7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पीछले आठ सालों से मनाया जाता है। एक जानकारी अनुसार विश्व में कैंसर से होने वाली मृत्यु में से करीब 8 प्रतिशत भारत में होती है। कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार देश में रोजाना
करीब 1300 लोगों की मौत कैंसर से होती है। जर्नल आफ ग्लोबल आंकोलाजी द्वारा प्रकाशित शोध के अनुसार भारत में कैंसर से हने वाली मृत्य का प्रतिशत विकसित देशों के मुकाबले लगभग दोगुना है। और इसके पीछे जो कारण आता है वो है भारत में कैंसर के प्रति जागरूकता की कमी। जिसकी वजह से कैंसर का पता देरी से लगता है और सही इलाज शुरू नहीं हो पाता। वहीं कोरोना महामारी के बाद लोगों को रुझान होम्योपैथिक और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की ओर होने लगा है।
होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी चिकित्सा की एक ऐसी पद्धति है जो रोग को दबाने की बजाये शरीर को इस तरह तैयार करती है जिससे कि शरीर खुद उस रोग को जड़ से बहार निकाल फेंके। होम्योपैथी बीमार व्यक्ति के शरीर और मन दोनों का उपचार करता है। वहीं कैंसर का प्राथमिक अवस्था में ही पता कर उपचार ले लिया जाए तो यह काफी हद तक ठीक हो सकता है। क्योंकि अधिकांश मामलों में मरीज को कैंसर की जानकारी देरी से लगती है ऐसे में उसका उपचार देरी से शुरू हो पाता है। हालांकि कैंसर जैसी बीमारी में होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करने से पूर्व होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह भी ली जा सकती है।
तो आईये जानने की कोशिश करते हैं कि कैंसर क्या हैं और किसको और कब होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है और होम्योपैथी से इसके इलाज में क्या फायदे हैं...
क्या है कैंसर
सामान्यः हमारे शरीर में नई-नई कोशिकाओं का हमेशा निर्माण होता है लेकिन कभी कभी इन कोशिकाओं की अनियंत्रित गति से बढ़ोत्तरी होने लगती है और यही कोशिकाएं जो अधिक मात्रा में होती हैं एक ट्यूमर का रूप ले लेती है जो कैंसर कहलाता है। इसे कार्सिनोमा, नियोप्लास्म और मेलेगनंसी भी कहते हैं। एक जानकारी अनुसार लगभग 100 प्रकार के कैंसर होते हैं और सभी के लक्षण अलग-अलग होते हैं। एक अंग में कैंसर होने पर ये दूसरे अंगों में भी फैलने लगता है। हालांकि सभी ट्यूमर कैंसर नहीं होते हैं। वहीं कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। चाहे वो पुरुष, महिला या बच्चा हो।
तीन ग्रेड होती है कैंसर की
कैंसर को पता करने के लिए ग्रेड का इस्तेमाल किया जाता है कि ट्यूमर कोशिकाएं नॉर्मल कोशिकाओं से कितनी अलग है। वहीं कैसंर के प्रकार की बात करे तो इसमें कार्सिनोमा, सारकोमा, लिंफोमा और मायलोमा, ल्यूरेमिया, ब्रेन और स्पाइल कॉर्ड कैंसर शामिल है। कैंसर की ग्रेड निम्न प्रकार की होती है...
- ग्रेड-1 में कैंसर नार्मल सेल्स के समान दिखती है और यह धीरे-धीरे बढ़ता है।
- ग्रेड-2 में भी कैंसर नॉर्मल कोशिकाओं के समान होता लेकिन यह बहुत तेजी से बढ़ती है।
- ग्रेड-3 में कैंसर कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ती हैं और एब्नार्मल दिखाई देती है।
कैंसर के लक्षण
असामान्य गठान होना (ट्यूमर), रक्त स्त्राव होना, अत्यधिक दर्द होना, बिना कारण के वजन कम होना, भूख कम लगना, थकान होना, रात को बहुत पसीना आना, खून की कमी होना (एनीमिया), खांसी आना, हड्डियों में दर्द होना, निगलने में तकलीफ होना, मुंह और गले के छाले जो ठीक न हो, यूरिन में तकलीफ होना, ब्लड आना, गले में खराश रहना शामिल है।
कैंसर के कारण
होम्योपैथी के अनुसार कैंसर का कारण सोरा और सायकॉटिक दोष होता है। हालांकि दूसरे कारण की बात की जाए तो उनमें आते हैं तम्बाकू या पान मसाला, शराब, मेहनत न करने के कारण, हेपटाइटिस B या C के कारण, अनुवांशिक कारण, किसी प्रकार के इन्फेक्शन के कारण, किसी दवा के कारण, आधुनिक जीवन-शैली के कारण शामिल है।
होम्योपैथिक दवाएं
होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी से कैंसर को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। यदि कैंसर जल्दी डायग्नोसिस हो जाए तो पूरी तरह से ठीक करने के प्रयास भी किए जा सकते हैं। यह एक सस्ता और बिना किसी तकलीफ के रोग को ठीक करने वाला उपचार होता है। होम्योपैथी में कैंसर के लिए बहुत सारी दवाएं हैं। लेकिन जानकारी के लिए यहां पर दवाओं के बारे में बता रहे हैं जो कैंसर के लिए उपयोगी हैं। जैसे कोनियम-मैक, आर्सेनिक एल्बम, थूजा, फायटोलक्का,कोनडूरेनगो, साइलीसिया, हेल्का-लावा, कैल्कैरिया फोर शामिल है। लेकिन कैंसर एक घातक बीमारी है इसलिए स्वयं चिकित्सा न करें, किसी कुशल व योग होम्योपैथी चिकित्सक से उपचार कराएं।
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कैंस से करें बचाव
- अधिक से अधिक जैविक पदार्थों (जिन्हें उगाने में कीटनाशक का इस्तेमाल न किया है) का प्रयोग करें
- शराब के साथ धूम्रपान करने से कैंसर की आशंका दोगुनी हो जाती है। इससे मुंह, लिवर, फेफड़ों का कैंसर हो सकता है
- नमक का प्रयोग कम से कम करें
- वजन नियंत्रित रखें। रोजाना व्यायाम करें। मोटापे से स्तन कैंसर, पैंक्रियास का कैंसर, गाल ब्लेडर का कैंसर होने की आशंका अधिक रहती है
- प्लास्टिक के बर्तन में गर्म खाना न खाएं। प्लास्टिक में बिस्फेनाल ए केमिकल पाया जाता है। यह कोशिकाओं की संरचनाओं को विकृत कर सकता है। अधिक से अधिक क्षारीय पदार्थ लें। शरीर मे अम्लीयता बढ़ना कैंसर की वजह है
- स्तन में गांठ महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करें
- डिब्बाबंद भोजन से बचें
- अखबार पर खाना रखकर न खाएं
- तेल को बार-बार गर्म करके काम में ना लें
- मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन भी कैंसर की वजह
नोटः- होम्योपैथी से रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। इसलिए बिना चिकित्सीय परामर्श के यहां बताई गई दवाओं का उपयोग न करें।
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