Saturday 14 March 2015

मेनोपॉज से न घबराएं


जिस तरह पहली बार पीरियड्स होना या फिर पहली बार गर्भ धारण करना कोई बीमारी नहीं है, ठीक उसी तरह मेनोपॉज भी कोई बीमारी नहीं है। क्या है मेनोपॉज और इस दौरान होने वाली समस्याओं से कैसे निबटें। अधिकांश महिलाओं को 45-50 वर्ष की उम्र में पीरियड्स बंद हो जाता है। इस अवस्था को मेनोपॉज कहते हैं। जानकारी के अभाव में कई महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स बंद होने का कारण अंडाशय में एस्ट्रोजन हारमोन का खत्म हो जाना है। अंडाशय के अंडों की भी एक आयु होती है जो कि समय के साथ-साथ क्षीण हो जाती है। इसके कारण मस्तिष्क में ठीक से सिग्नल न पहुंचने की वजह से फोलिकल नहीं बनता, जिसकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स न होने के साथ-साथ कुछ और परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कोई भी परेशानी नहीं होती और कुछ को पेट दर्द से लेकर कई अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ठीक वही स्थिति मेनोपॉज के दौरान भी होती है। पर एक बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि पीरियड्स बंद होने का एकमात्र कारण मेनोपॉज नहीं है। कई अन्य वजहों से भी पीरियड्स बंद हो सकता है, जैसे कि बच्चेदानी में किसी भी तरह की बीमारी की वजह से महिला की बच्चेदानी निकाली जा चुकी हो या महिला को कैंसर हुआ हो और उसके ट्रीटमेंट के दौरान उसे रेडिएशन थेरेपी मिली हो। कई अन्य कारणों की वजह से कई बार समय से पहले भी पीरियड्स बंद हो सकता है जैसे कि शीहैन्स सिन्ड्रोम, वायरल इंफेक्शन और इटिंग डिसऑर्डर। मेनोपॉज तीन स्टेज में होता है। प्रीमेनोपॉज, पीरियड्स बंद होने से पहले के एक से दो वर्ष का समय इस स्टेज का हिस्सा है। मेनोपॉज, एक साल तक अगर पीरियड्स लगातार बंद रहे तो इस स्थिति को मेनोपॉज कहा जाता है और मेनोपॉज के बाद के दौर को पोस्ट मेनोपॉज कहा जाता है। मेनोपॉज के वक्त किसी भी महिला को सबसे ज्यादा तीन चीजों की जरूरत पड़ती है, सपोर्टिव जीवनसाथी, अच्छे दोस्त, मां और सास और सही डॉक्टरी परामर्श।

इस दौरान कौन-सी परेशानियां हैं आम

पूरे शरीर में जलन का महसूस होना, नींद न आना, दिल का तेजी से धड़कना, कभी बहुत खुश तो कभी अचानक से गुस्सा हो जाना, जरा-सी बात पर घबरा जाना, हर समय परेशान रहना तथा छोटी- छोटी बातों पर झुंझलाहट होना, स्मरण शक्ति कमजोर होना आदि मेनोपॉज के दौरान होने वाली आप परेशानियां हैं। इनके अलावा मेनोपॉज के दौरान कई शारीरिक समस्या भी घेर लेती हैं। इन समस्याओं में चेहरे पर झुर्रियों का आना, बालों का रंग सफेद होना और झडऩा, वजन बढऩा और थकान होना आदि प्रमुख हैं। मेनोपॉज का सबसे ज्यादा असर हड्डियों पर पड़ता है। एस्ट्रोजन हारमोन के कम होने के कारण बोन मास कम हो जाता है, जिसकी वजह से घुटने में दर्द व जोड़ों की बीमारी होना आम बात है। कैल्शियम की ज्यादा कमी की वजह से रीढ़ की हड्डी कमजोर होने लगती है और मरीज आगे की तरफ झुकना शुरू कर देते हैं। मेनोपॉज के कारण नर्वस सिस्टम और दिल पर भी असर पड़ता है।

ऐसे करें मेनोपॉज का सामना

  • सुबह-शाम सैर पर जाएं।
  • समय पर भोजन करें और संतुलित आहार लें। अपनी डाइट में दूध, दही, फल और हरी सब्जियां शामिल करें।
  • मेनोपॉज के दौरान सोया प्रोडक्ट्स भी काफी फायदा पहुंचाते हैं, उनका भी सेवन करें।
  • आजकल योग ने हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है, जो फायदेमंद भी साबित हुआ है। नियमित रूप से योग भी करें।

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