- धार, बड़वानी, खरगोन व खंडवा सहित 14 जिले हैं शामिल
इंदौर। मप्र के 16 जिलों में सिकलसेल बीमारी ने पैर पसार लिए हैं। इनमें 8 जिले तो रेड जोन में आ गए हैं। आलीराजपुर व झाबुआ में पहले ही इस बीमारी के खात्मे के लिए पायलेट प्रोजेक्ट चलाया जा रह है। अब 14
जिलों में हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन पर विस्तर कर इसे खत्म करने के प्रयास शुरू किए गए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मइशन (एनएचएम) और इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ ( एनआईआरटीएच) ने जनजातीय बाहुल्य इन जिलों में सिकलसेल बीमारी की रोथथाम के लिए हीमोग्लोबिनापैथी मिशन के तहत बड़ी कार्ययोजना तैयार की है। वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही स्वास्थ्यकर्मी घर-घर पहुंचकर सिकलसेल बीमारी के मरीजों की खोज करेंगे। डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड भी तैयार कराया जा रहा है।
देश में सिकलसेल मरीजों की औसत उम्र 40-45 साल
हीमोग्लोबिनोपैथी
मिशन में जबलपुर, धार, बड़वानी, छिंदवाड़ा, खरगोन, बैतूल, मंडला, शहडोल, डिंडौरी,
सिंगरौली, अनूपपुर, सीधी, खंडवा और उमरिया को शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि आइसीएमआर जबलुपर के
सर्वे अनुसार आदिवासी समुदाय में सिकलसेल रोग पांच से 33 प्रतिशत तक में पाया गया
है। देश में सिकलसेल मरीजों की औसत उम्र 40-45 साल है। जबलपुर संभाग के
क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. संजय मिश्रा के अनुसार सिकलसेल की रोकथाम
और मरीजों के इलाज के लिए शासन ने वृहद कार्ययोजना तैयार की है। जनसमुदाय में बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के साथ
स्क्रीनिंग, काउंसिलिंग, उपचार पर जो दिया जा रहा है।
आलीराजपुर व झाबुआ में सिकलसेल के सर्वाधिक 30 हजार से ज्यादा मरीज मिले
जबलपुर, धार, बड़वानी, छिंदवाड़ा, खरगोन, बैतूल, मंडला, शहडोल,
डिंडौरी, सिंगरौली, अनूपपुर, सीधी, खंडवा, उमरिया, आलीराजपुर और झाबुआ में सिकललेस
के मरीज सामने आ रहे हैं। आलीराजपुर, बैतूल, शहडोल,
मंडला, छिंदवाड़ा, बड़वानी, धार तथा झाबुआ ज्यादा प्रभावित जिलों की श्रेणी में आ चुके हैं। वहीं आलरीराजपुर व झाबुआ में सिकल सेल
के सर्वाधिक 30 हजार से ज्यादा मरीज मिल हैं।
जानिए कैसे होगा उपचार व प्रबंधन
औषधियां-
मरीजों को हाइड्रोक्सीयूरिया, फोलिक एसिड, दर्द निवारक दवाएं, एंटीबायोटिक्स दी
जाएगी।
सुरक्षित रक्तदान- आवश्यकता पड़ने पर खून चढ़ाने में विशेष सावधानी बरती जाएगी।
टीकाकरण - थैलीसीमिया और सिकलसेल के मरीजों को हेपेटाइटिस-बी का टीका लगाया जाएगा। पांच
साल से कम उम्र के बच्चों को तथा प्रत्येक पांच वर्ष में न्यूमोकोकल कंजुगेट
वैक्सी (पीसीवी) लगाई जाएगी।
बोन मेरो प्रत्यारोपण – मरीजों को जरूरत होने पर बोन मेरो ट्रांसप्लांट में सहायता की जाएगी।
No comments:
Post a Comment