Tuesday, 29 December 2020



नूतन वर्ष 2021 में इन इक्कीस सूत्रों को अपना, हजारों के बीच स्वयं की पहचान बनायें अलग- 

आयुष मंत्रालय के सदस्य डॉ ए के द्विवेदी के अनुसार वो लोग खुश नसीब हैं जो 2021  में जीवित हैं,  वर्ष 2020  सभी के लिए यादगार रहेगा खुद को बचाने का वर्ष था खुद के लिए सभी ने हर संभव प्रयास भी किए कुछ और संकल्प लेकर हम लोग अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं 2021  में 21 संकल्प लेकर हम अपनी उन्नति कर सकते हैं पिछले बीते वर्ष को एक सबक के रूप में लेकर आगे बढ़े
जिंदगी जिंदादिली का नाम है।  जिन्दा दिली दिखाएँ खुद स्वस्थ रहें और दुसरो को स्वस्थ बनाये आप भी मुस्कुराये और दुसरो के मुस्कराहट का कारण बने


1- अलसुबह जागें नींद से, देर से उठने की आदत को करें, अलविदा। दाँतों को प्रतिदिन प्राकृतिक एवं इकोफ्रेण्डली टूथब्रश से साफ करें।

2 - ताँबे के पात्र में भरा जल का सेवन करें। पानी पियें छान कर।

3 - नाश्ता हो पौष्टिक, खाना हो हल्का, घर पर तैयार खाना, है बेहतर विकल्प, पैक्ड फूड, जंक फूड से बचें, ताजे फलों को करें, आहार में शामिल। खाने में सब्जियों का प्रमाण बढ़ायें।

4 - पाँच बादाम रोज खायें। मोटापा घटायें न कि न्यूट्रिएन्ट्स। सप्ताह में एक बार उपवास करें।

5- खाने की वस्तुओं में रोज बदलाव करें, अधिक नमक का सेवन न करें। शक्कर युक्त खाद्य पदार्थों से बनायें दूरी।

6 - दही एक अच्छा प्रोबायोटिक है, जो कि आँतों को स्वस्थ रखता है। अपने आहार में फाइबर एवं विटामिन-सी युक्त पदार्थों का सेवन बढ़ायें।

7 - दूध पियें रोजाना। नारियल पानी है अमृत पेय। दिन में एक बार ग्रीन टी जरूर पियें।

8 - अपने आहार में फाइबर एवं विटामिन-सी युक्त पदार्थों का सेवन बढ़ायें।

9 - तन-मन की शक्ति योग से। सीढ़ियों का प्रयोग हमेशा करें, लिफ्ट में सवार होने की वजाय।

10 - खुद के साथ क्वालिटी टाईम बितायें, खुद को न करें, नजरअन्दाज।

11 - रात में सोने से पहले दिनभर की गतिविधियों का आँकलन करें। लेते रहें, गहरी मीठी नींद और अपनी हाॅबी से तनाव को करें दूर।

12 - शान्त वातावरण में स्वयं को खोजें, ध्यान (मेडिटेशन) करके मन को रखें स्वस्थ।

13 - मोबाईल के उपयोग का समय निश्चित करें।

14 - अपने शरीर की क्षमता जानकर ही कार्य करें, प्रत्येक दिन के कार्य की समय-सारिणी बनायें।

15 - प्रत्येक कार्य का लक्ष्य निर्धारित कर तनाव से बचें। देर तक ना देखें, टीवी/मूवीज। सोने का समय हो निश्चित।

16 - स्वयं से दवाई न लें, चिकित्सक की सलाह लें। महिलायें मासिक धर्म के समय स्वच्छता का रखें ख्याल।

17 - लम्बी गहरी साँसें लेकर मन को करें शान्त। जलन, ईर्ष्‍या बुराई से रहें दूर।  

18 - अपने-आप से प्यार करना सीखें और अपनी लाईफ के उद्देश्य को जानें।

19 - 20-20 का रूल अपनायें। 20 सेकेण्ड के लिये 20 फीट दूर किसी चीज को देखने के लिये हर 20 मिनिट का ब्रेक लें।

20 - किसी भी प्रकार के नशे का सेवन ना करें। शरीर व फेफड़ों को बचाना है तो छोड़ दें, धूम्रपान।

21 - शारीरिक-दूरी बनाये रखें, मानसिक नहीं।

Sunday, 8 March 2020

दूसरों का ख्याल रखने वाली महिलाएं खुद हो रहीं बीमार


महिला दिवस पर विशेष

देश में आज भी महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रमुखता नहीं दी जाती। महिला स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही का नतीजा है कि भारत में मातृ-मृत्यु दर नेपाल, श्रीलंका जैसे कम विकसित देशों से भी अधिक है। एक रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष दुनिया में 15 से 49 साल की उम्र सीमा में सबसे ज्यादा एनीमिक (खून की कमी) महिलाएं भारत में ही हैं। भारत की स्थिति ज्यादा चिंताजनक इसलिए मानी जा रही है क्योंकि लक्ष्य की दिशा में आगे बढऩे की जगह हम पीछे जा रहे हैं। यहां एनीमिक महिलाओं का प्रतिशत 48 था जो इस बार 51 हो गया है।
ग्रामीण महिलाओं और लडि़कयों को बीमारी की सबसे अधिक मार झेलनी पड़ती है। इन सबके पीछे गरीबी बहुत बड़ी वजह है। गरीब परिवारों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को पर्याप्त पौष्टिक भोजन कम मिलता है, जिस वह से उनका संपूर्ण विकास नहीं हो पाता है। वहीं महिलाओं को बिना किसी आराम के दिन रात परिवार के अन्य सदस्यों के लिए काम करना पड़ता है, फल स्वरूप दूसरे की सेहत का ख्याल रखने वाली महिला का ही स्वास्थ्य बदहाल हो जाता है। वैश्विक पोषण रिपोर्ट वर्ष 2017 के अनुसार महिलाओं को जरूरत अनुसार पोषण नहीं मिल पाता है, लिहाजा महिला के शरीर में पोषण तत्वों की कमी बढ़ती है। आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में करीब 70 प्रतिशत सामान्य महिलाओं और 75 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में खून की कमी है। गर्भावस्था के दौरान केवल 37 प्रतिशत महिलाओं को उचित देखरेख मिल पाती है। पिछले कुछ समय से सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में प्रयास किए जा रहे हैं।

पुरुषों की तुलना में हमारे यहां महिलाओं की स्थिति ज्यादा खराब है। भेदभाव के कारण भी महिलाएं कुपोषण की चपेट में आ जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तबियत खराब होने पर महिलाओं को सही से इलाज नहीं मिल पाता, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में लगने वाला समय उनके पास नहीं होता और प्राइवेट डॉक्टर के पास जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते हैं। ऐसे में बीमार पडऩे पर समय से इलाज नहीं मिलने से रोग बढ़ता जाता है जो बाद में विकराल रूप ले लेता है।

गर्भावस्था से जुड़ी दिक्कतों के बारे में सही जानकारी न होने तथा समय पर मेडिकल सुविधाओं के ना मिलने या फिर बिना डॉक्टर की मदद के प्रसव कराने के कारण भी मौतें हो जाती है। जच्चा और बच्चा की सेहत को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का अहम रोल होता है लेकिन इनकी कमी से कई महिलाएं प्रसव पूर्व न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं। छोटे-छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, इसके बाद भी अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में घर में ही प्रसव कराने का चलन है। पारंपरिक सोच के कारण आज भी प्रसव के लिए अस्पताल से लोग कतराते हैं। तरक्की और विकास के बावजूद भी हमारे में देश में मातृ मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में अधिक है। ग्रामीण महिलाओं को होने वाली बीमारियों में सबसे प्रमुख सांस की बीमारी है। चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाएं फेफड़े की गंभीर बीमारी की चपेट में आती हैं। इस वजह से महिलाएं सांस की बीमारी सीओपीडी की जद में आ रही हैं। सीओपीडी की जद में सबसे ज्यादा महिलाएं आती हैं। 

Tuesday, 4 February 2020

कैंसर की चिकित्सा के लिए होम्योपैथी


होमियोपैथी उपचार सुरक्षित हैं और कुछ विश्वसनीय शोधों के अनुसार कैंसर और उसके दुष्प्रभावों के इलाज के लिए होमियोपैथी उपचार असरदायक हैं। यह उपचार आपको आराम दिलाने में मदद करता है और तनाव, अवसाद, बैचेनी का सामना करने में आपकी मदद करता है। कैंसर सबसे भयानक रोगों में से एक है। कैंसर के रोग की परंपरागत औषधियों में निरंतर प्रगति के बावजूद इसे अभी तक अत्यधिक अस्वस्थता और मृत्यु के साथ जोडा़ जाता है। और कैंसर के उपचार से अनेक दुष्प्रभाव जुडे हुए हैं। कैंसर के मरीज कैंसर पेलिएशन, कैंसर उपचार से होनेवाले  दुष्प्रभावों के उपचार के लिए, या शायद कैंसर के उपचार के लिए भी अक्सर परंपरागत उपचार के साथ साथ होम्योपैथी चिकित्सा को भी जोडते हैं।

दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए होम्योपैथी चिकित्सा

रेडिएशन थैरेपी, कीमोथैरेपी और हॉर्मोन थैरेपी जैसे परंपरागत कैंसर के उपचार से अनेकों दुष्प्रभाव पैदा होते हैं। ये दुष्प्रभाव हैं - संक्रमण, उल्टी होना,  जी मितलाना, मुंह में छाले होना, बालों का झडऩा, अवसाद (डिप्रेशन), और कमजोरी महसूस होना। होम्योपैथी उपचार से इन लक्षणों और दुष्प्रभावों  को नियंत्रण में लाया जा सकता है। रेडियोथेरिपी के दौरान अत्यधिक त्वचा शोध (डर्मटाइटिस) के लिए 'टॉपिकल केलेंडुलाÓ जैसा होम्योपैथी उपचार और  केमोथेरेपी-इंडुस्ड स्टोमाटिटिस के उपचार में 'ट्राउमील एस माऊथवाशÓ का प्रयोग असरकारक पाया जाता है। कैंसर के उपचार के लिए वनस्पति,  जानवर, खनिज पदार्थ और धातुओं से प्राप्त 200 से भी अधिक होम्योपैथी दवाईयां उपयोग में लाई जाती हैं। कैंसर के उपचार के लिए उपयोग में  आने वाली कुछ सामान्य औषधियों में अमोनियम कार्ब, एनाकाॢडयम, एंथ्रासिनम, सिन्नामोनियम, कॉफिया, कन्डुरंगो, कोनियम, ग्रिंडेलिआ, जैबोरांडी, म्यूरेक्स, नेट-आर्स, नक्स-मोस्चाटा, फाइसोस्टिग्मा, कार्सिनोसिन, आर्सेनिक-एल्बम, टेरेबिंथिना, कैप्सिकम, वेरेट्रम-एल्ब, विंका-माइनर शामिल हैं।

कैंसर के लिए होम्योपैथी उपचार

यह अन्य लक्षणों और उल्टी, मुंह के छाले, बालों का झडऩा, अवसाद और कमजोरी जैसे दुष्प्रभावों को घटाता है। ये औषधियां दर्द को कम करती हैं, उत्साह बढा़ती हैं और तन्दुरस्ती का बोध कराती हैं, कैंसर के प्रसार को नियंत्रित करती हैं, और प्रतिरोधक क्षमता को बढाती हैं। कैंसर के रोग के लिए एलोपैथी उपचार के उपयोग के साथ-साथ होम्योपैथी चिकित्सा का भी एक पूरक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ होम्योपैथी दवाईयां या एलोपैथी उपचार के साथ साथ होम्योपैथी दवाईयां ब्रेन ट्यूमर, अनेक प्रकार के कैंसर जैसे के गाल, जीभ, भोजन नली, पाचक ग्रन्थि, मलाशय, अंडाशय, गर्भाशय; मूत्राशय, ब्रेस्ट और प्रोस्टेट ग्रंथि के कैन्सर के उपचार में उपयोगी पाई गई हैं।
होम्योपैथी औषधियां सुरक्षित मानी जाती हैं। कभी-कभी आपके लक्षण नियंत्रित होने से पहले थोडा़ और अधिक बिगड़ भी सकते हैं। हाल ही में किए गए शोध के अनुसार किसी प्रशिक्षित होमियोपैथिक चिकित्सक की देखरेख में ली गई होम्योपैथी औषधियां सदैव सुरक्षित पायी गई हैं।

डॉ. ए. के. द्विवेदी
एमडी (होम्यो) , पीएचडी
सदस्य वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड, सी.सी.आर.एच., आयुष मंत्रालय, भारत सरकार
प्रोफेसर, एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक
मेडिकल कॉलेज, इंदौर
संचालक, एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवं
होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा. लि., इंदौर