जन्म के समय शिशु की त्वचा नर्म, चिकनी और बेदाग होती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, त्वचा को कई प्रकार के वातावरण का सामना करना पड़ता है, जिससे त्वचा की प्राकृतिक सुंदरता नष्ट हो जाती है।
त्वचा का सौंदर्य क्षीण होने का मुख्य कारण है त्वचा की उपेक्षा और इसकी समुचित देखभाल नहीं करना। बच्चों की त्वचा कोमल होती है, इसलिए उसकी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। त्वचा की देखभाल का मतलब सिर्फ चेहरे की त्वचा की देखभाल करना ही नहीं, बल्कि इसका अर्थ पूरे शरीर की त्वचा की सुरक्षा करना है।
बच्चों को सॉफ्ट सोप से नहलाना चाहिए। सूखे मौसम में नहाने से पहले तेल मालिश करने से उनकी त्वचा नर्म और साफ रहती है। आयुर्वेद पद्धति मौसम के अनुरूप तेल के चयन की बात कहती है। जैतून, नारियल और सूरजमुखी के तेल गर्मियों के मौसम के लिए अच्छे हैं, जबकि सरसों और बादाम का तेल जाड़ों के मौसम में गुणकारी रहता है।
तिल का तेल आयुर्वेदक मालिश के लिए बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि यह तमाम दोषों में संतुलन बनाए रखने में सहायक है। आप अपने बच्चे के लिए इनमें से कोई भी तेल चुन सकती हैं, लेकिन सुनिश्चित कर लें कि यह शुद्ध हो। इसमें सुगंधित पुष्प के कुछ बूंदें, गुलाब या चंदन मिला सकते हैं। इससे प्राकृतिक सुगंध का एहसास होगा।
अपने बच्चे के लिए बहुत ज्यादा सुगंधित या सुवासित तेलों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि कुछ सुगंधों से त्वचा में एलर्जी या खुजली होने लगती है। असली तेलों में कुछ मिलाए बिना कभी उनका उपयोग नहीं करें। उन्हें जैतून या तिल के तेल जैसे अन्य तेलों के साथ मिला लें।
कॉस्मेटिक का इस्तेमाल न करें
जब बच्चा छोटा हो तो क्रीम और कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हाँ, त्वचा का रूखापन दूर करने के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है। त्वचा की नमी बरकरार रखने के लिए हलका मॉइश्चराइजर उपयोग कर सकती हैं।
भारी क्रीम से बचें, क्योंकि वह रोमछिद्रों को बंद कर सकती है। खासकर उस समय तो इनके इस्तेमाल से बचें, जब बच्चा किशोरावस्था में प्रवेश कर रहा हो। अगर बच्चे की त्वचा रूखी हो तो बेबीलोशन या क्रीम का इस्तेमाल जारी रखा जा सकता है।
सप्ताह में एक बार दूध में बेसन मिलाकर पेस्ट बना लें। नहाने से पहले इस उबटन को हलके हाथों से बच्चे के शरीर पर रगड़ें। इससे त्वचा की भीतरी सफाई हो जाती है।
किशोरावस्था से पहले यह ध्यान रखें कि त्वचा तैलीय तो नहीं है, ताकि जरूरत पडऩे पर सुरक्षात्मक उपाय किए जा सकें। अगर त्वचा पर चिकनाहट दिखने लगे तो गुलाबजल से चेहरे को रगड़कर साफ करें।
दिन में चेहरे को दो बार से ज्यादा साबुन और पानी से नहीं धोएँ, क्योंकि इससे त्वचा क्षारीय (अल्कालाइन) बन जाती है, जिससे बैक्टीरिया सक्रिय होकर त्वचा को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
अनेक बच्चों के शरीर पर जन्म से ही घने बाल होते हैं, लेकिन आमतौर पर समय के साथ उनके बाल कम होते जाते हैं। यह तो स्पष्ट है कि बाल हटाने के तरीके बच्चों पर नहीं आजमाए जा सकते, लेकिन बेसन और दूध का उबटन शरीर पर रगडऩे से माना जाता है कि घने बालों की बढ़त थम जाएगी। त्वचा को निखारने में भी इससे मदद मिल सकती है।
दही को त्वचा पर 15-20 मिनट तक लगाकर धोने से त्वचा में निखार आ जाता है। त्वचा का रंग ज्यादा मायने नहीं रखता। यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि त्वचा का स्वास्थ्य। त्वचा का स्वास्थ्य ही सुंदरता के लिए महत्वपूर्ण है।
भारी क्रीम से बचें, क्योंकि वह रोमछिद्रों को बंद कर सकती है। खासकर उस समय तो इनके इस्तेमाल से बचें, जब बच्चा किशोरावस्था में प्रवेश कर रहा हो। अगर बच्चे की त्वचा रूखी हो तो बेबीलोशन या क्रीम का इस्तेमाल जारी रखा जा सकता है।
सप्ताह में एक बार दूध में बेसन मिलाकर पेस्ट बना लें। नहाने से पहले इस उबटन को हलके हाथों से बच्चे के शरीर पर रगड़ें। इससे त्वचा की भीतरी सफाई हो जाती है।
किशोरावस्था से पहले यह ध्यान रखें कि त्वचा तैलीय तो नहीं है, ताकि जरूरत पडऩे पर सुरक्षात्मक उपाय किए जा सकें। अगर त्वचा पर चिकनाहट दिखने लगे तो गुलाबजल से चेहरे को रगड़कर साफ करें।
दिन में चेहरे को दो बार से ज्यादा साबुन और पानी से नहीं धोएँ, क्योंकि इससे त्वचा क्षारीय (अल्कालाइन) बन जाती है, जिससे बैक्टीरिया सक्रिय होकर त्वचा को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
अनेक बच्चों के शरीर पर जन्म से ही घने बाल होते हैं, लेकिन आमतौर पर समय के साथ उनके बाल कम होते जाते हैं। यह तो स्पष्ट है कि बाल हटाने के तरीके बच्चों पर नहीं आजमाए जा सकते, लेकिन बेसन और दूध का उबटन शरीर पर रगडऩे से माना जाता है कि घने बालों की बढ़त थम जाएगी। त्वचा को निखारने में भी इससे मदद मिल सकती है।
दही को त्वचा पर 15-20 मिनट तक लगाकर धोने से त्वचा में निखार आ जाता है। त्वचा का रंग ज्यादा मायने नहीं रखता। यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि त्वचा का स्वास्थ्य। त्वचा का स्वास्थ्य ही सुंदरता के लिए महत्वपूर्ण है।
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