Thursday 18 June 2015

होम्योपैथिक और ज्वर


ज्वर या बुखार हमारे घरों मे सबसे ज्यादा होने बाली बीमारी है। बुखार कई प्रकार के और कई कारणों से होता है। साधारण ज्वर - यह कई कारणों से होता है। यह सांघातिक नही होता है, शरीर का तापक्रम 104-105 तक पहुँच जाता है। हाथ पैरों मे काफी दर्द, तेज सिरदर्द होना, कभी कभी वमन होना, बेचैनी या काफी सुस्ती होना, प्यास का होना या ना होना, पसीना आना, आदि लक्षण होते हैं। साधारणतया यह ज्वर 5 से 10 दिनों तक बना रहता है। ज्वर होने के कारणों के आधार पर इसे निम्न प्रकार में बांटा गया है -
  •     अचानक मौसम परिवर्तन के कारण होने वाला साधारण बुखार
  •     ठंड लगने के कारण होने वाला ज्वर
  •     लू लगने के कारण होने वाला ज्वर
  •     वर्षा में भींगने के कारण होने वाला ज्वर
  •     पेट की गड़बडिय़ों के कारण होने वाला ज्वर
  •     घाव, फोड़ों के पकने के कारण होने वाला ज्वर
  •     अत्यधिक शोक, या दु:ख के कारण होना

ज्वर का ईलाज

एकोनाइट

अचानक होने वाले ज्वर की प्रथम दवा है। अभी थोड़ी देर पहले बच्चा/आदमी स्वस्थ था, बीमारी का कोई भी लक्षण का नामोनिशान नहीं था और अचानक हाथ पैर गर्म हो जाते है, शरीर का तापक्रम बढ जाता है, सरदर्द एवं बेचैनी लगने लगती है।रोगी कहता है कि मैं अब नहीं बचुंगा। अक्सर गाँवों में इसे ही लोग कहने लगते है कि 'नजर लग गईÓ इस हालत में एकोनाइट -30/200 का 2-2 बूँद दवा की दो खुराक 15-15 मिनट के अन्तर से दे दें। रोगी की हालत में तत्काल लाभ होगा। तथाकथित नजर का लगना उतर जायेगा।

ब्रायोनिया

रोग के शुरुआत में यदि एकोनाइट नहीं दिया जा सका तो ज्वर का लक्षण बदल जाता है। रोगी चुपचाप पड़ा रहता है, शरीर (हाथ पैरों ) मे दर्द रहता है, आँखें, कनपटी और सिर में काफी दर्द होता है। यह दर्द हिलने डुलने के कारण, यहाँ तक कि आँखें खोलने के कारण भी सिर का दर्द बढ जाता है। मुँह का स्वाद कड़वा रहता है। जीभ के उपर सफेद/पीला लेप जैसा चढ़ा रहता है। देर देर मे ज्यादा पानी पीता है (1-2 गिलास) पीता है। मुँह सुखा रहता है कब्ज रहता है। ब्रायोनिया - 30/200 का 2-2 बुंद दवा जीभ पर तीन तीन घंटे के अन्तराल पर दें। ज्वर का कारण अचानक ठंड लगना भी होता है।

युपेटोरियम पर्फोरेटम

कुछ ज्वर मे दर्द शरीर के हड्डीयों मे ज्यादा होता है। इसे बोलचाल की भाषा मे हड्डीतोड़ बुखार भी कहते है। हाथ पैंरों की हड्डियों में तेज दर्द इसका प्रधान लक्षण है। इसके साथ जोरों का सिर दर्द, जाड़ा लगना, कँपकँपी होना, यकृत की जगह पर दर्द, जीभ पीली मैल से ढँकी आदि इसके ज्वर के द्वितीयक लक्षण है।

रस टाक्स

वर्षा मे भींगने या ज्यादा स्नान करने या बरसात के मौसम मे होने वाले ज्वर की यह स्श्चद्गष्द्बद्घद्बष् क्रद्गद्वद्गस्र4 है। यदि ज्वर के साथ खाँसी और प्यास हो तो सीधे सीधे इसे आजमाएं। शरीर मे विशेषकर कमर मे दर्द रहता है। ब्रायोनिया के विपरीत इसका दर्द आराम करने से बढ़ता है। रोगी बिस्तर से उठकर टहलने के लिए मजबुर होता है या बिस्तर पर ही करवट बदलता रहता है।

जेल्सिमियम

सुस्ती इसका प्रधान लक्षण है। रोगी ज्वर की तीब्र अवस्था में भी चुपचाप सोया रहता है। प्यास प्राय: नहीं रहती है। तमतमाया हुआ लाल रंग का चेहरा , छलछलायी जल भरी आँखें, लगातार छींकें आना, नाक से लगातार पानी आना आदि इसके मुख्य लक्षण है। रात मे ज्वर बढ जाना, और सुबह में बिना पसीना आये ज्वर उतर जाना, काफी चिढचिढापन के साथ साथ सिर्फ सोये रहने की इच्छा रहना, शरीर मे कोई ताकत नहीं मिलना (कमजोरी) आदि इस दवा कि ओर इशारा करते है। इस दवा की 2-2 बुन्द तीन तीन घंटे के अन्तराल पर दें।
डॉ. ए. के. द्विवेदी
बीएचएमएस, एमडी (होम्यो) प्रोफेसर, एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, इंदौर
संचालक, एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवंहोम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा. लि., इंदौर

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