Wednesday 7 January 2015

पथरी से बचना है? खूब पिएं पानी


गर्मी के दिनों में पथरी का खतरा बढ़ जाता है और इस बीमारी से बचना है तो दिन में कम से कम तीन लीटर पानी पिएं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही पथरी (स्टोन) के मरीजों की संख्या बढऩे लगती है। इसकी वजह शरीर में पानी की कमी है। पथरी की बीमारी से बचना है तो पूरी गर्मी शरीर में पानी की मात्रा बनाये रखें। दिन में कम से कम तीन लीटर पानी पियें। शरीर में पानी की कमी होने से गुर्दे में पानी कम छनता है। पानी कम छनने से शरीर में मौजूद कैल्शियम, यूरिक एसिड और दूसरे पथरी बनाने वाले तत्व गुर्दे में फंस जाते हैं, जो बाद में धीरे-धीरे पथरी की शक्ल ले लेते हैं। इसके लिए जरूरी है कि गर्मी भर अपने शरीर में पानी की मात्रा कम न होने दें। इससे गुर्दे स्वस्थ रहेंगे। शरीर में कई प्रकार की पथरियां बनती हैं। इनमें कैल्शियम फास्फेट की पथरी, कैल्शियम आक्जीलेट की पथरी, यूरिक एसिड की पथरी, सिस्टीन की पथरी और ट्रिपल फास्फेट की पथरी आदि हैं।

इनका कम करें सेवन

सब्जियों में टमाटर, पालक और चौलाई में ऑक्जीलेट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इससे मूत्राशय में पथरी बनती है। फूलगोभी, बैंगन, मशरूम और सीताफल में यूरिक एसिड और प्यूरान तत्व होते हैं। ये भी पथरी के लिए जिम्मेदार हैं।

मांसाहारी भोजन

जैसे मांस, मछली और अंडे में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है। काजू, चॉकलेट, कोको, चाय और कॉफी में आक्जीलेट की मात्रा ज्यादा होती है। इन सभी की अधिकता से पथरी भी बनती है।

बचाव

रोजाना कम से कम तीन लीटर तक पानी पियें। नमक का सेवन कम करें। नमक कैल्शियम के साथ क्रिया कर स्टोन बनाता है। संतरे और नींबू के रस का सेवन करें। यह शरीर में पीएच की मात्रा बढ़ाते हैं, इनसे पथरी नहीं बनती। अगर गर्म जगहों पर काम करते हैं तो पानी की मात्रा और ज्यादा कर दें क्योंकि शरीर में मौजूद पानी पसीने के रूप में बाहर निकलता रहता है।
रेड मीट जैसे बकरे, भैंसे और सूअर के मांस का सेवन न करें। इनमें यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है। यूरिक एसिड से भी पथरी बनती है। चालीस साल से अधिक उम्र होने पर साल में एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट करायें।
पथरी का इलाज दवा और ऑपरेशन, दोनों विधियों से किया जाता है। इलाज पथरी के आकार और स्थिति पर निर्भर करता है। अगर पथरी का आकार 1।5 सेमी तक है और वह यूरेटर या किडनी में है तो इसका लिथोट्रिप्सी विधि से इलाज किया जाता है। इसमें लेजर से पथरी तोड़ दी जाती है और चीरफाड़ नहीं करनी पड़ती। मरीज को भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती।
अगर पथरी का आकार डेढ़ सेमी से बड़ा है तो उसको दूरबीन विधि से ऑपरेशन करके निकाल लिया जाता है, जिसे पीसीएनएल (परक्यूटेनियस नेफ्रो लिथाटमी) विधि कहते हैं। पेशाब की थैली में पथरी है तो उसे लिंग के रास्ते दूरबीन डालकर ऑपरेशन किया जाता है। इसमें भी चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती। इस विधि को यूआरएसएल (यूरिट्रो रिनोस्को पिक लिथियोट्रिप्सी) विधि कहते हैं।

इनका करें सेवन

नारियल के पानी और बादाम में पोटेशियम और मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होती है। यह पथरी बनने से रोकता है। सब्जियों में गाजर और केला खनिजों से भरपूर होता है। नींबू में साइट्रिक होता है, जो कैल्शियम और आक्जीलेट को गुर्दे में इक_ा होने से रोकता है। अनन्नास में एंजाइम होते हैं जो फाइब्रिन का विखंडन करते हैं। यह पित्त की थैली में पथरी बनने से रोकता है। जौ और जई में फाइबर होते हैं। यह भी पथरी बनने से रोकते हैं।

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