भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का पूर्णावतार माना जाता है। एक ऐसा अवतार जिसमें सम्पूर्ण कलाएं उपस्थित थी, बाल रुप से लेकर मृत्यु तक कृष्ण की लीला वस्तुत: अपरंपार थी। श्रीकृष्ण के कुछ विग्रह इस प्रकार हैं-
पहला स्वरूप : लड्डू गोपाल
धन संपत्ति की प्राप्ति
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे एक बालक हैं, जिनके हाथों में लड्डू है ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को हरे रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, सफेद चन्दन प्रदान करें। प्रसाद में खीर अर्पित करें, हरे रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम स: फ्रें क्लीं कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान् को दूध के छीटे दें।
दूसरा स्वरुप : बंसीबजइया
मानसिक सुख
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे एक किशोर हैं, हाथों में बंसी लिए हुए ऐसे स्वरुप का ध्यान करें भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को नीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप दीप पुष्प आदि चढ़ाकर, कपूर प्रदान करें प्रसाद में मेवे अर्पित करें, नीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम श्री कृष्णाय क्लीं नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान् को घी के छीटे दें।
तीसरा स्वरुप : कालिया मर्दक
व्यापार में तरक्की
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे कालिया नाग के सर पर नृत्य मुद्रा में स्थित हैं, ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को काले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें, धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, गोरोचन प्रदान करें, प्रसाद में मक्खन अर्पित करें, काले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम हुं ऐं नम: कृष्णाय
मंत्र जाप के बाद भगवान् को दही के छीटे दें।
चौथा स्वरुप : बाल गोपाल
संतान सुख
भगवान श्री कृष्ण जी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे एक पालने में झूलते शिशु हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें, भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, केसर प्रदान करें, प्रसाद में मिश्री अर्पित करें। पीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम क्लीं क्लीं क्लीं कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान् को शहद के छीटे दें।
पांचवां स्वरुप : माखन चोर
रोगनाश
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरूप, जिसमें वे माता यशोदा के सामने ये कहते हुए दिखते हैं कि मैंने माखन नहीं खाया। ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, सच्चा मोती प्रदान करें, प्रसाद में फल अर्पित करें, पीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम हुं ह्रौं हुं कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान् को गंगाजल के छीटे दें।
छठा स्वरुप : गोपाल कृष्ण
मान सम्मान
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे वन में सखाओं सहित गैय्या चराते हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को मटमैले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, मोर पंख प्रदान करें। प्रसाद में मिठाई अर्पित करें। मटमैले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम ह्रौं ह्रौं क्लीं नम: कृष्णाय
मंत्र जाप के बाद भगवान् को दूध के छीटे दें।
सातवां स्वरुप : गोवर्धनधारी
क्रूर ग्रह बेअसर
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे एक छोटी अंगुली से गोवर्धन पर्वत उठाये हुये दिखते हैं। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को लाल रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, पीले पुष्पों का हार प्रदान करें। प्रसाद में मिश्री अर्पित करें। लाल रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम ऐं कलौं क्लीं कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान को गंगाजल के छीटे दें।
आठवां स्वरुप : राधानाथ
शीघ्र विवाह व प्रेम विवाह
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरुप जिसमें राधा और कृष्णजी का प्रेममय झांकी स्वरुप दिखता है ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को गुलाबी रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, इत्र सुगंधी प्रदान करें। प्रसाद में मिठाई अर्पित करें। गुलाबी रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम हुं ह्रीं स: कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान को शहद के छीटे दें।
नौवां स्वरुप : रक्षा गोपाल
राजकीय कार्यों में सफलता देने वाला
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे द्रोपदी के चीर हरण पर उनकी साड़ी के वस्त्र को बढ़ते हुये दिखते हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को मिश्रित रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें, धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, मीठे पान का बीड़ा प्रदान करें, प्रसाद में माखन-मिश्री अर्पित करें। मिश्रित रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम कलौं कलौं ह्रौं कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान् को दही के छीटे दें।
दसवां स्वरुप : भक्त वत्सल
भय नाशक, दुर्घटना नाशक, रक्षक रूप
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे सखा भक्त सुदामा के चरण पखारते हैं या युद्ध में रथ का पहिया हाथों में उठाये क्रोधित कृष्ण ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को भूरे रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, एक शंख प्रदान करें। प्रसाद में फल अर्पित करें। भूरे रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम हुं कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान् को पंचामृत के छीटे दें।
ग्यारहवां स्वरूप : योगेश्वर कृष्ण
परीक्षाओं में सफलता के लिए
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे एक रथ पर अर्जुन को गीता का उपदेश करते हैं ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, पुष्पों का ढेर प्रदान करें। प्रसाद में मीठे पदार्थ अर्पित करें। पीले रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।
मंत्र- ओम ह्रौं ह्रौं ह्रौं हुं कृष्णाय न:
बारहवां स्वरुप : विराट कृष्ण
घोर विपदाओं को टालने वाला रूप
भगवान श्रीकृष्णजी का ऐसा स्वरुप जिसमें वे युद्ध के दौरान अर्जुन को विराट दर्शन देते हैं। जिसे संजय सहित वेदव्यास व देवताओं नें देखा ऐसे स्वरुप का ध्यान करें। भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ति को लाल व पीले रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करें। धूप, दीप, पुष्प आदि चढ़ाकर, तुलसी दल प्रदान करें। प्रसाद में हलवा बना कर अर्पित करें। पीले या लाल रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से मंत्र का जाप करें।मंत्र- ओम तत स्वरूपाय कृष्णाय नम:
मंत्र जाप के बाद भगवान् को पंचामृत के छीटे दें।
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