बहुत से लोगों को जैसे ही मालूम होता है कि उन्हें गठिया है, तो वे जीने की उमंग ही खो बैठते हैं। मोटे लोगों को खासतौर से इस बात का ध्या देना चाहिए उनका वजन इतना न बढ़ जाए कि उनके घुटने या पैर खुद के वजन को
एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में असमर्थ हो जाए। हमारे पास जितने भी जोड़ों के दर्द के मरीज आते हैं आमतौर पर मोटे लोग ज्यादा होते हैं। मोटापा के कारण हमारे घुटने जल्द ही खराब होने के कारण हमारे घुटने जल्द ही खराब होने लगते हैं। क्योंकि जब हम एक जगह से दूसरी जगह चलते हैं तो हमारे घुटने को कम से ऊपर के शरीर का वजन उठाना होता है। धीरे-धीरे हमारे घुटने के बीच का गैप कम होने लगता है, असहनीय दर्द होने लगता है, सूजन आ जाती है। जिसके कारण हमारे दैनिक कार्य अवरूद्ध होने लगते हैं। यदि हम सही समय पर होम्योपैथिक दवाईयों का सेवन मरीज को कराएं तो उसका मोटापा तथा जोड़ों के दर्द (गठिया) को कम करके सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है। जोड़ों का दर्द साधारणतया दो प्रकार के होते हैं। छोटे जोड़ों के दर्द को वात यानी रूमेटिज्म कहते हैं। वात रोग (गाउट) में जोड़ों की गांठें सूज जाती हैं, बुखार भी आ जाता है। बेहन दर्द एवं बेचैनी रहती है।
कारण
अधिक मांस खाना, नमी या सर्दी लगना, देर तक भीगना, सीसा धातुओं से कम करने वाले को लैड प्वाइजिंग होना, खटाई और ठंडी चीजों का सेवन करना, अत्यधिक मदिरा पान एवं वंशानुगत (हेरिडिटी) दोष।
लक्षण
रोग के शुरुआत में जोड़ों में दर्द तथा सूजन के साथ-साथ पाचन क्रिया का मंद पड़ना। पेट फूलना (अफारा) एवं अम्ल का रहना (एसिडीटी), कब्ज बना रहना। क्रोनिक (पुराने) रोग होने पर पेशाब गहरा लाल एवं कम मात्रा में होगा।
होम्योपैथिक दवाइयां
होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के निवर्तमान सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार मोटापे के लक्षणानुसार कैलकेरिया कार्ब, फाइटोलाका बेरी, एपोसाइनम कैन, फ्यूकस, कैल्मिया लैटविया, कैक्टस ग्रेड़ीफ्लोरा, डल्कामारा, लाईकोपोडियम, काली कार्ब, मैगफास, रसटाक्स, कैलीबाइक्रोम इत्यादि होम्योपैथिक दवाईयां अत्याधिक कारगर सिद्ध हो रही है।
कसरतें हैं गठिया के लिए
गठिया कई किस्म का होता है और हरेक का अलग-अलग तरह से उपचार होता है। सही डायग्नोसिस से ही सही उपचार हो सकता है। सही डायग्नोसिस जल्द हो जाए तो अच्छा। जल्द उपचार से फायदा यह होता है कि नुकसान और दर्द कम होता है। उपचार में दवाइयां, वजन प्रबंधन, कसरत, गर्म या ठंडे का प्रयोग और जोड़ों को अतिरिक्त नुकसान से बचाने के तरीके शामिल होते हैं। वर्कआउट करें। कसरत करने से दर्द कम हो जाता है, मूवमेंट में वृद्धि होती है, थकान कम होती है और आप पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं। जोड़ों पर दबाव से बचें। जितना वजन बताया गया है, उतना हीं बरकरार रखें। खाने में मांसाहार, पनीर एवं मसालेदार सब्जियों का प्रयोग न करें। साइकिलिंग एवं स्विमिंग गठिया तथा मोटापा को कम करने का बेहतर उपाय हो सकते हैं।
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