आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में 80% लोग डिप्रेशन में रहते हैं। जब यह तनाव या डिप्रेशन बहुत अधिक
बढ़ जाता है तो इंसान बहुत निराश हो जाता है। कई बार आत्महत्या का विचार भी मन में आने लगता है। आखिर ये डिप्रेशन होता क्या है, इसे जानें, पहचानें और ऐसे ठीक करें।
आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि आज मूड नहीं है या आज मूड खराब है लेकिन यह मूड होता क्या है? जब किसी व्यक्ति के व्यवहार में कोई परिवर्तन आता है तो उसे मूड या मनोदशा कहते हैं और जब इन मनोभावों या मनोदशा में किसी प्रकार का विकार आ जाता हैं तो उसे डिप्रेशन कहते हैं। इस प्रकार से कह सकते हैं कि डिप्रेशन इंसान के मनोभावों या मनोदशा का एक प्रकार का विकार होता हैं।
क्यों होता हैं डिप्रेशन
- जब ब्रेन के कुछ निश्चित केमिकल जैसे सेरोटीन, नोर-एपिनेफ्रीन और डोपामिन का संतुलन बिगड़ जाए।
- कुछ बीमारियां जैसे टायफाइड, इन्फ्लुएंजा आदि बीमारियां मूड को बदल देती हैं। एक हँसता खेलता बच्चा बीमारी के कारण चिड़चिड़ा, अधीर, क्रोधित, भययुक्त या उदास हो जाता है। इसी प्रकार से दुख, डर, गुस्सा, निराशा भी मूड को बदल देते हैं और इंसान मूडी हो जाता है और अपनी भावनाओं और व्यवहार का संतुलन खो देता है।
- अनुवांशिक कारण भी होते हैं। अक्सर माता-पिता के नर्वस सिस्टम के असंतुलन होने के कारण बच्चा भी मूडी हो जाता है। माँ में हताशा या निराशा के भाव होने पर उसका असर बच्चों पर भी होता है।
- कुछ केमिकल ड्रग्स भी शरीर में असंतुलन पैदा करते हैं।
- कई बार वातावरण भी मूड को चेंज करने में एक अहम भूमिका निभाता है।
- हार्मोन्स की गड़बड़ी भी मूड चेंज होने का एक कारण है। थायरॉइड, पिट्यूटरी, एड्रिनल तथा दूसरी ग्लेंड्स से स्त्रावित होने वाले हार्मोन्स की गड़बड़ी के कारण एक अच्छा भला इंसान मूडी हो जाता है।
इसके अलावा भी डिप्रेशन के कई कारण हैं जैसे आर्थिक समस्या, नौकरी या पढाई से संबधित समस्या, पारिवारिक समस्या, रिलेशनशिप्स में समस्या, सेक्सचुअल प्रॉब्लम्स और शारीरिक कमजोरी।
डिप्रेशन के लक्षण
- निराशा और असहाय महसूस करना चिड़चिड़ाहट होना
- रोज के कार्यो में मन न लगना
- अकेलापन महसूस होना
- एकाग्रता की कमी होना
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना
- नींद न आना या अत्याधिक नींद आना डर लगना
- मन में हीनभावना आना या गिल्टी फील होना
- अकेले में रोना
- भूख-प्यास काम हो जाना या बहुत बढ़ जाना
- अकेले रहना चाहे
- मन में आत्महत्या के विचार आए
डिप्रेशन और होम्योपैथी
होम्योपैथिक दवायें मन पर बहुत अच्छा असर करती हैं और होम्योपैथिक में डिप्रेशन की बहुत सारी दवाएं हैं जो डिप्रेशन के कारण को पूरी तरह दूर करती हैं। दवा का चुनाव रोग के कारण पर निर्भर करता है। अत: खुद अपना इलाज करने का प्रयास न करे बल्कि किसी चिकित्सक से ही परामर्श लें और उसी के अनुसार दवा का सेवन करें।
आर्स-अल्ब: मरने का डर, मरीज सोचता है कि दवा खाना बेकार है, अकेले रहने से डर लगता है, भूत-प्रेत दिखने की बातें करे या आत्महत्या करने की प्रबल इच्छा हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
औरम-मेट: जिंदगी से निराश, आत्महत्या करने की बार-बार कोशिश करे या आत्महत्या के विचार अक्सर मन में आएं, नींद न आएं, लड़ाई झगड़े के सपने बार बार देखे और नींद में रोए तो यह दवा उपयोगी होती है।
एसिड-फॉस: व्यक्ति प्रेम मे असफलता के कारण डिप्रेशन, किसी भी चीज में कोई रुचि न रहना, मानसिक रूप से थका हुआ, हमेशा चिंतित सा रहता है तो यह दवा उपयोगी होती है।
नेट-म्यूर : लड़ाई झगड़े या गुस्से के दुष्प्रभाव के कारण डिप्रेशन, अकेले में मरीज रोना चाहता है, चिड़चिड़ा हो जाता है. आर्थिक कारण के वजह से डिप्रेशन या फिर कुछ क्रोनिक बीमारियो के कारण हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
नक्स-वोमिका : अत्याधिक चिड़चिड़ा, पढ़ाई या नौकरी के कारण चिड़चिड़ापन। रात को 3 बजे के बाद सो न सकने वाला, नर्वसनेस के साथ-साथ कब्ज की भी शिकायत रहे और रोगी को किसी भी प्रकार की आवाज, गंध या रोशनी सहन नहीं होती हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
स्टेफिसेग्रिया: किसी के द्वारा अपमान किए जाने को मन में रख लेने के कारण तनाव या डिप्रेशन हो, लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं यही सोच- सोचकर डिप्रेशन हो रहा हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
अर्जेन्टम : मानसिक और शारीरिक रूप से खुद पर काबू ना रह पाए, हमेशा डरा हुआ और नर्वस रहे, डरावने सपने दिखें खासकर के सांप के, एग्जाम देने में डर लगे, आत्मविश्वास की कमी हो और अपने आसपास तरह-तरह की वस्तुओं का आभास हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अत: बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें।