Thursday, 17 October 2024


प्लेटलेट्स बढ़ाने में अत्यंत प्रभावकारी हैं होम्योपैथी दवाएं


होम्योपैथी इलाज के जरिए डेंगू और चिकनगुनिया जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव पर वर्कशाप आयोजित

इंदौर। डेंगू या चिकनगुनिया होने पर तरल पदार्थों का लगातार अधिक से अधिक सेवन करें। इन घातक बीमारियों से बचाव के लिए अपने आसपास मच्छर बिलकुल न पनपने दें और संक्रमण वाले स्थानों पर जाने से बचें। रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। सबसे अहम बात यह है कि दोनों ही रोगों में रोगी के कम हुए प्लेटलेट्स, तेजी से बढ़ाना जरूरी है। इस कार्य में होम्योपैथी दवाएं अत्यंत प्रभावकारी साबित होती हैं।

यह बात देश के जाने-माने होम्योपैथिक चिकित्सक और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय सी सी आर एच के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में डेंगू और चिकनगुनिया जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव पर आधारित विशेष वर्कशाप में कही। छात्रों को जागरूक करते हुए उन्होंने बताया कि अक्टूबर का महीना गर्मियों से थोड़ी राहत देने वाला जरूर होता है पर इस मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मच्छरों के काटने से फैलकर वायरल होने वाली बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ जाता है।


बीमारी को खतरनाक स्तर पर न जाने दें

डेंगू होने पर शरीर में तेज बुखार के साथ माँसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, सिरदर्द तथा छाती, पीठ या पेट पर लाल चकत्ते होने की समस्या हो जाती है। गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स भी कम होने लगते हैं। समय पर इलाज न मिल पर डेंगू खतरनाक रूप भी ले सकता है। चिकनगुनिया होने पर भी डेंगू से मिलते-जुलते लक्षण नजर आ सकते हैं। हालांकि इसमें जोड़ों में होने वाले दर्द की समस्या अधिक होती है।

लगभग 12 दिनों तक रह सकता है चिकनगुनिया बुखार

चिकनगुनिया बुखार लगभग 2 से 12 दिन तक रह सकता है, लेकिन बीमारी बढ़ने पर कई बार रोगी को इससे उबरने में महीनों लग जाते हैं। कई मरीजों को जोड़ों के दर्द की समस्या 3 महीने से 2 साल तक झेलनी पड़ सकती है। उनके शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, साँस सम्बन्धी बीमारियाँ आदि भी चिकनगुनिया के प्रभाव से हो सकती हैं। इसलिए इन खतरनाक बीमारियों के लक्षण नजर आते ही उनकी अनदेखी बिल्कुल ना करें और तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श कर समुचित उपचार प्रारंभ कर दें।

Friday, 2 June 2023

डॉ. द्विवेदी के प्रयासों को मिली भारी सफलता, मप्र में जल्द स्थापित होगा आयुष विश्वविद्यालय

 - संचालनालय आयुष मध्यप्रदेश ने जारी किया पत्र जिसमें आयुष विश्वविद्यालय खोले जाने की गई है पुष्टि

इंदौर। आयुष मंत्रालय, सीसीआरएच की वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य एवं इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी मध्यप्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय खोलने की मांग करते हुए लगातार प्रयास कर रहे थे। जिसको स्वीकार कर लिया गया है और जल्द मध्य प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। इसको लेकर संचालनालय आयुष मध्यप्रदेश द्वारा एक पत्र जारी किया गया है जिसमें इसकी पुष्टि भी कर दी गई है।

होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी का मानना है कि मध्यप्रदेश में मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में स्थापित की गई। इंजीनियरिंग की यूनिवर्सिटी पूर्व में ही भोपाल में स्थापित की गई थी। ऐसे में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के सपनों के शहर और मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी कहे जाने वाले तथा शिक्षा के क्षेत्र में लगातार अग्रसर हो रहे इंदौर में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना किया जाना श्रेयस्कर होगा। जिसके लिए मंत्री सुश्री उषा ठाकुर तथा विधायक महेंद्र हार्डिया द्वारा भी पूर्व में आयुष विभाग मप्र शासन को पत्र प्रेषित किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि सांसद श्री शंकर लालवानी भी डॉ. एके द्विवेदी के प्रयास को बल देते हुए मुख्यमंत्री से कई बार उक्त विषय पर चर्चा भी कर चुके हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग डॉ. एके द्विवेदी स्वयं राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा संबंधित मंत्रालय के मंत्री से लगातार करते आ रहे हैं। डॉ. एके द्विवेदी द्वारा लगातार किए जा रहे इन सभी प्रयासों के बाद मप्र में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर संचालनालय आयुष मध्यप्रदेश द्वारा दिनांक 25-5-23 को एक पत्र जारी किया गया है। जिसमें स्पष्ठ किया गया है कि आयुष विश्वविद्यालय खोले जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। वहीं हमें उम्मीद है कि मप्र के इंदौर में आयुष विश्वविद्यालय खोले जाने को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि इंदौर मप्र की व्यावसायिक राजधानी कहलाने के साथ ही विश्व पटल पर अपना नाम दर्ज करते हुए नियम नये आयाम गढ़ रहा है। ऐसे में यदि यहां आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना होती है तो यह इंदौर के लिए एक और उपलब्धि होगी।


समाचार पत्रों में प्रकाशित आयुष विश्विविद्यालय खोले जाने का समाचार...



Tuesday, 25 April 2023

इंटरनेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस टोरंटो कनाड़ा-2023 में डॉ. द्विवेदी ने अप्लास्टिक एनीमिया का होम्योपैथिक इलाज पर अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया

- कनैडियन कॉलेज ऑफ़ होम्योपैथिक मेडिसिन टोरंटो ओंटारियो द्वारा आयोजित कॉनफेरेन्स में भारतीय समय रात 11.00 से मध्यरात्रि 12.20 तक अपना व्याख्यान ऑनलाइन प्रस्तुत किया


इंदौर ।
 श्रीमती कमलाबेन रावजी भाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज इंदौर में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष फिजियोलॉजी एंड बॉयोकेमिस्ट्री तथा सदस्य साइन्टिफिक एडवाइजरी बोर्ड, सी सी आर एच, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. एके द्विवेदी इंदौर से कनाड़ा इंटरनेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस टोरंटो कनाड़ा-2023 कॉन्फ्रेंस में भाग लेने जाने वाले थे लेकिन वीसा नहीं मिल पाने के कारण इस कॉन्फ्रेंस में सम्मिलित नहीं हो सके। लेकिन डॉ. द्विवेदी ने  ज़ूम के माध्यम से अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया, जिसे वहां उपस्थित सभी चिकित्सकों ने खूब सराहा और ऑनलाइन प्रश्न-उत्तर का भी दौर चला। जिसमें डॉ. द्विवेदी ने लोगों के जिज्ञासा को भी बखूबी शांत भी किया।




डॉ. द्विवेदी ने अपने 25 वर्षों के होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी को ठीक करने के अपने


अनुभवों की गाथा को साझा किया। आपने अलग-अलग उम्र तथा महिला एवं पुरुषों  की जानकारी साझा किया जो कि डॉ. द्विवेदी द्वारा दी गए होम्योपैथिक इलाज से पूर्णतः स्वस्थ हो चुके हैं और वर्तमान में किसी प्रकार की कोई दवा अप्लास्टिक एनीमिया के लिए नहीं ले रहें हैं। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों को शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्त्राव होने और उनका होम्योपैथी द्वारा ठीक करने की विस्तृत जानकारी दी जिससे चिकित्सकों को उनके अनुभव का लाभ भविष्य में मिल सकेगा। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि रक्तस्त्राव ज्यादा होने पर मरीजों को ब्लड और प्लेटलेट्स लगाने की सलाह भी उनके सीबीसी जाँच के आधार पर समय-समय पर दी जाती है। डॉ. द्विवेदी ने उनके द्वारा समय-समय पर की जाने वाली समाज सेवा, निःशुल्क चिकित्सा तथा एनीमिया जागरूकता रथ एवं देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी एवं वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से मुलाकात और भारत सरकार द्वारा एनीमिया तथा सिकल सेल की बीमारी  पर  2047 तक जीत हांसिल करने की बात भी दोहराई।  डॉ द्विवेदी ने आर.बी.सी. डब्लूबीसी एवं प्लेटलेट्स बढ़ाने तथा हीमोग्लोबिन बढ़ाने के होम्योपैथिक तरीके एवं घरेलू खान पान के बारे में भी बताया जिसे सभी ने खूब सराहा गया। डॉ. द्विवेदी के आलावा वहां पर उपस्थित अन्य चिकित्सक डॉ. वेरोनिका झामरुको, डॉ. केपी नंदकुमार,  डॉ. शशि मोहन शर्मा,  जे डी मिलर एवं शहरम आयोब्जदेह ने भी होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा उनके अनुभव एवं रिसर्च पेपर्स साझा किए।

Wednesday, 19 April 2023

हिप्स यानि कुल्हों के दर्द में भी होम्योपैथी प्रभावी : डॉ. द्विवेदी

हिप्स यानी कूल्हा शरीर का वह महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मजबूत तो होता है लेकिन इस में मामूली टूटफूट भी आप


की दिनचर्या को प्रभावित कर सकती है। हिप्स यानी कूल्हे में दर्द महिलाओं की आम परेशानी है। ज्यादातर महिलाएं डॉक्टर के पास तब जाती हैं जब दर्द के चलते घरेलू कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है। वरना वे लंबे समय तक उस से जूझती रहती हैं। शरीर का यह हिस्सा होता तो मजबूत है मगर इस की बनावट कुछ ऐसी है कि छोटी-छोटी चीजें इस के कामकाज में दिक्कत पैदा कर देती हैं और दर्द शुरू हो जाता है। अक्सर दर्द या तकलीफ देने वाला शरीर का यह हिस्सा आखिर है क्या-किन वजहों से हमें यहां परेशानियां होती है और उन के लिए हम क्या कर सकते हैं या हमें क्या करना चाहिए। यह शरीर का सब से बड़ा ज्वाइंट होता है। इस में एक खांचे (सौकेट) में नरम हड्डियां और कडक़ हड्डियां कुछ इस तरह से जुड़ी होती हैं कि वे आसानी से हिलडुल सकें। यहां एक तरह का फ्ल्यूड मौजूद होता है जो इस काम में मदद करता है। अगर आप के घर का दरवाजा बंद करने या खोलने पर आवाज करता है तो आप उस के कब्जों में थोड़ा मोबिल ऑयल डाल देते हैं, आवाज आनी बंद हो जाती है। बस, कुछ ऐसा ही है यह हिस्सा। यहां भी ढेर सारी मोबिल ऑयल जैसी चीजें होती हैं।

दर्द के कारण

होम्योपैथिक चिकित्सक व केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार यह हिस्सा बहुत मजबूत होता है लेकिन इसमें टूटफूट भी होती है। उम्र और इस्तेमाल बढ़ने के साथ हिप्स की मसल्स भी कमजोर पड़ जाती है। यहां की नरम हड्डी कमजोर पड़ जाती है या उसमें टूटफूट आ जाती है। आप की मूवमैंट को स्मूथ बनाए रखने वाला चिपचिपा द्रव्य पदार्थ भी कम हो जाता है। कहीं जो से फिसल जाने में हिप की हड्डी में फ्रैक्चर भी आ सकता है। इन में से कोई भी चीज हिप्स में दर्द का कारण बन सकती है। यदि आप को अक्सर दर्द होता रहता है तो इन कारणों में से कोई एक बात हो सकता है।

अर्थराईटिस : हिप्स में दर्द का यह सब से बड़ा कारण है, खासकर उम्रदराज लोगों में। अर्थराईटिस आप के हिप्स ज्वाइंट में दर्द पैदा करता है। यह नरम हड्डी को काफी कमजोर कर देता है या तोड़ देता है। यह नरम हड्डी (कार्टिलेज) हिप्स की हड्डियों के लिए तकिए की तरह काम करती है। जैस-जैसे अर्थराईटिस बढ़ता है, दर्द बढ़ता है। महिलाओं को दर्द के साथ-साथ इस हिस्से में जकड़न भी महसूस होने लगती है।

हिप फ्रैक्चर : उम्रदराज लोगों में हिप फ्रैक्चर भी आमतौर पर सामने आता है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और वे चोट बरदाश्त नहीं कर पातीं। महिलाओं को अक्सर बाथरूम में गिरने की वजह से हिप फ्रैक्चर होता है।

टैंडन में चोट : टैंडन जिस्म की मसल्स को हड्डियों से जोड़ने वाली मजबूत रस्सी जैसी चीज होती है। यह काफी ताकतवर होती है। लेकिन अगर किसी झटके या लगातार किसी गलत मूवमैंट की वजह से इसे चोट पहुंच जाए तो यह काफी दर्द देती है। इस का दर्द मसल्स के मुकाबले देर से ठीक होता है।

मसल्स पेन : आप जो भी मूवमैंट करती हैं उस का भार मसल्स, टैंडन और लिगामैंट उठाते हैं। ज्यादा इस्तेमाल और वक्त के साथ ये कमजोर पड़ते जाते हैं और दर्द देना शुरू कर देते हैं। मसल्स में आई चोट या टूटफूट जल्दी भर जाती है, मगर लिगामैंट में कोई टूटफूट आ गई तो लंबे समय के लिए आराम देना पड़ता है। ज्यादा उम्र वाली महिलाओं में अगर लिगामैंट फ्रैक्चर की बात सामने आती है तो उन्हें लंबे समय तक आराम करना पड़ता है।

कैंसर : हड्डियों का कैंसर या हड्डियों तक पहुंच जाने वाला कैंसर शरीर की अन्य हड्डियों के साथ-साथ हिप्स में भी दर्द पैदा करता है। जांघों में, हिप्स के जोड़ों के भीतर, उन के बाहर की ओर और नितंबों में दर्द होता है। कभी-कभी बैकपेन यानी पीठदर्द और हर्निया की वजह से पैदा हुआ दर्द भी यहां तक पहुंच जाता है। अगर दर्द लगातार बढ़ रहा है तो ये आर्थ्राइटिस की निशानी हो सकती है। हलकी-फुलकी कसरत, स्ट्रैचिंग व्यायाम इस में मदद करते हैं। फिजियोथैरेपी भी ले सकते हैं। वैसे, स्विमिंग बहुत अच्छी कसरत होती है। यह हड्डियों पर ज्यादा दबाव नहीं डालती। दर्द से निजात पाने के लिए आप दर्द वाले इलाके पर 15 मिनट तक बर्फ रख कर सिंकाई करें। ऐसा आप दिन में 2-3 बार कर सकते हैं। होम्योपैथी दवाओं द्वारा दर्द, फैक्चर एवं सूजन में आराम आता है एवं बिना सर्जरी कराए भी व्यक्ति अपनी दिनचर्या सुचारू रूप से कर सकता है।

Tuesday, 18 April 2023

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस के मरीज को होम्योपैथिक मिल सकता है आराम : डॉ. द्विवेदी

र्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस गर्दन की रीढ़ की हड्डी की अकर्षक बीमारी है और गर्दन मे दर्द होने का यह एक मुख्य


कारण माना जाता है। महिलाओं की तुलना मे यह बीमारी पुरुषों मे ज्यादा पाई जाती है । बढ़ती उम्र के साथ साथ इस बीमारी के उभरने की संभावना भी बढ़ती जाती है। 70 वर्ष की आयु के लगभग 10 प्रतिशत पुरुषों में और करीब-करीब 9 प्रतिशत महिलाओं मे यह बीमारी पाई जाती है। होम्योपैथी से इस बीमारी की प्रगति को भी नियंत्रण मे रखा जा सकता है।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस गर्दन की रीढक़ी हड्डी की अपकर्षक बीमारी है । बढ़ती आयु से रीढ़ की हड्डी उसके जोड़ और जोड़ो के बीच उपस्थित गद्दी में बदलावो के कारण इस बीमारी के लक्षण उभरते हैं। बगैर किसी चोट के बाजुओं में कमजोरी महसूस होना और गर्दन मे निरंतर रहने वाली ऐठन का मुख्य कारण सर्वाइकल स्पॉन्डिलासिस है । यह देखा गया है कि 40 वर्ष से ज्यादा आयु वाले व्यक्तियो मे रीढ की हड्डी के बीच की गद्दी निर्जालित हो जाती है इससे वे ज्यादा संपीडय बन जाते है और उनका लचीलापन भी कम हो जाता है और उनमे धातु जमा होने लगते हैं। 40 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगो मे यह सभी महत्वपूर्ण बदलाव एक्सरे मे दिखाई पड़ते हैं पर इनमें से बहुत कम लोगों मे रोग के लक्षण उभरते हैं। ध्यान देनेवाली बात यह भी है कि कई बार यह बदलाव 30 वर्ष की आयु मे भी दिखाई देते हैं पर इन चिन्हों की वजह से उपचार शुरू करना जरुरी नही है यदि रोग के लक्षण उभरे ना हो।

 

रोग के लक्षण

  • गर्दन और कधों मे बार बार दर्द होना यह दर्द चिरकालिक या प्रासंगिक हो सकता है। बीच-बीच मे यह दर्द अपने आप से कम भी हो जाता है।
  • गर्दन में दर्द के साथ साथ मासपेशियों में अकडऩ आ जाती है । कई बार यह दर्द तेजी से कंधो और सिर की और फैलता है। कई मरीजों में वह दर्द पीठ मे और कंधो से होकर हाथो और उंगलियो तक भी फैल जाता है ।
  • सिर के पिछले हिस्से मे दर्द होता है । वह दर्द कभी गर्दन के निचले हिस्से तक या शीर्ष तक फैलता है ।
  • बगैर किसी चोट के गर्दन, कन्धे में सनसनी होना यह कुछ अन्य लक्षण है ।
  • कभी-कभी असामान्य लक्षण उभरते हैं जैसे कि छाती मे दर्द होना और मरीज इस दर्द को कभी कभी गलती मे हृदय का दर्द मान लेता है।

 

रोग के कारण

सर्वाइकल स्पान्डिलाटिस रीढ़ की हड्डी, हड्डियों के बीच के जोड़ और गद्दी मे घिसाव आने से होता है। ज्यादातर यह बदलाव 40 वर्ष से ज्यादा उम्रवाले व्यक्तियों में पाए जाते हैं । निम्नलिखित कारणों से सर्वाइकल स्पान्डिलाइटस होने की संभावना बढ़ सकती है

  • व्यवसाय संबंधित कारण- सिर पर बार बार भारी वजन उठाना, नृत्य करना, कसरत करना।
  • कई परिवारों मे सर्वाइकल स्पान्डिलाइटस होने कि प्रवृति होती है। आनुवंशिक कारण की उपेक्षा नहीं की जा सकती ।
  • धूम्रपान से भी खतरा होता है ।
  • लगातर सिर झुकाकर या गर्दन झुकाकर काम करना।
  • एक ही स्थान पर बैठकर लगातार काम करना उदाहरण कम्प्युटर के स्क्रीन/पर्दे को लगातर देखना।
  • लंबी दूरी का प्रवास करना, बैठे बैठे सो जाना।
  • टेलीफोन को कन्धे के सहारे रखकर लंबे समय तक बात करना ।
  • लगातार गर्दन को एक ही स्थिति/अवस्था में रखना उदाहरण: टीवी देखते समय, वाहन चलाते समय इत्यादि।

सर्वाइकल का होम्योपैथिक इलाज

होम्योपैथिक चिकित्सक व केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथिक उपचार करने से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस के मरीज को बहुत आराम मिल सकता है। बीमारी के शुरूआत में ही उपचार कराने पर परिणाम ज्यादा संतोषजनक होते हैं। चिरकालिक मरीजों में भी जम नस पर दबाव के कारण लक्षण उभरते हैं तो इनसे यह आराम दिलाने में मददगार होता है एवं बिमारी को और भी आगे बढऩे से रोकता है। जिन मरीजों में बिमारी ज्यादा संगीन हो गई हो और रीढ़ की हड्डी में बदलाव आ गए हों, उन मरीजों के दर्द में होम्योपैथिक उपचार से कम किया जा सकता है।

जिन मरीजों में रीढ़ की हड्डी में ज्यादा संरचनात्मक परिवर्तन न हुए हों उनमें होम्योपैथिक उपचार ज्यादा सफल रहता है। होम्योपैथिक उपचार पूर्ण रूप से सुरक्षित है और इस उपचार से कोई भी दुष्परिणाम नहीं होते हैं। यह जानना और समझना जरूरी है कि सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस एक उम्र के साथ बढ़ते जाने वाली बीमारी है। इस बीमारी के कारण रीढ़ की हड्डी में होने वाले बदलावों को फिर से उनके मूल रूप में नहीं लाया जा सकता है। पर इन बदलावों के कारण होने वाले। लक्षणों पर जरूर नियंत्रण पाया जा सकता है और इन बदलावों को और भी आगे बढऩे से रोकने का प्रयास होम्योपैथिक उपचार से किया जा सकता है। होम्योपैथिक उपचार और सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस: होम्योपैथी एक वैज्ञानिक चिकित्सा समधित उपचार प्रणाली है। होम्योपैथिक के मूल सिद्धांतों के अनुसार सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस का उपचार करते समय इसको पूर्ण रूप से समझा जाता है। यह करने के लिए बिमारी के लक्षणों को बारीकी से जाँचा और समझा जाता है और साथ साथ मरीज़ को समझने में भी इतना ही महत्व दिया जाता है। 

Saturday, 15 April 2023

होम्योपैथिक चिकित्सा का अपना महत्व है यह जटिल बीमारियों के इलाज में सबसे कारगर : डॉ. चौधरी


 

- श्रीमती कमलाबेन रावजी भाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया गया

इंदौर। विश्व होम्योपैथी दिवस के उपलक्ष्य में इंदौर में श्री गुजराती समाज इंदौर द्वारा संचालित श्रीमती कमलाबेन रावजी भाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया गया साथ ही शहर के वरिष्ठतम होम्योपैथिक चिकित्सक ८३ वर्षीय डॉ. दीक्षित को सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शहर के प्रसिद्ध सर्जन डॉ. अपूर्व चौधरी, विशेष अतिथि जिग्नेश भाई शाह कन्वीनर गुजराती समाज इंदौर थे। अध्यक्षता भरत भाई शाह अध्यक्ष कॉलेज शासी निकाय ने की। इस अवसर पर मनोज भाई परीख मंत्री ट्रस्ट बोर्ड भी विशेष रूप से मौजूद थे। अतिथि स्वागत प्राचार्य डॉ. एस पी सिंह ने किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. अपूर्व चौधरी जी ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में जितना आप को अनुभव होता जाएगा उतना ही आप परिपक्व होते हैं हमें अपडेट रहने की जरूरत है इसमें गूगल हमारी सहायता करता है। आपने कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा का अपना महत्व है कई बीमारियों में होम्योपैथिक चिकित्सक अनुकरणीय कार्य भी कर रहे हैं। आपने कॉलेज के ही प्रोफेसर डॉ. ए. के. द्विवेदी का उदाहरण देते हुए कहा की जिस तरह से डॉ. द्विवेदी अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज कर रहे हैं और मरीजों को इस जटिल बीमारी पर जीत हासिल हो रही है सभी छात्रों को उनसे सीख  लेने की सलाह भी दी।

कॉलेज शसी निकाय अध्यक्ष भरत भाई शाह ने केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार के साथ कॉलेज द्वारा किए गए एमओयू की जानकारी सभी छात्रों और शिक्षकों को दी। साथ ही बताया कि


श्री गुजराती समाज के इस वर्ष १०० वर्ष पूरे हो रहे हैं इसके उपलक्ष्य में होम्योपैथिक कॉलेज द्वारा एक बड़ा अस्पताल और बीमारियों पर वृहद अनुसन्धान करेगा। आपने बताया कि नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति भारत एवं श्री सर्वानंद सोनोवाल केंद्रीय आयुष मंत्री भारत सरकार तथा महेंद्र भाई मुंज पारा आयुष राजयमंत्री भारत सरकार के समक्ष एमओयू हस्तांतरित किए गए। गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की तरफ से प्राचार्य डॉ. एस. पी. सिंह एवं चेयरमैन भरत भाई शाह तथा केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार के तरफ से महानिदेशक सुभाष कौशिक एवं देवदत्त नाइक के हस्ताक्षर हुए। जिसका लाभ इस होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के छात्रों को मिलेगा। अपने रिसर्च की जिम्मेदारी कॉलेज प्राचार्य डॉ. एस. पी. सिंह वरिष्ठ प्रोफ़ेसर डॉ. राजेश बोर्दिया तथा डॉ. एके द्विवेदी की देख रेख में होने की बात भी दोहराई। कॉलेज प्राचार्य डॉ. एस.पी. सिंह ने महाविद्यालय के २५ वर्षों के सफर के बारे में अतिथियों को अवगत कराया साथ ही महविद्यालय में २५ वर्ष पूर्ण करने वाले राकेश वाघेला एवं रंजना परमार का अतिथियों से सम्मान भी कराया। वरष्ठि होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. दीक्षित ने होम्योपैथिक चिकित्सा छात्रों को प्रतिदिन होम्योपैथिक की कोई न कोई मेडिसिन पढ़ने की सीख भी दी। आपने कहा कि पढ़ाई के साथ छात्र जीवन में खेलकूद का भी उतना ही महत्व है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने किया।  आभार डॉ. ए. के. द्विवेदी ने व्यक्त किया।

होम्योपैथी में है डायबिटीज का इलाज

धुमेह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। यह एक जिन्दगी भर चलने वाली बिमारी है जिसमें आपके रक्त शर्करा का स्तर नार्मल से ऊंचा हो जाता है। इस बिमारी को प्रबंधित करना कठिन लग सकता है मगर मधुमेह से प्रभावित लोगों ने एक अच्छी जीवन शैली, व्यायाम, सही डाइट प्लान को पालन कर के इस बीमारी से


जीत हासिल की है। उन्होंने अपने रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य स्तर पर लाने के लिए कुछ दवाओं की भी आवश्यकता हो सकती है।  अधिकांश मधुमेह रोगी अक्सर एलोपैथिक दवा का विकल्प चुनते हैं। हालांकि होम्योपैथी मधुमेह के इलाज में भी फायदेमंद हो सकती है।

डायबिटीज मेलिटस या मधुमेह दुनिया भर में एक आम बीमारी है। यह एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है जिसमे खून मे मौजूद ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है। मधुमेह की देखभाल महत्वपूर्ण है क्योंकि रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि आपके शरीर के विभिन्न अंगों के कामकाज को प्रभावित करती है। मधुमेह आपकी आंखों, हृदय, यकृत, पैरों और गुर्दे को प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही मधुमेह से अनिद्रा, तनाव, तंद्रा, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव आदि जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

हमारे शरीर मे मौजूद इन्सुलिन ब्लड ग्लूकोस को शरीर के कोशिकायों को तक पहुंचता है जिससे शरीर मे ऊर्जा पैदा होती है इन्सुलिन की कमी या इन्सुलिन रेजिस्टेंस के कारण ब्लड ग्लूकोस की मात्रा अधिक हो जाती है। अत: शरीर में इंसुलिन का अपर्याप्त या उत्पादन नहीं होने के कारण व्यक्ति को मधुमेह हो जाता है। मधुमेह के इलाज में मदद करने वाले प्राथमिक दृष्टिकोण में जीवनशैली में बदलाव और दवाएं (एलोपैथिक, होम्योपैथिक, या हर्बल) शामिल हैं। डायबिटीज रिवर्सल मेथड मधुमेह के हजारों रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हुई है।

मधुमेह के लक्षण

मधुमेह के कई मामलों में, शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि, ऐसे मधुमेह रोगी धीरे-धीरे जटिलताओं का अनुभव करने लगते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर की जांच कराएं। मधुमेह के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं-

  • थकान
  • मतली
  • बार-बार पेशाब आना
  • प्यास और भूख में वृद्धि
  • वजन घटना
  • धुंधली दृष्टि (निगाह कमजोर होना)

मधुमेह का होम्योपैथिक इलाज

मधुमेह में शरीर के विभिन्न अंगों में गंभीर जटिलताएं पैदा करने की प्रवृत्ति होती है। मधुमेह के लिए होम्योपैथिक उपचार एक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है। यह मधुमेह के इलाज के लिए एक गैर-पारंपरिक चिकित्सा है। आम तौर पर रोगी का एक लंबा और गहन शारीरिक और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन उपयुक्त दवा लिखने में मदद करता है। हालांकि, मधुमेह का शायद ही कोई अन्य उपचार इन मूल्यांकनों पर विचार करता हो। होम्योपैथी का उपचार रोगी के स्वस्थ की जानकारी पर निर्भर करता है।

होम्योपैथी : मधुमेह रोगियों के लिए यह तुरंत का माध्यम नहीं

यदि आप तत्काल चिकित्सा की तलाश में हैं या अपने रक्त शर्करा के स्तर को तुरंत नियंत्रित करना चाहते हैं, तो होम्योपैथी उपचार चुनना एक अच्छा विचार नहीं है। होम्योपैथी उपचार को आपकी स्वास्थ्य स्थिति पर प्रभाव दिखाने के लिए कुछ समय चाहिए। मधुमेह को पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लग सकता है। ऐसे मामलों में होम्योपैथी उपचार मधुमेह की जटिलताओं को रोकने में मदद करता हैं। आप कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों में परिणाम देखने की उ्मीद कर सकते हैं। यदि आप त्वरित परिणामों की अपेक्षा कर रहे हैं, तो आप पारंपरिक दवाओं के पूरक के रूप में होम्योपैथी दवाओं का उपयोग कर सकते हैं या होम्योपैथी दवाओं और मधुमेह उत्क्रमण कार्यक्रम को एक साथ जोड़ सकते हैं ताकि मधुमेह उत्क्रमण चिकित्सा में तेजी लाई जा सके।

होम्योपैथिक चिकित्सक व केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी उपचार प्राकृतिक हैं क्योंकि इस पद्धति में खनिजों, पौधों और जानवरों के अर्क का इस्तेमाल करके दवाएं बनती हैं। होम्योपैथी सिद्धांत के अनुसार, किसी पदार्थ के तनु रूप में उसकी अधिकांश चिकित्सीय शक्ति होती है। इसलिए, डॉक्टर मधुमेह के रोगियों को अधिकांश होम्योपैथी दवाओं को को घुलने के बाद इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। होम्योपैथी उपचार के लिए प्राकृतिक पदार्थ घुलने की प्रक्रिया से गुजरता है जब तक कि इसमें मूल प्राकृतिक पदार्थ का केवल एक अंश न हो।