वीर्यकोष की कोशिकाओं में अनियंत्रित तरीके से वृद्धि के कारण ही मूत्राशय कैंसर या वृषण कैंसर होता है। यह पुरुषों की सेक्स ग्रंथियां हैं जो अंडकोष की थैली में होती हैं और टेस्टोस्टेरॉन और अन्य हार्मोन का उत्पादन करती हैं। यह थैली प्रजनन कोशिकाओं के लिए भी जिम्मेदार है। कोयले की खानों में कार्यरत श्रमिकों को मूत्राशय कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। पथरी भी यदि ज्यादा दिनों तक रहे तो वह कैंसर का रूप ले सकती है।
शुरूआत में यह केवल टेस्टिस तक ही सीमित रहता है लेकिन उसके बाद यह रेट्रोपेरिटोनिल लिम्फ नोड्स तक पंहुच जाता है। रेट्रोपेरिटोनिल लिम्फ नोड्स वह छोटी ग्रंथियां होती हैं जो बैक्टीरिया को फिल्टर करती हैं और ये कैंसर सेल्स लिम्फेटिक फ्लुइड में डायफ्राम और किडनी के बीच बनते हैं। आखिरी स्टेज में कैंसर की कोशिकायें पूरे शरीर में फैल जाती हैं जिससे फेफड़े, दिमाग, लीवर और हड्डियां भी बुरी तरह से प्रभावित होती हैं। अगर कैंसर का समय रहते इलाज ना किया गया तो इससे मृत्यु भी हो सकती है। 95 प्रतिशत स्थितियों में कैंसर घातक होता है और इलाज के अभाव में यह फैलता जाता है।
गांठ का होना
मूत्राशय कैंसर में यदि किसी प्रकार की कोई गांठ है तो यह कैंसर का लक्षण हो सकता है। टेस्टिकल्स में किसी भी प्रकार की गांठ, यह गांठ सामान्यतया मटर के दाने जितनी होती है या उससे भी बड़ी हो सकती है।
टेस्टिकल्स में बदलाव
मूत्राशय कैंसर होने पर अंडकोष में बदलाव होता है। इसके फलस्वरूप टेस्टिकल्स में सिकुडऩ या उसमें किसी भी प्रकार का इनलार्जमेंट होने लगता है। यदि ऐसा कोई लक्षण आपको दिखे तो यह मूत्राशय कैंसर हो सकता है। इसके अलावा टेस्टिकल्स में कठोरता भी आ सकती है।
टेस्टिकल्स का भारी होना
मूत्राशय कैंसर होने पर स्क्रोटम या टेस्टिकल्स में भारीपन आ सकता है। इसकी वजह से व्यक्ति को उसका अंडकोष भारी लगने लगता है।
अंडकोष का सख्त होना
कैंसर के इस प्रकार में सबसे ज्यादा प्रभावित अंग अंडकोष होता है। अंडकोष का सख्त होना भी मूत्राशय कैंसर का लक्षण हो सकता है।
अंडकोष का सख्त होना
कैंसर के इस प्रकार में सबसे ज्यादा प्रभावित अंग अंडकोष होता है। अंडकोष का सख्त होना भी मूत्राशय कैंसर का लक्षण हो सकता है।
रक्त आना
मूत्राशय कैंसर होने पर पेशाब करने में दर्द होता है, इसके अलावा मूत्र के साथ खून भी निकलता है। यदि आपको पेशाब करने में दिक्कत हो रही हो या मूत्र के साथ खून निकल रहा हो तो यह मूत्राशय कैंसर का लक्षण हो सकता है।
दर्द होना
मूत्राशय कैंसर होने पर पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। इसके अलावा इसका असर पीठ पर भी पड़ता है। यदि पेट और पीठ में लगातार दर्द हो रहा है तो यह कैंसर का लक्षण है।
सांस लेने में दिक्कत
मूत्राशय कैंसर अंडकोष से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है। चूंकि यह फेफड़ों पर भी असर डालती है जिसकी वजह से व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
मूत्राशय कैंसर का पता लगाने का सबसे आसान तरीका है सेल्फ इक्ज़ामिनेशन जो कि हर युवक को 15 साल के बाद शुरू कर देना चाहिए। आप जितना स्वयं को परखेंगे उतना ही अपने टेस्टिकल्स और उसमें होने वाली असमान्यताओं के बारे में जान सकेंगे। यदि आपको ऐसे लक्षण दिखें तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
मूत्राशय कैंसर का पता लगाने का सबसे आसान तरीका है सेल्फ इक्ज़ामिनेशन जो कि हर युवक को 15 साल के बाद शुरू कर देना चाहिए। आप जितना स्वयं को परखेंगे उतना ही अपने टेस्टिकल्स और उसमें होने वाली असमान्यताओं के बारे में जान सकेंगे। यदि आपको ऐसे लक्षण दिखें तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
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