पुष्य नक्षत्र २७ नक्षत्रो का राजा होता है क्रमानुसार आठवे क्रम का नक्षत्र होता है। इसके स्वामी शनि देव होते है एवं इसके देवता देवगुरु बृहस्पति होते है। जो की समस्त कार्यो में शुभता प्रदान करते है व इसके स्वामी शनि जो सभी कार्यो में स्थिरता लाते है। विवाह को छोड़कर अन्य समस्त कार्यो के लिए पुष्य नक्षत्र को अत्यंत शुभ बताया गया है। सामान्यजन पुष्य नक्षत्र से बहुत गहराई से परिचित नहीं हैं, लेकिन फिर भी इसके अत्यंत शुभ होने के बारे में जानकारी तो जन-जन में है। इस शुभ काल में खरीद-फरोख्त बहुत शुभ मानी जाती है।
Thursday, 16 October 2014
पुष्य नक्षत्र का महत्व
पुष्य नक्षत्र २७ नक्षत्रो का राजा होता है क्रमानुसार आठवे क्रम का नक्षत्र होता है। इसके स्वामी शनि देव होते है एवं इसके देवता देवगुरु बृहस्पति होते है। जो की समस्त कार्यो में शुभता प्रदान करते है व इसके स्वामी शनि जो सभी कार्यो में स्थिरता लाते है। विवाह को छोड़कर अन्य समस्त कार्यो के लिए पुष्य नक्षत्र को अत्यंत शुभ बताया गया है। सामान्यजन पुष्य नक्षत्र से बहुत गहराई से परिचित नहीं हैं, लेकिन फिर भी इसके अत्यंत शुभ होने के बारे में जानकारी तो जन-जन में है। इस शुभ काल में खरीद-फरोख्त बहुत शुभ मानी जाती है।
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