की कमी के कारण रुक गया है. अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसी 'सेव द चिल्ड्रनÓ ने कहा है कि भोजन की कमी के कारण भारत में बच्चों की आधी आबादी का पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है.
सहायता एजेंसी 'सेव द चिल्ड्रेनÓ के सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले भारतीय परिवारों में से एक चौथाई परिवारों ने माना कि उनके बच्चों को अक्सर भूखा रहना पड़ता है.
ये सर्वेक्षण दुनिया के पांच देशों भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, पेरू और नाइजीरिया में किया गया है. इन देशों में दुनिया के कुपोषण के शिकार बच्चों की आधी आबादी रहती है.
संस्था का कहना है कि इससे 'अगले पंद्रह सालों में दुनिया भर के करीब 50 करोड़ बच्चों के शारीरिक और मानसिक तौर पर अविकसित रह जाने की आशंका है.Ó
इन आंकड़ों में भी मध्यम और निम्न वर्ग के गरीबों के बीच असमानता पाई गई है.
आंकड़ों के अनुसार मध्य वर्ग के 11 प्रतिशत गरीब अभिभावकों ने माना कि ऐसा कभी-कभार होता है कि उनके बच्चों को भूखे रहना पड़ता है लेकिन निम्न वर्ग के गरीबों में ये प्रतिशत बढ़कर 24 हो जाता है.

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