आयुुष मंत्री श्रीपाद नाईक से विशेष चर्चा
सेहत एवं सूरत के संपादक डॉ. ए.के. द्विवेदी की भारत के आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक जी से योग तथा आयुष चिकित्सा पद्धतियों के विकास को लेकर चर्चा हुई जिसमें आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक ने कहा कि योग का जन्म भारत में ही हुआ और आज भारत में ही नहीं विश्व भर में योग का बोलबाला है और निसंदेह उसका श्रेय भारत के ही योग गुरूओं को तथा भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को जाता है जिन्होंने योग को फिर से पुनर्जीवित किया इसी तारतम्य में भारत में आयुष मंत्रालय के गठन पश्चात प्रत्येक वर्ष दिनांक २१ जून को विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में योग दिवस मुख्य समारोह आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मनाया जाना है। आपने कहा कि योग दिवस मनाने का उद्ेश्य है कि लोगों में योग के प्रति जागरूकता फैलाना तथा योगासन को अपनाकर स्वास्थ्य को हासिल करना है।
सरकार योग के प्रचार-प्रसार और विभिन्न रोगों के इलाज से इसके चिकित्सीय प्रभावों के गहन अध्ययन के साथ इसके माध्यम से एक प्रभावी चिकित्सा व्यवस्था खड़ी करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
योगासन ऐसी पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेष व्यय होता है और न इतनी साधन-सामग्री की आवश्यकता होती है। योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं। आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोडऩे और ऐंठने वाली क्रियायें करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियायें भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापिस मिल जाती है। शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्व है। योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है। योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बडिय़ां उत्पन्न नहीं होतीं। योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं। योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल व्यक्ति तंदरुस्त होता है।
योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास, सुघड़ता और गति, सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं। योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं और आत्मा-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं। योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं, अत: मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य, मिलता है। योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैं, हृदय और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं। योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इनमें शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है और वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं। आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं। आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल बाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगासन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।
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