Saturday, 23 July 2022

सबसे अधिक बरसात में प्रभावित करता है हेपेटाइटिस, इसलिए रहिए सतर्क

 हेपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, जिसका आतंक बरसात के मौसम में और अधिक बढ़ जाता है। इस मौसम में इस बीमारी से बचाव के लिए क्या करें, क्या नहीं...


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रिश के मौसम में कई बीमारियां होने की आशंका रहती है। हेपेटाइटिस इनमें प्रमुखता से शामिल है, जो काफी खतरनाक बीमारी है। यह एक वायरसजनित रोग है, जो आपके लिवर को नुकसान पहुंचाता है। अंतिम स्थिति में हेपेटाइटिस लिवर सिरोसिस और लीवर कैंस का कारण भी बनता है। हेपेटाइटिस को एड्स से भी ज्यादा घातक रोग माना जाता है। हेपेटाइटिस से मरने वालों की संख्या एड्स से मरने वालों की तुलना में 10 गुना अधिक बताई जाती है। भारत में हेपेटाइटिस के टीके उपलब्ध होने के बावजूद हर साल दो लाख से ज्यादा लोग हेपेटाइटिस की वजह से मरते हैं।

 बारिश में प्रभावित करने वाला हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस ए वायरल संक्रमण है, जो बारिश के कारण हुए संक्रमित भोजन अथवा पानी के सेवन से होता है। यह हमारे लीवर को प्रभावित करता है। हेपेटाइटिस ई बीमारी वैसे तो सालभर होती रहती है, लेकिन बरसात के मौसम में और बरसात खत्म होते ही इसका प्रकोप बहुत बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस ई से बचने का एकमात्र उपाय स्वस्छ पानी पीना है। अगर संभव हो तो पानी को फिल्टर करने के बाद भी उबालकर ही पीना चाहिए, ताकि हेपेटाइटिस ई के विषाणुणों से पूरी तरह बचाव हो सके।

हेपेटाइटिस के लक्षण

इसके लक्षणों में उल्टी, बुखार और पीलिया होना शामिल हैं। हेपेटाइटिस ए और ई के लक्षण 15 से 30 दिनों के भीतर दिखाई देने शुरू होते हैं। हेपेटाइटिस बी के लक्षण क्रमिक होते हैं। जी मिचलाना, भूख कम लगना, पेट के ऊपरी दाहिने भाग में दर्द होना, पेशाब का गाढ़ा पीले रंग का होना, कुछ रोगियों के मल का रंग पीला होना आदि प्रमुख हैं।

क्या है उपचार

आपको किस प्रकार का हेपेटाइटिस है, इस बात पर उपचार का विकल्प निर्धारित होता है। यह देखना होता है कि संक्रमण तीव्र है या फिर पुराना। हेपेटाइटिस ए और बी के अधिकतर मामलों में लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। जैसे बुखार के लिए अलग से दवा दी जाती है और पेट में दर्द के निवारण के लिए अलग से। जो रोगी क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं, उनका इलाज एंटी वायरल दवाओं (जिन्हें इंटरफेरन्स कहा जाता है) से किया जाता है। इस प्रकार लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर होने का जोखिम कम हो जाता है। हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी के कारण होने वाली लीवर की बीमारी की गंभीर अवस्था में लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र कारगर विकल्प होता है। हेपेटाइटिस डी का इलाज अल्फा इंटरफेरंस के इंजेक्शन से किया जाता है।

वैक्सीन पहले ही लगवाएं

हेपेटाइटिस ए और बी की रोकथाम के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। नवजात बच्चों को ये वैक्सीन लगवानी चाहिए। फिलहाल हेपेटाइटिस ई से बचाव के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

इनसे कैसे बचे रहें

बचाव के लिए पहले तो स्क्रीनिंग जरूरी है। एक साधारण खून की जांच से यह पता चल जाए कि आप इस संक्रमण से बचे हुए हैं। ऐसी स्थिति में कोई देरी किए बगैर टीका ले लें। खुद ही नहीं, परिवार के हर सदस्य को टीका लगवा दें, अगर वे सभी संक्रमण से बचे हुए हैं। आसपास का माहौल साफ-सुथरा रखें।

क्या खाए और क्या नहीं

  • आम, अंगूर, बादाम खाएं
  • गरम मसालेदार व भारी भोजन से बचें
  • शाकाहारी भोजन का सेवन करें
  • मैदा, पॉलिश्ड राइस व बहुत मात्रा में सरसों का तेल, डब्बाबंद खाद्य पदार्थ, हींग, मटर, पेस्ट्री, चॉकलेट, कोल्डड्रिंक के सेवन से बचें
  • गेहूं का आटा, आम, चावल, केले, टमाटर, आंवला, अंगूर, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची का सेवन करना चाहिए
  • अनावश्यक व्यायाम व तनाव की स्थित से बचें

एलर्जी व सांस रोग का होम्योपैथी में सटीक इलाज

 ज की भागदौड़ भरी जिंदगी और वातावरण में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर के कारण एलर्जी, सांस व आंखों के रोग से ग्रसित होना
आम बात है। ऐसे में होम्यपैथी चिकित्सा पद्धति में इन रोगों का पूर्ण इलाज ही नहीं, बल्कि इससे बचाव की भी दवाएं हैं। होम्यापैथी में इलाज जहां सबसे सस्ता है, वहीं यह पूरी तरह से सुरक्षित भी होता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

आज शहर में तेजी से प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। इससे कई प्रकार की समस्याएं हो रही हैं। इसमें श्वास की समस्या सबसे अधिक है। त्वचा और आंखों पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लगातार प्रदूषणयुक्त माहौल में रहने से पहले लोगों को एलर्जी की वजह से खांसी की समस्या हो जाती है। इसका शुरू में ही इलाज न करवाया जाय तो पहले गले के दोनों ओर के टांसिल बढ़ जाते हैं, जिससे लगातार जुकाम रहने लगता है। इससे नाक की हड्डी (एडोनाइड्स) बढ़ जाती है। इस दौरान भी इलाज न करवाया जाए तो यह सायनोसाइटिस में तब्दील हो जाती है। यही बढक़र गले और फेफड़े को संक्रमित कर देता है, जिससे मरीज ब्रोंकाइटिस और अस्थमा रोग का शिकार हो जाता है। इससे बचाव के लिए होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर मरीज को रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाली दवाइयां दी जाती हैं। ये दवाइयां शुरू में ही खांसी व सर्दी के दौरान शरीर की कोशिकाओं को टूटने से बचा लेती हैं। ज्यादातर लोग सर्दी व जुकाम को बहुत हल्के में

लेते हैं। अगर लगातार नाक बंद रहे, गला सूख जाए और अकारण थकान हो तो यह सामान्य सर्दी ही नहीं, साइनस भी हो सकता है। इसमें मरीज का पॉलिप्स भी बढ़ जाता है। इसमें मरीज को आर्सेनिक एलबम, एपिकॉप, लोबेलिया आदि दवाएं दी जाती हैं। सप्ताह में दो-तीन बार एस्थाइट को गर्म पानी में डालकर उसका भाप लेने या उसे पीने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

प्रदूषण से रहती है त्वचा रोग एक्जिमा होने की आशंका

प्रदूषण से त्वचा रोग एक्जिमा होने की आशंका रहती है। ऐसे में संवेदनशील त्वचा के लिए कई होम्योपैथिक औषधिया आरुम-ट्राइफआइलम, आरसेनिक्स व ग्रेफाइट्स प्रभावी होती हैं। सर्दी में एलोवेरा क्रीम भी फायदेमंद हैं। यह त्वचा को सुरक्षित रखने के साथ ही ड्राइनेस भी दूर करता है। प्रदूषण से आंखों को होने वाली समस्या को दूर रखने के लिए यूफ्रेशिया आइ ड्रॉप डालनी चाहिए। इससे आंखों में जलन व खुजली दूर करने के साथ ही साफ भी रखता है। फिर भी दवाएं लेने से पहले डॉक्टर का परामर्श अवश्य ले लें।


Tuesday, 19 July 2022

बालों में मेहंदी कब और कैसे लगाए

बालों में सफेदी आना एक प्राकृति प्रक्रिया है। लेकिन  उम्र से पहले यदि बाल सफेद होने लगते हैं तो इसे एक समस्या मानना चाहिए।


असमय सफेदी के कई कारण हो सकते हैं। शरीर में आवश्यतक पोषक तत्वों की कमी स्त्रियों में मुख्य रूप से रक्तल्पता, कोई बीमारी जो लंबे समय तक रही हो, कुछ ऐलोपैथी दवाइयों भी असमय सफेदी का कारण हो सकती है।

प्रायः लोग असयम सफेदी की स्थिति में बालों में मेहंदी लगाते हैं। मेहंदी कौनसी लें और इसमें कौन सी जड़ी-बूटियां डालें, इस बारे में कोई जानकारी नहीं होती। मेहंदी का मिश्रण यदि संतुलित न हो तो बालों में रुखापन आ सकता है अथवा सफेदी बढ़ भी सकती है।अक्सर लोग विभिन्न जड़ी-बूटियां उचित मात्रा का ध्यान रखे बिना अंदाज से डाल देते हैं। यह भी याद रखना जरूरी है कि जो जड़ी-बूटियां बाजार से ली जा रही हैं वे अधिक पुरानी न हों। जड़ी-बूटियों की भी एक्सपायरी डेट होती है लेकिन अभी हमारे देश में इस दिशा में अधिक शोध नहीं हुए हैं। बाजार में किराने की दुकानों में जड़ी-बूटियां कब से हैं इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती। इसी तरह घर में भी अधिक समय तक इन्हें नहीं रखा जा सकता। अक्सर बाजार में मिलने वाली काली मेहंदी को लोग सुरक्षित मान लेते हैं। यह हमेशा सुरिक्षत नहीं होती क्योंकि निर्माता अक्सर इसमें घातक रसायन मिलाते हैं।

 

  • बालों में मेहंदी लगाने के कुछ खास टिप्स

    • यदि आप बालों में मेजेंटा रंग देखना चाहते हैं तो गुड़हल के फूल क्रश करके डालें।
    • सर्दियों में मेहंदी लगाएं, तो मेहंदी पेस्ट में कुछ लौंग डाल दें। यह ठंड से बचाएंगी।
    • ठंड से ज्यादा परेशानी है तो आप मेहंदी में तेल, चाय पानी या कॉफी जरूर मिक्स करें। सूखा आंवला, शलजम जूस, दालचीनी, अखरोट, कॉफी कुछ ऐसे तत्व हैं, जिसे आप मेहंदी में मिक्स कर सकते हैं।
    • बालों में मेहंदी लगाने से पहले उसमें एक कपूर और एक चम्मच मेथी का पावडर मिला लें। ये बालों को असमय सफेद होने से बचाएंगे।
    • दो चम्मच संतरे के रस में दो चम्मच मेहंदी पाउडर मिलाएं और शैंपू करने के बाद बालों पर लगाएं तथा 10 मिनट बाद धो दें।
    • बालों को रंगने के लिए अगर मेहंदी का इस्तेमाल कर रही है तो उसमें दो चम्मच चाय का पानी मिला लें। बालों का रंग निखर जाएगा।
    • अगर आपको मेहंदी का इस्तेमाल करने के बाद भी बाल भूरे नहीं काले ही चाहिए तो काली मेहंदी लगाएं या कोई भी हेयर डाई लगाने के बाद मेहंदी के पानी इस्तेमाल बतौर कंडीशनर करें।
    • अगर आप लंबी बीमारी से उठी हैं और बाल बेतहाशा झड़ रहे हैं तो मेहंदी को गर्म पानी में घोल कर हर दो-तीन दिन में बालों की जड़ों में लगाएं, बालों का झड़ना कम हो जाएगा।

Thursday, 14 July 2022

लिवर हेल्दी रखना है तो खाएं लहसुन, हल्दी, पत्तेदार सब्जियां आदि

लिवर शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है, जो पित्त का निर्माण करती है। पित्त खाना पचाने में बहुत बड़ा योगदान करता है। यह हमारे शरीर में एक बार में 200 काम एक साथ कर सकता है। लिवर हमारे शरीर से गंदगी निकालने का भी काम करता है। यह ना केवल रक्त को साफ करने का काम करता है बल्कि स्वाभाविक रूप से हमारे शरीर द्वारा उत्पादित जहरीले रसायनों को तोड़ता भी है। यकृत मस्तिष्क को छोडक़र शरीर का सबसे जटिल और दूसरा सबसे बड़ा अंग हैं। आप यकृत के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं। यह एक ऐसा अंग है कि यदि आप अपने लिवर की उचित तरीके से देखभाल नहीं करते है, तो उसे आसानी से नुकसान पहुँच सकता है। अगर अपने लिवर को हेल्दी रखना है तो अपने खाने-पीने पर विशेष ध्यान देना होगा। युवाओं में जंक फूड और शराब जैसी लतों का सेवन बढ़ता चला जा रहा है जिससे उनका लिवर कम उम्र में ही खराब हो रहा है। हम बताते हैं आपके लिवर के लिए कौन-कौन से फूड अच्छे होते हैं।

हरी पत्तेदार सब्जियां

यह लिवर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में काफी मददगार साबित होती हैं। इसमें मौजूद क्लोरोफिल तत्व लिवर में खतरनाक रसायनों के प्रभावों को कम करता है। सब्जियां जैसे, पालक, पत्तागोभी, करेला आदि पित्त संश्लेषण के लिए बेहद फायदेमंद हैं।

लहसुन

लहसुन में काफी पोषण होता है जो कि लिवर को साफ करने में मदद करता है। यह लिवर में इंजाइम बनाता है जिससे वह पौष्टिक तत्वों को ग्रहण कर सके और गंदे पदार्थों को बाहर निकाल सके।

हल्दी

रसोई में हल्दी का बड़ा ही महत्व है। यह लिवर को साफ रखने में काफी मदद करती है। यह लिवर के क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में भी सहायक है। अगर आपको इसका सेवन करना है तो 1/4 चम्मच हल्दी पावडर एक गिलास पानी में मिलाइए और इसे उबाल लीजिए। इस हल्दी वाले पानी को कुछ हफ्ते तक रोज दिन में दो बार पिएं। इसके साथ ही हल्दी का प्रयोग अपने खाने में करते रहें।

सेब

सेब में पेक्टिन काफी मात्रा में होता है जो कि पाचन प्रणाली एंव कोलेस्ट्रॉल को दूर करता है। यह लिवर को ज्यादा काम करने से बचाता है। सेब में मैलिक एसिड भी होता है जो कि खून से कार्सिनोजन को दूर रखता है। आपको रोजाना एक सेब का सेवन करना चाहिए।

ऑलिव ऑयल

ऑलिव ऑयल लिवर और हृदय को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है। एक चम्मच ऑलिव ऑयल का नियमित सेवन करने से लिवर एंजाइम और वसा कोशिकाएं बेहतर होती हैं और लिवर में रक्त का प्रवाह भी ठीक तरह से होता है।

अदरक

अदरक में एंटी वायरल, एंटी माइक्रोबियल और एंटी इंफ्लैमेटरी गुण पाया जाता है। यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाकर लिवर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और धमनियों में प्रवाह को ठीक रखने के साथ ही ब्लड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी ठीक रखता है।

चुकंदर

चुकंदर, रक्त बनाने के साथ-साथ लिवर के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। इसमें भरपूर मात्रा में फ्लैवोनॉयड्स और बीटा-कारोटीन होता है जिससे लिवर अच्छी तरह काम करता है।

नींबू

नींबू में कई गुण होते हैं, जो पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होता है लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट डी लिमोनेन भी होता है जो शरीर में अच्छे एंजाइम्स को एक्टिव कर देता है।

ग्रीन टी

हर दिन ग्रीन टी पीने से शरीर की विषाक्तता समाप्त हो जाती है, यानि सारे टॉक्सिन निकल जाते हैं। ऐसे में अपने आप लिवर का काम कम हो जाता है।

आंतरिक मोटापा वास्तव में होता है खतरनाक


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तरिक मोटापा आपके आंतरिक अंगों के पास होता है जिसे आप देख नहीं सकते लेकिन वास्तव में यह बहुत खतरनाक होता है। त्वचा के नीचे का मोटापा आपकी त्वचा के नीचे होता है जो कि आपको पूर्णतया दिखाई देता है। आंतरिक मोटापा आपके पेट को मोटा कर देता है और यदि आपमें दूसरे प्रकार का मोटापा भी होता है तो आपका पेट और मोटा हो जाता है और यह तोंद जैसा दिखाई देने लगता है।

ऐसे कई कारण हैं जिनसे नाभि के नीचे का मोटापा या तोंद बढ़ती है। गर्भावस्था के दौरान खास तौर पर ये मोटापा बढ़ता है जिसे कि गर्भावस्था के बाद कम करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए हम आपके लिए लाए हैं पेट के मोटापे से संबंधित कुछ तथ्य और सुझाव-

ताजा फल और ताजा पका हुआ खाना खाएं

ध्यान रखें जब आप फल खाएं तो ताजा ही खाएं इन्हें ज्यादा देर तक फ्रिज में नहीं रखें। वहीं आप कोशिश करें कि आपके खाने में कृत्रिम परिरक्षक शामिल ना हों और प्रसंस्कृत खाद्य पादर्थाों से परहेज करें।

मौसमी सब्जियां

मौसमी सब्जियां और फल ना केवल आपके शरीर के लिए अच्छे होते हैं बल्कि ये आहार में भी परिवर्तन लाते हैं। एक ही प्रकार का खाना रोजाना ना खाएं क्योंकि शरीर के लिए सही नहीं है और ज्यादा भी नहीं खाएं।

पार्क में भ्रमण करें

आपके शरीर को सामन्य होने में थोड़ा समय लगता है इसलिए अपने व्यायाम की शुरुआत पार्क में तेज वाक से करें। किसी भी विशेष व्यायाम या आहर को शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

योग-प्राणायम

प्राणायम जैसे योगासन आपको जल्द वजन कम करने में मदद करेंगे। योग क्लासेस में शामिल हों और सामान्य योग से शुरुआत करें। यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।

भोजन को चबाकर खाएं

भोजन को चबा कर खाना बहुत जरूरी है इससे आपके मुह की एक्सरसाइज भी हो जाती है।

रक्त संचार और एकाग्रता को बढ़ाता है सुखासन

 लोगों में आजकल जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं जैसे मोटापा, डायबिटीज, दिल की बीमारियां आदि। इसका मुख्य कारण अनियमित जीवनशैली और अस्वस्थ खान-पान है। योग के द्वारा इन बीमारियों से आसानी से बचाव किया जा सकता है। अगर आप योग का नियमित अभ्यास करते हैं, तो इससे आपका शरीर लचीला होता है और शरीर में रक्त संचार ठीक रहता है। आमतौर पर रक्त संचार की अनियमितता और शरीर में जमा फैट ही जीवनशैली से जुड़ी सभी बीमारियों के मूल में हैं। इसलिए हम आपको बता रहे हैं एक ऐसा योगासन जिससे आपके शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहेगा और एकाग्रता भी बढ़ेगी। जैसा की नाम से इंगित हो रहा है कि बैठ कर किये जाने वाले योग में सुखासन सबसे आसान योग है। सुखासन का शाब्दिक अर्थ ही है सुख देने वाला आसन यानि इस आसन को करने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से आपको सुख और शांति का अनुभव होता है। सुखासन को आराम से बैठकर किया जाता है इसलिए इसे बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी कर सकते हैं। आइये आपको बताते हैं कि किस तरह आप इस आसान योगासन को रोजाना अपने घर पर ही कर सकते हैं।

कैसे करें सुखासन

  • सुखासन करने के लिए सबसे पहले एक शांत और ताजी हवा वाली जगह जैसे पार्क या छत आदि को चुनें।
  • जमीन को साफ करके इस पर चटाई या दरी बिछा लें। अब आप जमीन पर पैर मोड़ कर आराम से बैठ जाइए।
  • दोनों हाथों की हथेलियों को खोल कर एक-के ऊपर एक रख दीजिए।
  • इस आसन को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर के बैठें। इस बात पर ध्यान दें कि आप अधिक झुके हुए न हों।
  • अपने कंधों को ढीला छोड़ते हुए अपनी सांस को पहले अंदर की ओर लें फिर बाहर की ओर छोड़ें।
  • अपनी हथेलियों को एक के ऊपर एक करके अपनी पालथी के ऊपर रखें।
  • अपने सिर को ऊपर उठाते हुए अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें।
  • अपना पूरा ध्यान अपनी श्वास क्रिया पर लगाते हुए सांस लंबी और गहरी लें।
  • अगर आप इसे पहली बार कर रहे हो, तो आपको कठनाई महसूस हो सकती है। आप किसी दीवार का सहारा लेकर इसको कर सकते हो।
  • सुखासन से पैरों का रक्त संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है।

सुखासन करने से क्या होते हैं फायदे

  • सुखासन से मानसिक सुख और शांति का अनुभव होता है।
  • सुखासन चिंता, अवसाद और क्रोध को दूर करता है।
  • ये आसन मन की चंचलता को कम करता है और चित्त को शांत करता है।
  • सुखासन से रीढ़ की हड्डियों में होने वाले रोगों से राहत मिलती है।
  • ये आसन पूरे शरीर में रक्त संचार बढ़ा देता है सिवाय पैर के।
  • सुखासन से स्मृति अच्छी होती है और एकाग्रता बढ़ती है।
  • सुखासन से मानसिक रोगों का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।
सुखासन में सावधानियां

अगर आपको घुटनों में दर्द की समस्या है, तो आपको इस आसन को नहीं करना चाहिए या किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही करना चाहिए वर्ना घुटनों में सूजन की समस्या हो सकती है और दर्द बढ़ सकता है। इसके अलावा ध्यान दें कि अगर आपको रीढ़ में किसी तरह की पुरानी चोट है तो इस आसन में ज्यादा देर न बैठें और किसी दीवार का सहारा लेकर भी इस योगासन को कर सकते हैं।

Saturday, 9 July 2022

आज की भागदौड़ में शरीर के लिए समय निकालना मुश्किल है लेकिन स्लिम-ट्रिम रहना है तो लिजिए 8 घंटे की नींद

ज की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल और उसमें वार्मअप व एक्सरसाइज के लिए समय न मिलने से कई लोग मोटापे का समस्या से दो-चार


होने लगते हैं। तो कुछ लोग नियमित व्यायाम व अन्य तरीके अपनाकर खुद को स्लिम-ट्रिम रखने के प्रयास करते हैं। लेकिन क्या आप दुबले होना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ खास करने की जरूरत नहीं बस रोजाना 8 घंटे की नींद लीजिए और बने रहिए छरहरे। एक अध्ययन के अनुसार दुबले बने रहने का यह सबसे आसान तरीका है। दी डेली टेलीग्राफ में प्रकाशित खबर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं के समूह ने एक अध्ययन में पाया है कि नियमित तौर पर 6 घंटे से कम या फिर 9 घंटों से ज्यादा नींद लेने वाले लोगों का वजन उन लोगों की तुलना में अधिक हो जाता है जो रोज 7 से 8 घंटे सोते हैं। अध्ययन के अनुसार नींद की अवधि शरीर में मौजूद हार्मोन्स को प्रभावित करती है। यही वजह है कि कम या ज्यादा नींद का असर व्यक्ति के वजन पर पड़ता है। अनुसंधानकर्ता के अनुसार इस अध्ययन से इस बात का सबूत मिल गया है कि कम या ज्यादा सोने से भविष्य में शरीर पर चर्बी जमा होने की संभावना बढ़ जाती है। यह अध्ययन वयस्कों के लिए है। इस अध्ययन में वातावरण कारकों को आवश्यक रूप से शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि वजन के कम या ज्यादा होने में इनका भी योगदान रहता है। चूंकि मोटापे को रोका जाना बेहद जरुरी है, इसलिए नींद की अवधि के साथ व्यायाम करने और पोषक आहार के प्रति लोगों का रूझान बढ़ाने की भी जरूरत है।

21 से 64 वर्ष आयुवर्ग के 276 वयस्कों की नींद की आदतों का 6 साल तक अध्ययन करने के बाद अनुसंधानकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि पर्याप्त नींद नहीं लेने वाले लोगों का वजन उन लोगों की तुलना में 2 किलो अधिक हो गया जो लोग 7 से 8 घंटे की नींद लेते थे। इस अवधि से अधिक सोने वालों का वजन भी आदर्श अवधि की नींद लेने वालों की तुलना में 1.58 किलो बढ़ गया था। आदर्श अवधि की नींद लेने वालों की तुलना में कम सोने वाले 27 प्रतिशत अधिक मोटे हो गए थे और ज्यादा सोने वाले 21 प्रतिशत अधिक मोटे हो गए थे। बहुत ही कम नींद लेने वाले लोगों की स्थिति तो और भी खराब थी। 6 सालों में उनका वजन 5 किलो तक बढ़ गया। बहुत ही ज्यादा सोने वालों का भी वजन 6 साल में 5 किलो बढ़ गया।

दूध में नमी और खूब सारा पोषण जो चेहरे को नम बनाते हैं

दूध को शरीर या चेहरे पर मॉइस्चराइजर के तौर पर भी प्रयोग किया जा सकता है। दूध में नमी और खूब सारा पोषण होने की वजह से चेहरा


और बॉडी चमकदार बन जाते हैं और उनमें नमी आ जाती है। बाजार में बिकने वाली कॉस्मेटिक ना प्रयोग कर के आप कुछ प्राकृतिक सामग्रियों जैसे दूध और मलाई का प्रयोग करें।

सर्दियों में त्वचा को निखारने के लिए शहद और दूध के लेप से आपको लाभ जल्द ही देखने को मिलेगा। दूध को मॉइस्चराइज के तौर पर इस्तेमाल करने से किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती। दूध के अलावा आप दही या मलाई का भी प्रयोग कर अपने चेहरे को खूबसूरत बना सकती हैं। आइये जानते हैं कि चेहरे को चमकदार और नमी से भरने के लिए दूध का प्रयोग कैसे किया जा सकता है। चेहरे को धोने के लिये एक चम्मच दूध से अपने चेहरे की मसाज करें। उसके बाद साफ पानी से चेहरा धो लें। इससे चेहरा मॉइस्चराइज हो जाता है। ऐसा तब करें जब आप नहाने जा रही हों। यदि चाहें तो दूध में अन्य सामग्रियां मिक्स कर सकती हैं। इसके अलावा आप फेस पैक में भी दूध का इस्तेमाल कर सकती हैं।

कच्चे दूध का प्रयोग

अगर कच्चा दूध थोड़ा क्रीमी होगा तो यह आपके लिये अच्छा है। इसे उबाले नहीं। एक साफ कपड़ा लें और उसे कच्चे दूध के कटोरे में डुबोएं। फिर इससे चेहरे को हल्के हाथ से पोछें। 15 मिनट तक इसे ऐसे ही रहने दें। इसके बाद चेहरे को उसी कपड़े से स्क्रब करें। फिर चेहरा धो लें। इससे आपकी त्वचा मुलायम हो जाएगी और चेहरा साफ दिखने लगेगा।

शरीर पर दूध का स्पर्श

आप दूध को अपने शरीर पर मॉइस्चराइजर के तौर पर भी प्रयोग कर सकती हैं। इसे हफ्ते में एक बार जरुर उपयोग करें। आपको दूध से नहाने की जरुरत नहीं है। केवल एक कपड़े को दूध से भरे कटोरे में भिगोएं और उससे अपने पूरे शरीर को स्क्रब करें। ऐसा लगातार कुछ दिनों तक करने से आपकी बॉडी में चमक आ जाएगी।

नोट: अगर आपको दूध से एलर्जी या परेशानी होने लगे तो अच्छा होगा कि आप बताए गए प्रयोगों को ना करें।

Friday, 8 July 2022

50 के बाद भी बना रहे 25 साल वाला जोश, इसलिए सेहत का रखे ख्याल


म हमेशा स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं। 40-50 साल की उम्र तक हम प्राय: ऐसा जीवन जी भी लेते हैं। लेकिन 50 के बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, हमारी मुश्किलें भी बढ़ती जाती हैं। इसकी मुख्य वजह होती है समय पर सेहत का पूरा खयाल न रखना। हम बुढ़ापे को भी स्वस्थ और खुशहाल कैसे बना सकते हैं। जैसे कुछ बुनियादी बातों को ध्यान में रखे तो हम भी स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रख सकते है।

सब सब्जियां खाइये पौष्टिक खाने को नजरअंदाज करने का सीधा मतलब भविष्य की बीमारियों को दावत देना है। इसलिए अपने आहार में हरी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। साथ ही आपने आहार में मौसमी फलों को भी शामिल करें।

टहलिये रोज़

सुबह टहलेटहलने से आपका ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है। चाहे तो आप अपने कुत्ते के साथ या आपने पोते या पोती के साथ सुबह टहल सकते हैं।

समय से सोएं

अगर आपको स्वस्थ रहना हैतो नींद पूरी करना जरूरी है। नींद हमारी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैक्योंकि नींद हमारे मन-मस्तिष्क पर असर डालती है। नींद  होने पर चिड़चिड़ाहट पैदा होती है और जल्दी गुस्सा आता है। नींद पूरी  होने का असर दिमाग पर पड़ता है।

नियमित डॉक्टर से जाँच करवाए

स्वस्थ रहने के लिए आप नियमित डॉक्टर से जाँच करवाए ताकि आप कोलेस्ट्रॉलब्लड प्रेशरमधुमेह और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बिमारियों से बचे रहे। इसके अलावा कुछ सीजऩल बीमारी जैसे फ्लूनिमोनियाकाली खांसीडिप्थीरिया और टिटेनस की वैक्सीन के बारे में आपने डॉक्टर से जरुर बात करे।

आपनी बुरी आदतों को कम करें

अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शराब पीना कम करे। आप (अपने डॉक्टर से सलाह लेपूरी तरह से शराब  छोड़ के कम मात्रा में पिए। शराब के साथ ही आप तंबाकू के इस्तेमाल को भी बंद करे क्यों की यह भी आप की सेहत के लिए नुकसान देह है।

सामाजिक बनें

मेट्रो शहर में रह कर एकाकी जीवन जीने वाले युवा अक्सर नशे और मानसिक रोगों का शिकार होते हैं। इसलिए अपनी परेशानियां दूसरों से शेयर करें और आपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताए।

बूस्ट योर ब्रेन पॉवर

स्वस्थ रहने के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरुरी है। अपने मस्तिष्क को मजबूत करने के लिए आपको अपने दिमाग को शांत रखना बहुत जरुरी है। ऐसा करने के तरीकेकोई किताब पढ़ेफिल्म देखेंचेकर्सशतरंज और स्क्रैबल जैसे खेल खेले।

बाहर समय बिताएं

ताजी हवा में सांस लेने और सूरज की किरणों का आनंद लेने से आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। 15 से 20 मिनट सूरज की रोशनी में समय बिताने से आपको विटामिन-डी मिलता है। सुबह सूरज की रोशनी हमारे मूड को अच्छा कर देती है और हम पूरे दिन तरो ताज़ा महसूस करते हैं।

अपने साथी के साथ समय बिताएं

स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के लिए अच्छा सेक्स होना भी जरुरी है। सेक्सुअल नीड्स एक स्वस्थ जीवन के लिए अच्छा होता है क्योंकि इससे आपका शारीरिकमानसिक और भावनात्मक विकास होता है।

आशावादी बनें

अपने बारे में अच्छा महसूस करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है आपने बारे में अच्छा सोचे। आशावादी बनोचीजों को सकारात्मक रखने के लिए आपने बारे में अच्छा सोचना बहुत जरुरी है क्योंकि इससे आपके आत्म विश्वास को बल मिलेगा।