अपने नवजात शिशु की देखभाल के लिए हर मां चिंतित रहती है और वह इसके लिए हर संभव कोशिश भी करती
है। खासतौर से जब शिशु पहली बार सर्दी के मौसम का सामना कर रहा हो तो मां को भी कई बार समझ में नहीं आता कि वह अपने बच्चे को इस मौसम में होने वाली समस्याओं से कैसे बचाए....
सर्दी के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया बहुत तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूर्णतः विकसित नहीं होती। इसलिए ये वायरस बहुत तेजी से उनके शरीर पर हमला करते हैं। बच्चों के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज और बैक्टीरिया के बीच संघर्ष होता है तो इसी की प्रतिक्रियास्वरूप उन्हें सर्दी-जुकाम, बंद नाक, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, गले और कान में इनफेक्शन जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। बच्चों में होने वाली इस समस्या को सीजनल एफेक्टेड डिसॉर्डर (एसएडी) कहा जाता है।
दरअसल सर्दी के मौसम को लेकर लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां बनी हुई है। अकसर लोग ऐसा समझते हैं कि इस मौसम में बच्चे ज्यादातर बीमार ही रहते हैं। पर सच्चाई यह है कि यह मौसम स्वास्थ के लिए बहुत अच्छा होता है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखें तो इस मौसम में भी आपका शिशु स्वस्थ रहेगा।
क्या करें....
- शिशु की सफाई का पूरा ध्यान रखें। उसे प्रतिदिन गुनगुने पानी से नहलाएं। ऐसा सोचना गलत है कि नहलाने से बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाता है।
- अगर सर्दी-जुकाम के कारण बच्चे की नाक बंद हो तो एक ग्लास पानी उबाल कर उसे ठंडा करें और उसमें ¼ टी स्पून नमक मिलाकर ड्रापर से दो-दो बूंद उसकी नाक में डालें। इससे उसकी बंद नाक आसानी से खुल जाएगी।
- ऐसी समस्या होने पर बच्चे को स्टीम देना भी उसके लिए फायदेमंद साबित होगा।
- आप शिशु के कमरे में रूम हीटर चलाती है तो वहां पानी से भरा बर्तन रखें, इससे कमरे में ऑक्सीजन व नमी का स्तर संतुलित रहता है।
- रात को सुलाते समय बच्चे को डॉयपर जरूर पहनाएं वरना देर तक गीले बिस्तर पर रहने से उसे सर्दी लग सकती है।
क्या न करें
- बच्चे को बहुत ज्यादा कपड़े न पहनाएं क्योंकि इससे पसीना आता है और पसीने की ठंडक के कारण उसे सर्दी-जुकाम हो सकता है।
- शिशु को सुलाते समय उसका चेहरा न ढके। इससे उसकी सांस घुट सकती है।
- बच्चे के कमरे में लगातार रूम हीटर न चलाएं।
- नहलाने के तुरंत बाद शिशु को खुली हवा में न लेकर जाएं। इससे उसे सर्दी-जुकाम हो सकता है।
- शाम को सूरज ढलने के बाद शिशु को साथ लेकर घर से बाहर खुली हवा में न निकलें।
- एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सिर की त्वचा बहुत कोमल होती है इसलिए उन्हें सीधे ऊनी कैप न पहनाएं बल्कि पहले सूती कपड़े के टुकड़े को स्कार्फ की तरह उसके सिर पर बांधने के बाद ही उसे ऊनी कैप पहनाएं।
- बच्चे को सर्दी जुकाम या बुखार होने पर उसे बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें।
चिकित्सक से सलाह लेकर करें होम्योपैथिक उपचार
वहीं बच्चों में सर्दी के उपचार में कुछ होम्योपैथिक दवाएं प्रायः उपयोग में लाई जाती है। होम्योपैथिक चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी दवाईयां काफी सुरक्षित है। इनका शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। हालांकि होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करने से पूर्व होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेकर ली जा सकती है। हालांकि कुछ लक्षण और उसमें उपयोग में लाई जाने वाली दवाएं निम्न है...
- लक्षण- शुष्क, ठंडी हवा लगने से अचानक सर्दी-जुकाम होना, छीकें व नाक बहना, बेचैनी एवं घबराहट होना व प्यास का बढ़ जाना। इसमें एकोनाइटम नेपेलस 30 का उपयोग किया जा सकता है।
- लक्षण – सर्दी-जुकाम की अचानक प्रबल शुरुआत, ज्वर के साथ सिर दर्द तथा फड़कन, गला खराब व नाक बहना। इसमें बैलाडोना 30 का उपयोग किया जा सकता है।
- लक्षण – शीत ऋतु में जुकाम, पतला, पानी जैसा और तीखा नासिका स्त्राव, नाक बंद का आभास होना, बार-बार छीकें आना, बार-बार थोड़ी मात्रा में पानी पीने की इच्छा, गर्म पेय लेने से अच्छा महसूस करना। इसमें आर्सेनिक ऐलबम 30 इस्तेमाल की जा सकती है।
नोटः- इस लेख में बताई गईं दवाओं के प्रयोग से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। ताकि आपको आपनी बीमारी अथवा परेशानी का सही इलाज मिले और आपको राहत मिल सकें।
No comments:
Post a Comment