Tuesday, 26 April 2022

होम्योपैथी दूर कर सकती है डिप्रेशन भी

ज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में 80% लोग डिप्रेशन में रहते हैं। जब यह तनाव या डिप्रेशन बहुत अधिक


बढ़ जाता है तो इंसान बहुत निराश हो जाता है। कई बार आत्महत्या का विचार भी मन में आने लगता है। आखिर ये डिप्रेशन होता क्या है, इसे जानें, पहचानें और ऐसे ठीक करें।

आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि आज मूड नहीं है या आज मूड खराब है लेकिन यह मूड होता क्या है? जब किसी व्यक्ति के व्यवहार में कोई परिवर्तन आता है तो उसे मूड या मनोदशा कहते हैं और जब इन मनोभावों या मनोदशा में किसी प्रकार का विकार आ जाता हैं तो उसे डिप्रेशन कहते हैं। इस प्रकार से कह सकते हैं कि डिप्रेशन इंसान के मनोभावों या मनोदशा का एक प्रकार का विकार होता हैं।

क्यों होता हैं डिप्रेशन

  • जब ब्रेन के कुछ निश्चित केमिकल जैसे सेरोटीन, नोर-एपिनेफ्रीन और डोपामिन का संतुलन बिगड़ जाए।
  • कुछ बीमारियां जैसे टायफाइड, इन्फ्लुएंजा आदि बीमारियां मूड को बदल देती हैं। एक हँसता खेलता बच्चा बीमारी के कारण चिड़चिड़ा, अधीर, क्रोधित, भययुक्त या उदास हो जाता है। इसी प्रकार से दुख, डर, गुस्सा, निराशा भी मूड को बदल देते हैं और इंसान मूडी हो जाता है और अपनी भावनाओं और व्यवहार का संतुलन खो देता है।
  • अनुवांशिक कारण भी होते हैं। अक्सर माता-पिता के नर्वस सिस्टम के असंतुलन होने के कारण बच्चा भी मूडी हो जाता है। माँ में हताशा या निराशा के भाव होने पर उसका असर बच्चों पर भी होता है।
  • कुछ केमिकल ड्रग्स भी शरीर में असंतुलन पैदा करते हैं।
  • कई बार वातावरण भी मूड को चेंज करने में एक अहम भूमिका निभाता है।
  • हार्मोन्स की गड़बड़ी भी मूड चेंज होने का एक कारण है। थायरॉइड, पिट्यूटरी, एड्रिनल तथा दूसरी ग्लेंड्स से स्त्रावित होने वाले हार्मोन्स की गड़बड़ी के कारण एक अच्छा भला इंसान मूडी हो जाता है।

इसके अलावा भी डिप्रेशन के कई कारण हैं जैसे आर्थिक समस्या, नौकरी या पढाई से संबधित समस्या, पारिवारिक समस्या, रिलेशनशिप्स में समस्या, से€क्सचुअल प्रॉŽब्लम्स और शारीरिक कमजोरी।

डिप्रेशन के लक्षण

  • निराशा और असहाय महसूस करना चिड़चिड़ाहट होना
  • रोज के कार्यो में मन न लगना
  • अकेलापन महसूस होना
  • एकाग्रता की कमी होना
  • छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना
  • नींद न आना या अत्याधिक नींद आना डर लगना
  • मन में हीनभावना आना या गिल्टी फील होना
  • अकेले में रोना
  • भूख-प्यास काम हो जाना या बहुत बढ़ जाना
  • अकेले रहना चाहे
  • मन में आत्महत्या के विचार आए

डिप्रेशन और होम्योपैथी

होम्योपैथिक दवायें मन पर बहुत अच्छा असर करती हैं और होम्योपैथिक में डिप्रेशन की बहुत सारी दवाएं हैं जो डिप्रेशन के कारण को पूरी तरह दूर करती हैं। दवा का चुनाव रोग के कारण पर निर्भर करता है। अत: खुद अपना इलाज करने का प्रयास न करे बल्कि किसी चिकित्सक से ही परामर्श लें और उसी के अनुसार दवा का सेवन करें।

आर्स-अल्ब: मरने का डर, मरीज सोचता है कि दवा खाना बेकार है, अकेले रहने से डर लगता है, भूत-प्रेत दिखने की बातें करे या आत्महत्या करने की प्रबल इच्छा हो तो यह दवा उपयोगी होती है।

औरम-मेट: जिंदगी से निराश, आत्महत्या करने की बार-बार कोशिश करे या आत्महत्या के विचार अक्सर मन में आएं, नींद न आएं, लड़ाई झगड़े के सपने बार बार देखे और नींद में रोए तो यह दवा उपयोगी होती है।

एसिड-फॉस: व्यक्ति प्रेम मे असफलता के कारण डिप्रेशन, किसी भी चीज में कोई रुचि न रहना, मानसिक रूप से थका हुआ, हमेशा चिंतित सा रहता है तो यह दवा उपयोगी होती है।

नेट-म्यूर : लड़ाई झगड़े या गुस्से के दुष्प्रभाव के कारण डिप्रेशन, अकेले में मरीज रोना चाहता है, चिड़चिड़ा हो जाता है. आर्थिक कारण के वजह से डिप्रेशन या फिर कुछ क्रोनिक बीमारियो के कारण हो तो यह दवा उपयोगी होती है।

नक्स-वोमिका : अत्याधिक चिड़चिड़ा, पढ़ाई या नौकरी के कारण चिड़चिड़ापन। रात को 3 बजे के बाद सो न सकने वाला, नर्वसनेस के साथ-साथ कब्ज की भी शिकायत रहे और रोगी को किसी भी प्रकार की आवाज, गंध या रोशनी सहन नहीं होती हो तो यह दवा उपयोगी होती है।

स्टेफिसेग्रिया: किसी के द्वारा अपमान किए जाने को मन में रख लेने के कारण तनाव या डिप्रेशन हो, लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं यही सोच- सोचकर डिप्रेशन हो रहा हो तो यह दवा उपयोगी होती है।

अर्जेन्टम : मानसिक और शारीरिक रूप से खुद पर काबू ना रह पाए, हमेशा डरा हुआ और नर्वस रहे, डरावने सपने दिखें खासकर के सांप के, एग्जाम देने में डर लगे, आत्मविश्वास की कमी हो और अपने आसपास तरह-तरह की वस्तुओं का आभास हो तो यह दवा उपयोगी होती है।

होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अत: बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें।

गर्मी के मौसम में सेहत से जुड़े मिथ

पमान बढ़ रहा है। और साथ ही आपके लिए सेहतमंद रहने की चुनौतियों में भी इजाफा हो रहा है। गर्मी के  नों में ठंडा रहने के आसान तरीके कौन से हैं। क्या, मीठे पेय पदार्थ और मक्खन गर्मियों में आपकी तकलीफ को कम कर सकते हैं। चलिये जानते हैं गर्मियों से जुड़े कुछ मिथ और उनके पीछे की वास्तविकता।

मिथ: ठण्डे पानी के शॉवर से आपको मिलता है आराम

गर्मी में ठण्डे पानी का शॉवर लेना समझ में आता है। लेकिन, यह आपको उतना फायद नहीं देगा, जितना आप सोचते हैं। गर्मी से अचानक ठण्डे में जाने से शरीर को बिलकुल अलग तरह से काम करना पड़ता है। जब आप गर्मी से आकर अचानक ठंडे पानी का शॅावर लेते हैं, तो आपकी रक्त कोशिकायें कस जाती हैं, जिससे ठंडक आपके भीतर तक नहीं पहुंच पाती। तो बजाय कि आप ठंडे पानी से नहायें, बेहतर होगा कि आप नल के सामान्य पानी से ही शॉवर लें। यह गर्मी को मारने का सही तरीका है। सबसे अच्छा तो यही है कि आप किसी ठण्डे खाद्य पदार्थ का सेवन करें।

मिथ: बादल छाये हों तो नहीं होता सनबर्न

यदि आप इस मुगालते में हैं, तो चेत जाइए। सूरज की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणें आसानी से बादलों के आर-पार जा सकती हैं। इसलिए चाहे आकाश में बादल ही क्यों न छाये हों, बिना सनस्क्रीन लगाये घर से बाहर न निकलें। एसपीएफ 30 की सनस्क्रीन लगायें जिसमें जिंक ऑक्साइड अथवा टाइटेनिमय डायऑक्साइड जैसे तत्तव हों।

मिथ: किसी भी पेय पदार्थ से फायदा

गर्मियों के सभी पेय पदार्थ आपको सामान्य रूप से हाइड्रेट नहीं करते। कुछ पेय पदार्थ मूत्रवर्धक होते हैं, जिससे आपके शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है। कैफीन युक्त पेय पदार्थ या सोडा, फ्रूट ड्रिंक्स जिनमें अतिरिक्त शर्करा हो, आपके शरीर के लिए अच्छे नहीं होते। उन्हें पचाने के लिए कोशिकाओं को अतिरिक्त पानी खर्च करना पड़ता है। तो, जिन ड्रिंक्स को आप प्यास बुझाने के लिए पीते हैं, दरअसल वे आपको अधिक प्यासा बनाते हैं। सबसे अच्छा है कि आप पानी, लो-फैट मिल्क, 100 फीसदी फ्रूट व वेजिटेबल जूस या हर्बल चाय का सेवन करें। इसके अलावा आप नींबू का पानी भी पी सकते हैं।

मिथ: गर्मी में आप ज्यादा कैलोरी बर्न करते हैं

अधिक गर्मी या सर्दी में व्यायाम करने के लिए आपके शरीर को उसी हिसाब से एडजस्ट करना पड़ता है। लेकिन, कैलोरी बर्न करने का अर्थ यह नहीं कि आप ज्यादा कैलोरीयुक्त भोजन का सेवन कर सकते हैं। मौसम कैसा भी हो, आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म अंदर का तामपान सामान्य बनाये रखता है। जब आप गर्मी में व्यायाम करते हैं, तो आप अपने शरीर का तापमान उस स्तर तक ले आते हैं कि आप कुछ कैलोरी का उपभोग पसीना आने में करते हैं। लेकिन, आपका शरीर इसे तेजी से समायोजित कर लेता है। तो गर्मी में व्यायाम से अधिक कैलोरी बर्न नहीं होती।

मिथ: एयरकण्डीशन से ठण्ड लगने का खतरा

एसी के ठण्डे कमरे से सुकून भरा गर्मी में और कुछ हो ही नहीं सकता। लेकिन, कुछ लोगों को लगता है कि इससे ठण्ड लगने का खतरा होता है। यह बात पूरी तरह बेबुनियाद है। ठण्ड वायरस के कारण लगती है, न कि ठण्डी हवा के कारण। हालांकि, यदि एयरकंडीशनर का फिल्टर समय पर नहीं बदला गया है, तो जिन लोगों को एलर्जी है, उनके संक्रमण में जरूर इजाफा हो सकता है। एयरकंडीशनर नमी कम कर देता है, जिससे साइनस सूख जाता है, जिससे कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है। इसके लिए एयरकंडीशनर के फिल्टर को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।

मिथ: समुद्र का पानी दिलाये कट से आराम

अगर आपके शरीर पर खुला कट का निशान हो, तो आपको समुद्र में नहीं जाना चाहिये। समुद्र के पानी में कई बैक्टीरिया होते हैं। यह गंदा पानी, मिट्टी और रेत आपको संक्रमित कर सकती है। हां कटे पर समुद्र के पानी चुटकी पर डाल लेना समझ में आता है, लेकिन सागर के पानी में जाना सही नहीं। संक्रमण से बचने के लिए आपको अपने जख्म को साफ पानी से धो लेना चाहिये।

मिथ: लंबे दिनों से निंद्रा चक्र में व्यवधान

ऐसा नहीं है। ज्यादा देर तक रोशनी रहने का अर्थ यह कतई नहीं कि इसका असर आपकी नींद के चक्र पर पड़ेगा। हमारा शरीर रोजाना आठ घंटे सोने के लिए तैयार होता है। तो, भले ही बाहर कितनी ही रोशनी हो, अगर आप अपने रोजमर्रा के सोने के वक्त पर बिस्तर पर जाते हैं, तो आपको नींद आ जाएगी। अगर फिर भी इससे आपकी नींद में खलल पड़ रहा है, तो रात में एक घण्टा पहले सोने जाएं। सभी तकनीकी उपकरण बंद कर दें और एक अंधेरे कमरे में चैन की नींद फरमायें।

मिथ: सर्नबन के दर्द से आराम दिलाये मक्खन

जब आपकी त्वचा जल रही हो, तो उस पर मक्खन लगाने से काफी आराम महसूस होता है, लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। यह आग पर घी डालने जैसा ही होता है। जलन महसूस होने पर एलोवेरा जैल सबसे अच्छा होता है। इसके अलावा आप स्किम मिल्क में समान मात्रा में बर्फ का पानी मिलाकर उसे भी सनबर्न वाले क्षेत्र पर लगा सकते हैं। इस सॉल्युशन को 15 मिनट तक लगा रहने दें। इससे आपको काफी आराम होगा।

चंद दिनों में किया 'खूनी पसीना" जानलेवा बीमारी का इलाज करने पर डॉ. एके द्विवेदी को मिला 'मध्य प्रदेश रत्न" सम्मान

  • बिहार के दो वर्षीय बच्चे की अप्लास्टिक एनीमिया  से बचाई जान
  • “मध्य प्रदेश रत्न अलंकरण समारोह 2022” में मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल माननीय मंगू भाई पटेल ने किया सम्मानित

इंदौर । जिन खतरनाक बीमारियों को ठीक करने में दुनिया की किसी भी पैथी और डॉक्टरों को सफलता नहीं मिल रही, होम्योपैथी के विशेषज्ञ ऐसी कई जानलेवा बीमारियों का इलाज करने में सफलता हासिल कर रहे हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के पूर्व सदस्य वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी ऐसे ही चुनिंदा डॉक्टर्स में से एक हैं जो घातक बीमारियों का शिकार हुए मरीजों को नई जिंदगी दे रहे हैं। होम्योपैथी से कई असाध्य जानलेवा बीमारियों के मरीजों को नया जीवन देने और सेवा कार्यों के लिए डॉ. एके द्विवेदी को मध्यप्रदेश रत्न अलंकरण समारोह 2022 में 'मध्य प्रदेश रत्न" से सम्मानित किया गया। 25 अप्रैल 2022 को भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर  में मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल माननीय मंगू भाई पटेल द्वारा डॉ. ए.के. द्विवेदी  को यह सम्मान प्रदान किया गया और डॉ वैभव द्वारा परिवार को मानसिक परेशानी से दूर करने में निभाई विशेष भूमिका के कारण उन्हें भी सम्मानित किया गया। साथ ही अपने भोपाल प्रवास पर  उन्होंने  रक्त जनित गंभीर बीमारियों और उनके देश-विदेश में ठीक हुए मरीजों के बारे में जानकारी भी साझा की।   मध्यप्रदेश प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. द्विवेदी ने उन दुर्लभ बीमारियों के बारे में जानकारी दी, जिसका  शिकार होने के बाद मरीज की जिंदगी को बचाना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन होम्योपैथी से वे ठीक हो चुके हैं और अब सामान्य जीवन जी रहे हैं।

बिहार के दो वर्षीय बच्चे की अप्लास्टिक एनीमिया से बचाई जान 

घातक बीमारियों का शिकार होने के बावजूद होम्योपैथी चंद महीनों में मरीज को ठीक करने में कारगर साबित हो रही हैं। इनमें एक मामला बिहार के दो वर्षीय बच्चे का है, जिसकी जान अप्लास्टिक एनीमिया होने के बाद खतरे में पड़ गई थी। मौलाबाग, भोजपुर निवासी नीरज कुमार के दो वर्षीय बेटे शिवांश को यह बीमारी हुई थी। कई शहरों में इलाज लेने के बाद भी वह ठीक नहीं हुआ। फिर उन्होंने इंदौर के एडवांस्ड होम्यो क्लिनिक पर संपर्क किया। कोरोना के समय यहां से वीडियो कॉल के माध्यम से इलाज शुरू हुई और चंद महीनों में वह ठीक हो गया।
दूसरा मामला इंदौर की ही लड़की का है जिसे शरीर से पसीने की जगह खून आता था। लम्बे समय से वह जिंदगी-मौत के बीच संघर्ष कर रही थी, लेकिन यहाँ कुछ ही महीने के इलाज के बाद वह भी ठीक हो गई। 

करोड़ों में एक को होती है ऐसी बीमारी 

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि इंदौर की एक लड़की (नाम गोपनीय रखा गया है) के शरीर से पसीने की जगह खून निकलता था। किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी करने के बाद लड़की के माथे से लेकर हथेलियों तक से खून निकलने लगता था। वह कई शहरों में इलाज ले चुकी थीं, लेकिन उपचार नहीं हो पा रहा था। इस बीमारी को हेमैटोहाइड्रोसिस कहा जाता है, जो करोड़ों लोगों में सिर्फ एक को होती है। फरवरी 2021 में यह केस उनके पास पहुँचा और उन्होंने इसका इलाज शुरू किया। अलग-अलग तरह की जांचें और दवाइयों के डोज बदलने के बाद उन्हें सफलता मिली और लड़की अब ठीक हो चुकी है।

खबर को विडियो के रूप में देखने के लिए इस पर क्लिक करें.... https://youtu.be/OCzikEd9J-0

रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुई बीमारी और इलाज की प्रक्रिया

डॉ. द्विवेदी के मुताबिक हेमैटोहाइड्रोसिस से जुड़ा एक मामला कुछ साल पहले दिल्ली में भी सामने आया था, जिसमें एक बच्चा इस बीमारी का शिकार हुआ था। मरीज के परिजन भी इस बीमारी को लेकर काफी परेशानथे, क्योंकि किसी भी समय बच्चे को पसीने की जगह ब्लड आना शुरू हो जाता था। पड़ोसी और रिश्तेदार इसे देवीय प्रकोप बताते थे और झाड़-फूंक करवाने की बात करते थे। स्कूल के प्रिंसिपल ने भी उसे स्कूल आने से मना कर दिया था। जिसके बाद उसे मानसिक आघात पहुंचने का खतरा भी था। इंदौर की लड़की का मामला भी इसी तरह का था। उसका ठीक होना होम्योपैथी और डॉक्टर दोनों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और रिसर्च जर्नल में इसके इलाज की प्रक्रिया प्रकाशित की गई है। सबसे खास बात यह है कि बेहद कम खर्च (सिर्फ 30 हजार रुपए) में बच्ची पूरी तरह स्वस्थ हो गई है और अब नाक, कान या पसीने के रूप में उसका खून नहीं बहता।

डॉ. वैभव द्वारा इंदौर वाले केस में परिवार को मानसिक परेशानी से दूर करने में निभाई विशेष भूमिका

गौरतलब है कि इस दुर्लभ मामले को ठीक करने को लेकर एलोपैथी जांच भी हुई। इंदौर के डॉक्टर वैभव चतुर्वेदी (एमडी, साइकाइट्री) भी भोपाल के सम्मान समारोह में शामिल हुए जहा उन्हें भी सम्मानित किया गया  । वे इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर में प्रोफेसर हैं और इस केस में उनकी भी भूमिका हैं। दोनों डॉक्टरों ने मिलकर पीड़ित बच्ची व उसके परिजनों से बात की।  साइकाइट्री पॉइंट ऑफ व्यू से भी इस मामले को देखा गया और जांच की गई। ब्लड सेल्स और वेन्स में प्रेशर बढ़ जाने के कारण यह समस्या हो रही थी। निष्कर्ष निकलने के बाद फरवरी 2021 में इलाज शुरू किया गया और चंद महीनों में मरीज को चेहरे, हथेलियों व शरीर के अन्य हिस्सों से पसीने के रूप में खून आना बंद हो गया और वह पूरी तरह ठीक हो गई।

Monday, 25 April 2022

25 अप्रैल विश्व मलेरिया दिवसः मलेरिया में कारगर होम्योपैथी

लेरिया पूरे विश्व में हर साल करीब 1.5-2 लाख लोगों की मौत का कारण बनता है। यह अधिकतर देशों में मुख्य


स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। यह प्रसिद्ध है कि होमियोपैथी चिकित्सा से कई बीमारियों का इलाज हो सकता है। मलेरिया के लिए होमियोपैथी उपचार का उपयोग सदियों से किया जा रहा है।

  • मलेरिया का होमियोपैथी उपचार होमियोपैथी इलाज का एक्यूट मलेरिया सही प्रतिक्रिया देता है। हालांकि दीर्घकालीक मलेरिया, अत्यधिक मलेरिया या खतरनाक कॉ्प्लीकेशन का होमियोपैथी चिकित्सा से इलाज बहुत मुश्किल हो जाता है।
  • मलेरिया के इलाज के लिए शुरूआत में करीब 45 होमियोपैथी दवाईओं का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब करीब 113 दवाईयां मलेरिया के इलाज में उपयोग में लाई जाती हैं। सामान्य तौर पर उपयोग में आने वाली दवाईयों में शामिल हैं - आर्सेनिकम-अलबम, चाइना, युपेटोरियम-पेर्फोलिएटम, नेट्रम-म्यूरिटिकम, नक्स-वोमिका, पल्सेटिला, रस-टॉक्स और सल्फर।
  • हर व्यक्ति के लिए मलेरिया का उपचार वैयक्तिक है। अक्सर होमियोपैथी चिकित्सा नीचे लिखे गए लक्षणो को ध्यान में रखकर दी जाती है।
  • ठंड और बुखार के प्रकट होने का समय
  • शरीर का वह भाग, जहां से ठंड की शुरूआत हुई और बढी।
  • ठंड या बुखार की अवधि
  • ठंड, गर्म और पसीना आने के चरणों की क्रमानुसार वृद्धि
  • प्यास/ प्यास लगना/ प्यास की मात्रा/ अधिकतम परेशानी का समय
  • सिरदर्द का प्रकार और उसका स्थान
  • यह जानना कि लक्षणों के साथ साथ जी मतलाना/ उल्टी आना/ या दस्त जुडा हुआ है या नहीं।

हाल ही में हुई होमियोपैथी संबन्धित शोधों में मलेरिया को रोकने और उपचार के लिए विकल्प के मूल्यांकन करने की कोशिश की गई है। 'एर्टेमिसिन अल्कालोइड' झाडी एर्टेमिसिआ एन्नुआ का एक अर्क है। अनेक विभिन्न एर्टेमिसिआ (कोम्पोसिटी) प्रजातियां जैसे कि एर्टेमिसिआ एब्रोटनुम (एब्रोटनुम), एक मारिटिमा (सिना), एक एब्सिनठिअम (एब्सिनठिअम) होमियोपैथी उपचार के बढिया सबूत हैं। चीनी लोग 2000 सालों से अधिक समय से 'एर्टेमिसिआ एन्नुआ' या 'स्वीट एनी' का उपयोग मलेरिया और अन्य बुखार के लिए एक गुणकारी चाय के तौर पर करते आए हैं। मलेरिया के उपचार के लिए क्लोरोक्यूइन उपचार की तुलना में होमियोपैथी चिकित्सा के असर पर हुई एक शोध के अनुसार क्लोरोक्यूइन की तुलना में होमियोपैथी चिकित्सा का असर है।

होमियोपैथी से सावधानी

होमियोपैथी चिकित्सा से एक्यूट मलेरिया के लक्षणों से पीडित एक रोगी का उपचार शायद असरदायक रूप से हो सकता है, लेकिन यदि आप मलेरिया के इलाज के लिए होमियोपैथी चिकित्सा का उपयोग करना चाहते हैं, तो कृपया अपने चिकित्सक को इस बात की जानकारी अवश्य दें।

Saturday, 23 April 2022

गर्मी में लू से बचने के असरदार उपाय

र्मी और लू का गहरा संबंध है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे लोग लू का शिकार होने लगते हैं। गर्मी


के बढ़ते ही लोगों को लू का डर सताने लगता है। बढ़ती गर्मी में लू से बचना जरूरी है। गर्मी में लू से बचने के लिए अलग-अलग उपाय करना बेहद जरूरी है। आइए जानें गर्मी में लू से कैसे बचें। किन टिप्स को अपनाकर गर्मी में लू से बचा जा सकता है।



  • लू से बचने के लिए गर्मी के मौसम में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। इसके लिए अधिक धूप में घर से बाहर न निकलें। यदि निकलना जरूरी है तो पूरी तरह अपने को ढक कर रखें या फिर टोपी, चश्मा, छतरी इत्यादि का प्रयोग करें।
  • गर्मी में बहुत ज्यादा रेशमी, डार्क या चटीले वस्त्र न पहनते हुए सूती व हल्के रंग के कपड़े पहनें। इतना ही नहीं बहुत अधिक टाइट कपड़े न पहनें।
  • गर्मी में लू से बचने के लिए जरूरी है कि खूब पानी पीएं।
  • चाय-काफी की बजाय समय-समय पर नींबू पानी, सोडा, शिकंजी, लस्सी, शर्बत इत्यादि को अधिक प्राथमिकता दें।
  • धूप से आकर एकदम ठंडा पानी न पीएं।
  • तैलीय पदार्थो के बजाय पेय पदार्थों को अधिक लें।
  • दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से स्नान करें।
  • गर्मी में बहुत अधिक देर रहने या घूमने-फिरने से लू लग जाती है।
  • जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या फिर बूढ़े, बच्चों या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को लू लगने का अधिक खतरा रहता है। इसीलिए इन लोगों को अधिक देर तक धूप में रहने से बचना चाहिए।
  • गर्मी के मौसम में तन को अधिक से अधिक ढककर रखें। तेज धूप में नंगे पांव न रहें।
  • पेय पदार्थो में थोड़ा नमक मिलाकर पीने से लू से बचने में सहायता मिलती है। खाली पेट गर्मी में बाहर न निकलें।
  • बहुत अधिक भीड़ वाली जगहों या गर्मी वाले क्षेत्रों में न जाएं।
  • धूप में बाहर निकलना भी पड़े तो जेब में एक प्याज रख लें, इससे लू से बचाव में मदद मिलती है। इसी प्रकार ओआरएस घोल का प्रयोग भी लू से बचाता है।
  • ऐसे फल ज्यादा लें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी आदि।
  • बहुत अधिक थका देने वाली एक्टिविटीज से बचें।

    इसके अलावा पूरा दिन फिट रहने व तरोताजा महसूस करवाने के लिए हल्की-फुल्की एक्सरसाइज व मेडिटेशन भी बेहतर रहता है। गर्मी के मौसम में खान-पान का खास ख्याल रखें। इन टिप्स से आपको लू का डर नहीं रहेगा।

होम्योपैथी से इस तरह दूर करें मोटापा

होम्योपैथिक चिकित्सा मोटापा एवं उसके विभिन्न पहलुओं का उपचार करता है। होम्योपैथी में भी वजन कम करने के लिए दवाओं के अलावा डाइट कंट्रोल और एक्सरसाइज पर पूरा जोर दिया जाता है। इन दवाओं से पाचन क्रिया सुदृढ़ होती है, चयापचय की क्रिया अच्छी होती है जिसकी वजह से मोटापा कम होता है। यह सभी उम्र के लोगों के लिए कारगर एवं उपयुक्त होता है क्योंकि ये बहुत ही कोमल और पतले होते हैं और आमतौर पर इनका शरीर पर कुप्रभाव नहीं होता। वजन घटाने से पूर्व एक महत्वपूर्ण बात पर विचार अवश्य कर लेना चाहिए कि आप कितने मोटे हैं तथा आपको कितना वजन घटाने की जरूरत है।

होम्योपैथी में वैसे तो मोटापे के लिए हैं 189 दवाएं

होम्योपैथी में वैसे तो मोटापे के लिये 189 दवाएँ हैं। दवाओं का चुनाव रोग के अनुसार रोग के इतिहास के अनुसार मरीज को देखकर किया जाता है एंटीमोनिअम क्रूडम, अर्जेन्टम नाट्रीकम, केलकेरिया कार्बोनिका, कोफिया क्रूडा, केपसिकम आदि वजन घटाने के लिए कुछ सबसे आम और प्रभावी उपचार होते हैं। खाना खाने के बाद दिन में तीन बार 10-15 बूंदें फायटोलका क्यू या फ्यूकस वेस क्यू चौथाई कप पानी में लें। कैल्केरिया कार्ब की 4-5 गोलियां भी दिन में तीन बार ले सकते हैं। ये दवाएं फैट कम करती हैं और नियमित लेने पर दो-तीन महीने में असर दिखने लगता है।

उपचार शुरू करने से पहले जान लें कि अपनी जीवन शैली में क्या क्या बदलाव लाना है

दिनभर खाने के बाद भी पेट न भरना, खाने से संतुष्टि ना होना और ज्यादा भूख की शिकायत वालों को आयोडम (30 पोटेंसी) देते हैं। मोटापे के साथ, अनियमित माहवारी व कब्ज की शिकायत हो तो ऐसी महिलाओं को ग्रेफाइटिस (30 पोटेंसी) दवा दी जाती है।  इसके लिए आपको होम्योपैथिक चिकित्सक से मिलकर वजन कम करने के सबसे अच्छे विकल्प का परामर्श लेना चाहिए साथ हीं उपचार शुरू करने से पूर्व आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आपको अपनी जीवन शैली में क्या क्या बदलाव लाना है। आप वजन घटाने के लिए यदि कोई अन्य प्राकृतिक पूरक या उपचार ले रहे हैं। तो भी आप होम्योपैथिक दवाइयां ले सकते हैं क्योंकि यह दूसरे उपचार में न तो अवरोध पैदा करता है न हीं बुरा प्रभाव डालता है।

होम्योपैथी में संभव है बिना ऑपरेशन पथरी का इलाज

मतौर पर मान लिया जाता है कि पथरी का इलाज सिर्फ ऑपरेशन कराना है, लेकिन होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें कुछ ही दिनों में पथरी के दर्द से राहत मिल सकती है। पथरी एक ऐसा दर्दनाक रोग है, जिससे आज देश के 100 परिवारों में से 80 परिवार पीड़ित है। सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका होम्योपैथी इलाज करवाते हैं और बाकी लोग जानकारी के अभाव में इस असहनीय पीड़ा को सहन करते रहते हैं। तले-भुने और वसायुक्त आहार का सेवन, मोटापा, पानी कम पीने जैसी आदतों के चलते भी पथरी के मामले बढ़ रहे हैं। होम्योपैथी में मौजूद है सरल इलाज...

बेहद आम इस समस्या के होने के यूं तो कई कारण हैं। आमतौर पर मान लिया जाता है कि पथरी का इलाज सिर्फ ऑपरेशन कराना है, लेकिन होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें कुछ ही दिनों में पथरी के दर्द से राहत मिल सकती है। यहां हम पथरी होने के कारणों, पथरी के प्रकार और होम्योपैथी में कैसे इसका बिना ऑपरेशन, बिना इंजेक्शन सरल इलाज मौजूद है, इस बारे में हमने बात की इंदौर के होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ. ए.के.द्विवेदी से, जो कई सालों से पथरी के इलाज के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने कई मरीजों को पथरी से 20 से 25 दिनों में निजात दिलाई है।

पथरी होने के कारण

  • तले-भुने एवं वसायुक्त आहार का सेवन, मोटापा, पानी कम पीने जैसी आदतों के चलते पथरी के मामले बढ़ रहे हैं।
  • पथरी बनने का कारण कैल्शियम की जमावट, मूत्राशय की नलिका में रूकावट आदि हैं। इसका संबंध हाइपर पैराथायरॉइडिजम से भी होता है। यदि यह कैल्शियम पेशाब के साथ बाहर निकल जाए तो बेहतर है वर्ना यह गुर्दे की कोशिकाओं में एकत्र होता रहता है और पथरी का रूप ले लेता है।
  • पेशाब में कैल्शियम की अधिकता हाइपरकैल्सियूरिया कहलाती है। यह समस्या अत्यधिक कैल्शियम वाले आहार के सेवन से होती है।

पथरी के लक्षण

पित्ताशय की पथरी कई वर्षों तक लक्षणरहित भी रह सकती है। आमतौर पर लक्षण तब दिखने शुरू होते हैं, जब पथरी एक निश्चित आकार प्राप्त कर लेती है, जबकि किडनी की पथरी में पेशाब में जलन जल्दी होने लगती है।

  • पित्ताशय की पथरी का एक प्रमुख लक्षण "पथरी का दौरा" होता है जिसमें व्यक्ति को पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में अत्यधिक दर्द होता है, जिसके बाद प्राय: मिचली और उल्टी आती है, जो 30 मिनट से लेकर कई घंटों तक निरंतर बढ़ती ही जाती है।
  • किसी मरीज को ऐसा ही दर्द कंधे की हड्डियों के बीच या दाहिने कंधे के नीचे भी हो सकता है। यह लक्षण "गुर्दे की पथरी के दौरे" से मिलते-जुलते हो सकते हैं।
  • अक्सर ये दौरे विशेषत: वसायुक्त भोजन करने के बाद आते हैं और लगभग हमेशा ही यह दौरे रात के समय आते हैं।
  • अन्य लक्षणों में, पेट का फूलना, वसायुक्त भोजन के पाचन में समस्या, डकार आना, गैस बनना और अपच इत्यादि होते हैं।

20-25 दिन में मिल सकती है पथरी की समस्या से राहत

डॉ. एके द्विवेदी बताते हैं कि उनके द्वारा दी जाने वाली दवाइयों से कई मरीजों की छोटी-छोटी पथरी कुछ ही दिनों में होम्योपैथिक दवा से निकल गई। एक महिला मरीज, जिसको 11X6 एमएम की पथरी थी, मात्र 21 दिन की होम्योपैथी दवा लेने से मूत्र मार्ग से निकल गई। इसके लिए डॉ. द्विवेदी को गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया। छोटे बच्चों में भी पथरी बन जाती है, जिन्हें कुछ माह तक होम्योपैथी दवाइयां देने से पथरी निकल भी जाती है तथा बार-बार पथरी का बनना भी बंद हो जाता है।

डॉ. ए.के. द्विवेदी  
बी.एच.एम.एस., एम.डी. (होम्यो.), एफ.एच.सी.एच., लंदन (यू.के.),
पीएच.डी., एम.बी.ए., एम.ए. (योग)
ई-मेलः drakdindore@gmail.com  
मोबा. 98260 42287

Friday, 22 April 2022

अजीबोगरीब बीमारी, लड़की के शरीर से पसीने की जगह निकलता था खून, होम्योपैथिक इलाज से हुई ठीक

  • कई डॉक्टर्स से इलाज से कर दिया था मना, होम्योपैथिक उपचार वरदान साबित हुआ

  • बीमारी  की वजह से स्कूलों वालों ने आने भी कर दिया था मना, इससे मानिसक आघात होने का था खतरा

इंदौर ।  दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं, जिन्हें कई तरह की अजीबोगरीब बीमारियां रहती है।  कुछ बीमारी ऐसी सामने आ जाती है जो मेडिकल साइंस को भी हैरान कर देती है। इसी  तरह की अजीब बीमारी का मामला इंदौर में सामने आया है जिसने दुनियाभर के डॉक्टर्स को परेशान कर दिया है। इंदौर की रहने वाली 17 वर्षीय एक लड़की के शरीर से पसीने की जगह खून निकलता था।। जी हां, किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी करने के बाद इस लड़की के माथे से लेकर हथेलियों तक से खून निकलने लगता था। जिसका उपचार इंदौर के होम्योपैथिक स्पेशलिस्ट डॉ. एके द्विवेदी ने मात्र 30 हजार रुपए के खर्च में कर दिया और और इस बालिका को इस अजीबोगरीब बीमारी से मुक्ति दिलवा दी।

कई डॉक्टर्स को बताने के बाद भी नहीं हुआ आराम, पोड़सी इसे मानते थे देवी का प्रकोप

लड़की की इस बीमारी को लेकर परिजन काफी परेशान हो गए थे, क्योंकि किसी भी समय बच्ची को पसीने की जगह खून आना शुरू हो जाता था। परिजनों ने बताया कि सबसे अजीब बात ये हो गई कि पड़ोसी इससे देवी प्रकोप मानकर झाड़-फूंक करने की बात करते थे। वहीं परिजनों ने बच्ची के इलाज के लिए कई विशेष डॉक्टर्स को भी दिखाया लेकिन किसी तरह का आराम बच्ची को नहीं मिला। वहीं स्कूल के प्रिंसिपल ने भी लड़की को स्कूल आने से मना कर दिया जिसके बाद बच्ची को मानिसक आघात पहुंचने का खतरा भी परिजनों को हो रहा था।


हेमैटोहाइड्रोसिस बीमारी से पीड़ित थी लड़की

डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार लड़की को हेमैटोहाइड्रोसिस नाम की एक बीमारी है, जो करोड़ों लोगों में से किसी एक में ही पाई जाती है। यह बीमारी होने के कारण लड़की के शरीर से पसीने की जगह खून निकलता था। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि आपने देखा होगा कि लोगों को हाथ और चेहरे के साथ में पूरे शरीर में पसीना आता है। हाईड्रोसिस यानी कि साधारण पसीना ही ज्यादातर लोगों को आता है तो लोग परेशान हो जाते हैं लेकिन डॉ. एके द्विवेदी के पास फरवरी 2021 को एक ऐसा केस आया जिसमें मरीज को खून का पसीना आता है। डॉ. द्विवेदी के अनुसार इस तरह का केस देश में दिल्ली में पहले मिल चुका था जो कि एक लड़की ही थी।

खबर देखिये... https://www.youtube.com/watch?v=qJYZtJdy7nY

30 हजार रुपए से कम खर्च में होम्योपैथी से हो गया पूरा इलाज

इंदौर के डॉ.  वैभव चतुर्वेदी (एमडी, सायकाइट्री) आप इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर में प्रोफेसर भी हैं। आपने और डॉ. द्विवेदी ने मिलकर  पीड़ित बच्ची से बात की और परिजनों से बात कर होम्योपैथिक के साथ सायकाइट्री पॉइंट आफ व्यू से भी देखा। डॉ. चतुर्वेदी का ऐसा मानना था कि इसमें सायकाइट्री के लक्षण नहीं दिखाई दिए। कहीं ना कहीं ब्लड रेशम में प्रेशर बढ़ जाने के चलते इस तरह की परेशानी हो रही थी। इसके बाद बच्ची को होम्योपैथिक ट्रीटमेंट शुरू किया गया। ट्रीटमेंट फरवरी 2021 में शुरू किया गया और जुलाई आते-आते उसका टेक आना बंद हो गया और नवंबर 2021 के बाद ब्लड का या किसी तरह का चेहरे का घाव नहीं हुआ। फिलहाल अभी बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। वहीं इस पूरी अजीबोगरीब बीमारी के ठीक होने के बाद परिवार में काफी खुशी का माहौल है। खास बात यह कि मात्र 30 हजार रुपए के कम खर्च में इस खतरनाक कही जाने वाली बीमारी को काबू में कर लिया गया।

Saturday, 16 April 2022

 

दो साल के बच्चे से हारा अप्लास्टिक एनीमिया, होम्योपैथी साबित हुई वरदान


  • बिहार के दो वर्षीय बच्चे शिवांश सिंह ने जीती जिंदगी की जंग
  • एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी से इलाज लेने के बाद मिली सफलता
  • बच्चे के पिता नीरज कुमार ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर दी जानकारी

इंदौर।  चिकित्सा विज्ञान में अत्याधुनिक नवीनतम पद्धतियां मौजूद होने के बावजूद अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज करना अब भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, लेकिन अब होम्योपैथिक दवाईयों से मरीजों को पूरी तरह ठीक

करने में बड़ी सफलता मिल रही है। अप्लास्टिक एनीमिया के हर उम्र के मरीजों को स्वस्थ पर नया जीवन देने की दिशा में होम्योपैथिक दवाईयों से कम समय में बड़े समारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। हाल ही में इंदौर के एक वरिष्ठ चिकित्सक द्वारा बिहार के दो वर्षीय बच्चे की इस बीमारी को दूर किया गया है। मरीज बच्चे के पिता ने मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को इस उपलब्धि की जानकारी देने के लिए उन्हें पत्र भी लिखा है।

मौलाबाग, भोजपुर निवासी नीरज कुमार ने बताया कि मेरे बेटे शिवांश सिंह (दो वर्ष) को अप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी हो गई थी। स्थानीय स्तर पर हमने कई अस्पतालों और डॉक्टरों से इलाज करवाया लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। इसके बाद दिल्ली के अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर से भी पांच महीने तक इलाज करवाया लेकिन बच्चे की हालत खराब होती चली गई। इसके बाद मुझे इंदौर के एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के बारे में जानकारी मिली और मैंने यहां डॉ. एके द्विवेदी से संपर्क किया। डॉ. द्विवेदी ने वीडियो कॉलिंग के माध्यम से इलाज शुरू किया और दवाईयां दी गईं। कई बार जांचें करवाई गईं और उनकी रिपोर्ट के आधार पर  दवा की मात्रा कम- ज्यादा की गई। अब मेरे बच्चे के स्वास्थ्य में काफी सुधार है और उम्मीद है कि जल्द ही वह पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

क्या है अप्लास्टिक एनीमिया

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया एक गंभीर बीमारी है जो किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना सकती है। अप्लास्टिक एनीमिया हमारे शरीर के बोन मैरो में होने वाली बीमारी है। इसमें हमारा बोन मैरो नए ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं कर पाता। इसे मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम भी कहा जाता है। अप्लास्टिक एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण बंद हो जाता है और शरीर के अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इस बीमारी के कारण शरीर में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं और बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है। अनियंत्रित रक्त स्त्राव होने लगता है। मरीज को बार-बार ब्लड देने के बावजूद प्लेटले्टस घटते जाते हैं और सही समय पर इलाज नहीं होने की स्थिति में यह जानलेवा साबित होता है। 

न ब्लड देना पड़ रहा, न प्लेटलेट्स

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि शिवांश की हालत में अब पहले से काफी सुधार है और दवाईयों के असर से उसकी बीमारी लगभग ठीक हो चुकी है। अब न ही उसे ब्लड चढ़ाना पड़ता है और न ही प्लेटलेट्स देने की जरूरत पड़ती है। अब शरीर के विभिन्ना हिस्सों से ब्लीडिंग भी नहीं होती और कुछ ही दिनों में वह सामान्य बच्चों के साथ दौड़ने-भागने और खेलने में सक्षम होगा। संभव है कि भविष्य में उसे दवाईयां लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

पिता ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

शिवांश के पिता नीरज कुमार ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया जानलेवा बीमारी है और कई मरीज इसके कारण मौत के मुहाने पर खड़े हैं। यह हर उम्र के लोगों को हो सकती है और इसके बाद लोग जगह-जगह भटकते रहते हैं लेकिन उन्हें सही इलाज नहीं मिल पाता। मैंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर शिवांश की तबीयत में सुधार और डॉ. द्विवेदी की सफलता के बारे में जानकारी दी है। ताकि अन्य मरीजों और  परिजनों को भी यह पता लग सके, वे विशेषज्ञ डॉ. द्वारा होम्योपैथी इलाज ले सके और मरीजों को नई जिंदगी मिल सके।