होम्योपैथी दवाएं कितनी असरदार
ऑस्ट्रेलिया में पिछले कुछ महीनों से होम्योपैथी दवाओं को लेकर चर्चा चल रही है कि क्या ये दवाएं प्रभावी हैं। ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार ऐसी कोई भी बीमारी नहीं है जिसके ईलाज में होम्योपैथी दवाएं कारगर नहीं हैं। वैसे पिछले वर्षों के आकड़ों के मुताबिक़ ऑस्ट्रेलिया में 1.1 करोड़ लोग बीमारियों के ईलाज के लिए होम्योपैथीदवाओं को अपनाते हैं। छोटी-छोटी स्वास्थ्य परेशानियां जैसे खांसी, सर्दी, जूकाम, कान व नाक में दर्द आदि के इलाज के लिए एक बड़ी आबादी इन दवाओं पर निर्भर है।
भारत देश में भी होम्योपैथी दवाएं काफी प्रचलित है और खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में इन दवाओं की काफी मांग है। फ्रांस, भारत और जर्मनी जैसे देश होम्योपैथी के फायदे से वाकिफ हैं और इसे अपना पूर्ण समर्थन देते है। होम्योपैथी दवाओं की महत्वपूर्णता चिकित्सा क्षेत्र और समाज द्वारा उठाए जा रहे कदमों को देखकर परखा जा सकता है।वैसे काफी लोग अन्य औषधि को अपनाने के बाद होम्योपैथी दवाओं के प्रति अपना रुख करते हैं। ऑस्ट्रेलिया होम्योपैथीक एसोसिएशन की वक्ता ने कहा कि अन्य चिकित्सा प्रणालियों में चिकित्सक काफी कम समय में परामर्श कर मरीज को दवा दे दिया करते हैं किन्तु होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली इन सब से थोड़ा अलग है। इसमें चिकित्सक मरीज के साथ कम से कम 1 घंटे तक परामर्श करता है और बीमारी से जुडी हर एक जानकारी एकत्रित करता है।उन्होंने कहा कि ऐसा कर बिमारी को जड़ से खत्म करने में मदद मिलती है। साथ ही मरीज भी खुलकर अपनी परेशानियों को बता पाते हैं।इन दवाओं का असर रातो-रात नहीं होता किन्तु मरीजों का कहना है कि दवाओं के असर में कई बार महीनों लग जाते हैं।
भारत देश में भी होम्योपैथी दवाएं काफी प्रचलित है और खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में इन दवाओं की काफी मांग है। फ्रांस, भारत और जर्मनी जैसे देश होम्योपैथी के फायदे से वाकिफ हैं और इसे अपना पूर्ण समर्थन देते है। होम्योपैथी दवाओं की महत्वपूर्णता चिकित्सा क्षेत्र और समाज द्वारा उठाए जा रहे कदमों को देखकर परखा जा सकता है।वैसे काफी लोग अन्य औषधि को अपनाने के बाद होम्योपैथी दवाओं के प्रति अपना रुख करते हैं। ऑस्ट्रेलिया होम्योपैथीक एसोसिएशन की वक्ता ने कहा कि अन्य चिकित्सा प्रणालियों में चिकित्सक काफी कम समय में परामर्श कर मरीज को दवा दे दिया करते हैं किन्तु होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली इन सब से थोड़ा अलग है। इसमें चिकित्सक मरीज के साथ कम से कम 1 घंटे तक परामर्श करता है और बीमारी से जुडी हर एक जानकारी एकत्रित करता है।उन्होंने कहा कि ऐसा कर बिमारी को जड़ से खत्म करने में मदद मिलती है। साथ ही मरीज भी खुलकर अपनी परेशानियों को बता पाते हैं।इन दवाओं का असर रातो-रात नहीं होता किन्तु मरीजों का कहना है कि दवाओं के असर में कई बार महीनों लग जाते हैं।
इमर्जेंसी में होम्योपैथी का महत्व
आमतौर पर लोगो की धारणा है कि होम्योपैथी इमरजेन्सी में काम नहीं करती है क्योकि इसका असर बहुत धीरे-धीरे होता है, और जब तक दवा असर करेगी तब तक रोगी का बहुत नुकसान हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं है, यदि किसी भी इमरजेन्सी केस में सही समय में सही दवा तुंरत दी जाए तो न केवल रोगी की जान बच जायेगी बल्कि उसे कोई गंभीर नुकसान भी नहीं होगा। एक प्रचलित धारणा यह भी है कि होम्योपैथी दवा सिर्फ बच्चो कि मामूली चोट के लिए ही उपयोगी है किन्तु यहाँ तथ्य पूरी तरह से सही नहीं है । होम्योपैथिक दवा न केवल साधारण चोट में उपयोगी है बल्कि यह हार्ट अटेक, कोमा आदि गंभीर इमरजेन्सी में भी अति उपयोगी है।
सामान्य चोट
बच्चो को खेलते वक्त चोट लगना ,और काम करते समय मामूली चोट या कट लगना अथवा वाहन से मामूली दुर्घटना होना ।ये सभी सामान्य चोट के अन्र्तगत आते है ।ऐसे समय में कुछ उपयोगी होम्योपैथिक दवाए न केवल कटे हुए घाव भरने , रक्तस्त्राव रोकने में उपयोगी है बल्कि ये दर्द को भी कम कर देती है।
रक्तस्राव
यद्यपि रक्तस्राव किसी भी प्रकार की बाह्य या आन्तरिक चोट का परिणाम होता है लेकिन रक्तस्राव को कई प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है - सामान्य चोट लगने पर होनेवाला रक्तस्राव, नाक से रक्तस्राव (नकसीर), महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होनेवाला अतिस्राव आदि। कभी-2 किडनी मे पथरी की समस्या होनेपर भी मूत्र के साथ रक्तस्राव संभव है। होम्योपैथी मैं रक्तस्राव फ़ौरन रोकने के लिए भी पर्याप्त दावा उपलब्ध हैं।
संक्रमण
किसी भी प्रकार के संक्रमण को नियंत्रित करने मैं होम्योपैथिक दवाए सक्षम हैं।मौसमी संक्रमण, फोडे, मुहांसे, खुजली, एक्सिमा, एलर्जी आदि के लिए होम्योपैथिक दवाए कारगर हैं।
मोच
सामान्य कार्य के दौरान,भारी वजन उठाने से, गलत तरीके से कसरत करने जैसे आदि अनेक कारण हैं जो मोच के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं। प्राय: मोच शरीर के लचीले भागों जैसे कलाई, कमर, पैर, आदि को प्रभावित करती है। लोगों का सोचना है के मालिश ही इसका सर्वोत्तम उपचार है लेकिन मोच के लिए भी होम्योपैथिक दवाए उपलब्ध हैं जो ना केवल मोच के दर्द से राहत देती हैं बल्कि सुजन को दूर करने मे भी सहायक हैं।
जलना
जलना एक दर्दनाक प्रक्रिया है जो कई कारणों से हो सकती है - महिलाओं का किचन में कार्य करते वक्त जल जाना, आग या भाप से जलना, सनबर्न आदि। जलने पर होम्योपैथिक दवाएं प्रयोग में लायी जा सकती हैं।
हड्डी टूटना
हड्डी टूटना एक आम इमर्जेंसी है जो प्राय: वृद्ध लोगो में, बच्चों में अथवा दुर्घटना आदि के कारण हो सकती है। लोगो के एक आम सोच है के भला होम्योपैथिक दवाए कैसे इसे ठीक कर सकती हैं? लेकिन होम्योपैथी के खजाने में कुछ ऐसे दवाएं भी हैं जो दर्द को दूर करके टूटी हड्डी को पुन: जोडऩे मैं सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
लू लगना
गर्मी के मौसम में बरती गयी लापरवाही या कुछ मामूली गलतियाँ लू लगने के लिए जिम्मेदार होती हैं जैसे - धूप में घूमना, धूप से आते ही ठंडा पानी पीना, तेज़ गर्मी से आते ही कूलर या एसी में बैठना इन सब कारणों से शरीर तथा बाहरी वातावरण के बीच संयोजन गडबडा जाता है और व्यक्ति लू का शिकार हो जाता है। प्राय: लोग नहीं समझ पाते कि उनको लू का आघात लगा है। इसके मुख्य लक्षण- तेज़ बुखार, वमन, तेज़ सिरदर्द आदि हैं। लक्षण गंभीर होनेपर रोगी की मृत्यु भी संभव है। लू से बचाव के लिए होम्योपैथिक दवाए उपयोगी हैं। लू लगने पर तुरन्त दी गई 1 या 2 खुराक रोगी की जान बचाने के लिए पर्याप्त हैं।
टिटनेस
लोहे की जंग लगी वस्तु से चोट लगने पर या वाहन से दुर्घटना होने पर टिटनेस का खतरा पैदा हो जाता है जो जानलेवा भी साबित हो सकता है। होम्योपैथी में टिटनेस के लिए दोनों ही विकल्प मौजूद हैं -
1) चोट लगने पर फ़ौरन ली जानेवाली दवाई ताकि भविष्य में टिटनेस की सम्भावना न रहे।
2) टिटनेस हो जानेपर उसे आगे बढऩे से रोकने तथा उसके उपचार हेतु ली जानेवाली दवाई।
1) चोट लगने पर फ़ौरन ली जानेवाली दवाई ताकि भविष्य में टिटनेस की सम्भावना न रहे।
2) टिटनेस हो जानेपर उसे आगे बढऩे से रोकने तथा उसके उपचार हेतु ली जानेवाली दवाई।
सदमा
यह एक अत्यधिक गंभीर इमर्जेंसी है जो व्यक्ति पर अस्थायी अथवा दूरगामी दोनों प्रकार के प्रभाव छोड़ सकती है। अचानक कोई ख़ुशी या गम का समाचार, प्रियजनों के मृत्यु, किसी भयानक दुर्घटना या खून आदि के घटना को साक्षात देखना आदि सदमे के मुख्य कारण हो सकते हैं। इसमें व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है, उसकी आँखें चढ़ जाती हैं, दांत बांध जाते हैं तथा कभी कभी आवाज़ या याददाश्त भी चली जाती है। ऐसी अवस्था में प्रति 5-5 मिनट के अन्तराल पर कुछ विशिष्ट होम्योपैथिक दवाओं के खुराक दे कर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
हार्टअटैक
यह बड़ा प्रचलित तथ्य है कि हार्ट अटैक जैसी अति गंभीर इमर्जेंसी और होम्योपैथिक दवाओं के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है क्यूंकि ऐसी हालत में हॉस्पिटल ही अंतिम विकल्प है जबकि अनेक बार ऐसा भी होता है कि रोगी हॉस्पिटल पहुँचने से पहले रास्ते में ही दम तोड़ देता है क्योंकि हार्टअटैक के रोगी को फौरन देखभाल तथा उपचार की ज़रूरत होती है। होम्योपैथिक दवाओं मैं केवल हार्टअटैक से बचाव करने के ही शक्ति नहीं है बल्कि यह रक्त संचार को नियमित बनाकर भविष्य मे हार्ट अटैक से बचाव प्रदान करती है, हार्ट के नलियों में खून का थक्का बनने पर उसको तरल करके समाप्त कर देती है तथा हार्ट की पेशियों को ताकत प्रदान करती हैं। सर्वोत्तम बात यह है कि इन दवाओं को जीवनभर प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होती किन्तु इनका प्रभाव स्थाई होता है।