Friday 9 January 2015

गुर्दे की पथरी का होम्योपैथी प्रहरी


डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार उनके पास मरीज तब आता है जब वह पथरी निकालने के सकल प्रयास जैसे आपरेशन, लेजर, लिथोट्रिप्सी तथा देशी प्रयास भी आजमा चुका होता है। कई मरीज तो तब आते हैं जब पथरी के कारण एक किडनी का आपरेशन हो चुका होता है और दूसरी किडनी में पुन: पथरी बन चुकी होती है। डॉ. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी ही एक मात्र ऐसी चिकित्सा प्रणाली है जो पथरी को शरीर में बार-बार बनने से रोक सकती है। उनके पास आने वाले मरीजों में छोटे बच्चों उम्र लगभग ३-५ साल से लेकर बुजुर्ग लगभग ६५-७० साल के मरीज अपनी पथरी की बिमारी लेकर आते हैं। जिनकी सोनोग्राफी रिपोर्ट में पथरी का आकार लगभग ५ एमएम से लेकर ४५-५० एमएम तक भी देखी गई है। परन्तु जब पथरी का आकार ८ या १० से ज्यादा हो जाता है तो दवाइयों से निकलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
डॉ. द्विवेदी बताते हैं कि उनके द्वारा दी जाने वाली दवाइयों से कई मरीजों की २-३ एमएम की पथरी २-३ दिन में ही निकल गई तथा एक महिला मरीज जिसको ११ एमएम की पथरी थी मात्र २१ दिन की होम्योपैथी दवा लेने से मूत्र मार्ग से निकल गई।
छोटे बच्चों को भी पथरी बन जाती है, जिन्हें कुछ माह तक होम्योपैथी दवाइयां देने से पथरी निकल भी जाती है तथा बार-बार पथरी का बनना भी बंद हो जाता है।
पथरी कई प्रकार की हो सकती है-
कैल्शियम ओक्सलेट
यूरिक एसिड और यूरेट स्टोन
सिस्टिन स्टोन
फास्फेट स्टोन
मिक्स्ड स्टोन इत्यादि
अलग-अलग प्रकार में अलग-अलग होम्योपैथिक दवाइयां निर्देशित हैं।
मरीज के लक्षण, पथरी के आकार तथा सोनोग्राफी रिपोर्ट के आधार पर यदि कुछ समय तक होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन किया जाए तो पथरी निकल भी जाएगी और उसका बार-बार शरीर में बनना भी बंद हो सकेगा।

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