त्वचा की तरह ही चमकती हुई स्वच्छ आखें भी अच्छे स्वास्थ्य की पहचान है। अगर आपकी सेहत खऱाब चल रही हो या आप भावनात्मक या शारीरिक रूप से दुखी महसूस कर रहे हों तो आपकी आंखें सुस्त और तनाव में नजऱ आने लगती हैं। कभी-न-कभी हर किसी की आंखों में तनाव होने की शिकायत होती है। इसके प्रमुख कारण प्रदूषण, कम रोशनी, देर तक कंप्यूटर पर काम करना, पोषण की कमी मानसिक तनाव आदि है। दूसरा है अपनी आंखों के बहुत नज़दीक लाकर किसी किताब या कागज़ को पढऩा। पढऩेवाली चीजें आखों से कम-से-कम दस इंच की दूरी पर रखें। खूबसूरत स्वस्थ आंखों की बुनियादी ज़रूरत है संतुलित खाना. खानपान और पोषण के अलावा आँखों की सेहत के लिए दूसरी जरुरी चीज है आँखों के लिए व्यायाम रोज़ाना सिर्फ कुछ मिनट हल्की फुलकी एक्सरसाइज करने से आँखों की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं और छोटी मोटी बीमारियाँ भी ठीक हो जाती है।
दूसरे महायुद्ध के ठीक बाद बेल्जियम के हज़ारों किसानों को एक अलग तरह की रतौंधी होने लगी। सर्दियां चल रही थीं इसलिए लोगो को भोजन में ताज़ा फल सब्जियां नहीं मिल रही थीं। डॉक्टर हैरान थे, क्योंकि उन पर न तो दवाइयों और न ही किसी इलाज का कोई असर हो रहा था। फिर बसंत ऋतु आई और भूखे किसानों को पेड़ो की हरी कलियां, हरी भरी फल सब्जियां और अन्य खाने पीने की वस्तुए भरपूर मात्रा में मिलने लगी जिससे उनकी रतौंधी गायब हो गई। यह पोषण की ज़बर्दस्त जीत थी। विटामिन-ए आखों के लिए मुख्य विटामिन है। यह मक्खन, सलाद, टमाटर, पनीर, दूध, शलजम के पत्तों और गाजर के रस में पाया जाता है जो आंखों को सुस्ती व थकावट से बचाता है।
भुजांगासन
भुजंगासन को कोबरा पोज भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है। लेकिन करते समय आपको इसकी सावधानियां के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।भुजंगासन कैसे करें
आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब अपने हथेली को कंधे के सीध में लाएं। दोनों पैरों के बीच की दुरी को कम करें और पैरों को सीधा एवं तना हुआ रखें। अब साँस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं। ध्यान रहे की कमर पर ज्यादा खिंचाव न आये। अपने हिसाब से इस आसान को बनाए रखें। योगाभ्यास को धारण करते समय धीरे धीरे स्वाँस लें और धीरे धीरे स्वाँस छोड़े। जब अपनी पहली अवस्था में आना हो तो गहरी स्वाँस छोडते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आएं। इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ। शुरुवाती दौर में इसे 3 से 4 बार करें। धीरे धीरे योग का धारण समय एवं चक्र की नंबर को बढ़ाएं।
No comments:
Post a Comment