प्रोस्टेट कैंसर फैलने के कई कारण हैं। लेकिन शुरूआती अवस्था में प्रोस्टेट कैंसर के फैलने का कारण आनुवांशिक होता है। आनुवांशिक डीएनए प्रोस्टेट कैंसर होने का सबसे प्रमुख कारण है। प्रोस्टेट ग्लैंड यूरिनरी ब्लैडर के पास होता है, इस ग्रंथि से निकलने वाला पदार्थ यौन क्रिया में सहायक बनता है। आमतौर पर उम्र बढऩे के साथ ही प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन आजकल की दिनचर्या के कारण यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। दोनों पैरों में कमजोरी व पीठ में दर्द महसूस होता है। बढ़ती उम्र, मोटापा, धूम्रपान, आलस्यपूर्ण दिनचर्या और अधिक मात्रा में वसायुक्त पदार्थो का सेवन करने के कारण प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है।
प्रोस्टेट क्या है?
प्रोस्टेट ग्रंथि केवल पुरूषो में पाई जाती है जो उनके प्रजनन प्रणाली का एक हिस्सा है। यह मूत्राशय के नीचे और मलाशय के सामने स्थित होती है। पौरूष ग्रंथि मूत्रमार्ग के चारों और होता है, मूत्रमार्ग मूत्र को मूत्राशय से लिंग के रास्ते निष्कासित करता है। वीर्य पुटिका ग्रंथि जो वीर्य का तरल पदार्थ बनाती है पौरूष ग्रंथि के पीछे स्थित होती है। पौरूष ग्रंथि दो भागो में विभाजित होती है, दाँए और बाँए। उम्र के साथ पौरूष ग्रंथि के आकार में परिवर्तन होता रहता है। युवावस्था में पौरूष ग्रंथि के माप में तीव्र वृद्धि होती है।
कैसे फैलता है प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट की कोशिकाओं में बनने वाला एक प्रकार का कैंसर है। यद्यपि पौरूष ग्रंथि में कई प्राकर की कोशिकाएँ पाई जाती है, लगभग सभी प्रोस्टेट कैंसर, ग्रंथि कोशिकाओं से विकसित करते है (एडिनोकार्सिनोमा)। प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बहुत ही धीमी गति से बढ़ता है। ज्यादातर रोगियों में तब तक लक्षण नही दिखाई देते जब तक कि कैसर उन्नत अवस्था में नही पहुँचता। प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों में से अधिकांश अन्य कारणों से मरते हैं। कई मरीजों को तो ज्ञात ही नहीं होता कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर हैं। लेकिन एक बार प्रोस्टेट कैंसर विकसित हो जाता है और बाहर की तरफ फैलने लगता है तो यह खतरनाक हो जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर फैलने के कारण
बढ़ती उम्र
प्रोस्टेट कैंसर सबसे ज्यादा 40 साल की उम्र के बाद होता है। उम्र बढऩे के साथ ही प्रोस्टेट ग्लैंड बढऩे लगती है जो कि कैंसर होने की संभावना को बढ़ाती है। 50 साल की उम्र पार कर रहे लोगों में यह कैंसर बहुत तेजी से फैलता है। प्रोस्टेट कैंसर के हर 3 में से 2 मरीजों की उम्र 65 या उससे ज्यादा होती है।
आनुवांशिक बीमारी
प्रोस्टेट कैंसर आनुवांशिक भी होता है। घर में अगर किसी भी व्यक्ति या रिश्तेदार को प्रोस्टेट कैंसर होता है तो बच्चों में इसके होने की संभावना ज्यादा होती है। अगर किसी के भाई को अपने पिता से यह इंफेक्शन मिलता है तो उसके छोटे भाई को भी इससे प्रभावित होने की संभावना ज्यादा होती है।
खान-पान
आधुनिक जीवनशैली में खान-पान भी प्रोस्टेट कैंसर के फैलने का प्रमुख कारण बन गया है। लेकिन अभी इस बारे में कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। जो आदमी लाल मांस (रेड मीट) या फिर ज्यादा वसायुक्त डेयरी उत्पादों का प्रयोग करते हैं उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन ज्यादा वसायुक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन ही प्रोस्टेट कैंसर का प्रमुख कारण है इस बात पर अभी भी आशंका है। जंक फूड का सेवन भी प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना को बढ़ाता है।
मोटापा
मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। मोटे लोगों को डायबिटीज कई सामान्य बीमारियां होना आम बात है। लेकिन मोटापा प्रोस्टेट कैंसर के फैलने का एक कारण है। मोटापे से ग्रस्त लोगों को प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। लेकिन इस तथ्य की पुष्टि नहीं हो पायी है कि मोटापा भी प्रोस्टेट कैंसर होने का प्रमुख कारण है लेकिन कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आयी है।
धूम्रपान
धू्म्रपान करने से मुंह और फेफड़े का कैंसर तो होता है लेकिन धूम्रपान प्रोस्टेट कैंसर को भी बढ़ाता है। धूम्रपान करने वालों को प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। सिगरेट में पाया जाने वाला निकोटीन प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ाता है।
कम प्रजनन क्षमता वाले लोगों में भी प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। यदि सही समय पर इस मर्ज का पता लग जाए, तो सर्जरी के जरिए प्रोस्टेट कैंसर से निजात पाना संभव है। इसलिए अगर उम्र बढऩे के बाद प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण दिखे तो चिकित्सिक से संपर्क जरूर कीजिए।
होम्योपैथिक समाधान
जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढऩे लगती है उसे बीमारियों का दु:ख-दर्द सताने लगता है। बढ़ती उम्र के साथ प्रोस्टेट का बढऩा, प्रोस्टेट का कैंसर जैसी शिकायतों का सामना होने लगता है और व्यक्ति को आपरेशन, कीमोथैरेपी, रेडियोथेरेपी के बाद भी उस दर्द से छुटकारा नहीं मिलता तब वो होम्योपैथिक के शरण में आते हैं। देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी कई अतंरराष्ट्रीय कांफे्रस में होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी पर अपना व्याख्यान एवं शोध पत्र पढ़ चुके डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार उनके पास जब तक मरीज पहुंचता है उसके उम्र के आखिरी पड़ाव में होता है, बीमारी का अंतिम स्टेज होता है और सभी उपलब्ध उपायों को आजमाने के बाद आशानुरूप परिणाम नहीं मिलने के कारण निराशा और हताशा से ग्रसित हो जाता है। ऐसे सभी निराश मरीजों पर इंदौर स्थित एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक अनुसंधान केंद्र से होम्योपैथी की ५० मिलिसिमल पोटेंसी की दवाइयों के प्रयोग से हजारों मरीजों को प्रोस्टेट की समस्या से छुटकारा दिलाते हुए मानसिक सम्बल प्रदान करने का कार्य कर रहे हैं। डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार जब भी आपको मूत्र से संबंधित कोई भी परेशानी होने लगे तो तुरंत ही उचित जांच कराते हुए होम्योपैथिक चिकित्सा को अपनाएं।