Saturday, 7 February 2015

आधुनिक बनें सेहत से न खेलें


सोने की आसमान छूती कीमतों के चलते युवाओं का रुझान आर्टिफिशियल ज्वेलरी की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है। भला ऐसा हो भी क्यों न, वह जेब पर भारी भी नहीं पड़ती और उसके खोने या चोरी होने पर ज्यादा दुख भी नहीं होता। फैशन के जमाने में ऐसी और भी अनेक एक्सेसरीज हैं, लेकिन उनके इस्तेमाल में लापरवाही सेहत पर भारी भी पड़ सकती है। फैशन की चीजों को अपनाने से पहले और बाद में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए जानें, क्या-क्या सावधानियां बरतें।
बाजार में मिलने वाली आकर्षक, चमकती, रंग-बिरंगी आर्टिफिशियल ज्वेलरी और आपको फैशनेबल बनाने वाली अन्य चीजें बेशक बहुत सुन्दर और सस्ती होती हैं, परन्तु यह जानना जरूरी है कि इन्हें पहनना आपकी त्वचा और सेहत के लिए महंगा साबित न हो जाये।

एलर्जी के लक्षण

कई बार आर्टिफिशियल ज्वेलरी पहनने से त्वचा पर लाल चकत्ते, रैशेज, खुजली व दाने उभर आते हैं। कई युवक व युवतियों को कान व नाक के गहने पहनने के एक घंटे के अंदर ही खुजली होने लगती है और कुछ ही देर में त्वचा पर घाव या फफोले हो जाते हैं। धातुओं से एलर्जी का प्रभाव ज्यादातर त्वचा की ऊपरी सतह पर ही होता है, परन्तु कई बार इन घावों से बने दागों को ठीक होने में सालों लग जाते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप ऐसी धातुओं के प्रयोग से बचें ।

कब तक रहते हैं लक्षण

वैसे तो आर्टिफिशियल ज्वेलरी से होने वाली एलर्जी के लक्षण ठीक होने में दो से तीन घंटे लग जाते हैं, परन्तु कभी-कभी एलर्जी के निशान और सूजन 2-३ दिनों तक भी बनी रह सकती है। ऐसे में आप घर पर ही उनकी देखभाल कर सकते हैं। उस त्वचा पर लैक्टो कैलामिन, एलोवेरा का रस, मॉइस्चराइजर, टेलकम पाउडर आदि लगा सकते हैं। अगर फिर भी सूजन व लालिमा बनी रहे तो बिना देर किए किसी अच्छे त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें और उपचार कराएं।

न करें नजरअंदाज

अगर लक्षणों को नजरअंदाज करते हुए आर्टिफिशियल ज्वेलरी लंबे समय तक पहनी जाये तो वह समस्या कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस का रूप ले सकती है। ऐसे में आभूषण के संपर्क में रहने वाले अंग में सूजन आ जाती है। त्वचा लाल हो सकती है। उस पर पानी से भरे दाने उठ सकते हैं। उन से पानी रिस सकता है, पपड़ी जम सकती है। त्वचा सख्त हो कर खुरदरी और मोटी हो जाती है। संक्रमण हो जाने पर मवाद भी पड़ सकता है। उस हिस्से में खूब खुजली के साथ जलन होती है।

पियर्सिग का फैशन

पियर्सिग का फैशन इन दिनों पूरे जोरों पर है। हालांकि पियर्सिग करने का चलन हमारे देश में करीब 25 सौ साल पुराना है। पहले लोग अपने कान और नाक में पियर्सिग करा कर उन्हें सुन्दर आभूषणों से अलंकृत करते थे, वहीं अब युवा नाक, कान के अलावा आंख की भोहों, जीभ, नाभि, छाती व होठों के ऊपर भी पियर्सिग करवाने लगे हैं। पियर्सिग करते समय अक्सर आर्टिफिशियल ज्वेलरी का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे संक्रमण की आशंका दोगुनी हो जाती है।
पियर्सिग एक पारंपरिक तरीका है, जिसमें त्वचा पर पंक्चर करके उसमें ज्वेलरी पहनी जाती है। जैसे-जैसे पियर्सिग से जुड़ी तकनीक आधुनिक होती गई, वह सुरक्षित होती गई और इससे जुड़े जोखिम भी कम होते गए। फिर भी डॉक्टरों के मुताबिक पियर्सिग से जुड़े गंभीर संक्रमण के कारण अभी भी हर साल पियर्सिग पहनने वालों में 10 से 15 प्रतिशत लोग हॉस्पिटल आते हैं।

जांच करते रहें

पियर्सिग करवाने के बाद संक्रमण के बारे में चेक कराते रहना जरूरी है। आपको दो-तीन दिन तक पियर्सिग वाली जगह के आसपास छूने पर कुछ गर्म-सा महसूस होगा, लेकिन इससे ज्यादा दिन तक अगर ऐसा होता है तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। उसके आसपास की त्वचा लाल होने लगे या सूजन आने लगे या फिर उस जगह से पस निकलने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

बरतें सावधानी

  • संक्रमण से बचने के लिए पियर्सिग किसी प्रोफेशनल से ही करवाएं। अक्सर युवा पैसे बचाने की कोशिश में ऐसी जगह से भी पियर्सिग करा लेते हैं, जहां साफ-सफाई पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता। इससे संक्रमण की आशंका काफी बढ़ जाती है।
  • पियर्सिग कराने से पहले देख लें कि उस क्लीनिक में साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था है या नहीं।
  • जिस गन से छेद किया जाने वाला है, उसका भी हर बार साफ किया जाना जरूरी है।
  • पियर्सिग करवाने के बाद उस क्षेत्र को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए और वहां एंटीबायोटिक क्रीम लगाना जरूरी है। इससे संक्रमण नहीं होगा। ऐसा आप 15 दिनों तक रोज करें।
  • अगर पियर्सिग के बाद संक्रमण हो गया है तो डॉक्टर की सलाह के बाद एंटीबायोटिक टेबलेट ले सकते हैं।

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