Thursday 20 October 2022

हेपेटाइटिस बी या पीलिया रोग से निजात दिलाने में कारगर है होम्योपैथी

व्यक्ति के शरीर में मौजूद खून में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने के कारण त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला दिखने लगया है और यह पीलिया रोग के लक्षण है। खून में बिलीरूबिन की अत्याधिक मात्रा होने से लिवर के


काम करने की क्षमता कमजोर हो जाती है और ये धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है जिससे पीलिया रोग हो जाता है। पीलिया से पीड़ित मरीज का समय पर इलाज ना हो तो रोगी को लंबें समय तक इसे सहना पड़ता है। और कई बार यह जानलेवा हो जाता है।

होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार पीलिया रोग में लिवर कमजोर हो जाता है और कार्य करना बंद कर देता है।बरसाल के मौसम में पीने का पानी तथा खाद्य पदार्थ अक्सर प्रदूषित हो जाते हैं जिसके खाने-पीने से व्यक्ति में पीलिया रोग का कारण बन जाता है। पीलिया रोग होने के लक्षण की बात करे तो इस दौरान व्यक्ति की त्वचा, नाखून और आंख का सफेद हिस्सा तेजी से पीला होना, फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देना जिसमें मितली आना, पेट दर्द, भूख ना लगना और खाना ना हजम होना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। वजन घटना, गाढ़ा पीला मूत्र आना, लगातार थकान महसूस करना पीलिया के लक्षण हैं। पीलिया रोग जानलेवा नहीं हैं लेकिन इसकी अनदेखी कई बार जानलेवा हो सकती है। इसके अलावा आपने हेपेटाइटिस बी के बारे में भी सुना होगा जो कि पीलिया रोग का बिगड़ा हुआ रूप है। वैसे तो हर चिकित्सा पद्धति में पीलिया रोग का इलाज है लेकिन आयुर्वेद और होमियोपैथी में इसका कारगर इलाज है। वहीं घरेलू उपचार भी इस रोग में आश्चर्यजनक परिणाम देते हैं।

क्या है बिलीरुबीन

यह पीले रंग का पदार्थ होता है जो रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। लिवर इनको खून से फिल्टर कर देता है लेकिन लिवर में कुछ समस्या आने के चलते जब यह प्रक्रिया ठीक से नहीं हो पाती तो शरीर में बिलीरुबीन की मात्रा बढ़नी लगती है। इसी के चलते व्यक्ति की त्वचा पीली नजर आने लगती है। लिवर में गड़बड़ी के कारण, बिलीरुबिन शरीर से बाहर नहीं निकलता है, और इससे पीलिया हो जाता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस, पैंक्रियाज का कैंसर, एल्कोहल का ज्यादा सेवन, सड़क के किनारे की खुली, दूषित वस्तुएं और गंदा पानी पीने तथा कुछ दवाओं के चलते भी यह पीलिया रोग हो सकता है।

पीलिया रोग में घरेलू उपचार

गन्ने का रस - यह पीलिया के इलाज में लाभकारी हैं। दिन में 3 से 4 बार सिर्फ गन्ने का रस पीया जाए तो लाभ होता हैं। सत्तू खाकर गन्ने का रस पीने से सप्ताह भर में ही पीलिया ठीक हो सकता है।

गिलोय, पपीता - गिलोय का रस शहद में मिलाकर सुबह-सुबह सेवन करने से पीलिया रोग दूर होता है। इसके अलावा कच्चे व पके पपीते का सेवन भी पीलिया रोग में काफी लाभप्रद हेता है।

दही और छाछ - दही का सेवन करने से पीलिया रोग के लक्षणों को कम करने किया जा सकता है। जीरा और सेंधा नमक इच्छानुसार इसमें मिला सकते हैं। इसके अलावा पीलिया रोग में रोज सुबह-शाम 1-1 गिलास छाछ या मट्ठा में सेंधा नमक मिलाकर पिएं। छाछ, सेंधा नमक पीलिया जल्दी ठीक करने में सहायक है।

हल्दी से उपचार - हल्दी पीलिया रोग के उपचार के लिए कारगर होती हैं। पीलिया होने पर आप एक चम्मच हल्दी को आधे गिलास पानी में मिला लें। इसे रोजाना दिन में तीन बार पिएं। इससे शरीर में मौजूद सभी विषाक्त पदार्थ बाहर आ जाएंगे। यह नुस्खा बिलीरुबिन को शरीर से बाहर करने में भी बहुत मदद करता है। पीलिया के इलाज के लिए बहुत ही आसान नुस्खा है। जिससे शरीर के खून की सफाई भी हो जाती है।

पीलिया रोग में क्या न करें 

डॉ. द्विवेदी कहते हैं पीलिया रोग के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को तुरन्त अपनी दिनचर्या और खानपान में बदलाव लाना चाहिए। बाहर का खाना न खायें। एक साथ पूरा खाना न खायें, थोड़ी थोड़ी देर के अंतराल पर खायें। ज्यादा मिर्च-मसालेदार तला, भुना खाना न खाएं। मैदा आदि का प्रयोग ना करें। दाल और बींस न खाएं। ये लीवर पर ज्यादा बोझ डालते हैं। हार्डवर्क करने से बचें। शराब का सेवन न करें। पीलिया में ज्यादा नमक वाली चीजें अचार आदि खाने से बचना चाहिए। कॉफी या चाय का सेवन न करें, इसमे मौजूद कैफीन पीलिया रोग को आसानी से ठीक नहीं होने देता। पीलिया में दाल खाने से परहेज करना चाहिए, इससे आंतों में सूजन हो सकती है। मक्खन, जंक फूड, मीट, अंडे, चिकन और मछली- पीलिया में कुछ प्रोटीन युक्त आहार (अंडा, मांस आदि) लेने से बचना चाहिए। क्योंकि पीलिया के मरीज के लिए इन सभी चीजों को पचा पाना मुश्किल होता है।

पीलिया रोग का बिगड़ा रूप है हेपेटाइटिस बी

हेपेटाइटिस बी एड्स से भी कई गुना खतरनाक है। यह पीलिया का बिगड़ा हुआ रूप है। रोगी को व्यक्ति से इलाज न मिलने या रोग की अनदेखी करने से यह हेपेटाइटिस बी का रूप ले लेता है जो जानलेवा हो सकता है। इसलिए पीलिया के लक्षण दिखते ही खानपान और दिनचर्या में बदलाव लाते हुये तुरन्त अच्छे डॉक्टर से संपर्क कर जरूरी उपचार लेना चाहिए।

होम्योपैथी में अपार संभावनाएं हैं- डॉ. द्विवेदी

डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथिक उपचार से हेपेटाइटिस बी या पीलिया रोग से काफी हद तक राहत मिल सकती है। चाइना, चेलिडोनियम, कारडुअस, कालमेघ-क्यू, ब्रायोनिया, मर्कसाल, फासफोरस, नैट्रमम्योर, फेरममेट सभी 30 या 200 के पॉवर में चिकित्सक की देखरेख में लक्षणानुसार ली जा सकती हैं। जिससे मरीज को राहत मिल सकती है।

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