Monday 8 April 2019

अस्थमा के उपचार के लिए होम्योपैथी



अस्थमा पूरे विश्व भर में एक सामान्य बीमारी है, जो कि जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में होमियोपैथी उपचार लाभकारी होता है। यह अस्थमा के उपचार के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है और यह चिकित्सा का एक संपूर्ण तंत्र है, जो कि शरीर की प्राकृतिक तौर पर अपने आप चंगा होने की प्रवृति को बढाता है। फिर भी  होमियोपैथी उपचार शुरू करने से पहले किसी होमियोपैथिक चिकित्सक की राय अवश्य लें।

स्थमा के उपचार के लिए अनेक होमियोपैथिक औषधियां बेहद उपयोगी हैं। अस्थमा के एक गम्भीर दौरे में आपको यह सलाह दी जाती है कि आप एक चिकित्सक से संपर्क करें। अस्थमा के गम्भीर दौरे के खत्म होने के बाद होमियोपैथी उपचार लेने से भविष्य में होनेवाले अस्थमा की बारंबारता और तीव्रता घट जाती है। अस्थमा के उपचार के लिए उपयोग में आनेवाली औषधियों में से कुछ सामान्य औषधियां --

आर्सेनिकम-अलबम: इस दवा का उपयोग सामान्य तौर पर एक एक्यूट अस्थमा के रोगी के लिए किया जाता है। इसका उपयोग आम तौर पर बैचेनी, भय, कमजोरी और आधी रात को या आधी रात के बाद इन लक्षणों का बढना, जैसे लक्षणों से पीडित मरीजों के लिए किया जाता है।

हाऊस डस्ट माईट: इस दवा का उपयोग अक्सर ऐसे मरीजों के लिए किया जाता है, जिन्हें घर में होनेवाली धूल से एलर्जी होती है। चूंकि लोगों में धूल की एलर्जी होना आम बात है, इस दवा को अस्थमा के एक गम्भीर दौरे के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार माना जाता है।

स्पोंजिआ (रोस्टेड स्पंज) : यह दवा उन अस्थमा से पीडित लोगों के लिए उपयोग में लाई जाती है, जिनको बेहद कष्टदायी खांसी होती है, और छाती में बहुत कम या बिल्कुल भी कफ नहीं होता है। इस प्रकार का अस्थमा एक व्यक्ति को ठंड लगने के बाद शुरू होता है। इन मरीजो में अक्सर सूखी खांसी होती है।

लोबेलिआ (भारतीय तंबाकू) :  इस दवा का उपयोग उन अस्थमा से पीडित लोगों के लिए बेहद फायदेमन्द है, जिन्हें सांस की घरघराहट के साथ एक लाक्षणिक (टिपिकल) अस्थमा का दौरा पडता है। (इसमें छाती में दबाव का एक अहसास और सूखी खांसी भी शामिल है)

सेम्बकस नाइग्रा (एल्डर) : इस दवा का उपयोग उन अस्थमा से पीडि़त लोगों के लिए बेहद फायदेमन्द है, जिन लोगों में सांस की घरघराहट की आवाज के साथ दम घुटने के लक्षण दिखाई देते हैं, खासकर यदि ये लक्षण आधी रात को या आधी रात के बाद, या लेटने के दौरान या जब मरीज ठंडी हवा के संपर्क में आते हैं, ऐसी स्थिति में अधिक बढते हैं।

इपेकक्युआन्हा (इपेकाक रूट)  : इस दवा का उपयोग उन अस्थमा से पीडित लोगों के लिए बेहद फायदेमन्द है, जिन लोगों की छाती में बहुत अधिक मात्रा में बलगम होता है।

एंटीमोनियम टेर्टारिकम (टार्टर एमेटिक) : इसका उपयोग उन अस्थमा से पीडित बुजुर्गों और बच्चों के लिए बेहद फायदेमन्द है, जिनकी पूर्ण श्वसन-प्रश्वसन प्रक्रिया में शिथिलता या तेजी हो।

केमोमिला, ब्रायोनिआ (व्हाईट ब्रायोनी), काली-बायक्रोमियम, नक्स वोमिका जैसी दवाईयां अस्थमा के उपचार के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। नैदानिक जांच से पता चलता है कि अस्थमा के उपचार के लिए होमियोपैथिक दवाईयां असरकारक होती हैं।

अस्थमा एक गम्भीर बीमारी है, जिसे एक प्रशिक्षित होमियोपैथिक चिकित्सक की देखरेख में ठीक किया जा सकता है। होमियोपैथिक औषधियां दीर्घकालिक अस्थमा में लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। हालांकि यदि आप एलोपैथी दवाईयां ले रहीं हैं, तो अपने एलोपैथी चिकित्सक से परामर्श लेकर एलोपैथी दवाओं की मात्रा को घटा लेना चाहिए। अधिकतर होमियोपैथिक दवाईयां एलोपैथी दवाओं को प्रभावित नहीं करती हैं। लेकिन यदि आप एलोपैथी की दवाईयां ले रहे हैं, तो अपने मन से होमियोपैथी चिकित्सा को शुरू न करें, किसी होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

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