बाल मन - बाल शरीर एक ऐसी सरंचना है जिससे अगर सही दिशा व सही तरीके से गढ़ा जाए तो निश्चित ही वह एक बेहतर इंसान के रूप में समाज को एवं देश को हमारी ओर से एक सहयोग है, क्योंकि बाल मन बिल्कुल भोला है, सहज है, उसमें जिन विचारों को रोपित किया जाता है वही विचार पल्लवित होते हैं, उसी तरह बाल शरीर भी सहज ही रोग ग्रसित हो जाते हैं, जो यदि समय रहते स्वस्थ न हो तो दीर्घकालिक रोगों में बदल जाते हैं और बच्चे बार-बार बिमार होने लगते हैं, जिसका प्रभाव उनके सर्वांगीण विकास पर पड़ता है, जिससे वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से पिछड़ जाते हैं।
अत: समुचित ज्ञान व उपचार से उन्हें रोगमुृक्तकरने का प्रयास करें एवं देश के भविष्य को बेहतर बनाएं।
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