Thursday, 30 March 2023

शिविर में 365 लोगों की स्वास्थ्य जाँच, कर मरीजों को निःशुल्क होम्योपैथिक दवाइयां वितरित

 - डॉ. ए.के. द्विवेदी ने जैन समाज के मिलन समारोह में सार्थक पहल की

इंदौर। कहने को तो ये दूसरे वार्षिक मिलन समारोह की ही तरह एक सामान्य कार्यक्रम था लेकिन इसके तहत 365 से अधिक लोगों की स्वास्थ्य जाँच एवं मरीजों को बीमारियों के अनुरूप निःशुल्क होम्योपैथिक दवाओं का वितरण कर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य एवं इंदौर स्थित गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्रोफ़ेसर डॉ. ए.के. द्विवेदी ने इसे यादगार बना दिया। देश के प्रख्यात होम्योपैथिक चिकित्सक की इस पहल से समारोह सार्थक और अत्यंत उपयोगी बन गया। लोगों ने भी इस प्रयास को खूब सराहा और पदाधिकारियों ने डॉ द्विवेदी को सम्मानित भी किया।

फिर बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले ? कई लोगों ने पूछा

जैन श्वेतांबर (छोटे-साथ) समाज के वार्षिक मिलन समारोह में डॉ. द्विवेदी ने लोगों को सेहत के प्रति  जागरूक करते हुए लोगों के प्रश्नों का जवाब भी दिया तथा समझाया कि कोरोना के मामले यदि बढ़ भी रहे हैं तो डरने या घबराने की ज़रूरत नहीं है। यही समय है हमारे चेतने का और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का है। यदि हम अभी से साधारण सर्दी-जुकाम से बचाव संबंधी सावधानियां रखना शुरू कर देंगे तो ही हम खुद को, परिवार को और समाज को कोरोना जैसी महामारी के दुष्प्रभावों से बचा सकेंगे।

बीपी, शुगर समेत अन्य जरूरी जांचें की

महावीर बाग स्थित दलालबाग में आयोजित समारोह में "एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर, होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा.लि. और आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वावधान में हेल्थ कैंप लगाया गया था। इस दौरान डॉ. द्विवेदी के नेतृत्व में डॉक्टर्स की टीम ने लोगों की ब्लड प्रेशर, शुगर समेत अन्य जरूरी जांचें की और उन्हें आवश्यक दवाइयां निःशुल्क प्रदान की। समाजजन ने बड़ी संख्या में पहुंचकर अपने स्वास्थ्य की जांच कराई।

फायदेमंद है भुना चना और भुनी बादाम

रक्त और हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाले रोगों अप्लास्टिक एनीमिया, सिकल सेल, थैलेसीमिया आदि के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. द्विवेदी ने इन रोगों के शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया। साथ ही इन रोगों से बचाव के लिए जरूरी पौष्टिक आहार के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि शरीर में रक्त कमी को दूर करने के लिए हमारे घर की रसोई में उपलब्ध भुना चना, गुड़, भुनी बादाम, भुना सोयाबीन, पालक, पपीता, सत्तू , आंवला, गाजर, चुकन्दर, छुहारा, मुनक्का, अंजीर आदि का सेवन संतुलित मात्रा में नियमित रूप से किया जा सकता है।

महिलाएं रखें बढ़ती उम्र के साथ विशेष स्वास्थ्य सावधानी

महिलाओं को खासतौर पर समय-समय पर रक्त संबंधी जांचें एवं उसके अनुरूप जरूरी उपचार कराते रहना चाहिए क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि महिलाएं परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने की भागदौड़ में स्वयं के स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रख पाती है और अनेक रोगों का शिकार हो जाती है जिसके कारण मोटापा, कमर दर्द, घुटने का दर्द वैरिकोज़ वेन इत्यादि बीमारियां महिलाओं को घेर लेती हैं इसलिए उन्हें खासतौर पर अपना खयाल रखने की जरूरत है और हल्के व्यायाम तथा योग और वॉकिंग करने की समझाईश भी दी। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष भंवरलाल कासवा, महिला संघ संस्थापक अध्यक्ष शांता भामावत, महिला संघ अध्यक्ष कांतारानी भतेवरा, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. जितेंद्र पुरी, विनय पांडे, पाखी भामावत, चंचल शर्मा, श्रुति पटेल, कार्तिकेय मिश्रा, ओमप्रकाश, शुभम गोयल, राहुल भावसार आदि उपस्थित थे।

Monday, 27 March 2023

महिलाओं की अनिमियित जीवनशैली उन्हें बना रही है मोटापा, डिप्रेशन, मधुमेह आदि का शिकार

 ज की नारी हर जगह पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। इसी भागदौड़ भरी


लाइफस्टाइल के फेर में पड़ी नारी अपनी सेहत के प्रति कभी कभी लापरवाह हो जाती है। क्योंकि वे घर व दफ्तर के बीच दोहरी भूमिका निभाती है और सेहत का ख्याल रखने को नजरअंदाज कर जाती है। एक जानकारी के अनुसार 20 से 40 वर्ष की उम्र वाली महिलाएं अपनी बिगड़ती जीवनशैली के चलते कई बीमारियों से ग्रस्त हैं। इसी कारण महिलाओं में मोटापा, डिप्रेशन, मधुमेह, रक्तचाप जैसी जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही है। एक अध्ययन के अनुसार इस सर्वेक्षण में शामिल 21 से 52 वर्ष की उम्र वाली कामकाजी महिलाओं में से 68 प्रतिशत महिलाएं जीवनशैली संबंधी बीमारियों से पीड़ित है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के लगातार तीसरी बार सदस्य चुने गए देश के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार महिलाएं को अपनी जीवनशैली नियमित करना चाहिए। इसके अलावा वे होम्योपैथिक उपचार भी ले सकती है। होम्योपैथिक उपचार सुरक्षित और राहत देने वाला है। इसके किसी भी तरह के साइड इफैक्ट भी नहीं है। 

कार्डियो वैस्कुर डिजीज

कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों से आज महिलाएं भी अछूती नहीं रही। आज की महिलाएं खुद के स्वास्थ्य से अधिक महत्व अपने कैरियर को देती है। कार्डियो वैस्कुलर रोग दिल और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करते हैं। कुछ सामान्य कार्डियो वैस्कुलर रोगों में हाइपरटेंशन, उच्च रक्तचाप, सीओपीडी और स्ट्रोक आदि भी शामिल है। इसमें सीओपीडी उस बीमारी को कहते हैं जिसमें एयरफ्लो में रुकावट आ जाती है और जिसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। यह बीमारी आमतौर पर क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसेमा के कारण होती है। सिगरेट और धूम्रपान सीओपीडी का प्रमुख कारण है।

उपाय – जीवनशैली बदलें

कार्डियो वैस्कुलर रोगों से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं को पौष्टिक व लो कैलोरीज वाला भोजन लेना चाहिए। उन्हें अपने भोजन में कम नमक, कम वसा, कम चीनी, अधिक फाइबर और विटामिन के लिए हरी सब्जियां व फल अपने आहार में शामिल करना चाहिए। फलों का सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि फलों में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होती है। ग्लूकोज का अधिक मात्रा में सेवन करने पर उच्च रक्त शर्करा हो सकती है। इसके आलावा तंबाकू और शराब के सेवन से बचें।

डिप्रेशन

बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाएं बड़ी संख्या में तनाव की शिकार हो रही हैं। इनमें कामकाजी महिलाओं की तादाद ज्यादा है। महिलाओं में बढ़ते तनाव को लेकर डॉक्टर्स कहते हैं कि महिलाओं एक्सोजिनोस डिप्रेशन की शिकार होती है जिसकी वजहों में कोई घरेलू समस्या, आर्थिक समस्या, पति से अनबन, काम का अधिक बोझ, आराम न मिल पाने के कारण चिड़चिड़ापन या ऑफिस की कोई समस्या आदि हो सकती है। कई महिलाएं डिमेंशिया की भी शिकार होती है। डिमेंशिया में दिमाग के कुछ खास सेल्स नष्ट होने लगते हैं, जिसकी वजह से सोचने-समझने की शक्ति में कमी आने लगती है। तनाव के कारण महिलाओं में चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है। अचानक गुस्सा आना, भुलक्कड़पन, अकेले रहना और किसी से बात न करना जैसी आदतें उनमें दिखाई देने लगती है।

उपाय – साइकोथैरेपी

तनाव से बाहर निकलने के लिए महिलाओं को स्वयं ही प्रयास करना चाहिए। अपने काम को छोटे-छोटे भाग में बांट लें। मनोरंजन के लिए गाना सुनें। मेडिटेशन और व्यायाम को भी अपने दैनिक जीवन में शामिल करें। इसके अलावा आप मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी जाने वाली साइकोथैरेपी की क्लासेस भी ज्वाइन कर सकती हैं। वहां आपको खुश रहने का तरीका, अच्छा व्यवहार करना और बदलते परिवेश के हिसाब से खुद को ढालना आदि बातें सिखाई जाती है। यह क्लासेस अवसादग्रस्त व्यक्ति की जरूरत पर निर्भर करती है।

मोटापा

मोटापा महिलाओं में होने वाली बड़ी शारीरिक समस्याओं में से एक है। अन्य देशों की अपेक्षा भारत में हार्ट, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर जैसी शारीरिक समस्याएं लोगों में काफी बढ़ी है। इसकी वजह है मोटापा। हमारे देश में 80 प्रतिशत लोग मोटापे के शिकार है। मोटापा दो प्रकार का होता है। पहला जिसमें चर्बी पेट पर चढ़ती है और दूसरे में चर्बी हिप पर चढ़ती है। महिलाओं में मोटापे के कई कारण हो सकते हैं जैसे थायरॉइड या हार्मोनल असंतुलन, लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण है हमारा असंतुलित खाना-पान। उदाहरण के तौर पर एक दिन में 3 किलोमीटर ब्रिस्क वॉक करके आप 250 कैलोरीज बर्न कर सकते हैं, तो वहीं एक समोसा खाकर 250 कैलोरी वापस ग्रहण कर लेते हैं। महिलाओं में मोटापा अनिमयित मासिक धर्म का कारण भी बन सकता है, गर्भधारण करने में भी दिक्कतें  आ सकती हैं। अत्याधिक मोटापे के कारण स्ट्रेच मार्क्स की समस्या शुरू हो सकती है। घुटनों में दर्द, चलने के दौरान सांस फूलना और थकान महसूस करना इसके मुख्य लक्ष्ण हैं।

उपाय – संतुलित आहार और बेरिएट्रिक सर्जरी

मोटापे की समस्या से बचने के लिए जरूरी है व्यायाम। इसके आलावा कम कैलोरी युक्त मिनरल और विटामिन से भरपूर पौष्टिक भोजन लें। एक दिन में 40 मिटन की वॉक आपको फिट बनाए रखेगी। अत्यधिक मोटापे के शिकार रोगियों के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी भी उपलब्ध है। इसमें लेप्रोस्कोपी के माध्यम से चर्बी घटाई जाती है। यह सर्जरी स्वस्थ महिलाओं के लिए ही संभव है। डायबिटीज की शिकार महिलाओं के लिए इस सर्जरी में समस्या आ सकती है।

पीठ का दर्द

पीठ का दर्द की समस्या आज महिलाओं में आम हो चुकी है। कम उम्र की महिलाएं भी इसकी शिकार हो रही है। फिजीशियंस का कहना है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लो बैक पेन की समस्या सामान्य हो गई है। एक लंबी अवधि तक लगातार एक ही स्थित में बैठे रहना इसका मुख्य कारण है। गलत ढंग से बैठने से मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक वजन वाला समान उठाने के कारण भी महिलाएं लंबा बैक पेन की शिकार हो सकती है। इसके आलावा बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के शरीर से कैल्शियम कम होने लगता है। इसके कारण भी क पेन की शिकार हो सकती है। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के शरीर से कैल्शियम कम होने लगता है। इसके कारण भी बैक पेन की समस्या शुरू हो जाती है। महिलाओं को अपने बैठने के पॉश्चर पर ध्यान देना चाहिए। हमेशा पीठ और गर्दन सीधा करके बैठें। इस बारे में हड्डी रोग विशेषज्ञ का कहना है कि बैकपेन का इलाज समय रहते जरूरी है, नहीं तो यह बड़ी समस्या बन सकता है। एक महीने से अधिक समय तक दर्द होने पर आप तुरंत किसी डॉक्टर की सलाह लें। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर का वजन बढ़ने के साथ मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है या स्पाइनल नर्व्स में बदलाव होता है जिसके कारण यह समस्या बढ़ जाती है।

उपाय- फिजियोथैरपी

बैक पेन के लिए व्यायाम सबसे अच्छा इलाज है। अधिक दर्द होने पर आप फिजियोथैरेपी करवा सकती है। बैक पेन से परेशान रोगियों को इंटरवेंशन पेन मैंनेजमेंट ट्रीटमेंट भी दिया जाता है जिसके अंर्तगत इंजैक्शन द्वारा एक तरल पदार्थ को डिस्क तक पहुंचा कर एक्सरे में दर्द का कारण जाना जा सकता है। फिर जरूरत होने पर उपचार के लिए अगली सिटिंग दी जाती है।

डायबिटीज

एक शोध के अनुसार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं डायबिटीज की अधिक शिकार हो रही हैं। डायबिटीज आम तौर पर व्यक्ति की खराब जीवनशैली के कारण होता है। इसके अलावा तनाव, एल्कोहल का सेवन, जंक, फैटी फूड और धुम्रपान आदि भी डायबिटीज का कारण हो सकती है। कई बार यह लोगों में आनुवंशिक तौर पर भी होता है। अत्यधिक कैलोरीज युक्त खानपान भी इसका कारण है, खासतौर पर सॉफ्ट ड्रिंक का अधिक सेवन, ड्रिंक में मिला एक्सट्रा शुगर, कैफीन और कलर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। ज्यादा कैफीन से शरीर में कैल्शियम नष्ट होने लगता है। ज्यादा शुगर से इंसुलिन लेवल में गड़बडी आ सकती है। ज्यादा भूख लगना या थकान महसूस होना, अचानक वजन कम होना, किसी भी घाव को ठीक होने में समय लगना और सांस फूलना आदि डायबिटीज के मुख्य लक्ष्ण है। अक्सर गर्भावस्था के दौरान अस्थाई तौर पर भी महिलाओं को डायबिटीज हो सकती है।

उपाय- व्यायाम और बाइट 

डायबिटीज की शिकार महिलाओं को व्यायाम जरूर करना चाहिए। अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के बारे में जानकारी रखें और डायटीशियन के हिसाब से डाइट लें। शुगर और ब्लड प्रेशर का एक साथ होना खतरनाक होता है। इसलिए हर सप्ताह इसे चैक करवाती रहें।

डीएवीवी में "स्कूल ऑफ आयुष" शुरू करने को लेकर बनी सैद्धांतिक सहमति

 राज्यपाल से इंदौर सांसद शंकर लालवानी जी के साथ भेंट के दौरान वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य ने की चर्चा

इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के तहत जल्द ही स्कूल ऑफ आयुष की स्थापना की जाएगी। यह जानकारी


भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के लगातार तीसरी बार सदस्य चुने गए देश के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी ने दी। उन्होंने  इंदौर सांसद श्री शंकर लालवानी जी के साथ महामहिम राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी को ज्ञापन देकर इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के तहत स्कूल ऑफ आयुष शुरू करने का निवेदन किया था, ताकि सिकलसेल और अप्लास्टिक एनीमिया जैसी अन्य गंभीर बीमारियों से निपटने में मदद मिल सके।

राज्यपाल ने डॉक्टर द्विवेदी के आग्रह को स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय में "स्कूल आफ आयुष" शुरू करने को लेकर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उन्होंने आश्वस्त किया है कि इस संबंध में वो जल्द ही कैबिनेट के संबंधित अधिकारियों से चर्चा कर अगले सत्र में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में स्कूल आफ आयुष शुरू करने के हर संभव प्रयास करेंगे।

देश को 2047 तक एनीमिया मुक्त बनाने का लक्ष्य

उल्लेखनीय है कि सिकलसेल और अप्लास्टिक एनीमिया जैसी घातक बीमारियों से विशेष रुप से आदिवासी क्षेत्र में हो रहे दुष्परिणामों को लेकर डॉ. द्विवेदी ने राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू जी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी से भी उनकी इंदौर यात्रा के दौरान चर्चा की थी। नए बजट में केंद्र सरकार ने भी देश को 2047 तक एनीमिया मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके दृष्टिगत विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ आयुष की स्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है। एनीमिया (सिकलसेल) निवारण के लिए डॉ. द्विवेदी द्वारा लंबे समय से जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उनके द्वारा प्रत्येक वर्ष फरवरी माह के अन्तिम रविवार से मार्च के प्रथम रविवार तक इन्दौर में एनीमिया रथ के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसमें डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, मरीजों एवं आम लोगों के साथ-साथ इंदौर के सांसद शंकर लालवानी भी प्रमुखता से हिस्सा लेते हैं।

"स्कूल ऑफ आयुष" की स्थापना से इस लक्ष्य प्राप्ति में मिलेगी मदद

राज्यपाल से डॉ. द्विवेदी की भेंट के दौरान मौजूद श्री लालवानी भी मानते हैं कि सिकल सेल और अप्लास्टिक एनीमिया जैसी बीमारियों की रोकथाम की दिशा में स्कूल ऑफ आयुष की स्थापना एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है। इससे इस लक्ष्य प्राप्ति में बहुत मदद मिलेगी। इस वर्ष डॉ. द्विवेदी द्वारा जन-जागरूकता के तहत चलाये गये एनीमिया रथ ने इंदौर शहर तथा आसपास के क्षेत्रों में 8 दिनों में लगभग 200 किलोमीटर का भ्रमण किया। इस दौरान रथ के साथ चलने वाली होम्योपैथिक चिकित्सकों की टीम ने करीब 35 हजार लोगों से मिलकर एनीमिया के लक्षण, होम्योपैथिक उपचार तथा खानपान की जानकारी दी। श्री लालवानी कहते हैं कि जिस तरह से इन्दौर स्वच्छता में नम्बर-1 है उसी तरह से डॉ. ए.के. द्विवेदी के अथक प्रयासों से ये एनीमिया मुक्त में भी नम्बर-1 बनेगा।

Monday, 20 March 2023

थायरॉइड: जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

 ज के समय में हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैं। लेकिन व्यस्त जीवनशैली, अव्यवस्थित खानपान, शारीरिक श्रम


का अभाव जैसे विभिन्न कारणों से हम बीमार पड़ते रहते हैं। कोई न कोई रोग हमारे जीवन को प्रभावित कर ही देता है और हम परेशान होते रहते हैं। इसके अलावा कुछ रोग ऐसे होते हैं जो हमारे शरीर की ग्रंथियों से जुड़े होते हैं। इन्हीं में से एक है थायरॉइड रोग, जो कि हमारी थायरॉइड ग्रंथि से जुड़ा होता है। इसी से जुड़े रोग को थायरॉइड रोग कहा जाता है।

थायरॉइड क्या है?

थायरॉइड गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है। ये सांस की नली के ऊपर होती है। यह मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अतस्रावी ग्रंथियों में से एक होती है। इसी थायरॉइड ग्रंथि में गड़बड़ी आने से ही थायरॉइड से संबंधित रोग होते हैं।

थायरॉइड हार्मोन का क्या काम है?

थायरॉइड हार्मोन के कार्य निम्नलिखित हैं

  • यह हमारे शरीर में थायरोक्सिन हार्मोन वसा,
  • प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है।
  • यह रक्त में चीनी, कोलेस्ट्रॉल और फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
  • यह हड्डियों, पेशियों, लैंगिक और मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  • हृदयगति और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
  • महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है।

 

थायरॉइड रोग के प्रकार

थायरॉइड ग्रंथि से जुड़े विकार दो प्रकार के होते हैं।

  • थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता
  • थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता

 

थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता: जब थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता हो जाती है तो T3 And T4 हार्मोन का आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने लगता है। जब इन हार्मोन्स का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है तो फलस्वरूप शरीर भी ऊर्जा का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगता है। इसे ही हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। यह समस्या पुरुषों की तुलना महिलाओं में यह अधिक देखी जाती है। थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता के कारण शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है। जिसके निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं।

  • घबराहट
  • अनिद्रा
  • चिड़चिड़ापन
  • हाथों का काँपना
  • अधिक पसीना आना
  • दिल की धडक़न बढ़ना
  • बालों का पतला होना एवं झड़ना
  • मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना
  • अत्यधिक भूख लगना
  • वजन का घटना
  • महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता
  • ओस्टियोपोरोसिस से हड्डी में कैल्शियम तेजी से खत्म होना आदि।

थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता: थायराइड की अल्प सक्रियता के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है। जिसके लक्षण निम्नलिखित है।

  • धडक़न धीमी होना।
  • हमेशा थकावट का अनुभव
  • अवसाद या डिप्रेशन
  • सर्दी के प्रति अधिक संवेदनशील
  • वजन का बढ़ना
  • नाखूनों का पतला होकर टूटना
  • पसीना नहीं आना या कम आना
  • त्वचा में सूखापन और खुजली होना
  • जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में अकड़न
  • बालों का अधिक झड़ना
  • कब्ज रहना
  • आँखों में सूजन
  • बार-बार भूलना
  • सोचने-समझने में असमर्थ
  • मासिक धर्म में अनियमितता
  • कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढऩा आदि।

 

थायरॉइड रोग क्यों होता है?

  • थायरॉइड रोग होने के निम्नलिखित कारण है।
  • अव्यवस्थित लाइफस्टाइल
  • खाने में आयोडीन कम या अधिकता
  • ज्यादा चिंता करना
  • वंशानुगत
  • गलत खानपान और देर रात तक जागना
  • डिप्रेशन की दवाईयों लेना
  • डायबिटीज
  • भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल
  • उपरोक्त के अलावा थायरॉइड इन कारणों से भी हो सकता है।
  • हाशिमोटो रोग
  • थायरॉइड ग्रंथि में सूजन
  • ग्रेव्स रोग
  • गण्डमाला रोग
  • विटामिन बी 12 की कमी

थायरॉइड से बचाव के उपाय

आप निम्नलिखित उपायों को अपनाकर थायरॉइड से बच सकते हैं।

  • रोजाना योग करना
  • वर्कआउट या शारीरिक श्रम
  • सेब का सेवन
  • रात में हल्दी का दूध पीना
  • धूप में बैठना
  • नारियल तेल से बना खाना खाना
  • पर्याप्त मात्रा में नींद लेना
  • ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें
  • हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन
  • पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें

थायरॉइड में क्या नहीं खाना चाहिए?

  • धूम्रपान, एल्कोहल का सेवन नहीं करना
  • चीनी, चावल, ऑयली फूड का सेवन नहीं करे
  • मसालेदार खाने से बचे
  • मैदे से बनी चीजें नहीं खाएं
  • चाय और कॉफी का सेवन नहीं करे

थायरॉइड का इलाज क्या है?

थायरॉइड से स्बन्धित बीमारी मुख्य रूप से अस्वस्थ खान-पान और तनावपूर्ण जीवन से होती होती है। ऐसे में सबसे पहले अपने खान-पान का ध्यान रखें और तनाव लेने से बचें। साथ ही थायरॉइड के इलाज के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

Saturday, 18 March 2023

केंद्र सरकार के 2047 तक एनीमिया मुक्त भारत के लक्ष्य को चरितार्थ करने के लिए इंदौर में 8 दिनों तक चलाया एनीमिया जागरूकता रथ

 8 दिनों में 200 किमी का भ्रमण कर 35 हजार लोगों से मिलकर उन्हें एनीमिया के लक्षण, होम्योपैथिक उपचार तथा खानपान की दी गई जानकारी

इंदौर। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 के आम बजट में प्रावधान लाकर वर्ष 2047 तक भारत को एनीमिया मुक्त


करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसको चरितार्थ करने हेतु दिनांक 26 फरवरी 2023 से 5 मार्च 2023 तक 8 दिनों तक एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा.लि. और आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा एनीमिया जागरूकता रथ चलाया गया। जिसने इंदौर शहर तथा आसपास के क्षेत्रों में 8 दिनों में लगभग 200 किलोमीटर का भ्रमण किया। इस दौरान रथ के साथ चलने वाली होम्योपैथिक चिकित्सकों की टीम द्वारा करीब 35 हजार लोगों से मिलकर एनीमिया के लक्षण, होम्योपैथिक उपचार तथा खानपान की जानकारी दी गई। तो बतौर इंदौर सासंद शंकर लालवानी कहते हैं कि जिस तरह से इंदौर स्वच्छता में नंबर-1 है उसी तरह से डॉ. एके द्विवेदी के अथक प्रयासों से एनीमिया मुक्त करने में भी नंबर-1 बनेगा।

शहर के प्रख्यात चिकित्सक और आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार समिति (केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद्) के अहम सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने बताया कि इस एनीमिया जागरूकता रथ के माध्यम से न केवल लोगों को खून की कमी से होने वाली तरह-तरह की छोटी-बड़ी समस्याओं के बारे में जागरूक किया गया बल्कि इनसे बचाव के अत्यंत सरल व घर में उपलब्ध खानपान के बारे में लोगों को बताया गया। इसके अलावा रक्त की कमी की वजह से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का सरल औषधीय उपचार भी किया गया। तो चुनिंदा जरूरतमंद मरीजों को निःशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई गई। साथ ही पैपलेंट बांटे गए जिस पर रक्त की कमी को दूर करने और हिमोग्लोबीन को बढ़ाने के लिए उपयोगी खाद्य पदार्थों की जानकारी थी। रथ भ्रमण के साथ ही हमारे द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भी लोगों को जागरूक किया गया। उल्लेखनीय है कि ढाई दशकों से एनीमिया के मरीज़ों का सफलतापूर्वक होम्योपैथी इलाज कर रहे डॉ. द्विवेदी पेशेंट्स अवेयरनेस के लिए पिछले कई सालों से एनीमिया रथ सप्ताह का आयोजन इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में कर रहे हैं। जिससे बड़ी संख्या में इंदौर और आसपास के मरीज लाभान्वित होते हैं। वहीं माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एवं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के जनवरी 2023 में इंदौर प्रवास के दौरान डॉ. द्विवेदी ने उनसे भेंटकर 2023 के बजट में एनीमिया के इलाज के लिए प्रावधान करने का आग्रह किया था। जिसे सहृदयता से स्वीकार कर लिया गया है। इसके लिए डॉ. एके द्विवेदी राष्ट्रपति एवं वित्तमंत्री का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं हुए कहते हैं कि केंद्रीय बजट में 2047 तक देश को एनीमिया-मुक्त करने की घोषणा वाकई में एक बड़ा कदम है और भारत एनीमिया मुक्त होने की ओर अग्रसर होगा।

रेंडमली सीबीसी जांच के बाद आए आंकड़े चिंता का विषय


डॉ. एके द्विवेदी बताते हैं कि वे होम्योपैथिक चिकित्सा को लेकर लागातार कार्य करते हुए अनेक गंभीर बीमारियों का इलाज इसके माध्यम से कर रहे हैं। वे 25 वर्षों से अधिक समय से होम्योपैथिक चिकित्सा के माध्यम से सिकल सेल एनीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर रोगों का उपचार कर मरीजों को राहत दे रहे हैं।  उल्लेखनीय है कि उनके द्वारा समय-समय पर कैंप लगाकर लोगों में एनीमिया की जांच की जाती है। जिनकी रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इसी वर्ष 2023 में जनवरी-फरवरी माह में स्कूल व गांव में की गई रेंडमली सीबीसी जांच के आधार पर देखा जाए तो 11 से 40 आयु वर्ग के महिला-पुरुष व बच्चों की रिपोर्ट में गांव में आंकड़ा 50 प्रतिशत तो स्कूल में यह प्रतिशत 78.52 रहा था। जो कि एक चिंता का विषय है।



नेशनल फेमेली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट में प्रदेश व इंदौर में एनीमिया की स्थिति


नेशनल फेमेली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) की रिपोर्ट के अनुसार मप्र और इंदौर में एनीमिया की स्थिति भी चिंता का विषय है। रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 6 से 59 माह के बच्चों में एनीमिया का प्रतिशत 72.7 है। 15 से 49 वर्ष की नॉन प्रेग्नेंट महिलाओं का प्रतिशत 54.7 है तो गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत 52.9 है। जबकि 15 से 49 आयु वर्ग की सभी महिलाओं का प्रतिशत 54.7 है और 15 से 19 वर्ष की सभी महिलाओं का प्रतिशत 58.1 है। वहीं मप्र में पुरुष की बात करे तो 15 से 49 आयु के सभी पुरुषों का प्रतिशत 22.4 और 15 से 19 वर्ष के सभी पुरुषों को प्रतिशत 30.5 है। इधर, इंदौर जिले की बात करें तो यहां 6 से 59 माह के बच्चों में एनीमिया का प्रतिशत 78.8 है। 15 से 49 वर्ष की नॉन प्रेग्नेंट महिलाओं का प्रतिशत 47.9 है तो गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत 52.8 है। जबकि 15 से 49 आयु वर्ग की सभी महिलाओं का प्रतिशत 48.1 है और 15 से 19 वर्ष की सभी महिलाओं का प्रतिशत 55.9 है।

कैंसर अप्लास्टिक एनीमिया जैसी कई जानलेवा बीमारियों के उपचार में होम्योपैथी कारगर: डॉ. ए.के. द्विवेदी

 इंदौर । वर्तमान जीवनशैली की वजह से कैंसर तथा अप्लास्टिक एनीमिया जैसी कई घातक बीमारियों के मामले


तेजी से बढ़े हैं इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कैंसर उन बीमारियों में से एक है, जो रोगी के जीवन को पटरी से उतार देती है और परिवार को गंभीर परेशानी एवं आर्थिक  रूप से प्रभावित करती है। इसलिए कैंसर के शुरूआती लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का इलाज आसान है। देश के प्रसिद्ध होम्योपैथी  चिकित्सक डॉ. ए. के. द्विवेदी के अनुसार कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए होम्योपैथी काफी कारगर साबित हो रही है। वे कहते हैं कि कैंसर की हर स्टेज में होम्योपैथिक दवाएं अच्छा परिणाम दे रही है।

कैंसर के कारण एवं  प्रकार, जिनका होम्योपैथी कर सकती है उपचार इन्दौर, मध्य प्रदेश स्थित एडवांस्ड होम्यो हैल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा.लि. के संचालक डॉ. ए.के. द्विवेदी युवाओं से आग्रह करते हैं कि वे अपनी जवानी को ड्रग्स, तम्बाकू, सिगरेट एवं शराब के सेवन से बर्बाद न करें, बल्कि अपनी क्षमता सकारात्मक कार्यों में लगाएं। वे कहते हैं कि होम्योपैथी ऐसा विकल्प है, जिसे आजकल बहुत लोग अपना रहे हैं जिसका प्रमुख कारण हैं कि इन दवायों का शरीर पर दुः परिणाम नहीं होता हैं । होम्योपैथी में कैंसर की विस्तृत शृंखला को ठीक करने की क्षमता है। । आइए, हम आपको कैंसर के कुछ ऐसे प्रकारों के बारे में बताते हैं, जिनका होम्योपैथी से  इलाज कर  सकते हैं।

 

कैंसर - मेटास्टेसिस में प्लेटलेट हीमोग्लोबिन या सभी सेल्स कम हो सकते हैं घबराने की ज़रूरत नहीं  होम्योपैथी इलाज से बढ़ सकते हैं

https://www.youtube.com/watch?v=U5iLpksK7Tg&t=8s

 

पित्त नली का कैंसर

पित्त नली हमारे पाचन तंत्र में अहम भूमिका निभाती है, क्योंकि यह लिवर को पित्ताशय और छोटी आंत से जोड़ती है। पित्त नली के कैंसर को चिकित्सकीय भाषा में कोलेंजियोकार्सिनोमा कहा जाता है। यह आमतौर पर 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। बाइल डक्ट कैंसर की वहज की बात करें तो यह मुख्य रूप से अस्पष्ट है। खुशकिस्मती से, होम्योपैथी  पित्ताशय एवं  पित्त नली के कैंसर में रोगी को काफी राहत प्रदान करती रही हैं ।

स्तन कैंसर

वर्तमान समय में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर काफी आम है। स्तन कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। यहां, संक्रमण दुग्ध मिल्कडक्ट  से शुरू होता है, विशेषकर भीतरी परतों में। इस तरह के मामलों में होम्योपैथी गांठ के आकार को कम करने में मदद करती है। यह दर्द और डिस्चार्ज को कम करने में भी फायदेमंद साबित हो रही हैं|  आपरेशन के बाद हाथों में सूजन कम करने में भी सहायक है|

थायराइड कैंसर

इस प्रकार का कैंसर पैराफोलिकुलर थायरॉयड कोशिकाओं से शुरू होता है। इन कोशिकाओं पैपिलरी थायरॉयड कैंसर, कूपिक थायरॉयड कैंसर और एनाप्लास्टिक थायरॉयड कैंसर भी विकसित हो सकते हैं। इस तरह के कैंसर से महिलाओं को ज्यादा खतरा होता है। होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा थायराइड कैंसर के मरीजों को भी राहत मिल सकती है, लेकिन इसका असर थायराइड कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है।

ओवेरियन या अंडाशयी कैंसर

ब्रेस्ट कैंसर के अलावा महिलाएं ओवेरियन कैंसर का भी काफी शिकार होती हैं। यह कैंसर अंडाशय को भी प्रभावित करता है। ऐसे मामलों में होम्योपैथी दवाएं बिना किसी दुष्प्रभाव के डिम्बग्रंथि के कैंसर में आराम दिलाने में मदद कर सकती हैं।

फेफड़े का कैंसर

अमेरिका सहित प्रमुख देशों में कैंसर से संबंधित अधिकांश मौतों का कारण फेफड़ों का कैंसर ही है। इस तरह के कैंसर धूम्रपान और अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में रहने से हो सकते हैं। होम्योपैथी फेफड़ों के कैंसर में भी काफी प्रभावी है | इस तरह के कैंसर के अलावा और भी कई रूप हैं, जिनका होम्योपैथी से इलाज किया जा सकता है। जैसे- मुँह (मुख) का कैंसर, गर्भाशय कैंसर, पेट का कैंसर, अग्नाशय का कैंसर, गुर्दे का कैंसर और मूत्राशय तथा प्रोस्टेट का कैंसर।

इन्दौर में एडवांस्ड होम्यो हैल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा.लि. के संचालक डॉ. ए.के. द्विवेदी बताते हैं कि आजकल कैंसर से भी भयानक बीमारी के रूप में अप्लास्टिक एनीमिया दिखने को मिल रहा है र। इस बीमारी में तकलीफ यदि बढ़ी हुई है तो मरीज को ब्लड व प्लेटलेट्स बार-बार चढ़वाना पड़ता है। इस तकलीफ को भी होम्योपैथिक इलाज से काफी  कम किया जा रहा  है। कैंसर के मामलों में ऑपरेशन, कीमोथैरेपी तथा रेडियोथैरेपी के साथ भी होम्योपैथिक दवाइयां ली जा सकती हैं।जिससे खून (रक्त) और ब्लड सेल्स को भी बढ़ाया जा सकता है।

होम्योपैथिक दवाओं से हुआ प्लेटलेट्स में सुधार

कैंसर में ऑपरेशन, कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी के बाद भी जब स्वास्थ्य समस्याएं कम नहीं होती, तो होम्योपैथी इस स्थिति में काफी  सहायक हो सकती है। ऐसी ही एक मरीज वीणा त्रिवेदी बताती हैं कि उन्हें कैंसर के कारण मेटास्टेसिस भी हो गया था। इलाज के दौरान वे कई बार अस्पताल में भर्ती भी रहीं। उन्होंने कई बार कीमोथैरेपी भी करवाई। बाद में पता चला कि प्लेटलेट्स काउंट तीन हजार ही रह गया। रिकवरी के लिए उन्होंने अस्पताल में भर्ती होकर काफी संख्या में प्लेटलेट्स भी चढ़वाए, लेकिन प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ा। डॉ. ए.के. द्विवेदी के होम्योपैथिक इलाज के बारे में जानकारी मिलने पर वे उनसे मिलीं। डॉ. द्विवेदी ने कुछ दिनों तक  होम्योपैथिक दवा दी। उनके सेवन से वे कुछ ही दिनों में मैं ठीक हो गईं और प्लेटलेट्स काउंट बढ़कर 2 लाख से अधिक  हो गया। वे अपने उपचार के लिए डॉ. द्विवेदी का आभार प्रकट करती हैं।

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अधिक जानकारी के लिए एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर; होम्योपैथिक

मेडिकल रिसर्च सेंटर प्रा. लि. , मनोरमा गंज, गीता भवन रोड इंदौर,

मध्यप्रदेश पर संपर्क कर सकते हैं।

9993700880, ,0731-4064471, 

drakdindore@gmail.com

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एनीमिया को ना समझे एक साधारण सी बीमारी इससे खुद को बचाएं

 नीमिया एक साधरण-सी लगने वाली बीमारी है। बॉडी में आयरन की कमी को हम आम बात समझकर इस पर


खास ध्यान नहीं देते। हमारी यही लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। चिकित्सकों के अनुसार हमारे शरीर के सेल्स को जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद हीमोग्लोबिन पहुंचाता है। आयरन की कमी और दूसरी वजहों से रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा जब शरीर में कम हो जाती है, तो उस स्थिति को एनीमिया कहते हैं। आरबीसी और हीमोग्लोबिन की कमी से सेल्स को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। कार्बोहाइड्रेट और फैट को जलाकर एनर्जी पैदा करने के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। ऑक्सीजन की कमी से हमारे शरीर और दिमाग के काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है।

कितनी तरह का एनीमिया

एनीमिया खून की सबसे सामान्य समस्या है। हमारे देश में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया सबसे ज्यादा पाया जाता है। करीब 90% लोगों में यही एनीमिया होता है, खासकर महिलाओं और बच्चों में।

1. माइल्ड- अगर बॉडी में हीमोग्लोबिन 10 से 11 g/dL के आसपास हो तो इसे माइल्ड एनीमिया कहते हैं। इसमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खाने की सलाह के अलावा आयरन सप्लिमेंट्स दिए जाते हैं।

2. मॉडरेट- अगर हीमोग्लोबिन 8 से 9 g/dL होगा तो इसे मॉडरेट एनीमिया कहेंगे। इसमें डाइट के साथ-साथ इंजेक्शंस भी देने पड़ सकते हैं।

3. सीवियर - हीमोग्लोबिन अगर 8 g/dL से कम हो तो सीवियर एनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है। इसमें मरीज की हालत की गंभीरता को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है।

क्या हैं कारण

  • आयरन, विटामिन सी, विटामिन बी 12, प्रोटीन या फॉलिक एसिड की कमी
  • हेमरेज या लगातार खून बहने से खून की मात्रा कम हो जाना
  • ब्लड सेल्स का बहुत ज्यादा मात्रा में नष्ट हो जाना या बनने में कमी आ जाना
  • पेट में कीड़े (राउंड वॉर्म और हुक वॉर्म) होना
  • लंबी बीमारी जैसे कि पाइल्स आदि, जिनमें खून की कमी होती हो
  • पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग
  • ल्यूकिमिया, थैलीसीमिया आदि की फैमिली हिस्ट्री है, तो 50% तक चांस बढ़ जाते हैं
  • जंक फूड ज्यादा खाने से
  • एक्सर्साइज़ न करने से
  • प्रेगनेंट महिलाओं का हेल्दी डाइट न लेना

 

किन्हें खतरा ज्यादा

किडनी, डायबीटीज, बवासीर, हर्निया और दिल के मरीजों को, शाकाहारी लोगों को, प्रेगनेंट या स्मोकिंग करनेवाली महिलाओं को।

नोट: पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि इससे शरीर में आयरन तेजी से कम हो जाता है।

लक्षण

  • कमजोरी, थकान और चिड़चिड़ापन
  • किसी भी काम में मन या ध्यान न लगना
  • दिल की धड़कन नॉर्मल न होना
  • सांस उखडऩा और चक्कर आना
  • छोटे-छोटे कामों में भी थकान महसूस होना
  • आंखें, जीभ, स्किन और होंठ पीले पडऩा

नोट: ये सामान्य लक्षण हैं, लेकिन यह स्थिति लगातार बनी रहे तो कई गंभीर लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। ऐसे ही लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं।

गंभीर लक्षण

  • सिर, छाती या पैरों में दर्द होना
  • जीभ में जलन होना, मुंह और गला सूखना
  • मुंह के कोनों पर छाले हो जाना
  • बालों का कमजोर होकर टूटना
  • निगलने में तकलीफ होना
  • स्किन, नाखून और मसूड़ों का पीला पड़ जाना
  • एनीमिया लगातार बना रहे तो डिप्रेशन का रूप ले लेता है

नोट : महिलाओं, पुरुषों और बच्चों में एनीमिया के लक्षण एक जैसे ही होते हैं।

कितना हो हीमोग्लोबिन

महिला - 11 से 15  g/dL के बीच

पुरुष - 11.5 से 17 g/dL के बीच

 

खानपान पर ध्यान जरूरी

आयरन की डिमांड पूरी करने के लिए हमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खानी चाहिए। तीनों मील्स के अलावा दो स्नैस भी खाएं और खाने में अंडे, साबुत अनाज, सूखे मेवे, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा मात्रा में हों।

आयरन से भरपूर चीजें खाएं। जिन चीजों में ज्यादा आयरन होता है, उन्हें नीचे घटते क्रम में दिया गया है। यानि सबसे ज्यादा आयरन वाली चीजें पहले और कम वाली उसके बाद...

फल- खुबानी, अंजीर, केला, अनार, अन्नास, सेब, अमरूद, अंगूर आदि

सब्जियां- पालक, मेथी, सरसों, बथुआ, धनिया, पुदीना, चुकंदर, बीन्स, गाजर, टमाटर आदि

ड्राई फ्रूट्स- बादाम, मुनक्का, खजूर, किशमिश आदि दूसरी चीजें- गुड़, सोयाबीन, मोठ, अंकुरित दालें, दूसरी दालें खासकर मसूर दाल, चना, गेंहू, मूंग आदि।

होम्योपैथी से इलाज

रिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार सभी प्रकार की एनीमिया के रोकथाम व इलाज में होम्योपैथी काफी हद तक सहायक है, यदि हम एनीमिया के कारण जैसे खुनी बवासीर, मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव, पेट के कीड़े तथा आयरन व प्रोटीन का न पचना इत्यादि के आधार पर होम्योपैथिक दवाइयों का चयन करेंगे तो हिमोग्लोबिन सहित सेल्स को भी बढ़ाया जा सकता है।

Monday, 6 March 2023

खून की जांच को कुंडली मिलान से ज्यादा महत्व देंगे तभी हम रोक सकेंगे अगली पीढ़ी में जाने से बीमारी को : सांसद लालवानी

 नेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस-2023 का हुआ आयोजन

 


इंदौर। "एडवांस्ड होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च एवं वेलफेयर सोसायटी" एवं "आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन" द्वारा आज शनिवार को इंदौर में "होम्योपैथिक ट्रीटमेंट फ़ॉर इंक्यूरबल डीसीसेस"  विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सांसद श्री शंकर लालवानी के मुख्य आतिथ्य में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक एवं केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य और प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने की।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सांसद लालवानी ने कहा व्यक्ति स्वस्थ होगा तो समाज स्वस्थ होगा और ये दोनों स्वस्थ होंगे तो देश  स्वस्थ होगा। लेकिन आज की लाइफस्टाइल के चलते युवा ज्यादा अस्वस्थ हो रहा है। 30 से 50 वर्ष की आयु वर्ग के लोग के बीच किए गए सर्वे में ये बात सामने आई है। जिसमें देखने को मिला कि वैसे तो व्यक्ति स्वस्थ है और देखने पर उसे कोई बीमारी नजर नहीं आती लेकिन जांच रिपोर्ट में कुछ कॉमन बीमारियों के शुरुवाती लक्षण दिखाई दिए। ऐसे में  युवा पीढ़ी को चाहिए कि वो अपनी लाइफस्टाइल में व्यायाम को शामिल करें। इसके अलावा एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है वो है रक्त की बीमारियों को लेकर जिसके लिए हमें जागरूक होना पड़ेगा। इसके लिए हम शादी से पहले जैसे जन्मपत्री का मिलान करते है वैसे ही अब हमें खून की जांच करने को भी प्राथमिकता पर रखना होगा। तभी हम आने वाली पीढ़ी में जाने से इन बीमारियों को रोक सकेंगे।  सांसद ने आगे कहा कि शादी से पहले  खून की बीमारियों की जांच जरूरी की जाए ये बात मैं, लोकसभा पटल पर रखूंगा।  

कोरोना काल के बाद ब्रिटेन में बढ़ा, होम्योपैथी पर विश्वास


नेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य वक्ता ऑनलाइन जुड़े  ब्रिटेन के मशहूर डॉ. शशिमोहन शर्मा ने कहा इंग्लैंड में कोरोना काल के बाद वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में होम्योपैथी पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। अब आम से लेकर खास वर्ग तक इसकी सहज स्वीकार्यता है। जिसके चलते मैंने खुद 900 से ज्यादा कोरोना मरीजों का इलाज किया और अधिकाँश स्वस्थ होकर नॉर्मल लाइफ एंजॉय कर रहे हैं।  डॉ. शर्मा ने कहा कि जब असाध्य रोग से ग्रस्त कोई मरीज स्वस्थ होता है तो इसका जिक्र उसके पूरे सर्कल में होता है। इस तरह की माउथ पल्बिसिटी ने इंग्लैंड में होम्योपैथी को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इंग्लैंड की ही डॉ. पद्मप्रिया नायर ने कहा कि होम्योपैथी ट्रीटमेंट से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जिससे मरीज बड़ी से बड़ी बीमारी को भी सफलतापूर्वक मात देने के योग्य बन जाता है।

नाउम्मीदी में रोशन, उम्मीद की किरण


"महिला एवं बाल विकास विभाग इंदौर संभाग" तथा मासिक पत्रिका "सेहत एवं सूरत" के सहयोग से आयोजित सम्मेलन का मुख्य आकर्षण भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी थे। उन्होंने होम्योपैथी के जरिए जानलेवा बीमारी एप्लास्टिक एनीमिया से बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी असाध्य रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए उम्मीद की रोशन किरण साबित हो रही है। वही अप्लास्टिक एनीमिया, सिकल सेल, थेलेसिमिया जैसी बीमारियों का स्थायी इलाज भी होम्योपैथी में संभव है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर होम्योपैथी से जुड़ी जानकारियाँ वो राष्ट्रपति, राज्यपाल और वित्तमंत्री समेत देश की अनेक महत्वपूर्ण हस्तियों से भी साझा कर चुके हैं और हालिया केंद्रीय बजट में सिकलसेल, एप्लास्टिक एनीमिया समेत अनेक गंभीर बीमारियों को आने वाले 25 सालों में पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य तय किया गया है। 

 

असाध्य रोगों के इलाज में कारगर, होम्योपैथी


कार्यक्रम में कोकिला बेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल इंदौर के कंसलटेंट मनोचिकित्सक डॉ. वैभव चतुर्वेदी ने कहा कि जब लोग जटिल असाध्य बीमारी से पीड़ित होते हैं तो मरीज के साथ-साथ उसके घर वाले भी आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशान होते हैं इसलिए इस तरह के मरीजों व उनके परिजनों को मनोचिकित्सा से मिलकर उनकी सलाह लेनी चाहिए। डॉ. चतुर्वेदी ने साइकिएट्रिक ट्रीटमेंट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं गुजरात के डॉ. जयेश पटेल, लखनऊ की डॉ. लुम्बा कमाल, प्रयागराज के डॉ. प्रिंस कुमार मिश्रा और दिल्ली की डॉ. नीरज गुप्ता ने असाध्य रोगों पर कारगर साबित हुए होम्योपैथी ट्रीटमेंट के अपने रोचक एवं उपयोगी अनुभव साझा किए। वक्ताओं ने कहा जिन बीमारियों पर कोई एक चिकित्सा पद्धति प्रभावी सिद्ध नहीं हो रही है उनके समग्र निदान के लिए तमाम चिकित्सा पद्धतियों को एक मंच पर लाया जाना आवश्यक है। बीजेपी प्रवक्ता दीपक जैन भी प्रोग्राम में शामिल हुए।

 

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