Wednesday, 9 November 2022

अस्थमा में कारगर हो रही है होम्योपैथी

- बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को मिलती है राहत

स्थमा किसी भी आयु वर्ग के स्त्री-पुरुष व बच्चों को हो सकता है। श्वास रोग अस्थमा अत्यंत कष्टदायक रोग होता है। आम लोगों में इस रोग को दमा के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अस्थमा लंबे समय तक रोगी का पीछा


नहीं छोड़ता। कुछ किशोरों में वंशानुगत भी अस्थमा रोग होता है। आधुनिक परिवेश में तीव्र गति से फैलते प्रदूषण के कारण अल्पायु में अस्थमा रोग अधिक हो रहा है। सड़कों पर वाहनों का धुआं, घरों के आसपास कल-कारखानों का विषैला धुआं, गैसें अस्थमा रोग की उत्पत्ति करती है। गंदी बस्तियों में रहने वाले अस्थमा से अधिक पीड़ित होते हैं। अधिक शराब पीने वाले भी अस्थमा के शिकार होते हैं।

होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के निवर्तमान सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार समाज में ऐसा कहा जाता है दमा दम लेकर ही जाता हैं लेकिन होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन और आहार विहार में आंशिक परिवर्तन करके अस्थमा जैसी असाध्य बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है। एलर्जिक अस्थमा कभी-कभी मौसम परिवर्तन के साथ बढ़ सकता है। अतः सभी मौसम में लक्षणों के आधार पर होम्योपैथिक दवाईयों का चयन यदि किया जाए तो एलर्जी से भी छुटकारा मिल सकता है। यदि होम्योपैथिक दवाइयों को कुछ समय तक प्रयोग की जाए तो अस्थमा से छुटकारा मिल सकता है। होम्योपैथिक दवा सभी उम्र के लोग आसानी से ले भी सकते हैं जिनको शुगर की बीमारी होती है वो लोग भी होम्योपैथिक की लिक्विड दवा को पानी में या डिस्टिल्ड वाटर में ले सकते हैं। होम्योपैथी से अस्थमा के कुछ मरीजों को राहत भी मिली है। जो अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि होम्योपैथिक दवा से उन्हें काफी राहत मिली है।

वहीं अस्थमा के लिए निर्धारित होम्योपैथिक उपचार कुछ इस प्रकार है….

इपेकाक- यह उन मामलों में प्रयोग किया जाता है जहां अस्थमा पीड़ित को अचानक घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, एंग्जायटी और छाती पर तनाव महसूस होता है। ऐसे मामलों में, अस्थमा गतिशीलता के साथ बढ़ता है और निरंतर खांसी, घबराहट और उल्टी का कारण बनती है।

नक्स वोमिका- अस्थमा को गैस्ट्रिक परेशानियों से भी ट्रिगर किया जा सकता है। ऐसे मामलों में सुबह में सांस लेने में अधिक समस्या होती है और सूखी खांसी और पेट में पूर्णता की भावना से चिह्नित होती है। इस तरह के अस्थमा के लिए नक्स वोमिका एक उत्कृष्ट उपाय है। वहीं दमा संबंधी रोग सर्दियों के दौरान गंभीर हो जाते हैं।

कार्बो शाकाहारी- यह होम्योपैथिक उपचार उन मामलों में निर्धारित किया जाता है जहां अस्थमा अटैक के समय रोगी का चेहरा नीला हो जाता है। पीड़ित लारनेक्स और खुजली के साथ पेट की समस्या और खांसी से पीड़ित हो सकता है। इसके साथ-साथ, पीड़ित अपने हाथ और पैर में ठंड महसूस करते हैं।

आर्सेनिकम- आर्सेनिकम उन मामलों में फायदेमंद है जहां पीड़ित बुजुर्ग होता है और अस्थमात्मक अटैक आधी रात के बाद ज्यादा होते हैं ये मरीज़ चिंता, बेचैनी, छाती में जलन, शुष्क दमा और डर से होने वाले घुटन से पीड़ित होता है। आर्द्रता के कारण एलर्जी संबंधी अस्थमा का भी आर्सेनिकम द्वारा इलाज किया जा सकता है।

एंटीम टार्ट-  यह उन मरीजों को निर्धारित किया जाता है जो हल्के कफ के साथ तेज खांसी से ग्रस्त है। कई मामलों में, कफ खाने के कारण ट्रिगर होता है और एक तरफ लेटने से राहत मिल सकती है। इस प्रकार के अस्थमा रोगी को नींद और कमजोरी महसूस होता है। एंटीम टार्ट युवा बच्चों और वृद्ध लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।

 

नोटः- हालांकि होम्योपैथिक उपचार के साइड इफैक्ट्स नगण्य हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल व दवा खुद नहीं लेनी चाहिए। व्यक्ति को होम्योपैथिक दवा को चिकित्सक द्वारा पूर्ण परमार्श के बाद ही दी जाना चाहिए।

No comments:

Post a Comment