प्रोस्टेट कैंसर फैलने के कई कारण हैं, लेकिन शुरूआती अवस्था में प्रोस्टेट
कैंसर के फैलने का कारण आनुवंशिक होता है। आनुवंशिक डीएनए प्रोस्टेट कैंसर
होने का सबसे प्रमुख कारण है। प्रोस्टेट ग्लैंड यूरीनरी ब्लैडर के पास
होती है। इस ग्रंथि से निकलने वाला पदार्थ यौन क्रिया में सहायक बनता है।
आमतौर पर उम्र बढऩे के साथ ही प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती
है। लेकिन आजकल की दिनचर्चा के कारण यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता
है। दोनों पैरों में कमजोरी व पीठ में दर्द महसूस होता है। बढ़ती उम्र,
मोटापा, धूम्रपान, आलस्यपूर्ण दिनचर्या और अधिक मात्रा में वसायुक्त
पदार्थों का सेवन करने के कारण प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा
होती है।
बढ़ती उम्र
प्रोस्टेट कैंसर सबसे ज्यादा 40 की उम्र के बाद
होता है। उम्र बढऩे के साथ ही प्रोस्टेट ग्लैंड बढऩे लगती है, जो कि कैंसर
होने की संभावना को बढ़ाती है। 50 साल की उम्र पार कर रहे लोगों में यह
बहुत तेजी से फैलता है। प्रोस्टेट कैंसर के हर 3 में से 2 मरीजों की उम्र
65 या उससे ज्यादा होती है।
खानपान
आधुनिक जीवनशैली में खान-पान भी
प्रोस्टेट कैंसर के फैलने का प्रमुख कारण बन गया है। लेकिन अभी इस बारे में
कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। जो आदमी लाल मांस (रेड मीट) या
फिर ज्यादा वसायुक्त डेयरी उत्पादों का प्रयोग करते हैं, उनमें प्रोस्टेट
कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। जंक फूड का सेवन भी प्रोस्टेट कैंसर
होने की संभावना को बढ़ाता है।
मोटापा
मोटापा कई बीमारियों की जड़
है। मोटे लोगों को डायबिटीज एवं कई सामान्य बीमारियॉं होना आम बात है।
लेकिन मोटापा प्रोस्टेट कैंसर के फैलने का एक कारण है। मोटापे से ग्रस्त
लोगों को प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। लेकिन इस तथ्य
की पुष्टि नहीं हो पाई है कि मोटापा भी प्रोस्टेट कैंसर होने का प्रमुख
कारण है। लेकिन कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है।
धूम्रपान
धूम्रपान करने से मुॅंह और फेफड़े का कैंसर तो होता है, लेकिन धूम्रपान प्रोस्टेट कैंसर को भी बढ़ाता है।
आनुवांशिक बीमारी
प्रोस्टेट
कैंसर आनुवंशिक भी होता है। घर में अगर किसी भी व्यक्ति या रिश्तेदार को
प्रोस्टेट कैंसर होता है तो बच्चों में इसकी होने की संभावना ज्यादा होती
है।
प्रोस्टेट कैंसर की जांच करवाएं
हालांकि इस बात पर काफी विवाद
रहा है कि क्या पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर की जांच समय समय पर करवानी
चाहिए? पर सच्चाई यह है कि पुरुषों को यह जानने का हक़ है अगर वह बिमारी की
चपेट में आ सकते हैं। पीएसए जांच और डिजिटल रेक्टल जांच द्वारा किसी भी
उम्र के पुरुष के बारे में प्रोस्टेट स्वास्थ्य को लेकर जानकारी मिलती है
और फिर वह अपनी चिकित्सा के बारे में सोच सकते हैं।
जानें प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों को
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
- प्रोस्टेट कैंसर होने पर रात में पेशाब करने में दिक्कत होती है।
- रात में बार-बार पेशाब आता है और आदमी सामान्य अवस्था की तुलना में ज्यादा पेशाब करता है।
- पेशाब करने में कठिनाई होती है और पेशाब को रोका नही जा सकता है यानी पेशाब रोकने में बहुत तकलीफ होती है।
- पेशाब रुक-रुक कर आता है, जिसे कमजोर या टूटती मूत्रधारा कहते हैं।
- पेशाब करते वक्त जलन होती है।
- पेशाब करते वक्त पेशाब में खून निकलता है। वीर्य में भी खून निकलने की शिकायत होती है।
- शरीर में लगातार दर्द बना रहता है।
- कमर के निचले हिस्से या कूल्हे या जांघों के ऊपरी हिस्से में जकडाहट रहती है।
प्रोस्टेट कैंसर का इलाज
वृद्धावस्था में प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। यदि प्रोस्टेट कैंसर का पता स्टेज-1 और स्टेज-2 में चल जाए तो इसका बेहतर इलाज रैडिकल प्रोस्टेक्टामी नामक ऑपरेशन से होता है। लेकिन, यदि प्रोस्टेट कैंसर का पता स्टेज-3 व स्टेज-4 में चलता है तो इसका उपचार हार्मोनल थेरैपी से किया जाता है। गौरतलब है कि प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं की खुराक टेस्टोस्टेरान नामक हार्मोन से होती है। इसलिए पीडि़त पुरुष के टेस्टिकल्स को निकाल देने से इस कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। खान-पान और दिनचर्या में बदलाव करके प्रोस्टेट कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है। ज्यादा चर्बी वाले मांस को खाने से परहेज कीजिए। धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने से बचिए यदि आपको प्रोस्टेट कैंसर की आशंका दिखे तो चिकित्सक से संपर्क जरूर कीजिए।
वृद्धावस्था में प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। यदि प्रोस्टेट कैंसर का पता स्टेज-1 और स्टेज-2 में चल जाए तो इसका बेहतर इलाज रैडिकल प्रोस्टेक्टामी नामक ऑपरेशन से होता है। लेकिन, यदि प्रोस्टेट कैंसर का पता स्टेज-3 व स्टेज-4 में चलता है तो इसका उपचार हार्मोनल थेरैपी से किया जाता है। गौरतलब है कि प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं की खुराक टेस्टोस्टेरान नामक हार्मोन से होती है। इसलिए पीडि़त पुरुष के टेस्टिकल्स को निकाल देने से इस कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। खान-पान और दिनचर्या में बदलाव करके प्रोस्टेट कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है। ज्यादा चर्बी वाले मांस को खाने से परहेज कीजिए। धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने से बचिए यदि आपको प्रोस्टेट कैंसर की आशंका दिखे तो चिकित्सक से संपर्क जरूर कीजिए।
प्रोस्टेट कैंसर से बचने के लिए ग्रीन टी पीएं
जो पुरुष
ग्रीन टी पीते हैं उनमें प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क काफी कम होता है और उनका
प्रोस्टेट स्वास्थ्य अच्छा रहता है। अपनी रोज़मर्रा की जि़ंदगी में ग्रीन
टी को शामिल करने से आपके प्रोस्टेट स्वास्थ्य पर काफी अच्छा असर पड़ेगा।
गर्म ग्रीन टी किसी भी समय के खाने के साथ लिया जा सकता है। आइस्ड ग्रीन टी
और ग्रीन टी स्मूदी बना कर भी पीया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment