Wednesday, 3 September 2014

शराब की लत छुड़ाए होमियोपैथी

प्रतिदिन दवाखाने में मरीज के नजदीकी, उनकी पत्नी, भाई, भाभी अथवा मां आते हैं जो अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं कि उनका पति, भाई, देवर या उनका बेटा शराब की बूरी लत में पड़ गया है। क्या ऐसा कोई उपाय होम्योपैथी है जिससे इस बूरी लत से छुटकारा पाया जा सकता है? कुछ परिजन तो ऐसे भी आते हैं जो बताते हैं कि शराब न मिलने पर कुछ अन्य कफ सिरप या दूसरी चीजें भी पीने के आदी हो जाते हैं, जिससे इनका खुद का तथा परिवार का जीवन स्तर बदतर होता जाता है।
शराब का उपभोग मजे तथा जीवन का आनंद लेने के साथ जुड़ा हुआ है. लेकिन अत्यधिक मात्रा में गैरजिम्मेवार तरीके से इसका सेवन जीवन को ही दूर कर देता है. शराब की बुरी लत को 'अल्कोहलिज्मÓ कहते हैं. जब कोई इंसान शराब का आदी हो जाये और वह उसके बगैर अपने को कमजोर समझने लगे. किसी भी कीमत पर उसे छोडऩे को तैयार न हो, उसकी कमी उसे हमेशा महसूस होती रहे. उसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहे. ऐसी स्थिति में शराब का सेवन उसके परिवार व स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है.
शराब जो पहले शौक बनती है. फिर आदत और बाद में जरूरत बन कर इनसान को शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, सामाजिक एवं वित्तीय रूप से काफी नुकसान पहुंचाती है. ऐसा हम हमेशा टीवी चैनलों या अखबारों के माध्यम से देखते और पढ़ते हैं कि इनसान ज्यादातर गलत काम शरीब पीकर ही करता है. यहां तक कि बलात्कार जैसी गंदी वारदात भी शराब को पीकर ही करता है. वरना कोई चार/पांच साल तक की बच्चियों का बलात्कार कभी होश में नहीं कर सकता है, शराब ही उसके मानसिक संतुलन को बिगाड़ देती है.
जब ऐसी गंदी लत किसी को लग ही जाती है, तब उसे इस दलदल से निकालने का कत्र्तव्य हम चिकित्सकों का हो जाता है कि वह इंसान शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पुन: मान-सम्मान पा सके. ऐसी लत को छुड़ाने में होमियोपैथिक दवाइयां काफी कारगर होती है. वशर्ते वह इन्सान दवाओं को दिल से स्वीकार करें.
अल्कोहलिज्म यानी शराब की लत का शरीर के विभिन्न अंगों पर क्या असर होता है, पहले यह जान लें.
पाचन तंत्र : सुबह उठते ही उल्टी जैसा लगना, भूख में कमी, अपच जैसा पतला शौच करना, कभी-कभी मुंह से उल्टी के साथ रक्त जैसा आना, आंत नली का कैंसर तक हो जाना.
यकृत (लीवर): यकृत की कोशिकाओं में चर्बी जमा हो जाना (फैटी लीवर), सिरोसिस लीवर, पेन्क्रियाज में सूजन.
दिमागी तंत्र : यादाश्त में कमी, सोचने, समझने की क्षमता कम हो जाती है.
मांसपेशियां : छाती एवं कमर की मांसपेशियां सूखने लगती है.
अस्थि तंत्र : हड्डियां कमजोर हो जाती है. कैल्शियम, मैग्निशियम, फास्फोरस एवं विटामिन डी की कमी से, हड्डी टूटने पर जुडऩा मुश्किल हो जाता है, हड्डी की मज्जा कमजोर होकर, लाल रक्त कण, श्वेत रक्त कण एवं प्लेटलेट कम कर देता है.
हार्मोनल तंत्र : इंसुलीन की कमी से डायबिटीज हो जाती है.
हृदय तंत्र : उच्च रक्त दबाव हो जाता है.
श्वास नली तंत्र : दमा की शिकायत हो जाती है, क्योंकि प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
त्वचा : बैक्टीरिया, फफूंदी जल्द असर करते हैं और जल्दी समाप्त नहीं होते हैं, क्योंकि प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. सोरियासिस जैसा चर्म रोग भी हो सकता हैै.
मर्दो में नपुंसकता एवं टेस्टीस (अंडकोष) सूख जाते हैं. स्त्रियों में ओवरी एवं बच्चेदानी में खराबी, बच्चा न होना, बार-बार गर्भ गिरना (हेबिचुअल अबोरशन) इत्यादि हो जाता है.

कारगर है होमियोपैथिक दवाइयां

स्टरकुलिया एकुमिनाटा : शरीर में अत्यधिक कमजोरी लगे जैसा हृदय की गति कम हो गयी हो, यह दवा भूख बढ़ाती है और खाना पचाने में सहायक होती है. मुंह का स्वाद ऐसा कर देती है कि शराब की महक से नफरत होने लगती है और उसकी इच्छा को कम कर देती है. 5-10 बूंद अर्क में सुबह-रात आधे कप पानी के साथ लें.
अवेना सटाइवा : मानसिक एवं यौन संबंधी कमजोरी लगे. शराब के बिना एक पल भी रहना मुश्किल लगे. नींद बिल्कुल गायब हो जाये, तब 10 से 20 बूंद मूल अर्क में थोड़ा कुनकुना पानी के साथ सुबह-रात लें.
क्यूरीकस ग्लैडियम स्प्रिटस : शराब से पैदा हुए डर बुरे असर को यह दवा काटती है.शराब के प्रति नफरत पैदा करती है, क्योंकि यह दवा लेने के बाद जब भी कोई शराब लेता है, तब उसे उल्टी के जैसा लगता है या उल्टी हो सकती है, इसलिए डर से शराब छोडऩे लगता है. यह दवा 10 बूंद मूल अर्क लेकर एक चम्मच पानी के साथ दिन मेें चार बार लें.
नक्स वोमिका : वैसे स्वभाव के लोग शराब अधिक लेते हों, पतले, चिड़चिड़े हो, जरा सा भी शोर रोशनी और खुशबू बर्दाश्त न होती हो. सुबह उठते ही या खाना खाने के बाद उल्टी के जैसा लगता हो, भूख में बहुत कमी रहती हो और हमेशा शराब की जरूरत महसूस होती है. तब 200 शक्ति की दवा रोज रात में ले. काफी लाभ पहुंचेगा और शराब के द्वारा पैदा सभी खराबियों को सही कर देगा.
- डॉ. ए. के. द्विवेदी

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