योग भगाये रोग
आयुष मन्त्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार योग हमारे जीवन में अत्यन्त महत्व रखता है। योग द्वारा हम अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को तो बढ़ा ही सकते हैं साथ में योग हमें स्वस्थ रहने की स्वस्थ तरीके से जीने की, स्वस्थ तरीके से सोचने की कला भी सिखाता है।
आयुष मन्त्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार योग हमारे जीवन में अत्यन्त महत्व रखता है। योग हमें जीवन जीने की कला सिखाता है, योग हमें स्वस्थ रहने की कला सिखाता है, योग हमें निरोग बनाता है। आपके अनुसार आपने कई असाध्य रोगियों की चिकित्सा होम्योपैथी व योग के जरिये किया है। ऐसे मरीज जिनको लम्बर स्पॉडिलाइटिस था, जिनको सर्वाइकल स्पॉडिलाइटिस था, जिनको वेरिकोज वेन थी, जिनको चक्कर आते थे, जिनको नींद नहीं आती थी, अनेकों प्रकार की ऐसी बीमारियाँ जिसमें उनका कंसन्टेऊषन नहीं बनता था, बच्चों को एग्जाम से डर लगता था, फेल होने से डर लगता था, इत्यादि ऐसे मरीज आये जो निराश होकर करके जो अन्य चिकित्सा पद्धति को अपना करके डॉ. द्विवेदी के पास आये और डॉ. द्विवेदी ने होम्योपैथी चिकित्सा के साथ-साथ सामान्य सी यौगिक क्रियायें बताई, सामान्य आसन करवाया और वे लोग आज बिलकुल स्वस्थ हैं।
डॉ. द्विवेदी बताते हैं कि, जितने भी सर्वाइकल स्पॉडिलाइटिस के मरीज आते थे, उन सभी को आप भुजंगासन की सलाह देते थे, उनको भुजंगासन एक बार करवाते थे, कैसे करना है, उसकी पूरी क्रिया बताते थे और उनको लगातार घर पर करने की सलाह देते थे। इसी प्रकार लम्बर स्पॉडिलाइटिस की परेशानी होती थी, जिनको कमर में नीचे दर्द होता था, उनको आप भुजंगासन के साथ-साथ सेतुबन्धासन करने की सलाह देते थे। सेतुबन्धासन में जब हमारा कमर ऊपर की ओर उठ जाता है तो जो दबाव आता है नसों में वो कम हो जाता है और इस तरीके से मरीजों का दर्द कम हो जाता है और जो स्पाइन पर कम्प्रेसर आता है वो भी धीरे-धीरे कम हो जाता है। इसी तरीके से जिन्हें वेरिकोज वेन की परेशानी थी, उनको सर्वांगासन और शीर्षासन करने की सलाह दी। इसी तरीके से जिनको चक्कर आता था, उनको भ्रामरी करने की सलाह दी। इसी तरीके से जिनको अनिद्रा या लय का कंसन्टेऊषन की परेशानियाँ होती थी, उनको शवासन की सलाह दी। आपने होम्योपैथी चिकित्सा के साथ-साथ योग की क्रियायें कराने का जो लोगों को अनूठा प्रयोग किया उससे लगभग 21 वर्षों में हजारों रोगियों को पूर्णरूप से बीमारी से छुटकारा मिला। आजकल जो लोग चेयर पर बैठकर ऑफिस वर्क करते हैं, उनको भुजंगासन या फिर सेतुबन्धासन करने से बहुत आराम मिल जाता है।
उनमें दो तरह की परेशानी होती है, जो लोग कम्प्यूटर चलाते हैं, लैपटॉप चलाते हैं, मोबाइल चलाते हैं उनको सर्वाइकल स्पॉडिलाइटिस हो जाती है जो लोग ज्यादा ड्राइविंग करते हैं या चेयर सिटिंग करते हैं लगभग 10-12 घंटे उनको लम्बर स्पॉडिलाइटिस की परेशानी होती है। इन दोनों ही मरीजों के लिये सर्वाइकल और लम्बर की परेषानी से छुटकारा पाने के लिये भुजंगासन और सेतुबन्धासन बहुत ही अच्छा तरीका है और इससे कई रोगियों को काफी लाभ मिला है। ऐसे कई स्टूडेंट जो परीक्षा से डरते थे फेल होने से डरते थे, जिनमें लय का कंसन्टेऊषन उनको जब योगासन व योगनिद्रा की सलाह दी गई तो देखा गया कि, उनका कंसन्टेऊषन लेवल बढ़ गया या याददाष्त बेहतर हो गई और अनिद्रा से भी छुटकारा मिला।
डॉ. द्विवेदी के अनुसार योग हमें जीवन जीने की कला सिखाता है, योग हमें बीमारियों से बचाता है। योग रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ा सकता है। हमारे कम्पलीट वेल बींग के लिये योग सबसे जरूरी है। सभी को 24 घंटे में कम से कम 24 मिनट निकालकर योग अवष्य करना चाहिये। डॉ. द्विवेदी ऐसे होम्योपैथी चिकित्सक हैं, जो होम्योपैथी चिकित्सा के साथ-साथ ही योग की थेरेप्युटिक वैल्यू मरीजों को बताते हैं। मतलब किस बीमारी में कौन-सा योग थेरेप्युटिक काम करेगा, इस तरीके से आप योग का थेरेप्युटिक प्रयोग करते हैं मरीजों पर, उससे मरीजों को काफी लाभ मिलता है और इस पर आपके कई आर्टिकल भी प्रकाशित हो चुके हैं। योग और होम्योपैथी के द्वारा रोगों की चिकित्सा की जाती है।
आपके अनुसार योग किसी भी चिकित्सा पद्धति के साथ अपनाई जा सकती है। योग में चूँकि किसी भी प्रकार का कोई दवा प्रयोग नहीं होती है इसलिये किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति के साथ योग को अपनाया जा सकता है। साथ ही आपने सलाह दी कि योग अच्छे से सीखकर ही करना चाहिये यदि आप गलत तरीके से योग करेंगे तो उसके कुछ दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। तो लोगों से अपील है कि, योग जो अच्छे जानकार हैं जिन्हें थेरेप्युटिक योग की अच्छी जानकारी है, उनसे समझकर ही योग किया जाना चाहिये। योग रोगी भी कर सकता है, योग स्वस्थ भी कर सकता है। कोई भी व्यक्ति योग कर सकता है। रोगी अपने रोग के निवारण के लिये योग कर सकता है और स्वस्थ व्यक्ति बीमार नहीं होने के लिये योग कर सकता है।
इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए कारगर हैं ये 4 योगासन, वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों को भी रखते हैं दूर!
नियमित योग करने से इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाया जा सकता है. इम्यूनिटी ही हमें संक्रमण, वायरल से बचाने में मदद करती है. अगर हमारी इम्यूनिटी अच्छी है तो हम किसी भी वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बच सकते हैं. गतिहीन जीवनशैली हमेशा कमजोर इम्यून सिस्टम का कारण बनती है. इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर आप अक्सर सर्दी जुकाम और बुखार से परेशान रहते हैं. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए योग एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है. कई लोग इम्यूनिटी बढ़ाने के नेचुरल तरीके ढूंढते हैं. योग भी इन्ही में से एक है. जो लोग जानना चाहते हैं कि नेचुरल तरीके से इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं उनके लिए योग से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता है. योग एक नेचुरल इम्यूनिटी बूस्टर का काम कर सकता है. यहां हम आपको 4 ऐसे ही योगासनों के बारे में बता रहे हैं जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं.
त्रिकोणासन
त्रिकोणासन का नियमित अभ्यास करने से इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं. इस मुद्रा में त्रिभुज की आकृति बनाई जाती है इसलिए इसे त्रिकोणासन कहा जाता है. यह योगासन प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए सबसे अच्छे योग में से एक माना जाता है. इस योगासन को सुबह उठकर करना फायदेमंद माना जाता है.
त्रिकोणासन करने का तरीका
सीधे खड़े हो जाएं, दोनों पैरों के बीच में 3.5 से लेकर 4 फीट तक गैप कर लें. अपनी दाहिने एड़ी के केंद्र बिंदु को बाएं पैर के आर्च के केंद्र की सीध में रखें. गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ते जाएं. सांस छोड़ते हुए शरीर को हिप्स के नीचे से दाहिनी तरफ मोड़ें. बाएं हाथ को ऊपर उठाएं और दाहिने हाथ से जमीन को स्पर्श करें. दोनों हाथ मिलकर एक सीधी लाइन बनाएंगे. दाहिने हाथ को पिंडली, टखने या जमीन पर टिके दाहिने पैर पर रखें. सांस छोडऩे के साथ ही शरीर को ज्यादा रिलेक्स महसूस करें। गहरी सांस भीतर खींचते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें. हाथों को साइड्स में गिराएं और पैरों को सीधा करें.
पादंगुष्ठासन
इम्यून सिस्टम के लिए एक और आसन को फायदेमंद माना जाता है वह है पादंगुष्ठासन. इस आसन को बिग टो पोज़ भी कहा जाता है, आपकी मांसपेशियों को आपके पैरों, आपकी रीढ़ और गर्दन के पीछे खींचने में मदद करता है. यह बेसिक लेवल का हठ योग सुबह खाली पेट कम से कम 30 सेकंड के लिए करें.
पादंगुष्ठासन का तरीका
पादंगुष्ठासन योग को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं. इस आसन को करने के लिए आप ताड़ासन की मुद्रा में भी खड़े हो सकते हैं. अपने दोनों हाथों और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और अपने दोनों पैरों के बीच कम से कम 6 इंच की दूरी रखें. अब साँस को छोड़ते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को सीधा रखें हुए कूल्हों के जोड़ से नीचे की ओर झुकें. सांस लें और धड़ को ऊपर उठाएं और अपने हाथों को कोहनी से सीधा करें. इस आसन में आप 30 से 90 सेकंड तक रुक सकते हैं.
भुजंगासन
भुजंगासन, जिसे कोबरा पोज़ भी कहा जाता है, एक कोबरा के उभरे हुड जैसा दिखता है. भुजंगासन सूर्यनमस्कार अभ्यास का हिस्सा है. 15-30 सेकंड या 5-10 सांस के लिए इस बेसिक लेवल अष्टांग योग मुद्रा को करें. यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए फायदेमंद हो सकता है.
भुजंगासन करने का तरीका
सबसे पहले योग मेट पर पेट के बल लेट जाएं, हाथों को सिर के दोनों तरफ रखें और माथे को जमीन से टिकाएं. इस दौरान अपने पैरों को तना हुआ और इनके बीच थोड़ी दूरी रखें. अब अपनी हथेलियों को अपने कंधों के बराबर में लाएं. फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए हाथों से जमीन की ओर दबाव डालते हुए, नाभि तक शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करें. इस पोजीशन में रहकर आसमान की ओर देखने की कोशिश करें और इस पोजीशन में कुछ देर ठहरें. इस दौरान अपने शरीर का भार दोनों हाथों पर बराबर बनाएं रखें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें. अब धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं.
ताड़ासन
नियमित रूप से ताड़ासन करने से आप इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं. यह एक ऐसा योगासन है जिससे न सिर्फ बेहतर स्वास्थ्य मिल सकता है बल्कि यह शरीर को स्ट्रेच करने में भी मददगार हो सकता है. ताड़ासन को माउंटेन पोज़ भी कहा जाता है. इस योगासन को दिन में किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि जब भी आप इस योग को करें आपका पेट खाली होना चाहिए. ऐसे में सलाह यही दी जाती है कि इसे सुबह उठने के बाद खाली पेट किया जाए.
ताड़ासन करने का तरीका
सबसे पहले किसी साफ और खुली जगह का चुनाव करें और योग मैट बिछाएं. अब पैर और कमर को सीधा करके योग मैट पर खड़े हो जाएं. इस दौरान एडिय़ों को एक दूसरे से मिला कर रखें. अपने दोनों हाथों को बगल में सीधा रखें. अगले चरण में हथेलियों को आपस में फंसाकर ऊपर उठाएं. हथेलियों की दिशा आकाश की तरफ होनी चाहिए. अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए, पंजों के बल खड़े होते हुए शरीर को ऊपर की ओर खीचें. जब शरीर पूरी तरह तन जाए तो इस मुद्रा में कुछ देर बने रहने की कोशिश करें. साथ ही सामान्य रूप से सांस लेते रहें. इस अवस्था में शरीर का पूरा भार पंजों पर होगा. फिर सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं. इस पूरी प्रक्रिया को लगभग 8 से 10 बार दोहराएं.