Tuesday, 7 October 2014

हड्डियों की कुछ बिमारियां


वयस्क मानव कंकाल तंत्र कुल 206 हड्डियो से मिलकर बना है। शरीर की हर हड्डी एक जटील जीवित अंग है। मानव कंकाल द्वितरफा एक जैसा है और बीच में रीढ़ की हड्डियॉं है। रीढ़ की हड्डियॉं छोटे छोटे हिस्सों में विभाजित होने के कारण लचीली होती है। रीढ़ की हड्डियो का निचला पेडू (पेलविस) से और उपरी सिरा कपाल से जुडा होता है। दोनो हाथो की हड्डियॉ वक्षीय (पेक्टोरल) और दोनो पैरो की हड्डियॉ पेडू (पेलविस) से जुडे होते है। यह सभी अस्थि पंजर (हड्डियॉ) मिलकर एक मजबूत लचिला ढॉचा बनाते है, जो शरीर को सहारा देते है। कंकाल बनाने वाली हडडियो कि लंबाई और घनत्व शरीर की उॅचाई और चौडाई व आकार तय करते है। जीवन के लिये जो शरीर के अति आवश्यक अन्दरूनी अंगो की यह रक्षा करता है। उदाहरण के लिये मस्तिष्क (ब्रेन) कपाल और मेरूदण्ड (स्पाईनल कार्ड) रीढ की हड्डियों, दिल और फेफडे वक्ष की हड्डियो के अन्दर सुरक्षित है।
शरीर की हड्डियॉ स्थिर और मजबूत है जो एक टेकन (लीवर) की तरह काम करती है। यह लीवरों का वह तंञ है जो शरीर को गति प्रदान करने में मदद करता है। जब अस्थि से जुडी मांसपेशियॉ सिकुडती है, तो खिंचाव के कारण दबाव (भार) बनता है जिसके परिणाम स्वरूप हरकत संभव हो पाती है। अस्थि पंजर और मांसपेशियॉ साथ मिलकर काम करते है, जो शरीर को पैदल चलने, और दौडऩे, हाथो को विभिन्न तरह के काम करने आदि में सहायता करती है।
वह जगह जहॉ दो या दो से अधिक हड्डियॉ मिलती है, उसे जोड (जाईन्ट) कहते है। शरीर में मुख्त: दो तरह के जोड़ होते है।
चल जोड़ जो स्वतंत्र रूप से घूमने वाले जोड़ होते है, जो किसी भी दिशा में घूम सकते है। जैसे कोहनी, कुल्हे और कंधे। चल जोड़ो की हड्डियां सख्त किन्तु लचीली होती है उसे संयोजी उतक अपनी जगह पर बांध के रखती है ऐसी उतक को लिगामेंट कहते है।
अचल जोड़ जो आगे जाकर लॉक हो जाते है और सभी दिशाओ में नही घूम सकते है। जैसे घुटना, कपाल की हड्डियां में जबडा़ छोड़ कर।
रक्त कोशिका जीवन के लिये जरूरी पोषक तत्वों को सभी अन्य कोशिकाओं को पहुंचाने का काम करती है। लाल अस्थि मज्जा द्वारा इन कोशिकाओं का निर्माण कर, रक्त में छोड दिया जाता है। लाल अस्थि मज्जा अस्थि के अन्दर वाले हिस्से में पाया जाता है।
खून के अनिवार्य खनिज जैसे कैल्शियम, फासॅफोरस और अन्य खनिजो पर नियंत्रण भी अस्थियों द्वारा किया जाता है। दो प्रकार की अस्थि कोशिकाओं खनिजो पर नियंत्रण करती है। एक प्रकार की अस्थि कोशिकाओं खनिजो को रक्त से हड्डियो में संग्रहण करती है। अन्य प्रकार की अस्थि कोशिकाओं खनिजो की जरूरत या कमी होने पर रक्त में पुन: छोडने का काम करती है।
इस तरह से हड्डियां संरचना के अलावा ओर भी महत्वपूर्ण कार्य करती है। सामान्यत: हड्डियां और जोड़ो की आम बिमारीयों के लक्षणों और संकेत त्वचा, पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र की बीमारीयों से कम दिखाई पड़ते है। परन्तु अगर हड्डियॉ और जोड़ो में बिमारी होती है तो वह ज्यादा जटील होती है और ठीक होने में ज्यादा समय लगता है।

कंकाल तंत्र की बिमारीयॉ

जोड़ो में दर्द के कई कारण हो सकते है । जैसे बहुत अधिक काम करना, वायरस से होने वाला बुखार, कमज़ोरी, कुपोषण या किसी विशेष मुद्रा में बैठे रहने से थकान, संक्रमण, चोट/मोच, प्रतिरक्षित तंत्र की खराबी, ऐलर्जी संबंधी (दवाओ) से, बढती उम्र और विकृत बिमारीयो के कारण हो सकता है। ज़रूरी नहीं की ऐसा हर दर्द गठिया हो। दो हड्डीयो के बीच चबनी हड्डी (कार्टलिज) जोड़ो के लिये एक गद्दे का काम करता है जिसके कारण जोड़ो में निविर्घन ओर दर्दरहित हरकत संभव हो पाता है। चबनी हड्डी (कार्टलिज) की खराबी के कारण जोड़ो में दर्द होता है।
कंकाल तंत्र की बिमारीयॉ को दो तरह से देख सकते है-
(1) हडडी से संबधित बिमारीयॉ
(2) जोडो से संबधित बिमारीयॉ।

कंकाल तंत्र से उत्पंन्न होनेवाले मुख्य लक्ष्ण दो तरह के होते है। पहला हडडी या उसकी संरचना से उठने वाला दर्द (पेन) और दुसरा सीमित हरकत (रिसटिरक्टेड मूवमेंट) है। हडडी या उसके उपर आवरण की संरचना (पैरिआसटीयम), या शरीर के जोडो को तर रखने वाला पदार्थ श्लेष्क (साईनोविआ), शिरा (टेंडन), अस्थि बंधक तंतु (लिगामेंट) या मॉसपेशी से उठने वाला दर्द है। हडडी में यह दर्द लगातार बना रहता है। सामान्यत: दर्द असहनीय और कष्ट दायक होता है। जोडो और उसके सहायक संरचना से उठने वाले दर्द तीखे होते है। जिसका संबंध जोड़ की हरकत या किसी विशेष मुद्रा में शरीर को रखने से होता है और साथ में अकडऩ (स्टिफनेस) भी महसुस होती है।
जब कंकाल तंत्र में दोष निकलता है, तब दर्द और अकडऩ के कारण सीमित हरकत (रिसटिरक्टेड मूवमेंट) होती है। अगर दर्द और अकडऩ के बिना यदि कम हरकत पायी जाती है तो, यह स्नायु तंत्र की बिमारी हो सकती है।

हड्डियों की बिमारियां

  • हड्डियों और जोडो में संक्रमण
  • रीढ की हड्डी में क्षय रोग (टी बी)
  • अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर)
  • अस्थि भंग (हड्डी टुटना, फै्क्चर)
  • अस्थियो में सूजन (स्पोन्डिलाईटिस)
  • अस्थिम़ृदुता (आस्टिओमलेशिया)

जोड़ो की बिमारियां (आरथ्रोपैथी)

  • जोड़ो मे दर्द (आरथ्रेलजिआ)
  • जोड़ो में सूजन/गठिया (आरथ्राईटिस)
  • जोड़ो में चोट या मोच
  • जोड़ो में खून (हिमआरथ्रोसिस)
  • जोड़ो में अधिक पानी (हाइडरोसिस)
  • जोड़ो में अकडन (एनकाइलोसिस)
  • जोड़ो की सहायक संरचना मे सुजन (पैराआरथ्राईटिस)
  • जोड़ो का बुखार

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