आज की इस तनाव भरी जिंदगी में हृदय रोग हर दस में से एक व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है। ऐसे में बहुत ज़रूरी हो जाता है अपने दिल का खयाल रखना और दिल का खयाल सिर्फ मोहब्बत से ही नहीं बल्कि अपनी
दवाईयों और खान-पान से भी रखा जाता है। आईये जानते हैं हृदय रोग से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां...
क्या है एथेरो सक्लैरासिस?
एथेरो सक्लैरासिस में धमनियों की दीवारों में प्लेक्यू जमा हो जाता है, जिससे वो संकरी हो जाती है। ये ब्लड फ्लो को रोककर हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं। हृदय की तरफ जाने वाले रक्त में अगर कहीं थक्का जम जाये तो ये भी एक हार्ट अटैक का कारण है।
क्या है कंजैस्टिव हार्ट फेलियर?
कंजैस्टिव हार्ट फेलियर नाम की इस बीमारी में हृदय उतना रक्त पंप नहीं कर पाता है, जितना कि उसके करना चाहिए।
क्या है ऐरिदमियां?
ऐरिदमियां नाम की इस बीमारी में हार्ट बीट अनियमित हो जाती है और हृदय से जुड़े अन्य रोगों में हार्ट वाल्व में खराबी होने के संभावना काफी हद तक बनी रहती है।
हृदय से जुड़ी दिक्कतों को बिल्कुल भी नजऱअंदाज़ नहीं करना चाहिए। कुछ बड़ी बीमारियां ऐसी भी हैं, जिनका होम्योपैथी में बेहतरीन इलाज है। बस ज़रूरत है जागरुक होने की। हृदय के सभी रोगों के उपचार में होम्योपैथी एक कारगर उपाय है। होम्योपैथी दवाईयों का चुनाव यदि सही तरह से किया जाये, तो यकीनन होम्योपैथी कारगर है। सही चयनित होम्योपैथी मेडिसिन धमनियों में प्लेक्यू जमा होने से रोकती है और क्लोट्स नहीं बनने देती। होम्योपैथी दवाईयां हृदय की मसल्स को मजबूत हैं और धडक़न को नियमित करने में सहायक होती हैं। होम्योपैथी दवाइयों में जो सबसे अच्छी बात है, वो ये है कि ये दवाईयां हृदय के वॉल्व रोगों को रोकने में भी सहायक हैं।
प्रमुख होम्योपैथी दवाइयां
कैक्टस, डिजिलेटिस, लोबेलिया, नाजा, टर्मिना अर्जुना, कैटेगस, औरममेट, कैलकेरिया कार्ब जैसी दवाईयां वे प्रमुख दवाईयां है, जिन्हें हृदय को स्वस्थ रखने में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। सीसीआरएच आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य एवं होम्योपैथिक फिजिशियन प्रो. डॉ एके द्विवेदी कहते हैं कि उक्त दवाईयों का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह लेना बिल्कुल न भूलें। याद रहे दवा हमेशा किसी अच्छे होम्योपैथ की देखरेख में ही लेनी चाहिए।
ज़रूरी पॉइंट्स जो बचायें हृदय
- रोग से हर दिन लंबी वॉक पर जायें।
- एक्सरसाइज़ को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
- प्राणायाम करना न भूलें।
- हर दिन बहुत नहीं, सिर्फ थोड़ी मात्रा में ड्राइफ्रूट्स ज़रूर खायें।
- हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।
- कोशिश करें कि 6-8 घंटे की नींद लें।
- फास्ट-फूड से दूर रहें।
- अनियमित दिनचर्या से बचें।
- भोजन में अधिक चिकनाई का प्रयोग न करें।
- ज्यादा देर तक बैठे न रहें।
- जितना हो सके तनाव से दूर रहें।
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