एक सर्वेक्षण के अनुसार, हर चार में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से प्रभावित है। भारत में शहरी लोगों में उच्च रक्तचाप 25 प्रश व गाँवों में 10 प्रश पाया गया है।
हृ दय द्वारा सारे शरीर को रक्त वाहिनियों के माध्यम से दबाव की क्रिया से रक्त भेजने से पैदा हुए दबाव को रक्तचाप कहते हैं। एक स्वस्थ मनुष्य का रक्तचाप 120 एमएमएचजी सिस्टोलीक व 80 एमएमएचजी डाईस्टोलिक होता है। मोटापा, तनाव, धूम्रपान, मद्यपान, वंशानुगत आदि उच्च रक्तचाप के कारण हो सकते हैं। इसका पूर्ण निवारण नहीं है, परंतु इसको नियंत्रित किया जा सकता है।
संतुलित आहार जैसे गेहूँ, चावल, हरी सब्जियाँ, ताजे फल, मछली तथा संतुलित मात्रा में नमक का सेवन, व्यायाम तथा अपने चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाइयाँ लेकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। ध्यान रहे, पंगु होकर दूसरों पर आश्रित न रहना पड़े, इसलिए यदि रक्त दाब सामान्य रखने के लिए दवा की जरूरत हो तो नियमित लें। उच्च रक्तचाप का इलाज आसान और संभव है।
निम्न रक्तचाप : कारण, बचाव और इलाज
हमारे गलत खान पान और रहन सहन के कारण हम लोग लो ब्लड प्रेशर के शिकार हो जाते हैं। आज हम इसी विषय पर विस्तृत चर्चा करते हैं। हमारे दिल से सारे शरीर को साफ खून की सप्लाई लगातार होती रहती है। अलग-अलग अंगों को होने वाली यह सप्लाई आर्टरीज (धमनियों) के जरिए होती है। ब्लड को प्रेशर से सारे शरीर तक पहुंचाने के लिए दिल लगातार सिकुड़ता और वापस नॉर्मल होता रहता है - एक मिनट में आमतौर पर 60 से 70 बार। जब दिल सिकुड़ता है तो खून अधिकतम दबाव के साथ आर्टरीज में जाता है। इसे सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। जब दिल सिकुडऩे के बाद वापस अपनी नॉर्मल स्थिति में आता है तो खून का दबाव आर्टरीज में तो बना रहता है, पर वह न्यूनतम होता है। इसे डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। इन दोनों मापों-डायस्टोलिक और सिस्टोलिक को ब्लड प्रेशर कहते हैं। ब्लड प्रेशर दिन भर एक-सा नहीं रहता। जब हम सोकर उठते हैं तो अमूमन यह कम होता है। जब हम शारीरिक मेहनत का कुछ काम करते हैं जैसे तेज चलना, दौडऩा या टेंशन, तो यह बढ़ जाता है। बीपी मिलीमीटर्स ऑफ मरकरी (एमएमएचजी) में नापा जाता है।
दरअसल निम्न रक्तचाप में रक्त का प्रवाह बहुत धीमा पड़ जाता है अर्थात् ऊपर का रक्तचाप सामान्य से घटकर 90 अथवा 100 रह जाए तथा नीचे का रक्तचाप 80 से घटकर 60 रह जाए, ऐसी स्थिति को निम्न रक्तचाप कहते है। दौर्बल्य, उपवास, भोजन तथा जल की कमी, अधिक शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम, मानसिक आघात तथा अधिक रक्त बहने की दशा में यह रोग हो जाता है। निम्न रक्तचाप में नब्ज धीमी पड़ जाती है, थोड़ा सा परिश्रम करने पर रोगी थक जाता है। शरीर का दुर्बल होना, आलस्य, अनुत्साह, शक्ति का घटते जाना, बातें भूल जाना, मस्तिष्क अवसाद, विस्मृति, थोड़ी सी मेहनत में ही चिड़चिड़ाहट, सिर दर्द, सिर चकराना आदि इसके लक्षण होते है।
दरअसल निम्न रक्तचाप में रक्त का प्रवाह बहुत धीमा पड़ जाता है अर्थात् ऊपर का रक्तचाप सामान्य से घटकर 90 अथवा 100 रह जाए तथा नीचे का रक्तचाप 80 से घटकर 60 रह जाए, ऐसी स्थिति को निम्न रक्तचाप कहते है। दौर्बल्य, उपवास, भोजन तथा जल की कमी, अधिक शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम, मानसिक आघात तथा अधिक रक्त बहने की दशा में यह रोग हो जाता है। निम्न रक्तचाप में नब्ज धीमी पड़ जाती है, थोड़ा सा परिश्रम करने पर रोगी थक जाता है। शरीर का दुर्बल होना, आलस्य, अनुत्साह, शक्ति का घटते जाना, बातें भूल जाना, मस्तिष्क अवसाद, विस्मृति, थोड़ी सी मेहनत में ही चिड़चिड़ाहट, सिर दर्द, सिर चकराना आदि इसके लक्षण होते है।
प्रमुख कारण
- अधिक मानसिक चिंतन
- अधिक शोक
- अधिक क्रोध
- आहार का असंतुलन होना
- बहुत अधिक मोटापा
- पानी या खून की कमी
- उलटियां, डेंगू-मलेरिया, हार्ट प्रॉब्लम, सदमे, इन्फेक्शन, ज्यादा मोशन आदि
- अचानक सदमा लगना, कोई भयावह दृश्य देखने या सुनने से भी लो बीपी हो सकता है।
प्रमुख लक्षण
- चेहरे पर फीकापन।
- आंखों का लाल हो जाना।
- नाड़ी की गति धीमी होना।
- प्यास लगना और तेज रफ्तार से आधी-अधूरी सांसें आना।
- निराशा या डिप्रेशन
- धुंधला दिखाई देना
- थकान, कमजोरी, चक्कर आना
खानपान
- पालक, मेथी, घीया, टिंडा व हरी सब्जियां लें
- अनार, अमरूद, सेब, केला व अंगूर खाएं
- कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ न हो तो थोड़ा-बहुत घी, मक्खन व मलाई खाएं
- केसर, दही, दूध और दूध से बने पदार्थ खाएं
- सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
- सेब, गाजर या बेल का मुरब्बा चांदी का वर्क लगाकर खाएं।
- अधिक पानी पीना चाहिए। कम से कम डेढ़ से दो लीटर पानी जरूर पीएं
- तुलसी, काली मिर्च, लौग और इलायची की चाय बनाकर पीएं। मात्रा सबकी एक-एक ग्राम
- राई तथा सौठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर पानी में मिलाएं और पैर के तलवों पर लगाएं।
- प्रतिदिन सब्जी में लहसून का छौक (तड़का) लेने से निम्न रक्तचाप में तत्काल लाभ होता है।
- देशी गुड़ हर रोज 50 ग्राम की मात्रा में खाएं।
- सेब, पपीता, अंजीर, आम आदि का अधिक सेवन करें।
- प्रतिदिन गाजर के एक गिलास रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीएं। इसे 30 दिनों तक करें।
- पुदीने की चटनी या रस में सेंधा नमक, काली मिर्च, किशमिश डालकर सेवन करें।
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